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अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis in Hindi)

यह एक विशेष प्रकार का कोशिका विभाजन (Cell Division) है जो लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) के लिए आवश्यक होता है। यह गुणसूत्रो (Chromosomes) की संख्या को आधा कर देता है, ताकि संतति (Offspring) को प्रत्येक माता-पिता से एकल सेट गुणसूत्र प्राप्त हो। इस प्रक्रिया से एक द्विगुणित (Diploid) कोशिका से चार अगुणित (Haploid) कोशिकाएँ उत्पन्न होती हैं, जिनमें प्रत्येक में एक सेट क्रोमोसोम होते हैं।


अर्द्धसूत्री विभाजन का इतिहास (History of Meiosis)

खोज (Discovery)

अर्द्धसूत्री विभाजन को पहली बार 1876 में ऑस्कर हर्टविग (Oscar Hertwig) द्वारा सी अर्चिन (Sea Urchin) के अंडों में वर्णित किया गया था। इसके बाद 1883 में एडुआर्ड वैन बेनेडेन (Edouard Van Beneden) ने इसे क्रोमोसोम स्तर (Chromosome Level) पर एस्कैरिस कृमि (Ascaris Worm) के अंडों में देखा।

शब्दावली (Terminology)

“अर्द्धसूत्री विभाजन / Meiosis” शब्द का प्रयोग 1905 में जे.बी. फार्मर (J.B. Farmer) और जे.बी. मूर (J.B. Moore) द्वारा किया गया था।


अर्द्धसूत्री विभाजन कहाँ होता है? (Where Does Meiosis Occur?)

  • अर्द्धसूत्री विभाजन लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) करने वाले यूकेरियोटिक जीवों (Eukaryotic Organisms) में होता है।
  • पशुओं (Animals) में यह प्रजनन कोशिकाओं (Reproductive Cells) यानी युग्मक (Gametes: Sperm और Egg) में होता है।
  • निम्न पौधों – Lower Plants) में निषेचन (Fertilization) के बाद अर्द्धसूत्री विभाजन होता है
  • उच्च पौधों (Higher Plants) के पौधों में निषेचन से पहले युग्मक निर्माण (Gamete Formation) के समय अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।

अर्द्धसूत्री विभाजन के चरण (Phases of Meiosis)

अर्द्धसूत्री विभाजन में दो मुख्य चरण होते हैं:

  1. अर्द्धसूत्री विभाजन I (Meiosis I)
  2. अर्द्धसूत्री विभाजन II (Meiosis II)

 

अर्द्धसूत्री विभाजन I: न्यूनकारी विभाजन (Reductional Division)

यह चरण गुणसूत्रो की संख्या (Chromosome Number) को आधा कर देता है। इसे विषमकारी विभाजन (Heterotypic Division) भी कहते है यह निम्न चरणों में होता है-

  1. प्रोफेज I (Prophase I)
  2. मेटाफेज I (Metaphase I)
  3. एनाफेज I (Anaphase I)
  4. टेलोफेज I (Telophase I)
  5. साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis)

 

प्रोफेज I (Prophase I)

यह निम्न उप-प्रावस्थाओं में सम्पन्न होता है-

लेप्टोटीन (Leptotene) या लेप्टोनेमा (Leptonema)

  • क्रोमोसोम लंबी पतली धागों में संघनित (Condensed) हो जाते हैं, लेकिन क्रोमेटिड्स (Chromatids) पहचानने योग्य नहीं होते। इन क्रोमोसोम में गहरे रंग के दानेदार संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें क्रोमोमेर (Chromomeres) कहा जाता है।
  • क्रोमोसोम लूप बनाते हैं, जिनके सिरे केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) पर अटैचमेंट प्लेट (Attachment Plate) से जुड़े होते हैं। क्रोमोसोम की यह विशेष व्यवस्था “बुके स्टेज” (Bouquet Stage) कहलाती है।

जाइगोटीन (Zygotene)या जाइगोनिमा (Zygonema) या सिनेप्टिक चरण (Synaptic Stage) 

  • समजात क्रोमोसोम (Homologous Chromosomes) एक साथ आते हैं और बाइवलेंट्स (Bivalents) बनाते हैं।
  • समजात क्रोमोसोम की इस जोड़ी को सिनेप्सिस (Synapsis) भी कहा जाता है।
  • प्रत्येक समजात जोड़े में एक क्रोमोसोम मां से अंडाणु (Ova) के माध्यम से आता है, जिसे मातृक गुणसूत्र (Maternal Chromosome) कहा जाता है, और दूसरा पिता से शुक्राणु (Sperm) के माध्यम से आता है, जिसे पैतृक गुणसूत्र (Paternal Chromosome) कहा जाता है।

 

पेकेटीन (Pachytene) या पेकाइनिमा (Pachynema):

  • क्रोमोसोम और अधिक संघनित होते हैं और क्रॉसिंग ओवर (Crossing Over) होता है।
  • एक समजात जोड़ी में एक क्रोमोसोम के सिस्टर क्रोमेटिड्स के सापेक्ष दूसरे क्रोमोसोम के सिस्टर क्रोमेटिड्स को गैर-सिस्टर क्रोमेटिड्स (Non-Sister Chromatids) कहा जाता है।
  • इस चरण की विशेषता है कि क्रॉसिंग ओवर (Crossing Over) नामक प्रक्रिया के द्वारा गैर-सिस्टर क्रोमेटिड्स के बीच जीन का आदान-प्रदान होता है।
  • क्रॉसिंग ओवर एक एंजाइम-संचालित प्रक्रिया है, जिसमें रिकॉम्बिनेस (Recombinase) एंजाइम शामिल होता है।

डिप्लोटीन (Diplotene) या डिप्लोनेमा (Diplonema):

  • समजात क्रोमोसोम थोड़ा अलग हो जाते हैं और क्रॉसिंग ओवर दिखाई देता है।
  • प्रोफेज-I का सबसे लंबा चरण होता है। इसमें सिनेप्टोनमल कॉम्प्लेक्स (Synaptonemal Complex) का विघटन (Dissolution) होता है, जिससे समजात क्रोमोसोम अलग होने लगते हैं।
  • क्रॉसिंग ओवर की जगहों पर क्रोमोसोम जुड़े रहते हैं, जिन्हें काएज्मेटा (Chiasmata, X- आकृति की संरचनाएँ) कहा जाता है।
  • कुछ कशेरुकी जीवों के ओसाइट्स (Oocytes) में डिप्लोटीन कई महीनों या वर्षों तक चल सकता है। इसे डिक्टीोटीन (Dictyotene) कहा जाता है।

डायकिनेसिस (Diakinesis): क्रोमोसोम अधिक संघनित होते हैं और तर्कु तंतु (Spindle Fiber) बनने लगते हैं।

  • काएज्मेटा (Chiasmata) का पूर्ण रूप से समाप्तिकरण (Terminalization) होता है।
  • केन्द्रक झिल्ली (Nucleolar Membrane) और केंद्रिका (Nucleolus) का विघटन (Disintegrate) होता है।
  • सेंट्रिओल्स (Centrioles) ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, और एस्टर (Aster) बनते हैं। यह प्रोफेज-I का अंत और मेटाफेज-I की शुरुआत दर्शाता है।

मेटाफेज I (Metaphase I)

  • बाइवलेंट्स (Bivalents) बाइपोलर स्पिंडल (Bipolar Spindle) के मध्य में व्यवस्थित होते हैं।
  • क्रोमोसोम कोशिका के मध्य पट्टिका पर (Equatorial Plate) पंक्तिबद्ध होते हैं, और तर्कु तंतु उनके सेंट्रोमियर/ गुणसूत्रबिंदु(Centromere) से जुड़ते हैं।
  • प्रत्येक बाइवलेंट के दो सेंट्रोमीयर (Centromere) होते हैं।

 

एनाफेज I (Anaphase I):

  • प्रत्येक समजात जोड़ी का एक गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर बढ़ता है।
  • समजात क्रोमोसोम विपरीत ध्रुवों (Opposite Poles) की ओर खींचे जाते हैं
  • लेकिन सिस्टर क्रोमेटिड्स (Sister Chromatids) जुड़े रहते हैं।
  • इस चरण में क्रोमोसोम की संख्या में वास्तविक कमी होती है।

टेलोफेज I (Telophase I)

  • क्रोमोसोम ध्रुवों पर पहुंचते हैं
  • केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Envelope) फिर से बनती है।

अर्द्धसूत्री विभाजन Meiosis in Hindi

साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis)

  • कोशिका द्रव्य के विभाजन के साथ दो अगुणित (n) कोशिकाएँ बनती हैं।

अर्द्धसूत्री विभाजन II: समानकारी डिवीजन (Equational Division)

यह चरण समसूत्री विभाजन (Mitosis) के समान होता है, जिसमें क्रोमेटिड्स अलग हो जाते हैं।

  1. प्रोफेज II (Prophase II): कोई डीएनए प्रतिकृति (DNA Replication) नहीं होती। क्रोमोसोम संघनित होते हैं, न्यूक्लियर झिल्ली समाप्त (Disintegrate) होती है, और स्पिंडल फाइबर (Spindle Fiber) बनते हैं।
  2. मेटाफेज II (Metaphase II): क्रोमोसोम फिर से मध्य पंक्ति (Equatorial Plate) पर आते हैं, और स्पिंडल फाइबर सेंट्रोमियर से जुड़ते हैं।
  3. एनाफेज II (Anaphase II): सेंट्रोमियर (Centromere) विभाजित हो जाता है, और सिस्टर क्रोमेटिड्स (Sister Chromatids) अलग होकर विपरीत ध्रुवों की ओर खींचे जाते हैं।
  4. टेलोफेज II (Telophase II): न्यूक्लियर झिल्ली फिर से बनती है, क्रोमोसोम पतले धागों में संघनित (Decondense) हो जाते हैं
  5. साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis) इसके बाद चार अगुणित (Haploid) कोशिकाएँ बनती हैं।

अर्द्धसूत्री विभाजन Meiosis in Hindi


अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व (Importance of Meiosis)

क्रोमोसोम की संख्या में कमी (Reduction of Chromosome Number)

अर्द्धसूत्री विभाजन यह सुनिश्चित करता है कि युग्मक (Gametes) हैप्लॉइड (n) होते हैं, ताकि प्रजनन के दौरान प्रजातियों (Species) की क्रोमोसोम संख्या स्थिर बनी रहे।

आनुवांशिक विविधता (Genetic Variation)

प्रोफेज I (Prophase I) के दौरान क्रॉसिंग ओवर (Crossing Over) आनुवांशिक विविधता (Genetic Diversity) को बढ़ावा देता है, जो नई लक्षणों की उत्पत्ति में सहायक होता है।

क्रोमोसोम मैपिंग (Chromosome Mapping)

पुनर्संयोजन (Recombination) की प्रक्रिया क्रोमोसोम की मैपिंग (Mapping of Chromosomes) में मदद करती है, जिससे विशिष्ट जीनों (Genes) की पहचान की जा सकती है।

 

इन्हें भी पढ़े

  1. कोशिका चक्र तथा इसकी प्रावस्थाएँ
  2. Cyclin-Dependent Protein Kinases (CDKs) और Cyclin प्रोटीन
  3. समसूत्री विभाजन (Mitosis)
  4. कोशिका चक्र एवं कोशिका विभाजन

 

बाहरी कड़ियाँ

https://www.britannica.com/science/meiosis-cytology

https://www.sciencedirect.com/topics/agricultural-and-biological-sciences/meiosis

 

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