
ब्लूम की वर्गीकृत योजना (Bloom’s Taxonomy in Hindi)
ब्लूम की वर्गीकृत योजना (Bloom’s Taxonomy in Hindi) शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली प्रणाली है, जिसका उद्देश्य शैक्षिक उद्देश्यों और शिक्षण विधियों को व्यवस्थित और सरल बनाना है।
इसे बेंजामिन ब्लूम और उनकी टीम ने 1956 में विकसित किया था। यह योजना तीन प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है: ज्ञानात्मक (Cognitive), भावनात्मक (Affective) और मनोदैनिक (Psychomotor)। इसके तहत सीखने की प्रक्रिया को चरणों में विभाजित किया गया है, जो सरल से जटिल स्तर तक जाते हैं।
1. ब्लूम की वर्गीकृत योजना का महत्व
शिक्षकों और छात्रों के लिए लाभ:
- शिक्षण का संरचनात्मक ढांचा: शिक्षकों को पाठ्यक्रम और मूल्यांकन डिज़ाइन करने में मदद करता है।
- सीखने के उद्देश्य स्पष्ट करना: छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि उन्हें किस स्तर तक ज्ञान प्राप्त करना है।
- उच्च-स्तरीय सोच विकसित करना: छात्रों को केवल याद करने के बजाय अवधारणाओं का विश्लेषण और निर्माण करना सिखाता है।
- विविध मूल्यांकन प्रणाली: सभी स्तरों पर छात्रों की क्षमताओं का आकलन किया जा सकता है, जैसे तथ्यात्मक ज्ञान, अवधारणात्मक समझ, और रचनात्मकता।
2. ज्ञानात्मक क्षेत्र (Cognitive Domain) का विस्तृत विवरण
यह क्षेत्र मानसिक कौशल और जानकारी के अधिग्रहण पर केंद्रित है। इसे छह चरणों में विभाजित किया गया है।
i. याद करना (Remember):
- यह सबसे बुनियादी स्तर है, जिसमें छात्र तथ्यों, अवधारणाओं, और परिभाषाओं को याद रखते हैं।
- उदाहरण: “पौधों के प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को परिभाषित करें।”
- उपयोग: प्राथमिक स्तर की शिक्षा, जहां बुनियादी ज्ञान आवश्यक होता है।
ii. समझना (Understand):
- इस चरण में छात्र सामग्री को समझते हैं और उसे अपने शब्दों में व्यक्त कर सकते हैं।
- उदाहरण: “प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के बीच अंतर स्पष्ट करें।”
- उपयोग: विज्ञान और समाजशास्त्र जैसे विषयों में अवधारणात्मक समझ विकसित करने के लिए।
iii. लागू करना (Apply):
- छात्र सीखे हुए ज्ञान को नई समस्याओं को हल करने में प्रयोग करते हैं।
- उदाहरण: “दे दिए गए आंकड़ों का उपयोग करके पौधे की वृद्धि की दर की गणना करें।”
- उपयोग: गणित, भौतिकी, और व्यवसाय प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में।
iv. विश्लेषण करना (Analyze):
- इसमें छात्र जानकारी को भागों में विभाजित करते हैं और उनके बीच संबंध स्थापित करते हैं।
- उदाहरण: “किस प्रकार पर्यावरणीय कारक जैव विविधता को प्रभावित करते हैं?”
- उपयोग: अनुसंधान और लेखन में, जहां तर्क और समस्याओं का विश्लेषण आवश्यक है।
v. मूल्यांकन करना (Evaluate):
- छात्र किसी सामग्री या विचार का मूल्यांकन करते हैं और निर्णय लेते हैं।
- उदाहरण: “जलवायु परिवर्तन पर सरकार की नीति को आलोचनात्मक रूप से मूल्यांकन करें।”
- उपयोग: साहित्यिक आलोचना, नीति निर्माण, और नैतिक मूल्यांकन में।
vi. निर्माण करना (Create):
- यह सबसे उच्च स्तर है, जिसमें छात्र नए विचार और उत्पाद बनाते हैं।
- उदाहरण: “एक ऐसा उत्पाद डिज़ाइन करें जो कार्बन उत्सर्जन को कम कर सके।”
- उपयोग: उद्यमिता, डिजाइन, और रचनात्मक लेखन में।
3. भावनात्मक क्षेत्र (Affective Domain) का विस्तृत विवरण
यह क्षेत्र छात्रों की भावनाओं, दृष्टिकोणों, और मूल्यों से संबंधित है। इसके पांच स्तर हैं:
- प्राप्त करना (Receiving):
- छात्र ध्यान देते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र कक्षा में शिक्षक के निर्देश सुनते हैं।”
- प्रतिक्रिया देना (Responding):
- छात्र जानकारी के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हैं।”
- मूल्यांकन करना (Valuing):
- छात्र किसी अवधारणा, घटना, या वस्तु का महत्व समझते हैं।
- उदाहरण: “छात्र पर्यावरण संरक्षण के महत्व को स्वीकार करते हैं।”
- संगठन करना (Organizing):
- छात्र विभिन्न मूल्यों और सूचनाओं को व्यवस्थित करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र अपनी समय सारणी को प्राथमिकताओं के आधार पर व्यवस्थित करते हैं।”
- चरित्र निर्माण (Characterizing):
- छात्र अपने मूल्य और दृष्टिकोण को व्यवहार में लागू करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र नियमित रूप से समाज सेवा में भाग लेते हैं।”
4. मनोदैनिक क्षेत्र (Psychomotor Domain) का विस्तृत विवरण
यह क्षेत्र शारीरिक कौशल और समन्वय से संबंधित है। इस क्षेत्र के उदाहरण व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा में अधिक देखे जाते हैं। इसके प्रमुख स्तर निम्नलिखित हैं:
- अनुकृति (Imitation):
- छात्र शिक्षक की गतिविधियों की नकल करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र प्रयोगशाला में माइक्रोस्कोप का उपयोग करना सीखते हैं।”
- हेरफेर (Manipulation):
- छात्र सीखी गई तकनीकों का अभ्यास करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र किसी यंत्र को असेंबल करना सीखते हैं।”
- सटीकता (Precision):
- छात्र गतिविधियों को सटीकता और कौशल के साथ करते हैं।
- उदाहरण: “छात्र सर्जरी के दौरान सटीक तकनीक का उपयोग करते हैं।”
- कलात्मकता (Articulation):
- छात्र जटिल गतिविधियों को समन्वयित और कुशलता से करते हैं।
- उदाहरण: “एक अनुभवी कलाकार जटिल चित्र बनाता है।”
- स्वचालन (Naturalization):
- गतिविधियां सहज रूप से की जाती हैं।
- उदाहरण: “पेशेवर एथलीट अपनी तकनीकों को स्वाभाविक रूप से प्रदर्शित करता है।”
5. ब्लूम की वर्गीकृत योजना का शैक्षिक उपयोग
पाठ्यक्रम डिजाइन में:
- शिक्षकों को यह योजना पाठ्यक्रम तैयार करने में मदद करती है, जिसमें छात्रों की बुनियादी से जटिल सीखने की क्षमता को ध्यान में रखा जाता है।
- उदाहरण: गणित में छात्रों को सबसे पहले अवधारणाओं को याद कराना (याद करना), फिर उनकी व्याख्या करना (समझना), और अंततः समस्याओं को हल कराना (लागू करना)।
मूल्यांकन में:
- प्रश्न पत्र तैयार करते समय सभी स्तरों को शामिल किया जा सकता है।
- उदाहरण: तथ्यात्मक प्रश्न (याद करना), विश्लेषणात्मक निबंध (विश्लेषण करना), और रचनात्मक परियोजनाएं (निर्माण करना)।
शिक्षण विधियों में:
- यह योजना शिक्षकों को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि छात्रों को केवल याद करने के बजाय अवधारणाओं को समझने, लागू करने, और निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
6. ब्लूम की वर्गीकृत योजना के लाभ
- सीखने की प्रक्रिया को व्यवस्थित करता है।
- उच्च स्तरीय सोच को बढ़ावा देता है।
- पाठ्यक्रम और मूल्यांकन को प्रभावी बनाता है।
- छात्रों की विविध क्षमताओं का आकलन करता है।
निष्कर्ष
ब्लूम की वर्गीकृत योजना शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के संज्ञानात्मक, भावनात्मक, और शारीरिक विकास के लिए एक प्रभावी ढांचा है। यह शिक्षकों को एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करती है और छात्रों को उच्च-स्तरीय सोच और रचनात्मकता विकसित करने में मदद करती है। आधुनिक शिक्षा के लिए इसकी प्रासंगिकता असीम है।