प्रकृति के 4 मूल बल (4 fundamental forces of nature)
प्रकृति के 4 मूल बल (4 fundamental forces of nature in Hindi)
प्रकृति में पाए जाने वाले बलों को मुख्यतः चार भागों में बांट सकते हैं। जो स्थूल (Macro) तथा सूक्ष्म (Micro) जगत में होने वाली विभिन्न परिघटनाओं को नियंत्रित करते है। ये बल (Forces) निम्न प्रकार हैं-
- \
गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force)
प्रत्येक पिंण्ड (Particle) दूसरे पिंण्ड (Particle) पर एक आकर्षण बल (attraction force) लगाता है। जिसे गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) कहते हैं। इसको FG से दर्शाते है।
आइजैक न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के विचार देने वाले पहले व्यक्ति थे।
यदि दो पिंड जिनका द्रव्यमान (mass) क्रमशः m1 तथा m2 हो तथा उनके बीच की दूरी r हो तो-
[katex display=true]F_{G}=\frac{\mathrm{Gm} 1 \mathrm{m} 2}{r}[/katex]
यहां पर G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। जिसका मान G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मी2/किग्रा2 होता है।
इसके आकर्षण बल का परास अनंत होता है। इसलिए इसको दीर्घ परास बल भी कहते हैं।
Source NASA
हालांकि गुरुत्वाकर्षण बल ग्रहों, तारों, सौर तंत्र और यहां तक कि ब्रम्हांड आकाशगंगाओं (Galaxy) को एक साथ रखता है, लेकिन यह मूलभूत बलों में सबसे कमजोर है।
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल समुद्र की ज्वार का कारण बनता है।
विद्युतीय चुंबकीय बल (Electromagnetic Force)
दो असमान आवेशित कणों (धन आवेश +ve तथा ऋण आवेश -ve ) के मध्य में लगने वाला आकर्षण बल (attraction force) विद्युतीय चुंबकीय बल (Electromagnetic Force) कहलाता है। इसको FE से दर्शाते है।
दो समान आवेशित कणों (धन आवेश/ धन आवेश तथा ऋण आवेश/ ऋण आवेश ) के मध्य में लगने वाला प्रतिकर्षण बल (repulsive force) विद्युतीय चुंबकीय बल कहलाता है।
यदि दो आवेश क्रमशः q1 तथा q2 हो और इनके बीच की दूरी r हो तो –
[katex display=true]F_{E}=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}[/katex]
[katex display=true]\mathrm{K}=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9} \frac{N m^{2}}{c^{2}}[/katex]
ε0 = 8.85 X 10-12 C2/ Nm2
यह निर्वात की विद्युतशीलता कहलाती है।
विद्युत चुम्बकीय बल आवेशित कणों के बीच फोटॉन के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है। बल-वहन करने वाले द्रव्यमान विहीन बोसॉन कणों को फोटॉन कहा जाता है, जो प्रकाश के कण घटक भी हैं।
प्रबल नाभिकीय बल (Strong nuclear force)
नाभिक (nucleus) में प्रबल नाभिकीय बल के कारण न्यूट्रोन तथा प्रोटोन एक दूसरे से बंधे रहते हैं। इसको FN से दर्शाते है।
यह आकर्षण बल मूल बलों में प्रबलतम (Strong) होता है। इसको किसी भी नाभिक के स्थायित्व के लिए उत्तरदाई माना जाता है।
प्रबल नाभिकीय बल (Strong nuclear force) बल मूल बलों में प्रबलतम होता है। यह आवेश के प्रकार (Types of charges) पर निर्भर नहीं करता।
दुर्बल नाभिकीय बल (Weak nuclear force)
यह बल एक इलेक्ट्रॉन तथा एक अनावेशित कण के मध्य पाया जाने वाला आकर्षण बल है। यह अत्यंत दुर्बल (weak) होता है। अनावेशित कण के रूप में न्यूट्रींनो नाभिक में पाया जाता है। इसको FW से दर्शाते है।
प्रकृति के 4 मूल बल की आपेक्षिक प्रबलता (Relative intensity of 4 fundamental forces of nature in Hindi)
मूल बलो की आपेक्षिक प्रबलता को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) < दुर्बल नाभिकीय बल (Weak nuclear force) < विद्युतीय चुंबकीय बल (Electromagnetic force) < प्रबल नाभिकीय बल (Strong nuclear force)
FG : FW : FE : FN = 1 : 1025 : 1036: 1038
इन्हें भी पढ़े
- आपेक्षिक विद्युतशीलता या पैराविद्युतांक (Permittivity)
- आवेश का मात्रक एवं आवेशन की विधियां (Unit of charges and methods of charging)
- आवेश संरक्षण तथा आवेश का क्वांटीकृत सिद्धांत, कुलाम का नियम (Theory of conservation of charge, quantization of charge and columb’s law)
- स्थिर विद्युतिकी, विद्युत आवेश की परिभाषा, प्रकार, मात्रा तथा गुणधर्म (Definition, type, quantity and properties of static electrics, electric charge)
- भौतिकी की शाखाएँ (Branches of physics)
बाहरी कड़ियाँ
लेक्चर वीडियों
Coming Soon
ऑनलाइन टेस्ट
Coming Soon