राजस्थान में कृषि

राजस्थान में कृषि (Agriculture in Rajasthan)

राजस्थान में कृषि का एक अलग ही महत्व है। हालाँकि सिंचाई समस्या के कारण कई बार राजस्थान में अच्छी फसल नहीं हो पाती है। राज्य की कृषि व्यवस्था हमेशा से ही वर्षा पर निर्भर रही है और इसी कारण राजस्थान में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है।

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कृषि के प्रकार

राजस्थान में कई तरह से कृषि की जाती है। कृषि के कुछ एक जाने-माने प्रकार है:

शुष्क कृषि

शुष्क कृषि रेगिस्तानी भागों में की जाती है। ऐसी जगह पर सिंचाई का  कोई साधन नहीं होता है और धरती में नमी का संरक्षण किया जाता है। शुष्क कृषि में फ्वारा पद्धति और ड्रिप सिस्टम से कृषि कार्य को पूरा किया जाता है।

सिंचित कृषि

सिंचित कृषि वह होती है जहां सिचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध होता है। आए जगह पर अधिकतर उन फसलों की खेती जाती है जिसमे सिंचाई के लिए चाहिए हो।

मिश्रित कृषि

खेती के साथ साथ जब पशुपालन  के खाने-पिने की भी  व्यवस्था की जाती है तो उसे मिश्रित कृषि कहा जाता है।

मिश्रित खेती

दो या दो से अधिक फसलों की खेती करने की प्रक्रिया को मिश्रित खेती कहते है।

झूमिग कृषि

झूमिग कृषि में खाद के लिए  पेड़ पोधो को जलाकर राख बनायीं जाती है और उसे प्रयोग में लेके खेती की जाती है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र जैसे उदयपुर, डूंगरपुर, बांरा जैसी जगहों  पर इस तरह की खेती की जाती है। इसको वालरा, स्थानांतरणशील कृषि, चेना, लदांग, और मिल्पा, चिमाता  आदि भी  कहते हैं।

हालाँकि इस तरह की खेती से पर्यावरण को काफी हानि पहुँचती है, लेकिन पेट पालने के लिए मजबूरन लोगो को ऐसी चीजों का सहारा लेना पड़ता है।

फसलों के प्रकार

राजस्थान में दो तरह से फसलें पैदा करके कृषि की जाती है जिनमे एक खरीफ की फसल दूसरी रबी की फसल होती है।

रबी की फसल

इसको उन्यालू भी कहते है। राजस्थान में अक्टूबर तथा नवंबर माह में बुवाई तथा जनवरी व फ़रवरी महीने में रबी की फसल की काटी जाती है।

चना, जौ, गेंहू, सरसों, मटर, मसूर, राई, जीरा, प्याज, अदरक अलसी, धनिया, सौंफ, आलू, हल्दी, मेथी, मिर्ची, जीरा आदि की खेती रबी की फसल के अंतर्गत आते है।

खरीफ  की फसल

इसको स्यालू या सवाणु भी कहते है। राजस्थान में जून, जुलाई, में इसकी बुवाई की जाती है। तथा सितम्बर व अक्टूबर महीने में खरीफ की फसल को काटा जाता है।

चावल, ग्वार, बाजरा, तिल, मूंगफली, उड़द, मोठ, मुंग, सोयाबीन, कपास, गन्ना, अरण्डी तम्बाकू आदि की खेती खरीफ की फसल के अंतर्गत आते है।

जायद की फसल

यह मार्च अप्रेल से मई जून तक उगाई जाती है। इसमें बेल वाली फसलें बोई जाती है जैसे ककड़ी, तरबूज, खरबूजा आदि।

 

 

राजस्कृथान का प्रमुख कृषि  उत्पादन

 

मसाला उत्पादन

सम्पूर्ण विश्व में भारत  के अंदर मसाले का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। मसाला उत्पादन करने में राजस्थान का नाम सबसे पहले लिया जाता है। तथा सबसे ज्यादा मसलों का उत्पादन राजस्थान के बारां जिले में होता है।

 

राजस्थान के कई जिलों के अंदर अलग अलग प्रकार के मसाले की पैदावार होती है जैसे जोधपुर में मिर्च, बारां में धनिया, कोटा में सोंफ, जालौर में जीरा व इशबगोल, उदयपुर में हल्दी व अदरक तथा नागौर में मेथी।

जायके का स्वाद बढ़ाने वाला राजस्थानी धनिया जीरा और मेथी उत्पादन के आधार पर देश में प्रथम स्थान पर आता है।

 

इश्बगोल का उत्पादन

विश्व के कुल इसबगोल का 40% उत्पादन राजस्थान के जालौर जिले से होता है।

 

फलों का उत्पादन

राजस्थान के कई जिलों के अंदर फलों की पैदावार भी अच्छी होती है जैसे बीकानेर में मतीरा, भरतपुर में आम, टोंक में पपीता, बांसवाड़ा में केला तथा जयपुर में नाशपति।

बाजरे का उत्पादन

राजस्थान में बाजरा क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में ही पहले नंबर पर है।

तिलहनों का उत्पादन

सरसों, तिल, मूँगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी आदि प्रमुख तिलहनी पादप है। जिनसे तेल निकाला जाता है। भारत का तिलहन उत्पादन में सबसे पहला स्थान है। जिसमे राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है।

पेट्रोपादप का उत्पादन

जेट्रोपा (रतनजोत), करंज के तेल का उपयोग इंधन के रूप में किया जाता है जिसे बायोडीजल कहते है।

जेट्रोपा (रतनजोत) पौधे से बायोडीजल  खेती राजस्थान में की जाती है। इनके अलावा केलोट्रोपिस (आक) के लेटेक्स (दूध) से भी इंधन बनाने के प्रयास किये रहे है।

 

 

 

कृषि सम्बंधित योजनाएँ

राजस्थान में सरकार द्वारा कृषि सम्बंधित कई प्रकार की योजनाए भी लागु की जाती है

भागीरथ योजना

इस योजना के अन्तर्गत कृषक द्वारा अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित किया जाता है जिसमें कृषक उस लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करते है। सरकार द्वारा इस योजना को पूरा करने के लिए कई तरह से प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

निर्मल ग्राम योजना

ये योजना गाँवो में कम्पोस खाद तैयार करने के लिए चलायी जाती है। कम्पोस खाद तैयार करने के लिए कचरे का उपयोग किया जाता है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना

इसकी शुरुआत 1998-99 में हुई जो किसानों को बैंकिंग की समस्या से मुक्त करती है। किसान को 7% ब्याज पर ऋण प्रदान किया जाता है।

सहकारी किसान योजना के तहत राजस्थान में 29 जनवरी 1999 को सिरसी गाँव (जयपुर) में रामनिवास यादव को प्रथम किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया।

सहकारी किसान योजना

सहकारी किसान  योजना 29 जनवरी 1999 में शुरू हुई थी।

किसान स्वस्थ्य सुरक्षा योजना

किसान स्वस्थ्य सुरक्षा योजना 1 अप्रेल 2006  हुई थी जिसमे  स्वस्थ्य चिकत्सा 1 लाख तक का इलाज करवा सकते हैं।

राष्ट्रीय बम्बू मिशन

राष्ट्रीय बम्बू मिशन योजना बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए की थी। इस योजना की सुविधा  राजस्थान के 12 जिलों  सिरोही, उदयपुर, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, झालावाड़, बांसवाड़ा, बारां, चित्तौडग़ढ़, राजसमंद,  भीलवाड़ा, डूंगरपुर, करौली, सवाईमाधोपुर को कृषि सहयोग में बढ़ावा देने के लिए चलाई गयी हैं।

 

नाबार्ड

इसका पूरा नाम National Bank for Agriculture and Rural Development (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) है। जो कृषि कार्य के लिए अल्पकालिक, मध्यकालिक तथा दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है।

इसकी स्थापना 12 जुलाई 1982, को की गयी। इसका मुख्यालय मुंबई में है। नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) ने ‘प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए छतरी सुरक्षा कार्यक्रम, यूपीएनआरएम (

Umbrella Programe for Natural Resource Management, UPNRM) की शुरुआत की है जिसके के तहत किसानों को प्रत्यक्ष ऋण सुविधा प्रदान की जाती है।

 

राजस्थान में वैसे तो बहुत किस्म के फसलों की खेती की जाती है लेकिन कुछ फसलें ऐसी है जो राजस्थान के  नाम मात्र से बहुत ज्यादा प्रचलित है। कुछ एक मशहूर और महत्वपूर्ण फसलें हैं:

  • अनाज: बाजरा, चावल, गेंहू, मक्का, जौ, ज्वार।
  • मशहूर दाल: मोथ, मसूर, चना, मूंग, उड़द, अरहर।
  • तिलहन : मूंगफली, तिल, सोयाबीन, राई, सरसो, तारामीरा, अलसी।
  • अन्य फसलें: कपास, इसबगोल, गन्ना, ग्वार।

कृषि से जूडी कुछ महत्व्यपूर्ण बातें:

  • भारत के कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 13.27% राजस्थान में है, जिनमे से केवल 30% भाग ही सिंचीत है।
  • भरतपुर में राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र स्थित है।
  • कृषि रेडियो स्टेशन सबसे पहले राजस्थान के भीलवाड़ा में खोला गया।
  • जैसलमेर जैसे रेगिस्तानी क्षेत्र में पायी जाने वाली सेवण घास को लीलण कहते है।
  • दक्षिणी राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों की एक विशेष फसल का नाम है कांगड़ी।
  • केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केंद्र और शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर में स्थित है।
  • हरित क्रांति भारत में 1966-67 शुरू हुई थी, जो की एमएस स्वामीनाथन द्वारा की गयी थी।
  • कैथून कोटा में राजस्थान की निजी क्षेत्र की पहली कृषि मंडी खोली गई है।
  • विक्रम संवत 1956 में राज्य में सबसे भयंकर त्रिकाल छप्पणिये का काल में पड़ा।
  • जैतसर जो की सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था, एशिया का सबसे बड़ा यांत्रिक कृषि फार्म है।
  • गंगानगर के सूरतगढ़ में स्थित केंद्रीय कृषि फार्म एशिया का सबसे बड़ा कृषि फार्म है।
  • अगर फलो की बात करें तो सबसे अच्छे और सर्वाधिक फल गंगानगर से मिलते है।
  • राजस्थान में इजराइल की सहायता से होहोबा(जोजोबा) नामक फसल की खेती की जाती है।
  • गंगानगर जिले में अमेरिकन कपास का उत्पादन होता है।
  • जयपुर के दुर्गापुरा इलाके में राजस्थान का कृषि अनुसंधान संस्थान स्थित है।

 

राजस्थान की प्रमुख कृषि मंडियाँ

  1. प्याज मंडी – अलवर
  2. जीरा मंडी – मेडता सिटी (नागौर)
  3. लहसुन मंडी – छबड़ा (बारां)
  4. धनिया मंडी – रामगंज (कोटा)
  5. किन्नू मंडी – गंगानगर
  6. आंवला मंडी – चोमू (जयपुर)
  7. इसबगोल मंडी – भीनमाल (जालौर)
  8. मेहँदी मंडी – सोजत (पाली)
  9. सतरा मंडी- भवानी (झालावाड)
  10. टिंडा मंडी – शाहपुरा (जयपुर)

 

राजस्थान के प्रमुख कृषि विश्वविद्यालय

राजस्थान में कृषि के क्षेत्र में लोगों की रूचि देखते हुए, राज्य में कई  तरह के शिक्षण संस्थान खोले गए है। कुछ जाने-माने राज्य के कृषि विश्वविद्यालय के नाम है:

  • केंद्रीय शुष्क क्षेत्र उद्यानिकी अनुसंधान केंद्र, बीकानेर
  • स्वामी केशवानंद कृषि विवि, बीकानेर
  • कृषि विवि, जोबनेर जयपुर
  • कृषि विवि, कोटा
  • महाराणा प्रताप कृषि तकनीकी विवि, उदयपुर
  • कृषि विवि, जोधपुर

 

 

राजस्थान के प्रमुख कृषि विकास संस्थाएं

  1. राजस्थान राज्य भण्डारण निगम 1957
  2. राजस्थान राज्य सहकारी क्रय-विक्रय संघ लिमिटेड 1957
  3. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केंद्र (Central Arid Zone Research Institute, काजरी) 1959
  4. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (Arid Forest Research Institute, आफरी) 1959
  5. राष्ट्रिय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र- तबीजी, अजमेर
  6. नान्ता कृषि अनुसंधान केंन्द्र – कोटा
  7. बेर अनुसंधान केंन्द्र – बीकानेर
  8. खजूर अनुसंधान केंन्द्र – बीकानेर
  9. केन्द्रीय कृषि अनुसंधान केंन्द्र – दुर्गापुरा (जयपुर)
  10. केन्द्रीय कृषि फ़ार्म – सुरतगढ़ (गंगानगर)
  11. जैतसर यांत्रिक कृषि फार्म – श्रीगंगानगर
  12. केन्द्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र – सेवर (भरतपुर)
  13. केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान – बीकानेर

 

होहोबा

इसको जोजोबा भी कहते है यह इजराइल का तिलहनी पादप है। जो एरिजोना के मरूस्थल में पाया जाता है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो सौन्दर्य प्रसाधनों, मशीनरियो व हवाई जहाजों में स्नेहक के काम  आता है।

इसकी शुरूआत काजरी (जोधपुर) द्वारा की गयी।

राजस्थान में जोजोबा के तीन फार्म है –

  1. फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)
  2. ढण्ड (जयपुर)
  3. बीकानेर (निजी)

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