
एंजाइम एवं एंजाइमों का वर्गीकरण, Enzymes in hindi, Classifications of Enzymes, apoenzyme in hindi,
आज के इस लेख में हम एंजाइम एवं एंजाइमों का वर्गीकरण (Enzymes and Classifications of Enzymes) के बारे में जानेगे।
एंजाइम (Enzymes) की परिभाषा
ये जैविक उत्प्रेरक हैं, जो शरीर में होने वाली जैविक अभिक्रियाओं की दर में वृद्धि करते हैं, जबकि स्वयं अपरिवर्तित रहते है। कोशिकाओं के भीतर सभी रासायनिक अभिक्रियाएं एंजाइमों द्वारा उत्प्रेरित होती हैं। ये कोशिकाओं के biocatalysts के रूप में काम करते है।
ये अभिक्रिया के लिए सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) को कम करते है, जिससे अभिक्रिया दर में वृद्धि होती है। परन्तु ये साम्यावस्था (Equilibrium) को प्रभावित नहीं करते।
एंजाइमों की संरचना (Structure of Enzymes)
सभी एंजाइम प्रोटीन के बने होते है। लेकिन इनमें प्रोटीन के अलावा गैर-प्रोटीन (Non-protein) पदार्थ भी होते है। ऐसे एंजाइम को होलोएंजाइम या पूर्ण एंजाइम (Holoenzyme) क हते है।
एपोएंजाइम (Apoenzyme)
होलोएंजाइम का प्रोटीन भाग एपोएंजाइम कहता है। एक निष्क्रिय एंजाइम है। जिसका सक्रियण (Activation) कार्बनिक या अकार्बनिक सहकारक (Cofactor) के जुड़ने पर होता है।
Apoenzyme + Cofactor = Holoenzyme
सहकारक (Cofactor)
एक गैर-प्रोटीन (Nonprotein) अणु होता है। यह या तो अकार्बनिक अणु यानि धातु या छोटे कार्बनिक अणु (कोएनजाइम) हो सकता है। ये एपोएंजाइम से जुड़कर एंजाइम को क्रियाशील बनाते है।
सहकारक तीन भागों में बांट सकते है।-
- सहएंजाइम (Coenzymes)
- प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group)
- सक्रियक (Activator)
सहएंजाइम (Coenzymes)
सहएंजाइम (Coenzymes) कार्बनिक गैर-प्रोटीन Nonprotein अणु हैं, जो एंजाइम से ढीले बंधे होते है। ये आसानी से एंजाइम से अलग होकर फिर से जुड़ सकते है। ये ज्यादातर पानी में घुलनशील विटामिन के व्युत्पन्न (Drived) होते हैं। जैसे NAPD, NAD, FAD, Co-A, Tetrahydrofolate, Thiamine pyrophosphate
प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group)
ये भी कार्बनिक गैर-प्रोटीन (Nonprotein) अणु हैं, लेकिन ये एंजाइम से दृढ़तापूर्वक (tightly) बंधे होते है। ये आसानी से एंजाइम से अलग नहीं हो सकते है।
सक्रियक (Activator)
ये अकार्बनिक गैर-प्रोटीन (Nonprotein) अणु हैं ये धातु आयन होते है। जो एपोएंजाइम से जुड़कर एंजाइम को क्रियाशील बनाते है।
उदाहरण के लिए Zn2+ कार्बनिक एनहाइड्रेज (Carbonic Anhydrase) और अल्कोहोल्डहाइड्रिजनेज Alcohol Dehydrogenase के लिए कॉफ़ैक्टर के रूप में कार्य करता है। तथा Fe 2+ / Fe3+ फेरेडॉक्सिन, हीमोग्लोबिन और साइटोक्रोम के लिए कॉफ़ैक्टर के रूप में कार्य करता है।
एंजाइमों के लिए सहकारक-
Enzyme | Ion |
Pyruvate kinase | K+ |
Carbonic anhydrase | Zn2+ |
Alcohol dehydrogenase | Zn2+ |
Lactate dehydrogenase | Zn2+ |
Glutamate dehydrogenase | Zn2+ |
Alkaline phosphatase | Zn2+ |
DNA polymerase | Zn2+ |
RNA polymerase | Zn2+ |
Delta-ALA dehydratase | Zn2+ |
Superoxide dismutase | Zn2+ |
Pancreatic carboxypeptidase | Zn2+ |
Cytochrome oxidase | Fe2+ / Fe3+ |
Catalase | Fe2+ / Fe3+ |
Peroxidase | Fe2+ / Fe3+ |
Hexokinase | Mg2+ |
Glucose 6 phosphatase | Mg2+ |
Arginase | Mn2+ |
Ribonucleotide reductase | Mn2+ |
Dinitrogenase | Mo |
Urease | Ni2+ |
Glutathione peroxidase | Se |
सक्रिय स्थल (Active Site)
एंजाइमों का सक्रिय स्थल वह स्थल होता है। जहां अभिकारक (Substrate) जुड़ता है। अभिकारक (Substrate) आमतौर पर सक्रिय स्थल (Active Site) में मौजूद एमिनो अम्ल से वांडर वाल बंध, H-बंध या आयनिक बंध से बंधे होते हैं।
एंजाइमों के विशिष्ट गुण
-
प्रोटीन प्रकृति (Protein Nature)
लगभग सभी एंजाइम प्रोटीन होते हैं लेकिन इनमे सहकारक के रूप में कार्बनिक, अकार्बनिक आयन भी पाए जाते है। राइबोजाइम (Ribozyme) नामक Enzyme में RNA पाया जाता है। जो RNA संबंधन (Splicing) में सहायता करता है। इसी तरह ऐबजाइम (Abzyme – Antibody + Enzyme) विशिष्ट एंटीबॉडी होती है, जो एंजाइम की तरह कुछ जैविक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते है। इनको Catmab (Catalytic monoclonal antibody) भी कहा जाता है।
-
कोलाइडियल प्रकृति (Colloidal Nature)
Enzymes हाइड्रोफिलिक यानि जल-स्नेही कोलोइड्स होते हैं। इनकी कोलाइडियल प्रकृति के कारण होलोएंजाइम से सहएंजाइम को डायलिसिस द्वारा अलग कर सकते हैं।
-
अभिकारक विशिष्टता (Substrate Specificity)
सामान्यतया एक एंजाइम केवल एक अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए, DNA polymerase केवल डीएनए का बहुलकीकरण (DNA Polymerization) करता है। इसी तरह माल्टेज केवल माल्टोस पर कार्य करता है। जबकि लाइपेज विभिन्न प्रकार की वसा पर कार्य करता है।
- निरपेक्ष विशिष्टता (Absolute Specificity)
एक एंजाइम केवल एक अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है।
- समूह विशिष्टता (Group Specificity)
कुछ एंजाइम केवल उन अणुओं पर कार्य करते है। जिनमें विशिष्ट कार्यात्मक समूह होते हैं, जैसे एमिनो, फॉस्फेट और मिथाइल समूह। जैसे Hexokinase केवल Hexose शर्करा पर ही कार्य करता है।
- बंध विशिष्टता (Bond Specificity)
कुछ एंजाइम किसी विशेष प्रकार के रासायनिक बंध पर ही कार्य करते है। जैसे Ribonuclease enzyme केवल पाइरिमिडीन क्षार 3’ सिरे के phopspodiester बंध का ही जल अपघटन करता है।
- स्टीरियोकेमिकल या त्रिविम विशिष्टता (Stereo Specificity)
एंजाइम एक विशेष स्टेरिक या त्रिविम समावयवी/ऑप्टिकल आइसोमर पर कार्य करता है। जैसे Amino acid oxidase केवल L-amino acid पर काम करते है। D-amino acids पर नहीं।
एंजाइम(Enzyme) का आकर बड़ा होने के कारण किसी भी रासायनिक परिवर्तन के लिए थोड़ी सी मात्रा में आवश्यक होते है। वे उत्प्रेरण की शुरुआत नहीं करते हैं, लेकिन सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) को कम करके उत्प्रेरण की दर (Catalytic Rate) में तेजी लाते हैं। तथा अभिक्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहते हैं।
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एंजाइमों का वर्गीकरण (Classifications of Enzymes)
IUB (International Union of Biochemistry) के द्वारा एंजाइमों को छः वर्गों में विभाजित किया गया हैं –
ओक्सीडोरीडक्टेजेज (Oxidoreductases)
ये एंजाइम ऑक्सीकरण-अपचयन (Oxidation – Reduction) अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं। ये हाइड्राइड आयन या हाइड्रोजन अणु का स्थानांतरण करते है।
Аअपचयन + Вऑक्सीकरण → Аऑक्सीकरण + Вअपचयन
उदाहरण- ओक्सीडेज (Oxidases), डीहाइड्रोजिनेज (Dehydrogenases), ओक्सीजिनेज (Oxygenases), परओक्सीडेज (Peroxidases)
ट्रांसफेरेजेज (Transferases)
ये एंजाइम अभिकारकों (Substrates) के मध्य हाइड्रोजन के अलावा फॉस्फेट, मिथाइल, एल्कोहोल, कीटोन, थायोल, एमिनो जैसे क्रियात्मक समूहों को स्थानांतरित करते है।
А-В+С→А+В-С
उदाहरण- मिथाइलट्रांसफेरेजेज (Methyltransferases), एमिनोट्रांसफेरेजेज (Aminotransferases), काइनेज (Kinases), फोस्फोराइलेज (Phosphorylases)
हाइड्रोलेजेज (Hydrolases)
ये एंजाइम अभिकारकों (Substrates) में H2O अणु को जोड़ने या निकलने का काम करते हैं। जैसे एमिलेज, कार्बोहाइड्रेज, न्यूक्लीऐज, जल के अणु को जोड़कर अभिकारक (Substrates) का अपघटन करते है। जबकि फ्युमरेज, इनोलेज, संघनन अभिक्रिया द्वारा अभिकारक (Substrate) को जोड़ते है। जिसमें जल के अणु का निष्कासन होता है।
А-В+ Н2О→ А-Н+ В-ОН
उदाहरण- फोस्फेटेज (Phosphatases), फोस्फोडाइएस्टरेज (Phosphodiesterases), प्रोटीऐज (Proteases)
लाइसेजेज (Lyases)
ये अभिकारकों (Substrates) में बिना जल-अपघटन किये ही उनको तोड़ने का कार्य करते है।
А(ХН)-В → А-Х + В-Н
डीकार्बोक्सीलेज (Decarboxylases), एल्डोलेज (Aldolases), सिन्थेजेज (Synthases)
आइसोमेरेजेज (Isomerases)
ये एंजाइम अभिकारकों (Substrates) को उनके समावयवी में बदलने का काम करते है।
उदाहरण- रेसिमेजेज (Racemases), म्युटेजेज (Mutases)
लाइगेजेज (ligases)
ये एंजाइम अभिकारकों (Substrates) के मध्य सहसयोंजक बंध बनाकर अभिकारकों (Substrate) को जोड़ने का काम करते है।
A+B+ATP → A-B+ADP+Pi
उदाहरण- पाइरुवेट कार्बोक्सीलेज (Pyruvate carboxylase), सिट्रेट सिन्थेटेज (Citrate synthatase)
एंजाइम की क्रियाविधि (Mechanism of Enzyme Reaction)
एंजाइम क्रियाधार सम्मिश्र (Enzyme Substrate Complex) का निर्माण
Enzyme एंजाइम क्रियाधार के साथ जुड़कर एंजाइम क्रियाधार सम्मिश्र (Enzyme Substrate Complex) का निर्माण करते है। यह ES काम्प्लेक्स कैसे बनता है, इसके लिए निम्न दो अवधारणाऐ (Concepts) दी गयी है –
- ताला- चाबी अवधारणा
- प्रेरित समायोजित अवधारणा
ताला- चाबी अवधारणा (Lock & Key Concepts)
यह अवधारणा एमिल फिशर (Emil Fisher) द्वारा दी गयी है। इसके अनुसार क्रियाधार (Substrate) और एंजाइम (Enzyme) दोनों अणु की विशेष ज्यामितीय संरचना ताला व चाबी के समान होती है।
जैसे प्रत्येक ताले की विशिष्ट चाबी होती है वैसे ही प्रत्येक एंजाइम के सक्रिय स्थल से क्रियाधार जुड़कर ES काम्प्लेक्स बनाते है। इन सक्रीय स्थल विशेष क्रियात्मक समूह -NH2 , -COOH , -SH होते है।
प्रेरित समायोजित अवधारणा (Induce Fit Theory)
यह अवधारणा कोश्लैंड (Koshland) द्वारा दी गयी। इसके अनुसार एंजाइम का सक्रीय स्थल (Active site) प्रारम्भ में आकार में क्रियाधार (Substrate) से जुड़ने के लिए इसका संपूरक (Complementory) नहीं होता है। बल्कि जब एंजाइम क्रियाधार (Substrate) सम्पर्क में आता है तो यह के एंजाइम से जुड़ने प्रेरित करता जिससे सक्रिय स्थल change होकर संपूरक आकार ग्रहण करता है।
इसके बाद एंजाइम के सक्रिय स्थल से क्रियाधार जुड़कर ES काम्प्लेक्स बनाते है।
सक्रियण ऊर्जा में कमी (lowering of activation energy)
किसी अभिक्रिया (Reaction) को आरंभ करने के लिए ऊर्जा (Energy की आवश्यकता होती है यह ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) कहलाती है।
किसी अभिकारक को बाहर से उर्जा प्रदान की जाती है, तो इसके electron की गतिज ऊर्जा (kinetic energy) बढ़ जाती है जिसके कारण यह उत्पाद अपघटित हो जाता है।
यदि किसी अभिक्रिया में एंजाइम डाल दिया जाता है, तो यह सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) में कमी कर देता है, जिससे क्रियाधार जल्दी ही उत्पाद में बदल जाते हैं।
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Enzymes and Classifications of Enzymes
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