जीवद्रव्य की प्रकृति
जीवद्रव्य की प्रकृति के बारे में निम्न मत दिये गये-
कुपिका सिद्धांत (ALVEOLAR THEORY):
यह बुचली(BUTCHLLI )द्वारा सुझाई गई थी। उनके अनुसार, जीवद्रव्य एक पायस है जिसमें कई निलंबित बूंदें या एल्वियोली या कुपिका होते हैं, जो हर जगह फैले रहते हैं।
कणिकामय या दानेदार सिद्धांत(GRANULAR THEORY):
इस सिद्धांत को ऑल्टमान द्वारा दिया गया था। इसके अनुसार, जीवद्रव्य में कई छोटे कण होते हैं, जैसा कि अमीबा में दिखाया गया है। ऑल्टन ने उन्हें ‘प्राथमिक जीव’, या बायोप्लास्ट ( and cytoplasts) के रूप में पहचाना।
जालिका सिद्धांत(RECTICULAR THEORY):
इसके अनुसार जीवद्रव्य में तंतु के सघन जालक होते हैं।
तंतुमय सिद्धांत(FIBRILLAR THEORY):
इसको फ्लेमिंग ने दिया था उनके अनुसार, जीवद्रव्य में मैट्रिक्स (पीठिका) के भीतर धंसे तंतु शामिल हैं।
कोलाइडी सिद्धांत(COLLOIDAL THEORY):
जीवद्रव्य एक जटिल कोलाइडी तंत्र है इसकी कोलाइडी संरचना फ़िशर और हार्डी द्वारा सुझाई गई थी। इसमें अधिकांश मात्रा में जल शामिल है जिसमें जैविक महत्व के विभिन्न विलायकों जैसे ग्लूकोज, वसा अम्ल, अमिनो अम्ल, खनिज, विटामिन, हार्मोन और एंजाइम्स पाये जाते हैं।
जीवद्रव्य में जल परिक्षेपण प्रावस्था तथा कोलाइडी कण परिक्षेपित प्रावस्था का निरूपण करते हैं।
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