अधिगम की परिभाषाएँ और विशेषताएँ

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अधिगम परिभाषाएँ, विशेषताएँ एव सिद्धांत यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्ति कैसे सीखता है और यह प्रक्रिया शिक्षण में कैसे उपयोगी हो सकती
है।

अधिगम की परिभाषाएँ (Definitions of Learning)

वुडवर्थ (Woodworth):

“नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं के प्राप्त करने की प्रक्रिया, सीखने की प्रक्रिया है।”

  • अधिगम वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति नए ज्ञान और नई प्रतिक्रियाएँ अर्जित करता है। यह व्यक्ति को अनुकूलन करने और नई परिस्थितियों में प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है।

क्रो व क्रो (Crow and Crow):

“सीखना, आदतें, ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है।”

  • अधिगम आदतों, ज्ञान, और अभिवृत्तियों को अर्जित करने की प्रक्रिया है जो व्यवहार को प्रभावित करती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को अपने सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करती है।

स्किनर (Skinner):

“प्रगतिशील व्यवहार अनुकूलन की प्रक्रिया को सीखना कहते हैं।”

  • अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति का व्यवहार अनुभवों के माध्यम से प्रगतिशील रूप से अनुकूलित होता है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को लगातार बदलते वातावरण में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाना है।

गेट्स एवं अन्य (Gates & Others):

“अनुभव और प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाना ही अधिगम या सीखना है।”

  • अधिगम अनुभव और प्रशिक्षण के माध्यम से व्यवहार में स्थायी परिवर्तन लाने की प्रक्रिया है। यह परिवर्तन व्यक्ति को नई स्थितियों में अधिक कुशल और प्रभावी बनाता है।

जेपी गिलफोर्ड (J.P. Guilford):

“व्यवहार से उत्पन्न किसी भी परिवर्तन को अधिगम कहते हैं।”

  • गिलफोर्ड के अनुसार, अधिगम एक व्यापक प्रक्रिया है जो अनुभवों के माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन लाती है।

बिलफोर्ड (Bilford):

“व्यवहार के फलस्वरूप, व्यवहार में किसी प्रकार का परिवर्तन आना ही अधिगम है।”

  • अधिगम वह प्रक्रिया है जिसमें व्यवहार के परिणामस्वरूप बदलाव आते हैं। यह बदलाव व्यक्ति की क्षमता और अनुकूलन को बढ़ावा देते हैं।

अधिगम की विशेषताएँ (Characteristics of Learning)

  1. अधिगम एक मानसिक प्रक्रिया है:

    • अधिगम एक संज्ञानात्मक गतिविधि है जिसमें सोचने, तर्क करने और समझने की क्षमता विकसित होती है। यह मानसिक विकास को बढ़ावा देता है।
  2. अधिगम मानव के मूल प्रचलन व्यवहार का संशोधन प्रक्रिया है:

    • अधिगम व्यक्ति के स्वाभाविक या प्राकृतिक व्यवहार को सामाजिक और पर्यावरणीय अपेक्षाओं के अनुसार संशोधित करता है। यह व्यक्ति को समाज में समायोजित होने में मदद करता है।
  3. सीखना सतत प्रक्रिया है:

    • अधिगम कभी समाप्त नहीं होता और जीवन भर चलता रहता है। यह व्यक्ति के जीवन के हर चरण में उपयोगी होता है।
  4. सीखना वातावरण की उपज है:

    • अधिगम पर्यावरण और उसमें उपलब्ध परिस्थितियों के आधार पर होता है। अनुकूल वातावरण सीखने की प्रक्रिया को तेज करता है।
  5. सीखना जीवन पर्यंत चलता रहता है:

    • यह किसी विशेष आयु या चरण तक सीमित नहीं है बल्कि जीवन के हर चरण में चलता रहता है।
  6. सीखने में प्रयत्न आवश्यक है:

    • अधिगम के लिए सक्रिय भागीदारी और सतत प्रयास आवश्यक हैं। यह व्यक्ति को नए कौशल और ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रेरित करता है।
  7. सीखने से बुद्धि का विकास होता है:

    • अधिगम से व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं जैसे तर्क, समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
  8. सीखना उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है:

    • अधिगम हमेशा किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है। यह उद्देश्य व्यक्ति के व्यवहार और प्रयासों को दिशा देता है।
  9. अधिगम के द्वारा अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन होता है:

    • अधिगम से व्यवहार में जो परिवर्तन आते हैं वे स्थायी और व्यक्ति की आदतों का हिस्सा बन जाते हैं।
  10. अधिगम व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है:

    • यह व्यक्ति के शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास में योगदान देता है।
  11. अधिगम समाजोन्मुख सहायक होता है:

    • अधिगम व्यक्ति को सामाजिक कौशल और समाज के साथ समायोजन करने में मदद करता है।
  12. अधिगम के द्वारा लक्ष्य की पूर्ति में सहायता मिलती है:

    • यह व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत, शैक्षिक या व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
  13. अधिगम का क्षेत्र बहुत विस्तृत है:

    • अधिगम संज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक क्षेत्रों को कवर करता है और इसमें विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
  14. अधिगम में समय लगता है:

    • अधिगम एक धीमी प्रक्रिया है जिसे धैर्य और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

अधिगम के सिद्धांत (Theories of Learning):

अधिगम सिद्धांत यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्ति कैसे सीखता है और यह प्रक्रिया शिक्षण में कैसे उपयोगी हो सकती
है। यह शैक्षिक सिद्धांत, चलन, और विधियों के विकास में सहायक है।

संज्ञानवाद (Cognitivism)

संज्ञानवाद का परिचय:

संज्ञानवाद यह मानता है कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, उनकी मानसिक क्षमताएं और समस्याओं को हल करने की योग्यता विकसित होती जाती है। यह दृष्टिकोण मस्तिष्क की आंतरिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित है।

विशेषताएँ:

  • यह मानसिक प्रक्रियाओं जैसे तर्कशक्ति, स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, और समस्या समाधान को विकसित करता है।
  • बच्चे अनुभवों और जानकारी को सक्रिय रूप से संगठित और संसाधित करते हैं।
  • संज्ञानात्मक विकास बाहरी परिवेश और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित होता है।
  • भाषा, तर्क, और भावनाओं का समन्वय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुख्य योगदानकर्ता:

  1. जीन पियाजे:
    • उन्होंने संज्ञानात्मक विकास के चार चरणों का वर्णन किया।
    • बच्चों की सोच और तर्कशक्ति की प्रगतिशील विकास प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया।
  2. मैक्स वर्टाइमर:
    • संज्ञानात्मक अधिगम में संपूर्णता (Gestalt) की भूमिका पर जोर दिया।
  3. कोहलर:
    • “अंतर्दृष्टि” (Insight) के माध्यम से समस्या समाधान पर बल दिया।
  4. कर्ट लेविन:
    • प्रेरणा और व्यक्ति के आसपास के वातावरण के बीच संबंध को समझाने पर ध्यान दिया।

संरचनावाद (Constructivism)

संरचनावाद का परिचय:

संरचनावाद के अनुसार व्यक्ति अपने अनुभवों और क्रियाओं के माध्यम से स्वयं ज्ञान का निर्माण करता है। यह अधिगम को एक सक्रिय और व्यक्तिगत प्रक्रिया मानता है।

विशेषताएँ:

  • अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर ज्ञान का निर्माण करते हैं।
  • शिक्षक का कार्य मार्गदर्शक (Facilitator) के रूप में होता है।
  • यह दृष्टिकोण छात्रों को उनकी रुचियों और आवश्यकताओं के आधार पर सीखने के लिए प्रेरित करता है।
  • समूह कार्य और समस्या आधारित अधिगम इस सिद्धांत के महत्वपूर्ण भाग हैं।

मुख्य योगदानकर्ता:

  1. जेरोम ब्रूनर:
    • उन्होंने खोज-आधारित अधिगम (Discovery Learning) की अवधारणा दी।
    • उन्होंने ज्ञान संरचना और इसे प्रभावी रूप से समझने के महत्व पर बल दिया।
  2. वाइगोत्स्की:
    • उन्होंने सामाजिक परिवेश और “निकटतम विकास का क्षेत्र” (Zone of Proximal Development) पर जोर दिया।
    • उनके अनुसार, सीखने में सामाजिक संपर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  3. हावर्ड गार्डनर:
    • उन्होंने बहु-बौद्धिकता (Multiple Intelligences) के सिद्धांत को विकसित किया।
    • इसके अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की सीखने की अपनी अनूठी शैली होती है।

व्यवहारवाद (Behaviourism)

व्यवहारवाद का परिचय:

व्यवहारवाद यह मानता है कि अधिगम केवल उस व्यवहार से संबंधित है जिसे देखा और मापा जा सकता है। यह सिद्धांत उद्दीपक (Stimulus) और अनुक्रिया (Response) के बीच के संबंध पर आधारित है।

विशेषताएँ:

  • अधिगम बाहरी उद्दीपकों और उनके परिणामस्वरूप उत्पन्न व्यवहारों पर आधारित है।
  • यह प्रोत्साहन (Reinforcement) और दंड (Punishment) के माध्यम से व्यवहार को प्रभावित करता है।
  • व्यवहार को वैज्ञानिक रूप से मापा और नियंत्रित किया जा सकता है।

मुख्य योगदानकर्ता:

  1. जॉन वॉटसन:
    • “व्यवहारवाद के पिता” माने जाते हैं।
    • उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान को केवल अवलोकनीय व्यवहार का अध्ययन करना चाहिए।
  2. थॉर्नडाइक:
    • उन्होंने “प्रभाव के नियम” (Law of Effect) का प्रतिपादन किया, जिसमें कहा गया कि सकारात्मक परिणाम व्यवहार को मजबूत करते हैं।
  3. इवान पावलोव:
    • उन्होंने शास्त्रीय अनुबंधन (Classical Conditioning) की खोज की।
    • उनके प्रयोग में कुत्ते घंटी की ध्वनि को भोजन से जोड़कर प्रतिक्रिया देने लगे।
  4. बी.एफ. स्किनर:
    • उन्होंने क्रियात्मक अनुबंधन (Operant Conditioning) का सिद्धांत दिया।
    • उन्होंने बताया कि व्यवहार को प्रोत्साहन या दंड के माध्यम से बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

मुख्य विचार:

  • सभी व्यवहार किसी उद्दीपक की प्रतिक्रिया होते हैं।
  • प्रोत्साहन और दंड के माध्यम से अधिगम को सुधारा जा सकता है।
  • अधिगम का अध्ययन वैज्ञानिक तरीकों से किया जाना चाहिए।

उदाहरण:

  1. शास्त्रीय अनुबंधन:
    • घंटी बजने पर भोजन के लिए कुत्ते की लार ग्रंथि सक्रिय हो जाती है।
  2. क्रियात्मक अनुबंधन:
    • एक बच्चे को अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत करना और अनुशासनहीनता पर चेतावनी देना।

निष्कर्ष:

अधिगम एक महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रिया है जिसमें ज्ञान, व्यवहार, आदतें और अभिवृत्तियाँ अर्जित की जाती हैं। यह एक जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है जो व्यक्ति के व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में सहायक होती है। अधिगम की विशेषताओं को समझकर शिक्षण और अधिगम की प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाया जा सकता है।

अधिगम का गहन अध्ययन शिक्षकों, मनोवैज्ञानिकों और छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह शिक्षण की रणनीतियों और अधिगम की गुणवत्ता को सुधारने में सहायता करता है।

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