
Originally posted 2022-10-05 19:07:23.
apiculture in hindi, एपिकल्चर, मधुमक्खीपालन
एपिकल्चर (Apiculture / मधुमक्खीपालन)
शहद तथा मोम प्राप्त करने के लिए मधुमक्खी का पालन तथा प्रबन्धन एपिकल्चर (मधुमक्खीपालन) कहलाता है। मधुमक्खी अच्छी परागणकारी होती है।
मधुमक्खियों की सामान्य नस्ले (Common Species Of Honeybees)
इनकी सामान्य प्रजातियाँ निम्न है-
- एपिस इंडिका (इण्डियन मधुमक्खी)
- एपिस डॉर्सेटा (रोक मधुमक्खी)
- एपिस फ्लोरीया (छोटी मधुमक्खी)
- एपिस मेलिफेरा (इटेलियन मधुमक्खी)
एपिस इंडिका (इण्डियन मधुमक्खी)
इसे भारतीय मौना मधुमक्खी भी कहते है। ये शांत स्वभाव की होती है। 3-4 किलो प्रति छत्ता शहद प्राप्त होता है।
एपिस डॉर्सेटा (रोक मधुमक्खी)
ये सर्वाधिक शहद उत्प्न्न करती है। लेकिन यह सबसे अधिक गुस्सैल होने के कारण इनको पाला नहीं जा सकता।
एपिस फ्लोरीया (छोटी मधुमक्खी)
इन्हें भृंगा मक्खी भी कहते है। यह सबसे छोटी तथा डरपोक होती है, लेकिन इनसे केवल 250 ग्राम शहद ही प्राप्त होता है अतः यह उपयोगी नहीं है।
एपिस मेलिफेरा (इटेलियन मधुमक्खी)
यह शांत स्वभाव की होती है। इनसे सर्वाधिक शहद प्राप्त होता है। व्यापारिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है।
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एपिकल्चर के उत्पाद (Products of apiculture)
शहद (Honey)
यह मधुमक्खी की एपिज जातियों द्वारा उत्पन्न होती है, यह हमारी सभ्यता का सबसे पुराना मीठा एजेन्ट है। शहद में दो शर्कराएँ होती है-डेक्सट्रॉज तथा लेव्युलोज तथा अन्य पदार्थों का मिश्रण।
- शहद लगभग उदासीन होता है। शहद की pH ~6.8 होती है।
- इसमें 17-25%जल, 3.3% खनिज होता है।
- इसमें अधिक मात्रा में विटामिन (B1, B6, C, D) होते हैं।
- L-फ्रक्टोज, (लेव्युलॉज 41%) ग्लुकॉज (35%) सुक्रॉज (1.9%) तथा डेक्सट्रिन (1.5%) होते हैं।
- यह टॉनिक, लेक्जेटिव तथा मीठा होता है।
- यह स्वादिष्ट, स्वास्थवर्धक होती है, तथा औषधिय रूप से भी उपयोगी है।
मोम (Wax)
मधुमक्ख्यिाँ मोम भी उत्पन्न करती है। मधुमोम श्रमिक मक्खियों की उदरीय मोम ग्रन्थियों द्वारा स्त्रावित होता है, जिसके अनेक उपयोग होते हैं।
- यह अनेक उत्पाद जैसे सौन्दर्य प्रसाधन, फेस क्रीम, शेविंग क्रीम, लोशन, कार्बन पेपर, पेन्सिल, इलेक्ट्रिक सामान, टूथपेस्ट, फर्नीचर पॉलिश, सुरक्षात्मक आवरण, दवात तथा मोम बनाने में उपयोगी है।
- यह मॉडल तथा मॉल्ड बनाने व प्रिन्टिंग उद्योग में उपयोगी है।
- मोम ऊत्तकों ब्लॉक निर्माण के लिए सामान्य मोम युक्त माइक्रोटॉमि के लिए प्रयोगशाला में भी उपयोगी है।
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मधुमक्खीयों का सामाजिक संगठन (Social organization of bees)
मधुमक्खी का घर छत्ता कहलाता है। छत्ता 32 से 60 हजार व्यष्ठियों का बना होता है, जो कॉलोनी में श्रम के अत्यधिक संगठित विभाजन को दर्शाता है। मधुमक्खियाँ बहुरूपी होती है, तथा तीन प्रकार की व्यष्ठियों की बनी होती है, जो रानी, ड्रॉन तथा श्रमिक है।
रानी (Queen)
- ये आकार में बड़ी होती है तथा सामान्यतया एक छत्ते में एक ही रानी होती है।
- रानी द्विगुणित जनन की क्षमता वाली मादा है।
- ये छत्ते (कॉम्ब) पर घुमती रहती है।
- रॉयल जैली पर पोषण करती है।
- इनका डंक वक्रित अण्डे देने वाले अंग के रूप में रूपान्तरित होकर ओविपोजिटर कहलाता है।
- ये प्रातिदिन 1500-2000 निषेचित तथा अनिषेचित दोनों प्रकार के अण्डे देती है। निषेचित अण्डे मादा में विकसित होते हैं। अनिषेचित अण्डे ड्रॉन में विकसित होते हैं।
- रानी का जीवन काल 2.5 वर्ष होता है।
ड्रॉन (Drone)
- यह अगुणित, जननक्षय नर मधुमक्खी हैं, ये अनिषेचित अण्डे से विकसित होते हैं। इस घटना को एरेनटॉकि कहते हैं।
- रानी से छोटे तथा श्रमिकों से बड़े। एक छत्ते में 200-300 ड्रॉन होते हैं।
- ड्रॉन छत्ते के कोष्ठकों में रहते हैं।
- डंक तथा मोम ग्रन्थि अनुपस्थित होते है।
- इनका मुख्य कार्य मादा (रानी) को निषेचित करना है।
- मैथुन के बाद ड्रॉन को छत्ते में पुनः नहीं आने दिया जाता। मैथुन के बाद ड्रॉन मर जाते हैं। इनका जीवन काल 57 दिन होता है।
श्रमिक (Worker)
- ये आकार में सबसे छोटे तथा संख्या में सबसे अधिक होते है।
- ये द्विगुणित बंध्य मादा होते है इनमें अण्डे उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती।
- श्रमिक छत्ते के कोष्ठकों में रहते हैं।
- परागकण शरीर के शाखित रोमों से चिपक जाते हैं। इनकी पिछली टाँगों पर पराग टोकरी उपस्थित होती है जैसे कॉर्बिक्युला कहते है।
- इनके उदर के शीर्ष पर विष कोष युक्त डंक होता है।
- इनका जीवन काल 4.5 महीने होता है।
- कार्य करने के आधार पर ये अलग-अलग प्रकार में होते हैं। जैसे नर्स, बिल्डर, मरम्मत करने वाली, सफाई कर्मी, फेनर तथा गुप्तचर मधुमक्ख्यिाँ।
- इनका कार्य शहद एकत्रित करना , कॉम्ब की सफाई करना, छत्ता बनाना, छत्ते का तापमान बनाए रखना, सुरक्षा करना आदि है।
- नर्स मधुमक्ख्यिाँ शाही (रॉयल) जैली स्त्रावित करती हैं। रॉयल जैली रानी को दी जाती है।
- स्काउट मधुमक्ख्यिाँ भोजन की तलाश के लिए 75 उ से कम ऊँचाई पर गोल नृत्य करती है, तथा नए भोजन स्त्रोत के लिए लम्बी दूरी के लिए पूँछ वेगिंग नृत्य करती है।
मधुमक्खीयों में प्रजनन (Reproduction in Honeybees)
इनमें मेटिंग की प्रक्रिया दोहपर के समय होती है। मैंथुन के दौरान रानी अपनी स्पर्मेथीका में कई ड्रॉन से शुक्राणु एकत्रित करती है। ये शुक्राणु रानी द्वारा दिये गए सभी अण्डों को निषेचित करने के लिए पर्याप्त है
निषेचित अण्डों से मादाएँ तथा श्रमिक (बंध्य मादाएँ) विकसित होती है। निषेचित अण्डों से ड्रॉन विकसित होता है।
विकासशील रानी अपनी मेण्डिब्युलर ग्रन्थि से एण्टीक्वीन फीरोमॉन स्त्रावित करती है, जो श्रमिक मक्खियों को अण्डाशय विकसित करने से रोकती है।
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