Productivity उत्पादकता क्या है?
उत्पादकता किसे कहते है? Productivity in Hindi, Unit of Productivity
उत्पादकता की परिभाषा (Definition of Productivity in Hindi)
पारिस्थितिकी तंत्र में जैव मात्रा (Biomass) के निर्माण की दर को उत्पादकता कहते है।
यह एक मौलिक अवधारणा है, जिससे पता चलता है ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्रों के माध्यम से जैव मात्रा (Biomass) में कैसे परिवर्तित किया जाता है।
किसी दिए गए क्षेत्र में जीवित जीवों का कुल द्रव्यमान जैव मात्रा (Biomass) कहलाता हैं।
उत्पादकता का मात्रक (Unit of Productivity in Hindi)
इसकी ईकाई ऊर्जा प्रति इकाई क्षेत्र प्रति इकाई समय जैसे किलो कैलोरी प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष ( kcal/m²/वर्ष) या बायोमास प्रति इकाई क्षेत्र प्रति इकाई समय जैसे ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष (gm/m²/वर्ष) है।
उत्पादकता के प्रकार (Types of Productivity)
इसको दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है:
1) प्राथमिक उत्पादकता
2) द्वितीयक उत्पादकता
1) प्राथमिक उत्पादकता (Primary Productivity)
प्राथमिक उत्पादकता उस दर को कहते है जिस पर स्वपोषी जीव जैसे पौधे, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण या रासायनिक संश्लेषण के माध्यम से ऊर्जा को कार्बनिक पदार्थों या जैव मात्रा (Biomass) में परिवर्तित करते हैं।
इसे दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। जो निम्न प्रकार है:
- सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP)
- शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता (NPP)
A. सकल प्राथमिक उत्पादकता (Gross Primary Productivity)
सकल प्राथमिक उत्पादकता उस कुल ऊर्जा या जैव मात्रा (Biomass) को कहते है, जो प्राथमिक उत्पादकों पौधों, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया द्वारा किसी दिए गए क्षेत्र और अवधि में प्रकाश संश्लेषण (या कुछ मामलों में रासायनिक संश्लेषण) के माध्यम से उत्पन्न होती है।
प्रकाश संश्लेषण के दौरान, प्राथमिक उत्पादक सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और जल (H₂O) को ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) और ऑक्सीजन (O₂) में परिवर्तित करते हैं।
प्राथमिक उत्पादकता का महत्व:
GPP पारिस्थितिकी तंत्र में कुल ऊर्जा इनपुट है और यह अन्य सभी प्रकार की उत्पादकता का आधार बनाता है।
यह पारिस्थितिकी तंत्र में सभी अन्य जीवों, जैसे उपभोक्ताओं (Consumer) और अपघटक (Decomposer) के लिए उपलब्ध ऊर्जा की ऊपरी सीमा निर्धारित करता है।
B. शुद्ध / नेट प्राथमिक उत्पादकता (Net Primary Productivity)
शुद्ध / नेट प्राथमिक उत्पादकता उस ऊर्जा या जैव मात्रा (Biomass) को कहते है जो प्राथमिक उत्पादकों पेड़-पौधों द्वारा अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं को श्वसन के माध्यम से पूरा करने के बाद बची रहती है।
नेट प्राथमिक उत्पादकता की गणना इस प्रकार की जाती है:
NPP = GPP – (श्वसन)
NPP = GPP – R
शुद्ध / नेट प्राथमिक उत्पादकता का महत्व
NPP उस वास्तविक दर को कहते है, जिस पर जैव मात्रा (Biomass) किसी पारिस्थितिकी तंत्र में संचित होता है और इस प्रकार यह खाद्य जाल के शेष हिस्से के लिए उपलब्ध ऊर्जा को निर्धारित करता है।
उच्च NPP एक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देता है, जबकि निम्न NPP पर्यावरणीय तनाव या पोषक तत्वों की कमी का सुझाव दे सकता है।
उष्णकटिबंधीय वर्षावन (Tropical Rainforest) में NPP मान सबसे अधिक होता है क्योंकि वहां प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश, गर्म तापमान और उच्च स्तर की वर्षा होती है, जिससे पौधों की वृद्धि अधिक होती है।
2. द्वितीयक उत्पादकता (Secondary Produtivity)
द्वितीयक उत्पादकता उस दर को कहते है जिस पर उपभोक्ता जैसे जंतु, कवक, और अन्य जीव (जो अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते हैं अपने परभक्षी जैसे पौधों या अन्य जानवरों के जैव मात्रा (Biomass) को अपने जैव मात्रा (Biomass) में परिवर्तित करते हैं।
यह तब होती है जब प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी) पौधों को खाते हैं और पौधों के जैव मात्रा (Biomass) में संग्रहीत ऊर्जा को अपने शरीर के द्रव्यमान में बदल लेते हैं। यह प्रक्रिया खाद्य श्रृंखला में उच्च-स्तरीय उपभोक्ताओं (मांसाहारी) तक जारी रहती है।
द्वितीयक उत्पादकता का महत्व
यह खाद्य जाल के माध्यम से ऊर्जा प्रवाह और पोषी स्तरों के बीच ऊर्जा हस्तांतरण की दक्षता को समझने के लिए आवश्यक है। यह जनसंख्या की गतिशीलता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को भी प्रभावित करता है।
जैसे की घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र में, शाकाहारी जीवों जैसे हिरण घास को खाकर करके प्राप्त की गई ऊर्जा प्राप्त करते है। जिसे वे अपने बायोमास में परिवर्तित करते हैं जो द्वितीयक उत्पादकता जिसे तब भेड़ियों जैसे शिकारी द्वारा खाया जा सकता है।
उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक
पारिस्थितिकी तंत्र में इस को कई प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:
A) प्रकाश की उपलब्धता
स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में, प्रचुर मात्रा में सूर्य के प्रकाश वाले क्षेत्रों में उत्पादकता सबसे अधिक होती है, जैसे कि उष्णकटिबंधीय।
जलीय पारिस्थितिक तंत्र में, गहराई में जाने पर प्रकाश की उपलब्धता कम हो जाती है, जिससे Productivity जल की ऊपरी परतों में अधिक होती है और गहराई में कम होती है।
B) पोषक तत्वों की उपलब्धता
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। पोषक तत्वों की अधिकता वाले क्षेत्र जैसे नदीमुख और महासागरों में अपवेलिंग क्षेत्र, में उच्च Productivity होती हैं।
C) जल की उपलब्धता
जिन पारिस्थितिक तंत्रों में भरपूर जल होता है, जैसे वर्षावन और आर्द्रभूमि, इसमें शुष्क क्षेत्रों की तुलना में अधिक Productivity होती हैं।
D) तापमान
गर्म तापमान आम तौर पर जैव रासायनिक प्रक्रियाओं की दर को बढ़ाता है, जिसमें प्रकाश संश्लेषण भी शामिल है। हालांकि, अत्यधिक उच्च तापमान प्रोडक्टिविटी को बाधित कर सकते हैं जिससे पानी की कमी या पौधों के ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है।
E) CO₂ की सांद्रता
वायुमंडलीय CO₂ स्तरों में वृद्धि प्रकाश संश्लेषण की दर को बढ़ा सकती है, जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
F) मानवीय गतिविधियां
कृषि, वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन संसाधनों की उपलब्धता और भौतिक वातावरण को बदलकर पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts)
वैश्विक स्तर पर, पूरे बायोस्फीयर (जैव मण्डल) की शुद्ध / नेट प्राथमिक उत्पादकता (NPP) लगभग 170 अरब टन (170 गीगाटन) जैविक पदार्थ प्रति वर्ष है। इसमें से स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र लगभग 115 अरब टन का योगदान करते हैं, जबकि जलीय पारिस्थितिक तंत्र लगभग 55 अरब टन का योगदान करते हैं। हालांकि जलीय पारिस्थितिक तंत्र 70% हिस्सा बनाते है लेकिन फिर भी NPP कम होती है।
GPP- Gross Primary Productivity
NPP- Net Primary Productivity
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