दिष्टकारी Rectifier
Rectifier in Hindi, दिष्टकारी किसे कहते है, रेक्टिफायर क्या होता है? रेक्टिफायर के प्रकार, types of rectifier in Hindi,
PN संधि डायोड का दिष्टकारी के रूप में अनुप्रयोग (Application of PN connector diodes as rectifiers)
दिष्टकारी (Rectifier)
दिष्टकारी वह डिवाइस है जो प्रत्यावर्ती धारा (Alternating current) को दिष्टधारा (Direct current) में परिवर्तित करता है।
हमारे सेल फोन चार्जर हमारे घर के स्रोत से AC लेकर DC में बदलने के लिए रेक्टिफायर्स (दिष्टकारी) का उपयोग करते हैं
यह निम्न प्रकार के होते है-
- अर्द्धतरंग दिष्टकारी (Half wave rectifier)
- पूर्ण तरंग दिष्टकारी (Full wave rectifier)
अर्द्धतरंग दिष्टकारी (Half wave rectifier)
इस प्रकार के दिष्टकारी (rectifier) में जब किसी स्रोत (Source) से वोल्टेज दी जाती है, तो इसमें धनात्मक (Positive, S1) व ऋणात्मक (Nagetive, S2) दोनों चक्र होते हैं। लेकिन यह दिष्टकारी (rectifier) डायोड के कारण सिर्फ धनात्मक अर्द्धचक्र (Positive Half Cycles) को ही आगे जाने देता है। और ऋणात्मक अर्द्धचक्र (Nagetive Half Cycles) को रोक लेता है।
निवेशी संकेत के धनात्मक अर्द्धचक्र में
माना की S1 धनात्मक व S2 ऋणात्मक विभव पर है तो PN संधि डायोड D अग्र बायस में होगी, अतः लोड प्रतिरोध RL से धारा प्रवाहित होती है तथा निर्गत वोल्टता प्राप्त होती है।
निवेशी संकेत के ऋणात्मक अर्द्धचक्र में
उपरोक्त के उल्टा यदि निवेशी संकेत के द्वितीय अर्द्ध चक्र में S1 ऋणात्मक व S2 धनात्मक है, तो PN संधि डायोड व्युत्क्रम बायस में होगा तथा इस स्थिति में लोड प्रतिरोध (RL) से कोई धारा प्रवाह नहीं होगा। अतः निर्गत वोल्टता भी नहीं होगी।
इससे पता चलता है की निवेशी प्रत्यावर्ती संकेत के संगत एक ही दिशा में स्पंदमान निर्गत प्राप्त करते है।
शिखर प्रतीप वोल्टता (PIV)
PIV = VS = VM
यहाँ
PIV = शिखर प्रतीप वोल्टता
VS = ट्रांसफार्मर की द्वितीय कुण्डली के सिरों पर अधिकतम वोल्टता
VM = निर्गत का शिखर मान
पूर्ण तरंग दिष्टकारी (Full wave rectifier)
यह दिष्टकारी दोनो भागों धनात्मक व ऋणात्मक अर्द्धचक्र (Positive and negative half cycle) में धारा को भेजता है और लोड में एक ही दिशा में धारा सुनिश्चित करता है।
जब परिपथ सम्पूर्ण प्रत्यावर्ती धारा तरंग का दिष्टकरण करता है तो यह पूर्ण तरंग दिष्टकारी परिपथ कहलाता है। चित्र में पूर्ण तरंग दिष्टकरण का प्रायोगिक परिपथ दर्शाया गया है। लोड प्रतिरोध RL के सिरों पर निर्गत संकेत प्राप्त होता हैं।
यह अर्ध-तरंग दिष्टकारी से अधिक दक्ष होता है।
निविष्ट संकेत के धनात्मक अर्द्ध चक्र में
माना की S1 धनात्मक व S2 ऋणात्मक है। इस स्थिति में डायोड D1 अग्र बायस व डायोड D2 पश्च बायस है। अतः केवल D1 चालन करेगा व लोड प्रतिरोध RL में A से B की ओर धारा प्रवाहित होगी।
निवेशी संकेत के ऋणात्मक अर्द्ध चक्र में
अब S1 ऋणात्मक व S2 धनात्मक है। अतः D1 व्युत्क्रम बायस व D2 अग्र बायस है। अतः केवल D2 चालन करेगा तथा धारा पुनः A से B की ओर प्रवाहित होगी।
इससे पता चलता है की निवेशी संकेत धनात्मक हो अथवा ऋणात्मक, धारा सदैव लोड प्रतिरोध से एक ही दिशा में प्रवाहित होगी तथा पूर्ण दिष्टकरण होगा।
पूर्ण तरंग दिष्टकारी (Full wave rectifier) को दो भागों में विभक्त किया गया है-
- सेन्टर-टैप दिष्टकारी (Center Tapped rectifier)
- सेतु दिष्टकारी (Bridge Rectifier)
सेन्टर-टैप दिष्टकारी (Center Tapped rectifier)
रेक्टिफायर में जब डायोड D1 अग्र बायस (Forward Bias) की स्थिति में होगा तो यह धारा को आगे जाने देगा और उस समय डायोड D2 पश्च बायस (Reverse Bias) स्थिति में होगा और वह धारा को आगे नहीं जाने देगा।
- D1 व D4 अग्र बायस → ऑन स्विच
- D2 व D3 व्युत्क्रम बायस → ऑफ स्विच
उपरोक्त के उल्टा जब डायोड D2 अग्र बायस (Forward Bias) की स्थिति में होगा तो यह धारा को आगे जाने देगा और उस समय डायोड D1 पश्च बायस (Reverse Bias) स्थिति में होगा और वह करंट को आगे नहीं जाने देगा
- D2 व D3 अग्र बायस → ऑन स्विच
- D1 व D4 व्युत्क्रम बायस → ऑफ स्विच
सेतु दिष्टकारी (Bridge Rectifier)
यह भी उपरोक्त स्थिति की तरह कार्य करता है। इसमें डायोड को ब्रीज यानि सेतु के रूप में लगाया जाता है।
धनात्मक अर्द्ध चक्र में
D1 व D4 अग्र बायस → ऑन स्विच
D2 व D3 व्युत्क्रम बायस → ऑफ स्विच
ऋणात्मक अर्द्ध चक्र में
D2 व D3 अग्र बायस → ऑन स्विच
D1 व D4 व्युत्क्रम बायस → ऑफ स्विच
पूर्ण तरंग दिष्टकारी में शिखर प्रतीप वोल्टता
PIV= VS = VM
यहाँ
PIV = शिखर प्रतीप वोल्टता
VS = ट्रांसफार्मर की द्वितीय कुण्डली के सिरों पर अधिकतम वोल्टता
VM = निर्गत का शिखर मान
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- रेक्टिफायर के प्रकार
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