मुगल साम्राज्य/ मुगलकाल

मुगल साम्राज्य (Mughal Empire)
मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 ईस्वी में हुई। इसका संस्थापक बाबर तथा अंतिम शासक बहादुर शाह –II था। इस वंश में पद-पादशाही की स्थापना की इस वंश के शासक को बादशाह कहते है

प्रमुख मुगल शासक

1.बाबर
2.हुमायूँ
3.अकबर
4.जहांगीर
5.शाहजहां
6.औरंगजेब
7.मोहम्मद आज़म शाह (बहादुर शाह-I)
8.जहांदर शाह
9.फररुखसियार
10.रफी उद-दरजात
11.शाहजहां द्वितीय-II
12.मोहम्मद शाह
13.अहमद शाह बहादुर
14.आलमगीर-II
15.शाहजहां-III
16.शाह आलम-II
17.शाहजहां-IV
18.अकबर-II
19.बहादुर शाह-II

1. बाबर (1526 – 1530)

इसका पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था। ये मुगल वंश का संस्थापक था।1483 ईस्वीमें इसका जन्म फरगाना (अफगानिस्तान) में हुआ। इनके पिता का नाम उमर शेख मिर्जा।येमंगोल का वंशजथा।
बाबर 8 जून 1994 ईस्वी में फरगाना की गद्दी पर बैठा। बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया। जिसमें प्रथम युसूफजाई जाति के विरुद्ध था। भारत में बारूद तथा तोपखाने का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाला व्यक्ति बाबर ही है।
महाराणा सांगा के साथ युद्ध के समय बाबर ने जिहाद की घोषणा की तथा युद्ध जीतने के पश्चात गाजी की उपाधि धारण की। बाबर ने उपनी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि भी धारण की।
बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर 1530 ईस्वी में हुई तथा आराम बाग (आगरा) में दफनाया गया। लेकिन बाद में काबुल (अफगानिस्तान) में दफनाया गया।

बाबर के द्वारा लड़े गए युद्ध

1. पानीपत का प्रथमयुद्ध
2. खानवा का युद्ध
3. चंदेरी का युद्ध
4. घागरा का युद्ध

पानीपत का प्रथमयुद्ध

21 अप्रैल 1526 ईस्वी में इब्राहिम लोदी तथा बाबर के मध्य पानीपत की प्रथम लड़ाई हुई जिसमें बाबर की जीत हुई। इस युद्ध में इब्राहीम लोदी के साथ उसका मित्र ग्वालियर शासक राजा विक्रमजीत भी मारा गया।

खानवा का युद्ध

17 मार्च 1527 ईस्वी में महाराणा सांगा तथा बाबर के मध्य खानवा का युद्ध हुआ। जिसमें बाबर ने तूगलमा युद्ध पद्धति का प्रयोग किया। इस युद्ध में महाराणा सांगा की हार हुई।

चंदेरी का युद्ध

29 जनवरी 1528 ईस्वी में बाबर ने चंदेरी के मेदिनी राय को पराजित किया

घागरा का युद्ध

6 मई 1529 ईस्वी में घागरा की लड़ाई हुई। जिसमें बाबर ने अफगानों तथा महमूद लोदी को पराजित किया। यह बाबर के का अंतिम युद्ध था।

साहित्य – बाबर ने अपनी आत्मकथा तुर्की भाषा में लिखी जिसे तुजुक ए बाबरी कहा जाता है। इस किताब का अनुवाद अब्दुल रहीम खानखाना ने फारसी भाषा में किया।
परिवार – बाबर के चार पुत्र हुमायूँ, कामरान, असकरी तथा हिंदाल थे।

2. हुमायूँ 1530 – 1540 (1555 – 1556)

हुमायूँ का पूरा नाम नसीरुद्दीन हुमायूँ था। ये बाबर का उत्तरधिकारी था। जो 6 मार्च 1558 ईस्वी में काबुल (अफगानिस्तान) में पैदा हुआ। इनके पिता का नाम बाबर तथा माता का नाम माहम बेगम था।
हुमायूँ गद्दी पर बैठने से पहले बदख्शां नामक जगह का सूबेदार था हुमायूँ शेरशाह सूरी से युद्ध हारने के पश्चात 15 वर्ष निर्वासन में बताएं तथा बैरम खान की सहायता से 1555 में भारत पर पुनः शासन प्राप्त किया। इन्होंने अपनी राजधानी दीनपनाह का निर्माण किया।

हुमायूँ के द्वारा लड़े गए युद्ध

1. देवरा का युद्ध
2. चौसा का युद्ध
3. बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध
4. सरहिन्द का युद्ध

 

देवरा का युद्ध

1531 ईस्वी में देवरा का युद्ध हुआ

चौसा का युद्ध

25 जून 1539 ईस्वी में शेरशाह सूरी तथा हुमायु के मध्य चौसा का युद्ध हुआ। जिसमें हुमायूँ पराजित हुआ।

बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध

17 मई 1540 ईस्वी में शेरशाह सूरी तथा हुमायूँ के मध्य कन्नौज का युद्ध हुआ। इसमें भी हुमायूँ पराजित हुआ। इसके बाद 15 वर्षों तक घुमक्कड़ जीवन बिताया।

सरहिन्द का युद्ध

1555 ईस्वी में सिकन्दर शाह सूरी तथा हुमायूँ के मध्य सरहिन्द का युद्ध हुआ हुमायूँ जीता तथा मुग़ल साम्राज्य पुनः स्थापित हुआ।

प्रमुख साहित्य

हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने हुमायूँ की जीवनी पर एक किताब लिखी जिसे हुमायूँनामा कहते हैं

3. अकबर1556 – 1605

अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी में अमरकोट (पाकिस्तान) में हुआ। इनकी माता का नाम हमीदा बानो बेगम तथा पिता का नाम हुमायूँ था।
उन्होंने 14 वर्ष की छोटी आयु में शासन प्रारंभ किया। इनका राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 में कलानौर (पंजाब) हुआ। प्रारम्भ में इनका संरक्षक बैरम खां (1556-1560) था।
1564 ईस्वी में अकबर ने हिंदुओं से लिया जाने वाला जजिया कर समाप्त कर दिया। अकबर ने आमेर के शासक भारमल की पुत्री हरखा/ हरकूबाई से विवाह किया राहु फिश पहला अंग्रेज था। जो 1585 ईस्वी में अकबर के दरबार में आया। 1580 ईस्वी में राजा टोडरमल ने दहसाल बंदोबस्त प्रणाली लागु की।
अकबर ने धार्मिक संहिता के लिए दीनइलाही धर्म शुरू -ए-किया। जिसको स्वीकार करने वाला एकमात्र हिन्दू बीरबल था। अकबर की मृत्यु 65 वर्ष की आयु में 27 अक्टूबर 1605 ईस्वी में फतेहपुर सीकरी आगरा में हुई।

अकबर के दरबार में नौ नवरत्न थे। जो टोडरमल, अबुल फजल, फैजी, बीरबल, तानसेन, अब्दुल रहीम खान खाना,मुल्ला दो प्याजा, राजा मानसिंह तथा फकीर अजीऊदीन थे

अकबर द्वारा लड़े गए युद्ध

1. पानीपत का दूसरा युद्ध
2. मालवा परकब्जा
3. हल्दीघाटी की युद्ध

 

पानीपत का दूसरा युद्ध

5 नवम्बर 1556 ईस्वी में पानीपत की दूसरी लड़ाई हुई जिसमें अकबर ने हेमू को हराया।

मालवा पर कब्जा

1561 में अकबर ने मालवा के बाज बहादुर को हराकर मालवा पर कब्जा करलिया।

हल्दीघाटी की युद्ध

18 जून 1576 महाराणा प्रताप तथा अकबर के सेनापति मानसिंह तथा आसफ खां के बीच हल्दीघाटी की लड़ाई हुई जिसमें अकबर की जीत हुई।

साहित्य

a. नकीब खां, अब्दुल कादिर बदायूंनी शैख़ सुल्तान ने महाभारत का फारसी में अनुवाद किया, जिसका नाम रज्मनामा है,यानि युद्धों की किताब।
b. अबुल फजल के बड़े भाई फैजी ने सूरदास द्वारा रचित दमयन्ती का फ़ारसी में अनुवाद किया जिसका नाम सहेली है।
c. हाजी इब्राहीम सरहिन्दी ने अथर्ववेद का फारसी में अनुवाद किया।
d. फैजी ने लीलावती का फारसी में अनुवाद किया।
e. मुल्ला शाहमोहम्मद ने राजतरंगिनी का फारसी में अनुवाद किया।
f. पंचतंत्र का फारसी में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ऐ-सादात, मौलाना हुसैन फैज़ ने यार-ऐ-दानिश नाम से किया।
g. अब्दुल रहीम खानखाना ने तुजुक-ऐ-बाबरी का फारसी में अनुवाद किया।
h. अबुल फजल ने अकबरनामा लिखा।

प्रमुख निर्माण

A. 1572 ईस्वी में गुजरात पर विजयकरने के उपलक्ष में फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा का निर्माण करवाया गया।
B. अकबर ने फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना का निर्माण करवाया।
C. दिल्ली मेंहुमायूँ का मकबरा, फतेहपुर सीकरी में शाहीमहल, इलाहाबाद का किला आदि का निर्माण अकबर द्वारा करवाया गया।

अकबर द्वारा प्रदान की गयी उपाधियाँ

a. बीरबल को कविप्रिय
b. नरहरि को महापात्र
c. मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को जड़ी कलम
d. चित्रकार अब्दुससमद को शीरी कमल
e. आमेर के शासक भगवानदास को अमीर-उल-ऊमरा
f. तानसेन को कंठाभरणवाणीविलास
g. जैन गुरुहरिविजय सूरी को जगतगुरु

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4. जहांगीर 1605 – 1627

इनका वास्तविक नाम सलीम लेकिन नुरुद्दीन मुहम्मद जहांगीर की उपाधि धारण की थी। इनको अकबर शेखू बाबा कहकर पुकारते थे। क्योंकि जहाँगीर का जन्म शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से हुआ था। इनका जन्म 31 अगस्त 1569 में फतेहपुर सीकरी आगरा में हुआ। उनकी माता का नाम मरियम उज जमानी पिता का नाम अकबर था।

जहांगीर ने 1611 ईस्वी में मिर्ज़ा गयासबेग की पुत्री मेहरूनिशा से शादी की और उनको नूरजहां तथा नूरमहल का खिताब (उपाधि) दिया। ये अली कुलीबेग की विधवा थी।
जहांगीर लोगों को न्याय दिलाने के लिए आगरा के किलेमें सोने की जंजीर लगवाई। कैप्टन हॉकिंस, विलियमफिंच, एडवर्ड टेरी तथा सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार में आने वाले यूरोपीय यात्री थे। जहांगीर ने सिक्खों के पांचवे गुरु अर्जुन देव को विद्रोही पुत्र खुसरो की सहायता के लिए कत्ल करवाया।
जहांगीर की 28 अक्टूबर1627 ईस्वी में हुई इनको शहादरा (लाहौर) में दफनाया गया।

जहांगीर द्वारा लड़े गए युद्ध

हल्दीघाटी का द्वितीय युद्ध

यह जहांगीर तथा शक्ति सिंह के मध्य लड़ा गया।

साहित्य

तुजुक-ऐ-जहाँगीरी जहाँगीर द्वारा लिखी गयी जिसको मौतबिंद खां ने पूरा किया था। नूरजहाँ की माअस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र बनाने की विधि खोजी।

जहांगीर के दरबार के प्रमुख विद्वान तथा चित्रकार

जहांगीर के दरबार में प्रसिद्ध चित्रकार अबुल हसन, उस्ताद मंसूर, आगा रजा, अबुलहसन, और विशनदास थे। जहांगीर खुद चित्रकारी का अच्छा जानकार था।

जहांगीर के समय निर्माण कार्य

मिर्जा गयासबेग तथा जहाँगीर के मकबरे का निर्माणनूरजहाँ ने करवाया था। मिर्जा गयासबेग के मकबरे को इतमाद-उद-दौला का मकबरा भी कहते है जिसमें पित्रड्युर का उपयोग किया गया।

परिवार

जहांगीर के पाँच पुत्र खुसरो, परवेज, खुर्रम, शहरयार, तथा जहाँदार थे।

जहांगीरद्वारा प्रदान की गयी उपाधियाँ

a. मिर्जा गयासबेग को इतमाद-उद-दौला
b. उस्ताद मंसूर को नादिर-उल-अस
c. अबुलहसन को नादिर-उद-जमा
d. संस्कृत कवि जगन्नाथ को पंडितराज

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5. शाहजहां 1628 – 1658

शाहजहां का वास्तविक नाम खुर्रम लेकिन अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ऐ-सानी की उपाधि धारण की थी। इनकी माता का नाम रानी मानमती (जगत गोसाई) जो जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री थी तथा पिता का नाम जहांगीर था।
शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया। जिसका निर्माण कार्य 1628 -58 ईस्वी तक चला। ताजमहल के स्थापत्यकार उस्ताद अहमद लाहौरी तथा मुख्य कलाकार बे बादल खां था। 1648 में शाहजहां ने अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी से स्थानांतरित कर के दिल्ली ले गया और वहां शाहजहांबाद नामक एक नया शहर बसाया।
1657 ईस्वी में जब शाहजहां बीमार पड़ गया तो इनके बेटे दारा शिकोह, मुराद बख्श, शाहशुजा तथा औरंगजेब के मध्य उत्तराधिकारी का युद्ध हुआ। जिसे धरमत का युद्ध भी कहते है, जिसमें औरंगजेब विजय हुआ। औरंगजेब ने 1658 में स्वयं को सम्राट घोषित करके शाहजहां को आगरे के किले में नजरबंद कर दिया। जहाँ शाहजहां आठ वर्ष जीवित रहे और 22 जनवरी 1666 को इनकी मृत्यु हो गयी।

शाहजहां के समय निर्माण कार्य

दिल्ली का लाल किला व जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद, शालीमार गार्डन (लाहौर), लाहौर किला, तख्ते ताऊस (मयूर सिंहासन), दीवाने आम, दीवाने खास आदि का निर्माण शाहजहां के द्वारा ही करवाया गया।

शाहजहां के दरबार के प्रमुख संगीतज्ञ, चित्रकार तथा विद्वान

चित्रकार मुहम्मद फ़क़ीर तथा मीर हासिम, संस्कृत कवि वंशीधर मिश्र तथा हरि नारायण मिश्र, संगीतज्ञ लाल खां आदि शाहजहां के दरबार में आश्रित थे।

शाहजहां द्वारा प्रदान की गयी उपाधियाँ

a. लाल खां को गुण-समुन्दर

 

6. औरंगजेब 1658 – 1707

औरंगजेब ने मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर की उपाधि धारण की। इनकी माता का नाम मुमताज महल तथा पिता का नाम शाहजहां था। औरंगजेबका जन्म 1668 ईस्वी में दोहाद (गुजरात) में हुआ। औरंगजेब का विवाह फारस की दिलरास बानो बेगम के साथ हुआ।
1675 ईस्वी में औरंगजेब ने सिखों के 9 वे गुरु, गुरु तेग बहादुर को कत्ल करवा दिया। औरंगजेब के धार्मिक गुरु मीर मुहम्मद हकीम थे। 1679 ईस्वी में औरंगजेब ने जजिया कर पुनः शुरू कर दिया। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गयी इसे खुलनाबाद में दफनाया गया जो अब रोजा कहलाता है।

औरंगजेब के समय निर्माण कार्य

औरंगजेब ने अपनी पत्नी की औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में मकबरा बनाया जिसको दक्षिण का ताजमहल कहा जाता है। उन्होंने लाल किले में मोती मस्जिद, लाहौर में जामी और शाही मस्जिद का निर्माण करवाया।

औरंगजेब द्वारा लड़े गए युद्ध

1. धरमत का युद्ध
2. पुरन्दर की संधि
3. बीजापुर तथा गोलकुंडा पर विजय

धरमत का युद्ध

1657 ईस्वी में औरंगजेब ने अपने भाईदारा शिकोह, शाहसुजा तथा मुराद बख्श को उत्तराधिकारी के युद्ध में हराया।

पुरन्दर की संधि

औरंगजेबके सेनापति मिर्ज़ा राजा जयसिंह तथा शिवाजी के मध्य 22 जून 1665 में पुरन्दर की संधि हुई।

बीजापुर तथा गोलकुंडा पर विजय

1686 ईस्वी में औरंगजेब ने बीजापुर तथा 1697 ईसवी में गोलकुंडा को जीता। जहाँ के मदन्ना तथा अकन्ना प्रमुख विद्रोही थे।

 

7. मोहम्मद आज़म शाह / मुअज्जम आलम शाह1707 – 1712

इन्होंने बहादुर शाह प्रथम नाम से लाहौर के शाहदौला में राज्याभिषेक किया। बहादुर शाह-I में जजिया कर हटा दिया तथा 1683 में शम्भाजी के पुत्र शाहू जी को कैद से आजाद कर दिया।

8. जहांदर शाह 1712 – 1713

अमीर जुल्फिकार की सहायता से अपने भाई जहानशाह, अजीम-उस-शान, रफ़ी-उस-सान को मारकर बादशाह बना।

9. फररुखसियार 1713 – 1719

सैयद बंधू अब्दुल्ला खां तथा हुसैन अली खां के सहयोग से सिंहासन पर बैठा।

10. शाहजहां द्वितीय 1719

11. रफी उद-दरजात 1719

12. मोहम्मद शाह 1719 – 1748

इनका वास्तविक नाम रौशन अख्तर था। ये सैयद बंधू के सहयोग से सिंहासन पर बैठा। इनको रंगीलाशाह भी कहा जाता है।
इनके शासनकाल में सादुतुल्लाह खां ने कर्नाटक, चिनकिलीच खां (निजाम-उल-मुल्क) ने हैदराबाद, मुर्शिद कुली खां ने बंगाल, अलीमुहम्मद खां व दाउद ने रूहेलखण्ड (कटेहर), सआदत खां (बुरहान-उल-मुल्क) ने अवध, बदनसिंह व चुरामन जाट ने भरतपुर व मथुरा तथा बंगश नवाबों ने फरुखाबाद में स्वतंत्र सत्ता की स्थापना की।

13. अहमद शाह बहादुर 1748 – 1754
14. आलमगीर II 1754 – 1759
15. शाहजहां III 1759 – 1760
16. शाह आलम II 1760 – 1806
17. जहांशाह चतुर्थ 1788

18. अकबर II 1806 – 1837

इन्होंने राजा राममोहन राय को राजा की उपाधि दी।

19. बहादुर शाह द्वितीय 1837 – 1857

इनके पिता का नाम अकबर शाह द्वितीय तथा माता का नाम लालबाई था। 1857 की क्रांति का मुखियाब हादुर शाह जफर को ही बनाया गया।
1857 की क्रांति के असफल रहने पर अंग्रेजों ने बहादुर शाह को रंगून (ब्रह्मा) में नजर बंद कर दिया तथा इनके दो बेटों की इनकी आँखों के सामने गोली मारकर हत्या कर दी। बहादुर शाह द्वितीय हुमायूँ के मकबरे से गिरफ्तार किया गया था।

 

मुगल साम्राज्य  मुगल साम्राज्य (Mughal Empire in Hindi)

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