प्रकाश का अपवर्तन तथा लेंस

इस लेख में हम प्रकाश का अपवर्तन Refraction of light in hindi तथा लेंस के प्रकार और लेंस के द्वारा बनाने वाले प्रतिबिम्बों का अध्ययन करेगे ।

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light)

जब प्रकाश की किरण  एक माध्यम से दुसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो प्रकाश किरण का मार्ग से विचलित होना प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है। जब प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है। तो अभिलम्ब की ओर झुक जाती है।

जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो अभिलम्ब से दुर हट जाती है। प्रकाश का वेग बदलने के कारण अपवर्तन होता है। अपवर्तन के कारण  प्रकाश का तरंग दैध्र्य बदलता हैं।

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस

लेंस व उसके प्रकार (Lens and their types)

लेंस (Lens)एक पारदर्शी माध्यम है  जिसमें दो वक्रित (गोलाई) अथवा एक वक्रित एवं एक समतल सतह होती है। लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है। (lenses glasses)

1. उत्तल लेंस (Convex lens)  2. अवतल लेंस (Concave lens)

उत्तल लेंस (Convex lens)

इस प्रकार के लेंस के किनारे पतले एवं मध्य भाग मोटा होता हैं। उत्तल लैंस प्रकाश को अभिसरित (सिकोड़ता)  है अतः इसे अभिसारी लेंस भी कहते है।

wikimedia lenses glasses प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light) तथा लेंस

उत्तल लेंस के प्रकार

1. उभयोत्तल उत्तल लेंस- दोनों सतहों पर वक्रित (चित्र -1)

2. समतलोत्तल उत्तल लेंस- एक सतह पर वक्रित तथा एक पर समतल (चित्र -2)

3.अवत्तलोत्तल उत्तल लेंस – एक सतह पर वक्रित तथा एक पर अन्दर धंसा (चित्र -3)

उत्तल लेंस के उपयोग

  1. उत्तल लेंस का उपयोग सूक्ष्मदर्शी और आवर्धक लेंस (magnifying glasses) में किया जाता है।
  2. कैमरे में कैमरे के लेंस के रूप में उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है क्योंकि उत्तल लेंस एक स्वच्छ तस्वीर के लिए प्रकाश को केंद्रित करते हैं।
  3. उत्तल लेंस का उपयोग दूर -दृष्टि दोष  यानि हाइपर्मेट्रोपिया के सुधार में किया जाता है

अवतल लेंस (Concave lens)

इस प्रकार के लेंस के किनारे मोटे एवं मध्य भाग पतला होता हैं। अवतल लेंस प्रकाश को अपसरित (फैलाता)  है अतः इन्हें अपसारी लेंस भी कहते है।

अवतल लेंस के प्रकार

1. उभयावत अवतल लेंस – दोनों सतहों पर अन्दर की ओर वक्रित (चित्र -4)

2. समतलावतल अवतल लेंस –   एक सतह पर अन्दर की ओर वक्रित तथा एक पर समतल (चित्र -5)

3. उत्तलावतल अवतल लेंस-  एक सतह पर अन्दर की ओर वक्रित तथा एक पर उपर उठा (चित्र -6)

अवतल लेंस के उपयोग

  1. अवतल लेंस का उपयोग निकट -दृष्टि दोष  यानि मायोपिया  को ठीक करने के लिए किया जाता है यानी ।
  1. अवतल लेंस का उपयोग प्रकाश किरणों को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं को स्पष्ट और विस्तारित करने के लिए किया जाता है।
  1. अवतल लेंस का उपयोग कार के साइड दर्पण के रूप में किया जाता है

वक्रता केन्द्र (C) – लेंस जिस गोले के भाग होते है उसका केन्द्र वक्रता केन्द्र कहलाता है।

वक्रता त्रिज्या (R)- लेंस जिस गोले के भाग होते है उसकी त्रिज्या वक्रता त्रिज्या कहलाती है।

प्रकाशिक केन्द्र – लेंस का मध्य बिंदु ।

मुख्य अक्ष – लेंस के वक्रता केन्द्र तथा प्रकाशिक केन्द्र से गुजरने वाली काल्पनिक सीधी रेखा।

मुख्य फोक्स(F) – यह वक्रता त्रिज्या का मध्य बिंदु होता है।लेंस के दो मुख्य फोकस होते है।

प्रथम मुख्य फोकस (F1) – मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिस पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब अन्नत पर प्राप्त होता है।

द्वितीय मुख्य फोकस  (F2) – अन्नत पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब मुख्य अक्ष पर जिस बिन्दु पर प्राप्त होता है।

फोकस दुरी(f) – प्रकाशिक केन्द्र से मुख्य फोकस के बीच  की दुरी फोकस दुरी कहलाती है उत्तल लेंस की फोकस दुरी धनात्मक (+)  तथा अवतल लेंस की फोकस दुरी ऋणात्मक (-) मानी जाती है।

(lenses glasses) (lenses glasses)

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस

https://www.aliscience.in/reflection-of-light-in-hindi/

लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब निर्माण

भिन्न स्थितियों में उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब निर्माण

जब वस्तु अनन्त पर स्थित हो-

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस
  • प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस F2 पर बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब से बहुत छोटा व बिन्दु आकृति का बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है।

जब वस्तु वक्रता केन्द्र से दूर स्थित हो/ फोकस दूरी के दुगुने से अधिक दूरी पर स्थित हो –

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस
  • प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र (2F2) व  फोकस मुख्य F2 मध्य बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब से छोटा बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है।

जब वस्तु वक्रता केन्द्र पर स्थित हो/ फोकस दूरी से दुगुनी दूरी पर स्थित हो-

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light in hindi) तथा लेंस
  • प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र (2F2) पर बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब के आकार का बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है।

जब वस्तु वक्रता केन्द्र (2F1) व फोकस मुख्य F1 मध्य स्थित हो/ फोकस दूरी से अधिक दूरी पर स्थित हो/ फोकस दूरी के दुगुने से कम दूरी पर स्थित हो-

  • प्रतिबिम्ब 2F2  से अधिक दूरी पर बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब से बड़ा बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है।

जब वस्तु मुख्य फोकस (F1) पर स्थित हो-

  • प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब से बहुत बड़ा बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब वास्तविक और उल्टा बनता है।

जब वस्तु मुख्य फोकस (F1)  व प्रकाशीय केन्द्र (O) के मध्य स्थित हो-

  • प्रतिबिम्ब बिम्ब की दिशा में बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब बिम्ब से बड़ा बनता हैं।
  • प्रतिबिम्ब आभासी और सीधा बनता है

लेंस की क्षमता (Power of lens) 

किसी लैंस द्वारा प्रकाश किरणों को फैलाने या सिकोड़ने की क्षमता को लैंस क्षमता कहलाती है। लेंस की क्षमता का मात्रक  डाॅयप्टर (D) होता है।

P = 1/f

लेंस द्वारा आपतित प्रकाश किरण को मोडा जाता है। आपतित किरण के मार्ग में उत्पन्न विचलन या मोड़ या विस्थापन ही उस लेंस की क्षमता कहलाता है।

किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरण को जितना ज्यादा विचलित किया जाता है उस लेंस की क्षमता उतनी ही अधिक होती है और यदि लेन्स कम विचलन या विस्थापन उत्पन्न करता है तो उस लेंस की क्षमता कम मानी जाती है।

माना की किसी अवतल लेंस की फोकस दुरी 25cm है, तो –

f = 25cm = 0.25m

p = 1/f = 1/0.25 = 100/25 =  -4D

https://youtu.be/fT2OdYJkmbs

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