संघ-ऐनेलिडा

संघ ऐनेलिडा (Phylum Annelida)

लिनीयस ने इनको वर्मीस समूह में रखा। 1801 में लैमार्क ने ऐनेलिडा संघ की स्थापना की।

ऐनेलिडा शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों Annulus (Little ring) सुक्ष्म वलय तथा Eidos (form) धारण करना। यानी ऐनेलिडा  का अर्थ सुक्ष्म वलयों को धारण करने वाला जंतु है।

मेयर के अनुसार इस संघ की लगभग 9000 जातियाँ पायी जाती है।

 

संघ ऐनेलिडा के सामान्य लक्षण  (Common Characteristics of Phylum Annelida)

ये जलीय या स्थलीय आवास में रहने वाले तथा  स्वतंत्र या परजीवी होते है।

इनमें द्विपाशर्व सममिति (Bilateral symmetry), वास्तविक देहगुहा (Coelomet), त्रिकोरिक (Triploblastic) वास्तविक खण्डीभवन (Metameric Segmentation) तथा अंग तंत्र स्तर का संगठन पाया जाता है।

इनमें देहगुहा दीर्णगुहा (Schizocoelomet) प्रकार की होती है।

इनका शरीर लम्बा, पतला व नली के भीतर नली (tube within a tube) के समान होता है।

गमन के लिए शूक (setae) पार्श्वपाद (parapodia) पाए जाते है।

इनमें आहारनाल पूर्ण जो पुरे शरीर की लम्बाई के साथ फैली रहती है।

इनका परिसंचरण तंत्र बंद (Closed Circulatory System) प्रकार का होता है। इनके रुधिर में श्वसन वर्णक हिमोग्लोबिन एरिथ्रोकोओनिन पाया जाता है।

इनमें उत्सर्जन पाया जाता है तथा उत्सर्जन वृक्कक (Nephridia नेफ्रीडिया) द्वारा होता है।

तंत्रिका तंत्र गुच्छिकाओं (Ganglia) के रूप में होता है। जो इनका मस्तिष्क होता है।

प्रकाशग्राही कोशिकाएँ, स्पर्शक, पैल्प, लेन्स युक्त नेत्र तथा स्वाद कलिकाएँ आदि संवेदी अंग पाए जाते है।

ये एकलिंगी या द्विलिंगी (Hermaphrodite) होते है। इनमें लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) व निषेचन आन्तरिक (Internal Fertilization) होता है।

परिवर्धन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (Direct or indicrect Development) प्रकार का होता है। इनके लार्वा को ट्रोकोफोर (Trochophore) कहते है।

 

 

संघ ऐनेलिडा का वर्गीकरण (Classifications of  Phylum Annelida)

ऐनेलिडा को चार वर्गों में विभक्त किया गया है-

  1. पॉलीकीटा (Polychaeta)
  2. ओलीकीटा (Oligochaeta)
  3. हिरुडिनिया (Hiradinea)
  4. आर्कीऐनेलिडा (Archiannelida)

 

वर्ग पॉलिकिटटा [Polychaeta]

[Polys: many (बहुत सारे); chaite: hair (शूक)]

शरीर पर बहुत सारे शूक पाए जाते है।

प्रत्येक खण्ड में एक जोड़ी पार्श्वपाद (parapodia) पाए जाते है।

परिवर्धन अप्रत्यक्ष तथा लार्वा ट्रोकोफोर (Trochophore) होता है।

इस वर्ग को दो उपवर्गों में बाटा गया है-

  1. इरेन्शिया (Errentia)
  2. सिडेन्टेरिया (Sedentaria)

 

उपवर्ग इरेन्शिया (Class Errentia)

उदाहरण –  Nereis (sandworm), Aphrodite (Sea Mouse),  Polynoe (Scale worm), Syllis

संघ ऐनेलिडा (Phylum Annelida in Hindi )

उपवर्ग सिडेन्टेरिया (Class Sedentaria)

उदाहरण – Chaetopterus (Paddle worm), Sabella, Arenicola (Lugworm)

 

 

 

वर्ग आलिगोकिटा [Class Oligochaeta]

[Oligos: few (कुछ), chaite: hair (शूक)]

शरीर पर शूक (setae) बहुत कम पाए जाते है।

पार्श्वपाद (parapodia) अनुपस्थित होते है।

परिवर्धन प्रत्यक्ष यानी लार्वा नहीं बनता है।

उदाहरण Pheretima posthuma (Earthworm), Lumbricus, Stlaria, Tubifex, Megascolex, Dero, Chaetogaster

 

संघ ऐनेलिडा (Phylum Annelida in hindi)

 वर्ग हिरुडिनिया [Class Hiradinea]

[Hirudo: leech (जोंक)]

ये परजीवी होते है। इनमें चूषक (Sucker) पाए जाते है।

शरीर 33 खण्डों में बंटा होता है।

शूक (setae) पार्श्वपाद (parapodia) अनुपस्थित होते है।

परिवर्धन प्रत्यक्ष यानी लार्वा नहीं बनता है।

उदाहरण Hirudinaria (Cattle Leech), Hirudo,Glossiphonia (Flat leech), Branchellion, Bonella (Sea leech), Haemopis (Horse leech)

 

संघ ऐनेलिडा (Phylum Annelida in hindi)

 

वर्ग आर्कीऐनेलिडा [Class Archiannelida]

[Arch; first (प्रथम या आद्य)]

शूक (setae) पार्श्वपाद (parapodia) अनुपस्थित होते है।

परिवर्धन अप्रत्यक्ष तथा लार्वा ट्रोकोफोर (Trochophore) होता है।

उदाहरण  Dinophilus, Protodrillus, Polygordius

संघ ऐनेलिडा (Phylum Annelida in Hindi)


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