स्थिर विद्युतिकी, विद्युत आवेश की परिभाषा, प्रकार, मात्रा तथा गुणधर्म
स्थिर विद्युतिकी (Electrostatics)
भौतिक विज्ञान की वह शाखा है। जिसके अंतर्गत स्थिर आवेश के मध्य लगने वाला बल (आकर्षण या प्रतिकर्षण बल)(Force (attraction or repulsion force)), विद्युत क्षेत्र electric field, विद्युत द्विध्रुव (electric dipole), विद्युत विभव (electric potential) आदि का अध्ययन किया जाता है।
विद्युत आवेश (Electrical Charge)
किसी वस्तु द्वारा प्रदर्शित वह गुण जिसके कारण वह आकर्षण या प्रतिकर्षण बल को प्रदर्शित करती है या अनुभव करती है, विद्युत आवेश कहलाती है।
जैसे जब किसी कांच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ कर कागज के छोटे टुकड़ों के पास ले जाया जाता है। तो वह उसे आकर्षित करती है इसी गुण को आवेश कहा जाता है तथा कांच की छड़ आवेशित वस्तु (Electrified or Charged object) कहलाती है।
आवेशन का कारण (Cause of Electrification)
जब दो कुचालक वस्तुओं को परस्पर रगड़ते हैं। तो घर्षण के कारण उष्मा उत्पन्न होती है। तथा इलेक्ट्रॉन ऊष्मा पाकर एक वस्तु से मुक्त हो जाते हैं, तथा दूसरी वस्तु द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं। इस प्रकार दोनों वस्तुएं आवेशित हो जाती है।
जैसे जब एबोनाइट की छड़ को बिल्ली के फर से रगड़ा जाता है तो बिल्ली के फर से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलते हैं जिसके कारण बिल्ली के फर पर धनावेशित और एबोनाइट की छड़ पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लिए जाते हैं और वह ऋणावेशित हो जाती है।
आवेश का मात्रक एवं विमा
कूलाॅम आवेश का मात्रक होता है। यह एम्पीयर तथा सेकण्ड के गुणनफल के बराबर होता है।
एम्पीयर × सेकण्ड = कूलाॅम
विमीय सूत्र = [AT]
आवेश का प्रायोगिक मात्रक एम्पीयर × घंटा (Ah) और फैराडे (f) होता है।
एक एम्पीयर × घंटा (1Ah) = 600C
1 फैराडे (f) = 96500C
आवेश के प्रकार (Type of charge)
आवेश दो प्रकार के होते हैं-
- धनात्मक आवेश (Positive charge)
- ऋणात्मक आवेश (Negative charge)
धनात्मक आवेश (Positive Charge)
यह प्रोटोन की तुलना में इलेक्ट्रान कम होने पर प्राप्त होता है।
ऋणात्मक आवेश (Negative Charge)
यह प्रोटोन की तुलना में इलेक्ट्रान अधिक होने पर प्राप्त होता है।
आवेश की मात्रा (Quantity of Charge)
प्रोटॉन पर आवेश की मात्रा = 1.6 x 10-19 कूलाम
इलेक्ट्रॉन पर आवेश की मात्रा = –1.6 x 10-19 कूलाम
मिलिकन ने महत्तम समाप्रत्य (Highest common factor) द्वारा आवेश का क्वांटा (Quanta) खोजा और इसका मान इलेक्ट्राॅन के आवेश के बराबर बताया।
आवेश का क्वान्टीकरण (Quantization of Electric Charge)
विद्युत आवेश का क्वांटीकरण वह गुण है, जिसमें सभी मुक्त आवेश परिमाण में आवेश की मूल इकाई के पूर्णांकीं गुणज होते हैं। पूर्णांकीं गुणजका अर्थ किसी पूर्णाक के साथ गुणा करना है।
इस प्रकार निम्न प्रकार दर्शाया जाता है:-
q=ne
यहां n कोई धनात्मक अथवा ऋणात्मक एक पूर्णांक है।
Question-1 – 100 इलेक्ट्रॉन पर आवेश का मान कितना होगा।
Solution – दिया गया है-
n = 100
e = 1.6 x 10-19
q=ne
= 100 X 1.6 x 10-19
= 1.6 X 10-17
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आवेशित वस्तुओं के द्रव्यमान, आयतन तथा घनत्व में परिवर्तन (Changes in mass, volume and density of electrified objects)
- वस्तु धनावेशित होती है, तो इसके द्रव्यमान में कमी होती है।
- वस्तु ऋणावेशित होते हैं, तो इसके द्रव्यमान में वृद्धि होती है। ( ट्रिक जोड़ पर घटना घटाने पर बढ़ना)
- परंतु द्रव्यमान की तुलना में आयतन में ज्यादा वृद्धि होती है।
- जब वस्तु धनावेशित या ऋणावेशित होती है तो दोनों स्थिति में उसके आयतन में वृद्धि होती है।
- जब वस्तु धन धनावेशित या ऋणावेशित होती है तो दोनों स्थिति में उसके घनत्व में कमी आती है।
आवेश व द्रव्यमान में अन्तर (Difference between charge and mass)
- आवेश एक व्युत्पन्न राशि है, जबकि द्रव्यमान मूलभूत राशि है।
- द्रव्यमान संरक्षित नहीं रहता है लेकिन आवेश हमेशा संरक्षित होता क्योंकि द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है जिससे द्रव्यमान में कमी आती है।
- आवेश और द्रव्यमान दोनों क्वांटीड्डत राशियाँ है। आवेश का क्वांटा एक इलेक्ट्राॅन आवेश के बराबर है। लेकिन द्रव्यमान का क्वांटा अभी तक ज्ञात नहीं किया जा सका है।
- गतिशील आवेशित वस्तु का द्रव्यमान बढ़ता है। जबकि आवेश अपरिवर्तित रहता क्योंकि इस पर वेग का कोई प्रभाव नहीं होता है।
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Question-1 यदि किसी वस्तु से 100 इलेक्ट्रॉन निकाले गए हैं तो उसके द्रव्यमान में कितनी कमी आएगी
Solution एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान= 9.1 x 10-31 Kg
100 इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 100 x 9.1 x 10-31 Kg
द्रव्यमान में कमी = 9.1 x 10-29 Kg
आवेश के गुणधर्म (Properties of Charges)
आवेश निम्नलिखित गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं
- दो सजातीय आवेश एक दूसरे को प्रतिकृषित करते हैं जैसे धनात्मक – धनात्मक आवेश या ऋणात्मक-ऋणात्मक आवेश एक दूसरे को प्रतिकृषित करते हैं
- दो विजातीय या असमान आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। जैसे धनात्मक आवेश तथा ऋणात्मक आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- आवेश का मान वेग पर निर्भर नहीं करता। अतः आवेश एक निरपेक्ष राशि है।
- जब वस्तु को धनावेशित करते हैं तो उसका द्रव्यमान घटता है।
- जब वस्तु को ऋणावेशित करते हैं तो उसका द्रव्यमान बढ़ता है।
- स्थिर आवेश केवल विद्युत क्षेत्र व गतिशील आवेश विद्युत क्षेत्र चुंबकीय क्षेत्र विद्युत चुंबकीय विकिरण उत्सर्जित करता है।
- द्रव्यमान के बिना आवेश का अस्तित्व संभव नहीं है। परंतु बिना आवेश के द्रव्यमान का अस्तित्व संभव है। आवेश संरक्षित होते हैं।
- आवेश हमेशा क्वांटीकृत होते हैं।
Question-2 जब कोई आवेशित वस्तु 1 m/s वेग से गतिशील है तो उसके आवेग में क्या परिवर्तन होगा।
Solution – क्योंकि हम जानते हैं कि आवेश का मान वेग पर निर्भर नहीं करता है वह उस वस्तु का वेग अपरिवर्तित रहेगा।
Question 3 — जब आवेशित गति आवेश गतिशील हो तो कौन-कौन से क्षेत्र उत्पन्न करता है
Solution – जब एक आवेश गतिशील होता है, तो चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic fields), विद्युत क्षेत्र (electric fields), तथा विद्युत चुंबकीय विकिरण (electromagnetic radiation) उत्पन्न करता है।
इन्हें भी पढ़े –
- आवेश संरक्षण का सिद्धांत तथा आवेश का क्वांटीकृत सिद्धांत
- विद्युत
- प्रकाश का परावर्तन, समतल दर्पण तथा गोलीय दर्पण
- प्रकाश का अपवर्तन तथा लेंस