अधिगम का व्यवहारवाद सिद्धांत

अधिगम का व्यवहारवाद सिद्धांत (Learning Theory of Behaviorism)
व्यवहारवाद सिद्धांत के प्रवर्तक थार्नडाइक है। जिन्होंने 1911 में एनिमल इंटेलिजेंस (Animal intelligence) नामक पुस्तक लिखी।

इनको प्रथम मानव व्यवहारवादी (Hmuan Behaviorist) तथा शिक्षा मनोवैज्ञानिक (Education psychologist) है। इन्होंने भूखी बिल्ली पर प्रयोग करके सीखने के नियम (Law of Learning) प्रतिपादित किए।

थार्नडाइक का प्रयोग (Experiment of thorndike)

Thordike ने एक पिंजरे में भूखी बिल्ली को कैद किया। तथा पिंजरे का गेट लीवर के दबने से खुले ऐसी व्यवस्था की। बिल्ली भूख के कारण उछल-कूद करने लगती है। उछल-कूद के दौरान बिल्ली का पांव भूल से लीवर पर पड़ गया। जिससे पिंजरे का गेट खुल गया और भूखी बिल्ली को भोजन प्राप्त हो गया। इस प्रकार बिल्ली लीवर दबाकर भोजन प्राप्त करना सीख जाती है।

अधिगम का व्यवहारवाद सिद्धांत (Learning Theory of Behaviorism)

थार्नडाइक के अनुसार भूख एक उद्दीपन ना होकर एक स्वाभाविक उत्तेजना (Natural stimulus), आंतरिक उत्तेजना (Internal stimulus), आंतरिक ऊर्जाबल (internal energy force), पर्णोदन (propulsion), या चालक (driver) है। जबकि भूखी बिल्ली द्वारा उछल-कूद करना स्वाभाविक अनुक्रिया (Natural response) है। तथा भोजन की गंध एक उद्दीपक है।

थार्नडाइक के सीखने के सिद्धांत के अन्य नाम (Other names of the Thurdike’s theory of learning)

  • प्रयास तथा त्रुटि का सिद्धांत (Theory of effort and error)
  • आबंध सिद्धांत (Bond theory)
  • उद्दीपक-अनुक्रिया का सिद्धांत (Stimulus-response theory)
  • संयोजनवाद सिद्धांत (Connectionism theory)
  • हर्ष व दुख का सिद्धांत (The principle of joy and sadness)

 

यह भी पढ़े

सीखने के नियम (Law of Learning)

थार्नडाइक ने अपने प्रयोग के आधार पर सीखने मुख्य नियम दिए-
1. तत्परता का नियम (Law of Readiness)
2. प्रभाव का नियम (Law of Effect)
3. अभ्यास का नियम (Law of Practice)
4. बहु प्रतिक्रिया नियम (Law of Multi-response)
5. मानसिक मनोवृत्ति का नियम (Law of mental attitude)
6. आंशिक-क्रिया नियम (Law of Partial activity)
7. साहचर्य-परिवर्तन का नियम (Law of associative shifting)
8. आत्मा सात्मीकरण का नियम (Law of Soul Consciousness)

तत्परता का नियम (Law of Readiness)

इस नियम के अनुसार यदि कोई बालक किसी अधिगम-क्रिया (Learning process) के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। तो उसके अधिगम की दर (Rate of learning) कम होती है। और यदि वह सीखने के लिए मानसिक रूप से तत्पर है। तो उसका अधिगम श्रेष्ठ होता है।

एक शिक्षक को कक्षा-कक्ष में शिक्षण करवाने से पहले बच्चों को मानसिक रूप से सीखने के लिए तत्पर करना चाहिए वुडवर्थ (Woodworth) ने इसे मानसिक तैयारी का नियम (Law of mental preparation) कहा।

प्रभाव का नियम (Law of Effect)

यदि किसी कार्य को करते समय सकारात्मक परिणाम (Positive result) प्राप्त होते हैं तो तो छात्र की अभिलाषा (desire) बढ़ती है। जिससे अधिगम श्रेष्ठ होता है। लेकिन यदि किसी कार्य को करते समय नकारात्मक परिणाम (Negative result ) प्राप्त होते हैं, तो अधिगम की दर (Rate of learning) गिर जाती है। इस नियम को संतुष्टि या संतोष का नियम (Law of satisfaction) भी कहा जा सकता है। उपलब्धि (Achievement) तथा अभिप्रेरणा (Motivation) प्रभाव के नियम के अंतर्गत ही आती है।

अभ्यास का नियम (Law of Practice)

किसी कार्य को सीखने के लिए क्रिया को बार-बार दोहराया जाता है। तो वह क्रिया अनुकूलित (Adapted) हो जाती है। जिससे श्रेष्ठ अधिगम प्राप्त होता है। यदि उसका अभ्यास छोड़ दिया जाए तो अधिगम पर नकारात्मक प्रभाव (Negative result) पड़ता है। इसे आवृति का नियम (Rule of frequency) भी कहा जा सकता है।

अभ्यास के नियम दो उप नियम है-

  1. उपयोगिता का नियम (Law of use)
  2. अनुपयोगिता का नियम (Law of misuse)

बहु प्रतिक्रिया नियम (Law of Multi-response)

समस्या समाधान हेतु अधिगमकर्ता (Learner) अर्थात सीखने वाला व्यक्ति बहुत सारी प्रतिक्रियाएं करता है। और वह तब तक करता रहता है। जब तक सही अनुक्रिया (response) ना मिल जाए।

मानसिक मनोवृत्ति का नियम (Law of mental attitude)

किसी भी कार्य को करते समय यदि सकारात्मक दृष्टिकोण (positive attitude) है, तो हम उसे शीघ्र सीखते हैं। और यदि नकारात्मक दृष्टिकोण (Negative attitude) है, तो अधिगम की दर मंद हो जाती है। अर्थात सीखने में देरी होती है।

आंशिक-क्रिया का नियम (Law of Partial activity)

किसी कार्य को सीखते वक्त यदि विषयवस्तु (Subject-जिसको सीखा जाता है) को छोटे-छोटे खंडों (Parts) में बांटकर सीखा जाए तो अधिगम शीघ्र प्राप्त होता है, वरना अधिगम की दर (Learning rate) मंद हो जाती है। इसे अंश से पूर्ण की ओर (Part to whole), सूक्ष्म से स्थूल की ओर (Small to large) का नियम भी कहा जा सकता है।

साहचर्य परिवर्तन का नियम (Law of associative shifting)

यदि अधिगम की परिस्थितियों (circumstance) समान हो तो एक अधिगम क्रिया के साथ दूसरा अधिगम की अभी किया जा सकता है। अर्थात एक कार्य के साथ दूसरा कार्य भी सीखा जा सकता है।

आत्मसात्मीकरण का नियम (Law of Self-assimilation)

यदि कोई क्रिया जीवन में लंबे समय तक चलती रहे तो वह क्रिया आत्मसात (Assimilation) हो जाती है।

व्यवहारवाद सिद्धांत का शैक्षिक  महत्व (Educational significance of behaviorism theory)

थार्नडाइक के नियमों का शैक्षिक महत्व निम्न प्रकार है –

  1. विद्यार्थी असफलता से सफलता प्राप्त करता है।
  2. इस नियमों के अनुसार विद्यार्थी अनुभव से सफलता प्राप्त करना सीखता है।
  3. विद्यार्थी किसी कार्य को करके सीखता है।
  4. कोई भी विद्यार्थी अभ्यास से सीखता है।
  5. विद्यार्थी निराशा से आशा की ओर बढ़ता है।

Keywords

  1. अधिगम का व्यवहारवाद सिद्धांत (Learning Theory of Behaviorism)
  2. थार्नडाइक का प्रयोग (Experiment of thorndike)
  3. सीखने के नियम (Law of Learning)
  4. व्यवहारवाद सिद्धांत (Behaviorism)

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