कोशिका चक्र तथा इसकी प्रावस्थाएँ
Cell Cycle in Hindi
कोशिका चक्र (cell cycle) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक कोशिका अपने आप को विभाजित करके दो नयी कोशिकाओं का निर्माण करती है। विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं और जीवों में कोशिका चक्र की कुल अवधि भिन्न-भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, यीस्ट (खमीर) में कोशिका चक्र 90 मिनट का होता है। कोशिका चक्र को दो प्रमुख चरणों में विभाजित किया गया है:
- इंटरफेज / Interphase (अंतरावस्था)
- M-फेज / M- Phase (समसूत्री प्रावस्था)
इंटरफेज / Interphase (अंतरावस्था)
यह अवस्था वह होती है जिसमें कोशिका विभाजन के लिए तैयारी करती है। यह दो विभाजनों के बीच की अवस्था होती है जिसमें कोशिका विभाजित नहीं होती, बल्कि विभिन्न जैव-रासायनिक गतिविधियाँ करती है।
- इस अवस्था में केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य उपापचयी तथा संश्लेषणात्मक रूप से अधिक सक्रिय रहते हैं।
- गुणसूत्र लम्बे, कुण्डलित, अविभेदित क्रोमेटिन तन्तुओं के रूप में होते हैं।
- केन्द्रिका का आकार DNA तथा राइबोसोमल प्रोटीन के एकीकरण के कारण बढ़ जाता है।
- यह अवस्था कोशिका चक्र की कुल अवधि का 95% भाग लेती है।
- इस प्रावस्था के दौरान DNA का प्रतिकृतिकरण, केन्द्रकीय हिस्टोन्स का संश्लेषण, तारककाय का विभाजन, ऊर्जा प्रचुर यौगिकों (DNA तथा प्रोटीन) का संश्लेषण होता है। केन्द्रकीय आवरण बना रहता है।
इंटरफेज को तीन प्रावस्थाओं में विभाजित किया गया है:
- G1 प्रावस्था
- S प्रावस्था
- G2 प्रावस्था
G1 प्रावस्था (G1 Phase)
- यह वह चरण है जहाँ कोशिका समसूत्रण (mitosis) के बाद सामान्य उपापचयी गतिविधियाँ करती है और अपना आकार बढ़ाती है। इस चरण में कोशिका विभाजन की तैयारी करती है लेकिन DNA का प्रतिकृतिकरण अभी नहीं होता।
- इस उप-अवस्था के दौरान कोशिका सामान्य उपापचयी सक्रियता के कारण आकार में बढ़ती है, लेकिन DNA घटकों में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
- कोशिका इस दौरान नए प्रोटीन और RNA का संश्लेषण करती है, जो विभाजन की तैयारी के लिए आवश्यक होते हैं।
- यह कोशिका चक्र की सबसे लंबी अवस्था होती है।
- कुछ कोशिकाएँ, जैसे हृदय की कोशिकाएँ, इस अवस्था के बाद विभाजन नहीं करतीं और निष्क्रिय (G0 ) अवस्था में चली जाती हैं, जहाँ वे विभाजित नहीं होतीं लेकिन उपापचयी रूप से सक्रिय रहती हैं।
S प्रावस्था (संश्लेषी प्रावस्था / Synthesis Phase)
- इस प्रावस्था में DNA का संश्लेषण या प्रतिकृतिकरण होता है।
- DNA की मात्रा दुगुनी हो जाती है, लेकिन गुणसूत्र संख्या समान रहती है। अगर पहले 2n गुणसूत्र थे, तो इस चरण के बाद भी 2n ही रहेंगे। यदि डीएनए की संख्या पहले 2C थी तो इस प्रावस्था के बाद 4C हो जाती है।
- जन्तु कोशिकाओं में DNA का प्रतिकृतिकरण केन्द्रक में होता है।
- इस दौरान कोशिका में हिस्टोन प्रोटीन भी बनते हैं, जो गुणसूत्रों की संरचना को स्थिर रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- इस अवस्था को कोशिका चक्र की अदृश्य प्रावस्था भी कहते हैं, क्योंकि गुणसूत्र इस अवस्था में दर्शित नहीं होते।
Cell Cycle in Hindi
G2 प्रावस्था (पूर्व-समसूत्री अवकाशी प्रावस्था / Pre Mitosis Gap Phase)
- इस चरण में कोशिका समसूत्रण (mitosis) के लिए तैयारी करती है। इसमें कोशिका के कोशिकांग, जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, हरितलवक, और गॉल्जी संकुल, दुगुने हो जाते हैं ताकि विभाजन के बाद प्रत्येक नई कोशिका के पास सभी आवश्यक कोशिकांग हों।
- कोशिका तर्कु प्रोटीन (ट्युबुलिन) का भी संश्लेषण करती है, जो विभाजन के समय गुणसूत्रों को अलग करने के लिए जरूरी होते हैं।
- इस चरण में कोशिका विभाजन के लिए अपने आप को पूरी तरह तैयार कर लेती है और समसूत्रण में जाने के लिए तैयार होती है।
M-प्रावस्था (समसूत्रण प्रावस्था)
M-प्रावस्था वह चरण है जिसमें कोशिका वास्तविक रूप से विभाजित होती है। इसमें सबसे पहले केन्द्रक का विभाजन (Karyokinesis) होता है, जिसमें प्रत्येक नई कोशिका के लिए समान रूप से गुणसूत्र वितरित किए जाते हैं।
इसके बाद कोशिका द्रव्य का विभाजन (Cytokinesis) होता है, जिससे एक कोशिका से दो नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
कोशिका चक्र का नियमन (Regulation of the Cell Cycle in Hindi)
कोशिका चक्र का नियमन विभाजन के समय और प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जिससे नई कोशिकाओं को सही और सटीक जीनोम मिलता है। यह नियमन विभिन्न चेक बिन्दुओं (checkpoints) द्वारा होता है, जो सुनिश्चित करते हैं कि विभाजन सही ढंग से हो रहा है और सभी शर्तें पूरी हों।
1. G1 प्रावस्था में कोशिका विभाजन का निर्णय:
- कोशिका का विभाजन का निर्णय G1 प्रावस्था में होता है। इस चरण में कोशिका पर्यावरणीय संकेतों, पोषक तत्वों, वृद्धि कारकों (growth factors), और DNA क्षति की स्थिति को जांचती है। अगर कोशिका विभाजन के लिए तैयार नहीं होती, तो यह G0 प्रावस्था में प्रवेश कर जाती है।
- G0 प्रावस्था निष्क्रिय अवस्था है, जहाँ कोशिका विभाजित नहीं होती पर उपापचयी रूप से सक्रिय रहती है। यह स्थिति स्थायी या अस्थायी हो सकती है। उदाहरण के लिए, हृदय और तंत्रिका कोशिकाएँ अक्सर G0 में रहती हैं।
2. रेस्ट्रिक्शन बिन्दु (G1 → S संक्रमण):
- कोशिका चक्र का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय बिन्दु G1 → S संक्रमण है, जिसे रेस्ट्रिक्शन बिन्दु कहा जाता है। यह वह बिन्दु है जहाँ कोशिका तय करती है कि उसे विभाजित होना है या नहीं।
- यदि पोषक तत्व, DNA की स्थिति और अन्य विभाजन से जुड़े संकेत अनुकूल होते हैं, तो कोशिका रेस्ट्रिक्शन बिन्दु को पार कर जाती है और विभाजन के लिए प्रतिबद्ध हो जाती है। इसके बाद कोशिका चक्र स्वतः चलता है।
3. G2 → M संक्रमण (दूसरा चेक बिन्दु):
- दूसरा महत्वपूर्ण चेक बिन्दु G2 → M संक्रमण के दौरान आता है। इस बिन्दु पर कोशिका सुनिश्चित करती है कि DNA का प्रतिकृतिकरण सही हुआ है और कोई क्षति नहीं है।
- इस बिन्दु पर यदि DNA में कोई समस्या होती है, तो कोशिका विभाजन रोक सकती है और DNA की मरम्मत करती है। अगर समस्या गंभीर है, तो कोशिका apoptosis (कोशिका मृत्यु) का मार्ग अपना सकती है।
4. चेक बिन्दु का महत्व:
- ये चेक बिन्दु कोशिका विभाजन की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। अगर चेक बिन्दु सही ढंग से कार्य न करें, तो अनियंत्रित कोशिका विभाजन हो सकता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- कोशिका चक्र को साइक्लिन और साइक्लिन-निर्भर काइनेजेज (CDKs) नामक प्रोटीन नियंत्रित करते हैं, जो विभाजन के चरणों के बीच सक्रिय होते हैं। इसके अलावा, p53 जैसे ट्यूमर सप्रेसर प्रोटीन DNA क्षति की स्थिति में विभाजन को रोकते हैं और DNA की मरम्मत करते हैं।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
कोशिका चक्र की गति और नियंत्रण कुछ महत्वपूर्ण कारकों और प्रोटीनों द्वारा किया जाता है, जिनका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि कोशिका सही समय पर और सही ढंग से विभाजित हो।
- साइक्लिन निर्भर प्रोटीन काइनेज (Cyclin-Dependent Protein Kinases):
- कोशिका चक्र साइक्लिन-निर्भर काइनेज द्वारा नियंत्रित होता है। यह प्रोटीन काइनेज साइक्लिन नामक प्रोटीन द्वारा सक्रिय किए जाते हैं, जो कोशिका के विभाजन को समय पर शुरू करने में मदद करते हैं।
- साइक्लिन प्रोटीन:
- साइक्लिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो कोशिका विभाजन के दौरान कोशिका चक्र को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यह साइक्लिन-निर्भर काइनेज को सक्रिय करके कोशिका के विभिन्न चरणों के बीच संक्रमण को नियमित करता है।
- G1 से S संक्रमण (G1 to S Transition):
- कोशिका G1 प्रावस्था से S प्रावस्था में तब प्रवेश करती है जब G1 साइक्लिन और CDK2 काइनेज द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया होती है। यह संक्रमण कोशिका को विभाजन की दिशा में बढ़ाता है।
- G2 से M संक्रमण (G2 to M Transition):
- परिपक्वन प्रोमोटिंग फैक्टर (MPF) G2 से M प्रावस्था में संक्रमण को प्रेरित करता है। यह समसूत्री साइक्लिन और CDK2 काइनेज से जुड़ा होता है, जो माइटोसिस (समसूत्रण) को प्रारंभ करता है। इस समय पर, केन्द्रक का आकार अधिकतम हो जाता है।
- कोशिका विभाजन के अन्य नियामक कारक:
- सतह क्षेत्र: आयतन अनुपात: जब कोशिका का सतह क्षेत्र बड़े अनुपात में होता है, तो यह कोशिका को विभाजित करने की आवश्यकता को दर्शाता है।
- केरियोप्लाज्मिक विषय सूची: यह भी कोशिका विभाजन में योगदान देने वाला कारक है, जो कोशिका के केन्द्रक और साइटोप्लाज्म के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।
- माइटोजन (Mitogens):
- माइटोजन ऐसे कारक हैं जो समसूत्रण को प्रेरित करते हैं, जैसे कि ऑक्जिन, साइटोकाइनिन, जिब्बरेलिन और इन्सुलिन। यह पदार्थ विभाजन को प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं।
- समसूत्रण प्रकार (Types of Mitosis):
- जन्तु कोशिकाओं में समसूत्रण को एम्फिएस्ट्रल माइटोसिस कहा जाता है, जिसमें तर्कु और दो एस्टर होते हैं।
- पादप कोशिकाओं में इसे एस्ट्रल माइटोसिस कहा जाता है, जिसमें एस्टर और तारककाय अनुपस्थित होते हैं।
- यदि समसूत्रण बाह्य केन्द्रकीय होता है, तो इसे यूमाइटोसिस कहा जाता है। और यदि यह अन्तःकेन्द्रकीय होता है, तो इसे पूर्वमाइटोसिस कहा जाता है।
इन्हें भी पढ़े
- कोशिका चक्र एवं कोशिका विभाजन
- कोशिका का सामान्य परिचय संरचना तथा प्रकार (Cell in Hindi)
- कोशिका सिद्धांत (cell theory)
- जीवद्रव्य सामान्य परिचय एवं प्रकृति
बाहरी कड़ियाँ
https://www.genome.gov/genetics-glossary/Cell-Cycle
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK26869/