पारिस्थितिक कारक – जल एवं प्रकाश

पारिस्थितिक कारक – जल एवं प्रकाश (Ecological factors water and light)

जल (Water)

तापमान के बाद, जीवों के जीवन को प्रभावित करने वाला अन्य महत्वपूर्ण पारिस्थितिक कारक जल है।

जल महासागरों, झीलों, नदियों, हिमच्छद एवं हिमनद के रूप में पृथ्वी की 71% सतह से अधिक पर उपस्थित भी है। यह प्रोटोप्लाज्म (जीवद्रव्य) का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो एक सामान्य विलायक है।

जल की लवणता (water salinity)

समुद्री जल में लवण मात्रा (3.5%) की उच्च प्रतिशतता होती है। भूमि/स्थल पर उपस्थित जल को अलवणीय जल (स्वच्छ) कहा जाता है। इसकी लवण मात्रा कम अर्थात् 0.5% से कम होती है।

लवण सान्द्रता (प्रति हजार भागों में लवणता में मापी हुयी) अन्तःस्थलीय जल में 5%, समुद्र के लिए 30-35% एवं कुछ अतिलवणीय (लगून) समुद्रताल में 100%  होती है।

यूरीहेलाइन व स्टेनोहेलाइन (euryhaline and stenohaline)

कुछ जीव लवणताओं के बड़े परिसर के प्रति सहनशील होते है, उन्हें यूरीहेलाइन कहते हैं, लेकिन अन्य लवणता के छोटे परिसर के प्रति सीमित/प्रतिबंधित होते हैं, उन्हें स्टेनोहेलाइन कहते हैं।

भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के मध्य जल का नियमित प्रवाह एवं जैव मण्डल के घटक जैसे – जलीय तंत्र, वायु एवं स्थल, जल चक्र का निर्माण करते हैं।
जल वर्षण या वर्षा के रूप में स्थल या जलाशयों पर आता है।

वायु में उपस्थित जल वाष्प से वर्षा होती है। कुल ग्लोबर वर्षा 4.46G के बराबर है।
किसी समय पर वातावरण में जल वाष्प का केवल 0.13G उपस्थित होता है। (1G या जिओग्राम  = 1020 ग्राम)

निरपेक्ष आर्द्रता (absolute humidity) और आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity)

वायु में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता (absolute humidity) कहते हैं।

एक निश्चित तापमान पर वायु में उपस्थित जल वाष्प की कुल मात्रा तथा इसी तापमान पर वायु को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा का अनुपात आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) कहलाती है। इसको शुष्क बल्ब तापमापी (dry bulb thermometer) के द्वारा मापा जाता है।

प्रकाश (Light)

यह तापमान एवं जल के बाद, जीवों के जीवन को प्रभावित करने वाला अन्य महत्वपूर्ण पारिस्थितिक कारक है।
प्रकाश वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) की एक बड़ी श्रृंखला है। सूर्य की विकिरण का केवल 390nm से 760 nm तरंगदैर्ध्य वाला प्रकाश दृश्यमान वर्णक्रम या दृश्य प्रकाश कहलाता है। जिसका उपयोग प्रकाश संश्लेषण में होता है इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण सक्रिय विकिरण कहते हैं।

विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम दोलन करती तरंगों की एक पूर्ण श्रृंखला/परिसर होता है, जो 3 × 105 km/sec  की गति से अंतरिक्ष के माध्यम से एक साथ यात्रा करती है।

प्रकाश पादपों में प्रकाश संश्लेषण, वृद्धि, जनन, गति, स्तरीकरण, प्रकाश कालिता एवं फोनोलॉजी (घटना-विज्ञान) को प्रभावित करता है, जबकि यह जंतुओं में प्रवास, जनन, परिवर्धन, रंजकता, गमन एवं नियतकालिक क्रिया को प्रभावित करता है।

प्रकाश की तीव्रता (Intensity of light)

प्रकाश की तीव्रता को लक्समापी या प्रकाश मापी के द्वारा मापा जाता है। प्रकाश की तीव्रता की इकाई लक्स होती है।

प्रकाश की अवधि या दीप्तिकालिकता के आधार पर पादपों को तीन भागों में बांटा जाता है-

  • दीर्घ प्रकाशीय पादप (long day plants)
  • अल्प प्रकाशीय पादप (Short day low plants)
  • दिवस निरपेक्ष पादप (day neutral plant)

प्रकाश की आवश्यकता के आधार पर पादपों को दो भागों में बांटा जा सकता है-

आतपरागी या आतपोद्बिद (Heliophytes)

यह पौधे सूर्य के सीधे प्रकाश में उगना पसंद करते हैं।

छायारागी या अतपोद्भिद (Sciophytes)

यह पौधे छाया में उगना पसंद करते हैं।

सौर स्थिरांक (solar constant)

पृथ्वी की सतह से 83 किमी ऊपर, सौर विकिरण 2 cal/cm2/min के बराबर ऊर्जा वहन करता है। इस मान को सौर स्थिरांक कहा जाता है।

सूक्ष्म तरंग विकिरणें (microwave radiations)

ऐसी विकिरण जिनकी तरंगदैर्ध्य बहुत कम होती है। सभी सूक्ष्म तरंग विकिरणें अत्यधिक हानिकारक होती है, उनमें से अधिकांश को आयन मण्डल एवं मध्य मण्डल में रोक लिया जाता है। सूक्ष्म तरंग विकिरणें निम्न प्रकार की होती हैं-

  • कॉस्मिक किरणें – 10–5 nm से कम तरंग दैर्ध्य युक्त
  • गामा किरणें – 10–3 से 10–5 nm
  • X- किरणें – 10–1 से 10–2 nm
  • UV किरणें – 100 से 400 nm

UV  किरणें तीन प्रकार की होती है –

श्रेणी तरंगदैर्ध्य प्रभाव
UV-C 100-280 nm (0.1 – 0.28 µm) घातक
UV-B 280-320 nm (0.28 – 0.32 µm) अत्यन्त हानिकारक
UV-A 320-400 nm (0.32 – 0.4 µm) मध्यम रूप से हानिकारक

समताप मण्डल (स्ट्रेटोस्फीयर) की ओजोन परत के द्वारा UV-C एवं लगभग आधा UV-B विकिरणों को अवशोषित किया जाता है।

शेष भाग की बड़ी मात्रा को क्षोभ मण्डल (ट्रोपोस्फीयर) के कणों के द्वारा परिवर्तित कर दिया जाता है, केवल एक सूक्ष्म मात्रा ही पृथ्वी पर पहुंचती है।

 

इन्हें भी पढ़ें

  1. पारिस्थितिक कारक – तापमान
  2. पारिस्थितिकी और इसकी शाखाएँ
  3.  भारत के मुख्य जीवोम
  4. विश्व के कुछ महत्वपूर्ण बायोम / जीवोम
  5. केंचुए का परिसंचरण तंत्र

 

बाहरी कड़ियां

 

Hamid Ali
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