एड्स के लक्षण और रोकथाम कक्षा 12 जीवविज्ञान नोट्स
एड्स (AIDS) के लक्षण और रोकथाम कक्षा 12 जीवविज्ञान नोट्स
परिभाषा (Definition)
एड्स (AIDS) का पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome (उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता संलक्षण) है। यह एक घातक बीमारी है जो ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण के कारण होती है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं, विशेष रूप से CD4 (सीडी4) टी-कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
CD4 प्रोटीन टी-लिम्फोसाइट्स के एक प्रकार (सहायक टी-कोशिकाएं) पर पाया जाता है। यह मैक्रोफेज की सतह पर भी पाया जाता है, जिससे वे भी HIV से संक्रमित हो जाते हैं।
एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।
एचआईवी वायरस के प्रकार (Types of HIV Virus):
एचआईवी के दो प्रकार हैं
एचआईवी-1 (HIV-1)
HIV-1 सबसे सामान्य प्रकार है जो एड्स का मुख्य कारण बनता है और वैश्विक स्तर पर व्यापक रूप से पाया जाता है।
एचआईवी-2 (HIV-2)
HIV-2 मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीका में पाया जाता है और इसकी रोगजनकता कम होती है। अफ्रीका के जंगली हरे बंदरों के रक्त में पाए जाने वाला सीमिअन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस (SIV) HIV-2 के समान है।
एचआईवी का संरचना (Structure of HIV):
HIV एक रेट्रोवायरस है जो रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ एंजाइम का उपयोग करके RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) से डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) को संश्लेषित करता है।
पश्चविषाणु (Retro Virus) उस वायरस को कहते हैं, जिसमें अनुवांशिक पदार्थ के रूप में आरएनए पाया जाता है। और वह अपने RNA का उपयोग करके डीएनए का निर्माण करता है।
इसका जीनोम एकल रज्जुकीय RNA के दो अणुओं से मिलकर बना होता है और इसे द्विगुणित (diploid) कहा जाता है। HIV का कोर RNA और रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ से मिलकर बना होता है और इसमें प्रोटीन के दो आवरण पाए जाते हैं।
प्रोटीन के आंतरिक आवरण (p24) से घिरा होता है। कोर के बाहर एक और प्रोटीन बाह्य आवरण (p17) होता है, जबकि सबसे बाहरी आवरण ग्लाइकोप्रोटीन (gp120 और gp41) के साथ धंसी हुई फॉस्फोलिपिड द्विपरत से मिलकर बना होता है।
“एड्स (AIDS) मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावित करता है कक्षा 12 जीवविज्ञान में”
संक्रमण का तरीका (Modes of Transmission):
HIV का संचरण मुख्य रूप से शरीर के तरल पदार्थों जैसे कि रक्त, वीर्य, योनि स्राव, और स्तन दूध के माध्यम से होता है। इसके संक्रमण के सामान्य तरीके हैं:
यौन संपर्क (Sexual Contact)
असुरक्षित यौन संबंध, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के साथ बिना कंडोम के यौन संबंध शामिल हैं।
रक्त संक्रमण (Blood Transmission)
संक्रमित सुइयों का उपयोग, दूषित रक्त का आधान, या साझा इंजेक्शन उपकरणों के माध्यम से।
मां से बच्चे में संचरण (Mother-to-Child Transmission)
गर्भावस्था, प्रसव, या स्तनपान के दौरान संक्रमित मां से शिशु में वायरस का संचरण हो सकता है।
HIV की रोगजनकता (Pathogenicity of HIV)
एड्स के विकास में HIV की रोगजनकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। HIV मुख्य रूप से सहायक टी-लिम्फोसाइट्स (CD4 कोशिकाओं) को संक्रमित करता है, जिससे ये कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती जाती हैं। जैसे-जैसे CD4 कोशिकाओं की संख्या घटती जाती है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के अवसरवादी संक्रमणों (opportunistic infections) के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
सहायक टी लिम्फोसाइट के अलावा, यह मैक्रोफेज कोशिकाओं का भी संक्रमित करता है और उन कोशिकाओं में अपने संख्या बढ़ाता है। इसके लिए मैक्रोफेज कोशिकाओं को एचआईवी की फैक्टरी कहा जाता है।
लक्षण और चरण (Symptoms and Stages):
अलक्षित चरण (Asymptomatic Phase): यह चरण 2-10 साल तक चलता है। पहले 2-12 सप्ताह में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते और इस दौरान वायरस का संक्रमण अत्यधिक होता है। इस अवधि को “विंडो पीरियड” (Window Period) कहा जाता है, जब ELISA परीक्षण नकारात्मक हो सकता है।
एड्स-संबंधित कॉम्प्लेक्स (AIDS-Related Complex – ARC): इस चरण में हल्के लक्षण जैसे कि सूजी हुई लसीका ग्रंथियाँ, बुखार, बार-बार दस्त, वजन कम होना, और लंबी खांसी शामिल हैं।
फुल-ब्लोन एड्स (Full-Blown AIDS): जब CD4 कोशिकाओं की संख्या 200 x 106/L से कम हो जाती है, तब व्यक्ति पूरी तरह से प्रतिरक्षा विहीन हो जाता है। इस स्थिति में कई प्रकार के संक्रमण और रोग उत्पन्न होते हैं, जैसे कि न्यूमोसिस्टिस कारिनी न्यूमोनिया (Pneumocystis carinii pneumonia), कैंडिडायसिस (Candidiasis), कपोसी सारकोमा (Kaposi’s sarcoma), टॉक्सोप्लाज्मा संक्रमण (Toxoplasmosis), और ल्यूकेमिया।
निदान (Diagnosis):
प्रारंभिक जांच (Screening Test): HIV का पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay) द्वारा की जाती है।
पुष्टिकरण परीक्षण (Confirmatory Test): Western Blot Test द्वारा ELISA की पुष्टि की जाती है।
मॉलिक्यूलर टेस्टिंग (Molecular Testing): HIV के न्यूक्लिक एसिड की उपस्थिति का पता लगाने के लिए Polymerase Chain Reaction (PCR) का उपयोग किया जाता है।
उपचार (Treatment)
एड्स के उपचार में Highly Active Antiretroviral Therapy (HAART) का उपयोग किया जाता है, जो रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज़ और प्रोटीज इनहिबिटर्स का संयोजन है। यह उपचार रोगियों के जीवन को लम्बा कर सकता है लेकिन बीमारी को पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकता।
प्रमुख दवाओं में ज़िडोवुदिन (AZT), स्टावुडिन (Stavudine), डिडानोसिन (Didanosine), और रिटोनाविर (Ritonavir) शामिल हैं। ये दवाएं HIV के प्रतिकृति (replication) को रोकने के लिए उपयोग की जाती हैं।
रोकथाम (Prevention)
एड्स का कोई इलाज नहीं होने के कारण, रोकथाम सबसे अच्छा विकल्प है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:
- जन शिक्षा (Public Education): NACO (National AIDS Control Organization) और अन्य गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एड्स के बारे में जागरूकता फैलाना।
- सुरक्षित यौन संबंध (Safe Sexual Practices): कंडोम का उपयोग और सुरक्षित यौन संबंध को बढ़ावा देना।
- संक्रमण की जांच (Screening of Blood): रक्त दान और रक्त आधान से पहले रक्त की जांच करना।
- स्वच्छता और सुरक्षित उपकरणों का उपयोग (Use of Sterile Equipment): केवल स्टेरलाइज्ड सिरिंज और सुइयों का उपयोग करना और संक्रमित रक्त या तरल पदार्थों से बचना।
- समाज का योगदान (Societal Contribution) एड्स से संक्रमित लोगों को समाज से सहानुभूति और समर्थन की आवश्यकता होती है, न कि बहिष्कार की। एड्स को नियंत्रित करने के लिए समाज और चिकित्सा समुदाय को मिलकर काम करना होगा, जिससे इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सके।
AIDS virus structure and function for Class 12 biology notes in Hindi
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