
मॉडुलन एवं विमॉडुलन (Modulation and Demodulation in Hindi) संचार व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग है।
मॉडुलन (Modulation)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें निम्न आवृत्ति की तरंगों को अधिक दूरी तक भेजने के लिए इनको उच्च आवृत्ति की तरंगों के साथ अध्यारोपण करके भेजा जाता है।
- निम्न आवर्ती की अध्यारोपण की जाने वाली तरंगों को मॉडुलक तरंग कहते हैं।
- उच्च आवृत्ति की तरंगों को वाहक तरंगे कहते हैं।
- इस प्रक्रिया में प्राप्त परिणामी तरंगों को मॉडुलित तरंगे कहते हैं।
मॉडुलन की आवश्यकता (Why modulation is necessary)
सामान्यतया ध्वनि तरंगे की आवृत्ति 20Hz से 20KHz तक होती है। इन तरंगों को अधिक दूरी तक प्रसारित नहीं किया जा सकता। क्योंकि वायुमंडल में ऊर्जा कि हानि के कारण कम आवृत्ति की तरंगों का आयाम घटता जाता है। तथा कुछ दूरी तक चलने के पश्चात इनका आयाम शून्य हो जाता है। इसलिए कम आवृत्ति की तरंगों को अधिक दूरी तक भेजने के लिए मॉडुलन की आवश्यकता होती है।
मॉडुलन के प्रकार (Types of Modulation)
इसके तीन प्रकार होते है-
- आयाम मॉडुलन (Amplitude Modulation)
- आवृत्ति मॉडुलन (Frequency Modulation)
- कला मॉडुलन (Phase Modulation)
आयाम मॉडुलन (Amplitude Modulation)
मॉडुलन की वह प्रक्रिया जिसमें वाहक तरंगों का आयाम सूचना सिग्नल के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। आयाम मॉडुलन कहलाता है।
इस मॉडुलन इनमें वाहक तरंगों के आयाम में मॉडुलक तरंगों की वोल्टता को जोड़ा जाता है। अर्थात अध्यारोपित किया जाता है।
वाहक तरंगों की वोल्टता तथा मॉडुलक तरंग की वोल्टता को निम्न समीकरण से व्यक्त किया जा सकता है-
Vc = AcSinWct ………………. (1)
Vm = AmSinWmt……………….(2)
यहां
Ac = वाहक तरंग का आयाम
Wc = वाहक तरंग की आवृत्ति
Am = मॉडुलक तरंग का आयाम
Wm = मॉडुलक तरंग की आवृत्ति
मॉडुलक तरंग कि वोल्टता
V = (Ac+ Vm)SinWct ………………. (3)
समीकरण 2 से मान समीकरण 3 में रखने पर
V = (Ac+ AmSinWmt)SinWct
Ac कॉमन लेने पर
V = Ac(1+ Am / Ac SinWmt)SinWct
µ = Am / Ac = मॉडुलन सूचकांक
अतः
V = Ac(1+ µSinWmt) SinWct
[latex display=true] \mathrm{V}=A_{c} \sin W_{c} \mathrm{t}+\mu A_{c} \frac{2}{2}\left(\sin W_{m} \mathrm{t} \sin W_{c} \mathrm{t}\right) [/latex]
[latex display=true] \mathrm{V}=A_{c} \sin W_{c} \mathrm{t}+\frac{\mu A_{c}}{2}\left[\cos \left(W_{m}-W_{c}\right) \mathrm{t}-\cos \left(W_{m}+W_{c}\right) \mathrm{t}\right] [/latex]
[latex display=true] \mathrm{V}=A_{c} \sin W_{c} \mathrm{t}+\frac{\mu A_{c}}{2} \cos \left(W_{m}-W_{c}\right) \mathrm{t}-\frac{\mu A_{c}}{2} \cos \left(W_{m}+W_{c}\right) \mathrm{t} [/latex]
इस समीकरण से स्पष्ट होता है। कि आयाम मॉडुलन में प्राप्त परिणामी तरंग की वोल्टता में तीन भिन्न-भिन्न आवृतियां प्राप्त होती है। जो Wc, Wm-Wc तथा Wm+Wc है।
इन में से Wm-Wc को निम्न पार्श्व आवृति और Wm+Wc को उच्च पार्श्व आवृत्ति कहते हैं। यह दोनों आवृतियां पार्श्व बैंड कहलाती है।
आवृत्ति मॉडुलन (Frequency Modulation)
वह प्रक्रिया जिसमें वाहक तरंग की आवृत्ति सूचना सिग्नल के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।
कला मॉडुलन (Phase Modulation)
मॉडुलन की वह प्रक्रिया जिसमें वाहक तरंग की कला सूचना सिग्नल के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।
आयाम मॉडुलन को उत्पन्न करना (Generating amplitude modulation)
आयाम मॉडुलित तरंग उत्पन्न करने की अनेक विधियां हैं, जिनमें से एक विधि का आरेख चित्र निम्न प्रकार है-
इस विधि में मॉडुलक सिग्नल (Vm = Am SinWmt) को वाहक तरंग के आयाम (Vc = AcSinWct ) से संयोजित किया जाता है। तो परिणामी सिग्नल (V(t))
V(t) = (Vm+ Vc)
V(t) = Am SinWmt + AcSinWct ……………… (1)
इस सिग्नल को एक वर्ग निम्न युक्ति जो एक आरेखिक युक्ति होती है, में से गुजारते हैं। जिससे परिणामी सिग्नल निम्न प्राप्त होता है-
Y(t) = Ax + Bx2 (यहाँ A तथा B दोनों स्थिरांक है)
Y(t) = A[V(t)] + B[V(t)]2 ……………….. (2)
समीकरण 1 से मान 2 में रखने पर
इन समीकरण में आवृतियों Wm, Wc, 2Wm, 2Wc, Wm-Wc तथा Wm+Wc के पद है। जब इस सिग्नल को बैंड पास फिल्टर में से गुजारा जाता है। तो यह फिल्टर आवृत्तियों Wm, 2Wm, तथा 2Wc एवं स्थिरांक वाले पदों को रोक लेता है। तथा Wc को गुजरने देता है। इस प्रकार बैंड पास फिल्टर से निर्गत तरंग आयाम मॉडुलित तरंग होती है। जिसका शक्ति प्रवर्धन करके प्रेषित्र एंटीना को भेज दिया जाता है। जो निम्न चित्र में दर्शाया गया है-
आयाम तथा आवृत्ति में ग्राफ (Graph in amplitude and frequency)
भिन्न भिन्न प्रकार की आवृत्ति तथा आयाम के मध्य ग्राफ खींचने पर निम्न प्रकार का ग्राफ प्राप्त होता है-
विमॉडुलन (Demodulation)
इसको आयाम मॉडुलित तरंग का संसूचन भी कहते है। विमॉडुलन वह प्रक्रिया है। जिसके द्वारा मॉडुलित तरंग से मॉडुलक तरंग को पुनः प्राप्त किया जाता है।
अर्थात मॉडुलक तरंग तथा वाहक तरंग पुनः अलग करने की प्रक्रिया विमॉडुलन कहलाती है।
इसको निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है-
अभिग्राही एंटीना पर प्राप्त सिग्नल बहुत ही क्षीण या कमजोर होता है। इसलिए पहले इसे प्रवर्धक द्वारा प्रवर्धन कर आवृत्ति में परिवर्तित किया जाता है तथा इसके पश्चात संसूचक में भेजा जाता है।
संसूचित संकेत प्रबल नहीं होने की वजह से इनका पुनः प्रवर्धन किया जाता है। और यह संकेत हमारा मूल संकेत या मॉडुलक संकेत होता है।
इस मॉडुलक संकेत को दिष्टकारी में से गुजारा जाता है। जिसका ब्लॉक आरेख निम्न प्रकार होता है-
AM निवेशी तरंग दिष्टकारी में से गुजारने पर दिष्टकारी तरंग प्राप्त होती है। जिससे एन्वेलोप संसूचक में से गुजारा जाता है। यह संसूचक एक सरल RC परिपथ होता है। जो केवल दिष्टकारी तरंगे को सूचित करके निर्गत तरंगे प्रदान करता है। जो मूल संकेत होता है।
References –
https://www.geeksforgeeks.org/difference-between-modulation-and-demodulation/
लेक्चर विडियो
महत्वपूर्ण प्रश्न
- मॉडुलन क्या है और संचार प्रणाली में यह क्यों आवश्यक है?मॉडुलन वह प्रक्रिया है जिसमें निम्न आवृत्ति संकेत को उच्च आवृत्ति के साथ जोड़ा जाता है ताकि वह अधिक दूरी तक यात्रा कर सके। संचार प्रणाली में, मॉडुलन आवश्यक है क्योंकि यह सिग्नल की गुणवत्ता में सुधार करता है और इसे अधिक दूरी तक बिना विकृत हुए प्रसारित करने में सक्षम बनाता है।
- विमॉडुलन कैसे कार्य करता है और इसकी आवश्यकता क्यों है?विमॉडुलन मॉडुलित सिग्नल से मूल सूचना संकेत को पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया है। यह आवश्यक है क्योंकि प्राप्तकर्ता को वही सूचना प्राप्त करनी होती है जो प्रेषित की गई थी, इसलिए मॉडुलन और वाहक तरंग को अलग करना महत्वपूर्ण होता है।
- मॉडुलन की मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?मॉडुलन के तीन प्रमुख प्रकार हैं:
- आयाम मॉडुलन (Amplitude Modulation – AM): जिसमें वाहक तरंग का आयाम सूचना के अनुसार बदलता है।
- आवृत्ति मॉडुलन (Frequency Modulation – FM): जिसमें वाहक तरंग की आवृत्ति सूचना के अनुसार बदलती है।
- कला मॉडुलन (Phase Modulation – PM): जिसमें वाहक तरंग की कला (Phase) सूचना के अनुसार बदलती है।
- आयाम मॉडुलन (AM) और आवृत्ति मॉडुलन (FM) में क्या अंतर है?आयाम मॉडुलन (AM) में, वाहक तरंग का आयाम सूचना सिग्नल के अनुसार बदलता है, जबकि आवृत्ति मॉडुलन (FM) में वाहक तरंग की आवृत्ति बदलती है। FM में सिग्नल की गुणवत्ता बेहतर होती है और यह शोर प्रतिरोधी होता है, जबकि AM की रेंज अधिक होती है लेकिन यह शोर संवेदनशील होता है।
- प्रेषित्र में मॉडुलन और प्राप्तकर्ता में विमॉडुलन क्यों किया जाता है?प्रेषित्र में मॉडुलन सिग्नल को सुदूर स्थानों तक भेजने में मदद करता है, और प्राप्तकर्ता में विमॉडुलन सिग्नल से मूल जानकारी पुनः प्राप्त करने में सहायक होता है। यह प्रक्रिया सूचना की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए की जाती है।
- डिजिटल मॉडुलन के लाभ और हानि क्या हैं?डिजिटल मॉडुलन में सिग्नल को डिजिटल रूप में भेजा जाता है, जिससे शोर कम होता है और गुणवत्ता बेहतर होती है। इसके अलावा, इसमें डेटा दर अधिक होती है। हालाँकि, यह अधिक जटिलता और उच्च लागत के कारण चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है।
- मॉडुलन और विमॉडुलन सिग्नल की गुणवत्ता और दूरी को कैसे प्रभावित करते हैं?मॉडुलन सिग्नल को अधिक दूरी तक प्रसारित करने में सहायक है और यह गुणवत्ता को बनाए रखता है, जबकि विमॉडुलन सिग्नल से मूल सूचना को पुनः प्राप्त कर उसकी स्पष्टता बनाए रखता है।
- मॉडेम क्या है और यह मॉडुलन और विमॉडुलन कैसे करता है?मॉडेम (Modem) एक उपकरण है जो डिजिटल सिग्नल को मॉडुलन के द्वारा एनालॉग सिग्नल में बदलता है और प्राप्त सिग्नल को विमॉडुलन के माध्यम से वापस डिजिटल सिग्नल में परिवर्तित करता है। यह इंटरनेट संचार में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- मॉडुलन में वाहक तरंग का क्या उद्देश्य है?वाहक तरंग मूल सूचना सिग्नल को अधिक दूरी तक भेजने में सहायक होती है। यह उच्च आवृत्ति की होती है, जिससे सिग्नल बिना अधिक ऊर्जा खोए अधिक दूरी तक पहुंच सकता है।
- कला मॉडुलन (Phase Modulation) आयाम और आवृत्ति मॉडुलन से कैसे अलग है?कला मॉडुलन में, वाहक तरंग की कला (Phase) को सूचना के अनुसार परिवर्तित किया जाता है, जबकि आयाम मॉडुलन और आवृत्ति मॉडुलन में क्रमशः वाहक तरंग का आयाम और आवृत्ति परिवर्तित होती है। Phase Modulation का उपयोग डिजिटल संचार में अधिक होता है।