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ट्राँजिस्टर का परिचय ( Introduction of Transistor)
यह तीन टर्मिनल वाला इलेक्ट्रॉनिक अवयव (Electronic device) है। यह संकेत को अल्प प्रतिरोध वाले परिपथ से उच्च प्रतिरोध वाले परिपथ में स्थानान्तरित करता है।
एक प्रकार के बाह्य अर्द्धचालक (P या N) की पतली परत के दोनों ओर दूसरे प्रकार के अर्द्धचालक की परतें होती है। मतलब की यदि एक ओर P अर्द्धचालक हो तो उस पर N की परतें होगी।
ट्रांजिस्टर की खोज (Discovery of Transistor)
ध्यान रहे की ट्रांजिस्टर की खोज William Bradford Shockley, John Bardeen and Walter Houser Brattain द्वारा की गई थी।
ट्रांजिस्टर के भाग (Parts of Transistor)
एक ट्रांजिस्टर के तीन मुख्य भाग होते है-
- उत्सर्जक (Emitter)
- आधार (Base)
- संग्राहक (Collector)
उत्सर्जक (Emitter)
यह बहु संख्यको को आधार की ओर उत्सर्जित करता है। इसके कारण यह अति उच्च डोपित व मध्यम आकार का होता है।
आधार (Base)
यह उत्सर्जक व संग्राहक के मध्य होता है जो एकमध्यस्थ का कार्य करता है। यह निम्न डोपित व निम्न आकार का होता है।
Note – उत्सर्जक व आधार के मध्य की संधिउत्सर्जन आधार संधि ( (Emitter & Base Junction, JEB) कहलाती है।
संग्राहक (Collector)
यह उत्सर्जक से छोड़े गये तथा आधार से बहुसंख्यकों को संग्रहित करता है। यह मध्यम डोपित व सबसे बड़ा आकार का होता है।
Note – आधार व संग्राहक के मध्य की संधिआधार संग्राहक संधि (Base-Collector Junction JCB) कहलाती है।
ट्रांजिस्टर के प्रकार (Types of Transistor)
ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते है-
- P-N-P ट्रांजिस्टर
- N-P-N ट्रांजिस्टर
P-N-P ट्रांजिस्टर
दो P प्रकार के अर्धचालक के मध्य एक N प्रकार के अर्धचालक की परत से मिलकर बना होता है।
P-N-P ट्रांजिस्टर की कार्य प्रणाली
उत्सर्जक आधार संधि को अग्र बायस व आधार-संग्राहक संधि (JCB) को पश्च बायस किये जाने पर उत्सर्जक से होल बहुसंख्यक वाहक आधार की ओर प्रतिकर्षित (Repulse) किये जाते है।
आधार में लगभग 5% होल मुक्त electron से भर जाने के कारण कुछ धारा बनाते है। जिसे धारा Ib कहते है।
बाकि 95% होल संग्राहक भाग में प्रवेश कर जाते है। जिसको बैटरी के द्वारा इलेक्ट्रान भेज कर निरस्त कर दिया जाता है। इलेक्ट्रान के परिवहन से धारा Ic बनाती है।
उत्सर्जक भाग में होल कमी आती है इस कमी को भी बाह्य बैटरी द्वारा इलेक्ट्रान दे कर पुरा कर दिया जाता है इससे धारा Ie बनती है।
उपरोक्त तीनों प्रकार की धारा में निम्न सम्बन्ध होता है-
Ie = Ib+ Ic
N-P-N ट्रांजिस्टर
दो N प्रकार के अर्धचालक के मध्य एक P प्रकार के अर्धचालक की परत से मिलकर बना होता है।
N-P-N ट्रांजिस्टर की कार्य प्रणाली (Working Method of Transistor)
जब उत्सर्जक आधार संधि को अग्र बायस व आधार-संग्राहक संधि (JCB) को पश्च बायस करने पर उत्सर्जक से मुक्त इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक वाहक आधार की ओर प्रतिकर्षित किये जाते है।
आधार में लगभग 5% मुक्त e– होल से भर जाने के कारण धारा Ib बनाती है।
बाकी 95% मुक्त इलेक्ट्रान संग्राहक भाग में चले जाते है। इन इलेक्ट्रान को बैटरी का धनात्मक सिरा आकर्षित कर लेता है जिससे धारा Ic बनाता है।
उत्सर्जक भाग में मुक्त इलेक्ट्रान में हुई कमी होती है जिसे बाह्य बैटरी द्वारा पूर्ण कर दी जाती है जिससे धारा Ie बनती है।
उपरोक्त तीनों प्रकार की धारा में निम्न सम्बन्ध होता है-
Ie = Ib+ Ic
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