कुनैन या सिनकोना ओफिसिनेलिस Quinine / Cinchona officinalis in hindi
कुनैन का परिचय (Introduction)
हिन्दी नाम – ”कुनैन“ या ”क्यूनीन“
अंग्रेजी नाम – “जेसुइट बार्क“ या ”पेरूवियन बार्क“ (Peruvian bark) या ”काऊन्टीस बार्क“ (Countess bark)
वैज्ञानिक नाम – सिनकोना ऑफीसीनेलिस
सिनकोना ऑफिसिनैलिस का वर्गीकरण (Classification of Cinchona Officinalis)
Kingdom | Plantae – Plants |
Division | Magnoliophyta – Flowering plants |
Class | Magnoliopsida – Dicotyledons |
Subclass | Asteridae |
Order | Rubiales |
Family | Rubiaceae Juss. – Madder family |
Genus | Cinchona L. – cinchonaP |
Species | Cinchona officinalis L. – quinineP |
द्विबीजपत्री (dicotyledanae) वर्ग का तथा “रूबियेसी” (Rubiaceae) कुल का पादप है।
कुनैन का वितरण (Diversification of quinine)
यह पादप मूल रूप से पैरू देश में पाया जाता है। इसकी अनेक जातियां भारत, इण्डोनेशिया तथा जावा द्वीप में उगाई जाती है।
सिनकोना लैडजिराइना (Cinchona Lidgeriana) से अधिक मात्रा में कुनैन प्राप्त होती है। इसकी सर्वाधिक खेती जावा द्वीप में होती है।
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कुनैन का स्वभाव (Habit and Habitat)
- यह मध्यम वृक्ष तथा “बहुवर्षीय“ होता है।
- इस पादप की खोज का श्रेय “ले. कोन्डामीन” (La- Condamine) को जाता है। इसको सर्वप्रथम दक्षिणी अमेरिका (पैरू) खोजा गया
- सिनकोना पादप का नाम पैरू के वाइसराय की पत्नी सिनकोन (Cinchon) के नाम पर “लीनीयस” (Linnaeus) ने रखा।
- भारत में इस पादप को जावा द्वीप से सर्वप्रथम “एण्डरसन”(Anderson) ने किया।
औषधी का स्त्रोत (source of medicine)
सिनकोना वंश के वृक्षों की छाल से “कुनेन” प्राप्त की जाती है। सर्वप्रथम छाल को स्तम्भ, शाखाओं तथा जड़ ;मुख्यतः स्तम्भद्ध से वर्षा के मौसम में अलग किया जाता है। छाल में लगभग 25 प्रकार के एल्केलौइड पाये जाते हैं।
जिनमें मुख्य है क्यूनीन (Qunine), कुनीडीन (Quinidine), सिनकोनीन (Cinchonine) तथा सिनकोनीडीन (Cinchonidine) है इन चारो एल्केलाॅइड के संयुक्त रूप में टोटोक्यून (Totoquine) कहते हैं।
क्यूनीन (Quinine) का सूत्र C20H24O2N2 होता है।
छाल से कुनैन, कुनीन सल्फेट (Qunines sulphate) के रूप में प्राप्त की जाती है।
कुनैन का औषधीय उपयोग (Medicinal Use of Quinine)
कुनैन का सर्वाधिक महत्त्व उपयोग मलेरिया के उपचार में किया जाता है। यह मलेरियल परजीवी की अलैंगिक अवस्था, साइजोन्ट (Schizont stage) पर प्रभावी होती है।
यह जीवाणु नाशक (Antibacterial) होने के कारण, जीवाणु संक्रमण में तथा न्युमीनिया के इलाज में उपयोग की जाती है।
कुनैन के अतिरिक्त कुनीडीन का उपयोग हृदय गति को मन्द करने (Inhibit auricular fibrillation) में होता है।
इसका उपयोग प्रोटोजाॅन संक्रमण में भी प्रभावी होता है। अतः इसका उपयोग “अमीबीय पेचिस” (Amoebic-dysentry) में होता है
कुनैन कीट प्रतिकर्षी (Insect repellent) होती है। इसका उपयोग कीमती वस्त्रों की सुरक्षा, फर तथा पंखो की सुरक्षा में उपयोगी होता है।
इसका उपयोग बालों के लोशन बनाने में भी किया जाता है।
कुनैन को लेप गठिया ग्रस्त अंगों पर करने से आराम मिलता है।
दुष्परिणाम (Side Effects)
कुनीन के अधिक मात्रा में सेवन से अन्धापन, बहरापन,ढ़ीलापन, आदि हो सकते है। हृदय रोगियों व गर्भवती महिलाओं को कुनैन नहीं दी जानी चाहिए।
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