पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह (Energy Flow in an Ecosystem)
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ऊर्जा का स्रोत (Source of Energy):
सूर्य सभी पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। सौर ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्रों में प्रकाश संश्लेषण सक्रिय विकिरण (Photosynthetically Active Radiation – PAR) के माध्यम से प्रवेश करती है, जिसका उपयोग पौधे और प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया भोजन संश्लेषित करने के लिए करते हैं।
ऊर्जा का अवशोषण और स्थानांतरण (Energy Capture and Transfer):
पौधे केवल 2-10% PAR को ग्रहण करते हैं, जिसका उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों को जीवित रखने के लिए किया जाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह एक दिशा में होता है, सूर्य से उत्पादकों (पौधों) और फिर विभिन्न स्तरों के उपभोक्ताओं (शाकाहारी, मांसाहारी) तक। यह प्रवाह ऊष्मागतिकी के नियमों के अनुसार है। पहला नियम (ऊर्जा संरक्षण) सौर ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति में देखा जाता है, और दूसरा नियम (एंट्रोपी) ऊर्जा के स्थानांतरण के दौरान उष्मा के रूप में ऊर्जा की क्षती के रूप में देखा जाता है।
जीवों की भूमिकाएँ (Roles of Organisms):
उत्पादक (Producers) जैसे पौधे, शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। उपभोक्ता (Consumers) वे जीव हैं जो उत्पादकों या अन्य उपभोक्ताओं पर निर्भर करते हैं: प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers) शाकाहारी होते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumers) मांसाहारी होते हैं, और तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers) प्राथमिक और द्वितीयक उपभोक्ताओं दोनों पर निर्भर हो सकते हैं।
खाद्य श्रृंखला (Food Chain ):
पारितंत्र में ऊर्जा का स्थानांतरण खाद्य श्रृंखलाओं और खाद्य जालों के माध्यम से होता है, जिसमें प्रत्येक जीव एक विशिष्ट पोषण स्तर (Trophic Level) पर होता है।
जब ऊर्जा का प्रवाह पोषण स्तर (Trophic Level) से दूसरे पोषण स्तर (Trophic Level) में होता है तो एक श्रृंखला का निर्माण होता है, जिसे खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
खाद्य श्रृंखला दो प्रकार की होती है –
- चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing Food Chain – GFC)
- अपरद खाद्य श्रृंखला (Detritus Food Chain – DFC)
चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing Food Chain – GFC)
यह उत्पादकों से शुरू होती है और तृतीयक उपभोक्ताओं पर समाप्त होती है।
जैसे पादप → कीट → छिपकली → साँप
अपरद खाद्य श्रृंखला (Detritus Food Chain – DFC)
यह मृत जैविक पदार्थ से शुरू होती है और इसमें अपघटक (Decomposers) जैसे कवक, बैक्टीरिया शामिल होते हैं जो अपरद को अपघटित करते हैं और पोषक तत्वों को पारिस्थितिकी तंत्र में वापस छोड़ते हैं।
जैसे अपरद → अपरदहारी (केंचुआ) → छिपकली → साँप
ऊर्जा हानि (Energy Loss)
पोषण स्तरों (Trophic Levels) के बीच ऊर्जा का स्थानांतरण अक्षम होता है, केवल लगभग 10% ऊर्जा अगले स्तर तक पहुँचती है (10% का नियम)। शेष 90% ऊष्मा के रूप में क्षय हो जाती है। यह हानि पारिस्थितिकी तंत्र में पोषण स्तरों (Trophic Levels) की संख्या को सीमित करती है।
खड़ी फसल (Standing Crop)
खड़ी फसल (Standing Crop) पारिस्थितिकी तंत्र में किसी विशेष समय पर जीवित जीवों की कुल जैव मात्रा (Biomass) होती है, जिसे शुष्क वजन या प्रति इकाई क्षेत्र में जीवों की संख्या के रूप में मापा जाता है।
खाद्य जाल की जटिलता (Complexity of Food Web)
खाद्य जाल एक जटिल नेटवर्क है, जिसमें कई खाद्य श्रृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं। यह विभिन्न खाद्य श्रृंखलाओं का संयोजन होता है, जो एक पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों के भोजन और पोषण पर निर्भरता को दर्शाता है।
प्रकृति में, जीव कई अन्य जीवों द्वारा भक्षण किया जा सकता है और स्वयं भी कई जीवों का उपभोग कर उर्जा प्राप्त सकता है, जिससे कई खाद्य श्रृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं, जिससे जटिल खाद्य जाल (Food Webs) बनते हैं। खाद्य जाल पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
Energy Flow in an Ecosystem, पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह
पोषण स्तर (Trophic Levels)
पोषण स्तर (Trophic Levels) खाद्य श्रृंखला में जीवों की स्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जंतुओं को, उनके आहार के तरीकों के आधार पर, विभिन्न पोषण स्तरों (Trophic Levels) पर वर्गीकृत किया जा सकता है। जो निम्न प्रकार है –
- पहला पोषण स्तर (First Trophic Level) – उत्पादक (Producers)
- दूसरा पोषण स्तर (Second Trophic Level) – प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers – Herbivores),
- तीसरा पोषण स्तर (Third Trophic Level) – द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumers – Carnivores)
- चौथा पोषण स्तर (Fourth Trophic Level) – तृतीयक उपभोक्ता – सर्वोत्तम मांसाहारी (Tertiary Consumers – Top Carnivores)
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