नाइट्रोजन एवं इसके यौगिक के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म

नाइट्रोजन (Nitrogen) यह आवर्त सारणी के p-ब्लॉक के 15 वें वर्ग का प्रथम तत्व है। इसकी परमाणु संख्या 7 तथा द्रव्यमान 14 होता है। नाइट्रोजन की खोज (Discovery of Nitrogen) नाइट्रेट की खोज सर्वप्रथम सन 1772 में स्काटलैंड के प्रसिद्ध रसायनज्ञ डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। प्रारम्भ में नाइट्रोजन का नाम एजोट रखा गया। नाइटर (KNO3) का एक आवश्यक अवयवी तत्व होने के कारण इसका नाम नाइट्रोजन चेपटल नामक वैज्ञानिक ने रखा। नाइट्रोजन प्रकृति में मुक्त एंव संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाई जाती है। वायुमण्डल मुक्त नाइट्रोजन का अपार भंडार है। यह वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा (लगभग 78.06%) में पायी जाती है। संयुक्त अवस्था में यह नाइट्रेट के रूप में साल्टपीटर (NaNO3) तथा शोरे (KNO3) में पाई जाती है। उपजाऊ भूमि में नाइट्रोजन अमोनियम लवणों (NH4NO2, तथा NH4NO3) के रूप में पाई जाती है। नाइट्रोजन की प्राप्ति (Extraction of Nitrogen) (1) प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method) एक गोल पेंदे वाले फ्लास्क में नौसादर (NH4Cl) और सोडियम नाइट्राइट (NaNO2) को मिलाकर धीरे-धीरे गर्म किया जाता है जिससे अमोनियम नाइट्राइट (NH4NO2) बनता है। NH4Cl + NaNO2 → NH4NO2 + NaCl अमोनियम नाइट्राइट अपघटित होकर नाइट्रोजन गैस देता है। NH4NO2 → N2 + 2H2O (2) लिन्डे विधि द्वारा (By Linde’s process) नाइट्रोजन प्राप्तकरने की लिन्डे विधि (Linde’s process) में जूल-थामसन प्रभाव (Joule–Thomson effect) द्वारा नाइट्रोजन प्राप्त की जाती है। जूल-थामसन प्रभाव (Joule–Thomson effect) इसके अनुसार अधिक दाब (High Pressure) पर किसी गैस को किसी छोटे छिद्र से अचानक कम दाब (Low Pressure) के क्षेत्र में भेजे तो उसका ताप बहुत कम हो जाता है। अधिक दाब (High Pressure) होने के करण में गैस अणु पास-पास होते जिसके कारण उनके मध्य तीव्र आकर्षण बल (Attraction force) होता है। यदि दाब को अचानक कम कर दिया जाता है तो उस गैस के अणुओं की ऊर्जा अवशोषित (Absorbed) होती है जिससे उनका ताप कम हो जाता है। यह क्रिया बार-बार दोहराने से वह वायु द्रवित (liquidified) हो जाती है। विधि इस विधि में वायुमण्डलीय वायु को 200 वायुदाब पर सम्पीडित (Compressed) कर जल प्रशीतक (Water Refigretor) में ठन्डा किया जाता है। फिर इस वायु को निर्वात में एक जेट से गुजारा जाता है। कार्बन के अपररूप – क्रिस्टलीय एवं अक्रिस्टलीय (Allotropes of carbon – crystalline and non- crystalline) वायु को बार-बार सम्पीडित (Compressed) कर इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक वायु द्रवित नहीं हो जाती है। इस प्रकार प्राप्त द्रवित वायु का प्रभाजी वाष्पन (Affectionate vapor) करके नाइट्रोजन प्राप्त कर ली जाती है। प्रभाजी वाष्पन में नाइट्रोजन ऑक्सीजन से अधिक वाष्पशील होने के कारण पहले प्राप्त होती है। नाइट्रोजन के भौतिक गुण (Physical Properties of Nitrogen) यह रंगहीन एवं गंधहीन गैस है। द्रव अवस्था में इसका कवथनांक 77.2K तथा ठोस अवस्था में इसका गलनांक 65K है। यह जल में अल्पविलेय है। नाइट्रोजन के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Nitrogen) क्रियाशीलता (Reactivity) – यह कम क्रियाशील होती है नाइट्रोजन की रासायनिक अभिक्रियाएँ उच्च ताप व दाब (High temperature and pressure) पर होती हैं। ज्वलनशीलता (Flammability) – यह गैस अज्वलनशील है यह स्वंय नहीं जलती और ना ही जलाने में सहायक हैं। धातुओं के साथ अभिक्रिया (Reaction with metals) : रक्त तप्त गर्म अवस्था में मैग्नीशियम, एलुमिनियम, लिथियम आदि धातुएँ नाइट्रोजन के साथ अभिक्रिया कर नाइट्राइड (MN2) बनाते हैं। 3Mg + N2 → 2Mg3N2 3Ca + N2 → 2Ca3N2 6Na + N2 → 2Na3N 6K + N2 → 2K3N 2Al + N2 → AlN 6Li + N2 → 2Li3N अधातुओं के साथ अभिक्रियाएँ (Reactions with non-metals) – नाइट्रोजन, हाइड्रोजन के साथ उच्च दाब तथा 723K से 773K ताप पर अभिक्रिया करके अमोनिया गैस बनती है। इस अभिक्रिया में लोह चुर्ण तथा मलिब्डेनम उत्प्रेरक का कार्य करते है। N2 + H2 → 2NH3 अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती हैं। नाइट्रोजन, ऑक्सीजन के साथ विद्युत स्फुल्लिंग में अभिक्रिया करके नाइट्रिक ऑक्साइड गैस बनाती है। N2 + O2 → 2NO नाइट्रोजन, कार्बन के साथ विद्युत भट्टी में अभिक्रिया करके सायनोजन बनाती है। N2 + C → C2N2 कैल्सियम कार्बाइड के साथ नाइट्रोजन उच्च ताप पर क्रिया कर कैल्सियम सायनेमाइड या नाइट्रोलिम बनाती हैं। N2 + CaC2 → CaCN2 + C नाइट्रोजन के उपयोग (Uses of Nitroen) यह गैस वायुमण्डल में उपस्थित ऑक्सीजन की सक्रियता (Reactivity) को नियंत्रित (Control) करती है। जिसके कारण वस्तुएँ जलती नहीं रहती। इसके यौगिक नाइट्रोजन उर्वरक (Nitrogenous fertilizer) बनाने में काम आते हैं। ये बन्द डिब्बों , प्रयोगशाला आदि में निष्क्रिय वातावरण (Passive environment) बनाने में नाइट्रोजन काम आती हैं। यह बिजली के बल्बों (Bulbs) तथा उच्च तापमापी यंत्रों में प्रयुक्त की जाती हैं। नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of nitrogen ) वायुमण्डल की मुक्त नाइट्रोजन (Free nitrogen) से नाइट्रोजन युक्त यौगिक (Nitrogenous Compound) बनाने की क्रिया “नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen)” कहलाती हैं। वायुमण्डल में नाइट्रोजन मुक्त अवस्था (N2) में होती हैं, जबकि विभिन्न नाइट्रोजनीय यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन संयुक्त अवस्था में होती हैं। नाइट्रोजन का स्थिरीकरण दो प्रकार से होता है- औद्योगिक रूप में जैविक रूप में (i) औद्योगिक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (अ) नाइट्रिक अम्ल का निर्माण बर्कलैंड आइड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल का निर्माण किया जाता है। वायु को विद्युत् आर्क में से गुजारने पर नाइट्रोजन (N2) ऑक्सीजन (O2) से संयुक्त होकर नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) बनाती है। N2 + O2 → 2NO नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) ठण्डी होने पर ऑक्सीजन (O2) से मिलकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) बनाती हैं। 2NO + O2 → 2NO2 नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO2) को जल में अवशोषित करने पर नाइट्रीक अम्ल बनता (HNO3) है। 2NO2 + H2O → HNO2 + HNO3 (ब) अमोनिया का निर्माण करने में हैबर विधि (Haber Method) द्वारा अमोनिया का निर्माण किया जाता है। वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का हाइड्रोजन के साथ 1:3 के अनुपात में उच्च दाब व कम ताप पर उत्प्रेरक लोह चुर्ण तथा मोलिब्डेनम की उपस्थिति में संयोग कराने पर अमोनिया का निर्माण होता है। N2 + H2 → 2NH3 (ii) जैविक रूप में नाइट्रोजन स्थिरीकरण लेग्युमिनेसी कुल के पादपों (मूंगफली, मटर, चना, सोयाबीन) की जड़ों में गांठे पाई जाती हैं जिनमें सहजीवी जीवाणु (राइजोबियम) पाये जाते हैं। ये जीवाणु (bacteria) वायुमण्डलीय नाइट्रोजन (Atmospheric nitrogen) को सीधे ग्रहण कर नाइट्रोजन के यौगिकों (Nitrogenous Compund) में बदल देते हैं जिन्हें पादप ग्रहण कर लेते हैं। मिटटी में पाये जाने वाले ऐजोटोबेक्टर (Azotebacter) जीवाणु भी मुक्त नाइट्रोजन … Continue reading नाइट्रोजन एवं इसके यौगिक के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म