इलेक्ट्रॉन-होल पुर्नसंयोजन (Electron-hole Recombination in Hindi)

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द्रव्यमानुपाती क्रिया नियम (Mass action Law)

इस नियम का उपयोग नियत तापमान (Constant Temperature) पर अल्पसंख्यक आवेश वाहकों और बहुसंख्यक आवेश वाहकों की मात्रा के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए किया जाता है।

ताप के प्रभाव के कारण अर्द्धचालक (Semiconductor) में निरन्तर मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free hole) व होल उत्पन्न होते रहते है।

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इस प्रक्रिया में मुक्त इलेक्ट्रॉन पुनः होल से पुर्नसंयोजित (Recombination होता रहता है।

साम्यावस्था पर (At equilibrium)

आवेश वाहकों की उत्पत्ति की दर = आवेश वाहकों के पुर्नसंयोजन की दर

जब साम्यावस्था की स्थिति आती है तो आवेश वाहकों की उत्पत्ति की दर (rate of generation of charge carries) आवेश वाहकों के पुर्नसंयोजन की दर (rate of recombination of charge carrier) के बराबर होती है।

 

ne = इलेक्ट्रॉनों की की सान्द्रता

इसी तरह

nh = होल की की सान्द्रता

ni = निज या नैज वाहकों की की सान्द्रता

हो तो

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इलेक्ट्रॉन के होल से टक्कर के कारण पुर्नसंयोजन होता है, ne या nh के मान अधिक होने पर पुर्नसंयोजन की प्रायिकता भी अधिक होती है। इसलिए किसी निश्चित अर्द्धचालक के लिये पुर्नसंयोजन की दर मुक्त इलेक्ट्रॉनों की सान्द्रता (ne) व होलों की सान्द्रता (nh) के समानुपाती होती है

अतः

पुर्नसंयोजन की दर ∝ ne × nh

पुर्नसंयोजन की दर = R ne × nh

R = पुर्नयोजन गुणांक

नोट – किसी भी ठोस के लिये यदि क्रिस्टल संरचना समान हो तो ऊष्मागतिकी के अनुसार R का मान नियत रहता है।

 

हमने पढ़ा था की

ne = nh = ni (निज अर्द्धचालक के लिए)

नैज अर्द्धचालक के लिए पुर्नसंयोजन की दर

= R ne × nh

= R ni × ni

=R ni2

तापीय साम्यावस्था (thermal equilibrium) में, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की सान्द्रता (ne) व होलों की सान्द्रता (nh) का गुणनफल नियत रहता है।

Note – ग्राही अथवा दाता अशुद्धि की मात्रा पर निर्भर नहीं करता है।

द्रव्यमान अनुपाती क्रिया नियम से हम निम्न समीकरण प्राप्त करते है=

ni = ne × nh

इलेक्ट्रॉन-होल पुर्नसंयोजन (Electron-hole Recombination in Hindi)

वह प्रक्रिया जिसमें एक इलेक्ट्रॉन, जो संयोजकता बंध से अर्द्धचालक (Semiconductor) के चालक बंध तक उत्साहित होता है, और संयोजकता बंध के होल में वापस आ जाता है।

इस प्रकार इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बन्ध के होल के साथ पुर्नसंयोजन होते है। यह प्रक्रिया इलेक्ट्रॉन-होल पुर्नसंयोजन (Electron-hole Recombination) कहलाती है।

किसी बंध के पूरा होने के लिए चालन बंध से भी मुक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त किये जा सकते है। ये जरूरी नहीं है कि किसी पास के परमाणु से इलेक्ट्रॉन लिया जाये।

 

बंधों के टूटने से इलेक्ट्रॉन-होल युग्म (Electron-Hole Pair) निरन्तर उत्पन्न होते रहते है तथा चालन बंध के इलेक्ट्रॉन पुर्नसंयोजन (Electron Recombination) द्वारा निरन्तर संयोजक बंध बनाते रहते है।

अतः साम्यावस्था में (At equilibrium)

इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न होने की दर = पुर्नसंयोजन दर के बराबर (Rate of Recombination)

इस प्रकार हम कह सकते है कि इलेक्ट्रॉन तथा होलों की संख्या निश्चित रहती है।

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  6. आवेश संरक्षण तथा आवेश का क्वांटीकृत सिद्धांत, कुलाम का नियम (Theory of Conservation of Charge and Quantization of Charge)
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