अस्थि एवं उपास्थि

Bone and Cartilage in Hindi  अस्थि एवं उपास्थि

अस्थि (Bone)

यह ठोस, दृढ़ तथा प्रबल (Solid, Rigid and Strong) संयोजी ऊत्तक है। इसका निर्माण तंतुओं (Fibers), कोशिकाओं (Cells) तथा मैट्रिक्स (Matrix) से होता है।

इसमें 60-70% अस्थि अकार्बनिक पदार्थ की तथा 30-40% कार्बनिक पदार्थ की बनी होती है।

यदि अस्थि को तनु HCl में रखा जाता है, तो अस्थि विकेल्सिकृत कोमल तथा लचिली हो जाती है। यदि अस्थि KOH में रखा जाता है, तो अस्थि परिवर्तित नहीं होती है।

अस्थि की संंरचना (Structure of bone)

मैट्रिक्स (Matrix of Bone)

इसकी मैट्रिक्स में केल्सियम तथा फॉस्फोरस के एपेटाइट लवणों (हाइड्रोक्सिएपेटाइट लवण hydroxyapatite तथा फ्लुरोएपेटाइट लवण fluroapatite) का अत्यधिक जमाव होता है। जिससे मेट्रिक्स ठोस हो जाता है।

मैट्रिक्स वृत्ताकार वलयों में व्यवस्थित होता है जिसे पटलिका कहते है। पटलिका में चपटे अनियमित अवकाश होते है जो लेक्युनी कहलाता है।

अस्थि की कोशिकाएँ (Cells of Bone)

प्रत्येक लेक्युना में चपटी अस्थि कोशिका या ऑस्टीयोसाइट पाई जाती है, ये लेक्युना में उपस्थित होती है तथा उपापचयी रूप से निष्क्रिय कोशिकाएँ है।

bone and cartilage in Hindi

अस्थि के चारों ओर पेरिऑस्टियम परत पायी जाती है। जिसके नीचे ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाएँ होती है। ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाएँ ऑस्टीयोसाइट  बनाती और ओसीन प्रोटीन स्त्रावित करती है।

ऑस्टीयोसाइट / अस्थि कोशिका में अनियमित आकृति होती है, तथा लम्बे कोशिकाद्रव्यी प्रवर्ध होते हैं। ये प्रवर्ध छोटी नाल में बढ़ते हैं।

अस्थि के तंतु (Fibers of Bone)

इसके मैट्रिक्स में इसमें कैलोजन, इलास्टिक फाइबर तथा ओसिन प्रोटीन पाए जाते हैं।

मैट्रिक्स में हैवरशियन नलिकाएं पाई जाती है। जो मैट्रिक्स में लम्बाई में फैली रहती है। ये एक ओर अस्थि की सतह पर दूसरी ओर अस्थि मज्जा में खुलती है।

हेवरसियन तन्त्र (Haversian System)

Bone अनेक समान्तर, लम्बवत् स्तम्भ समान संरचनाओं की बनी होती है, जिसे हेवरसियन तंत्र कहते हैं। हेवरसियन नाल वॉल्क्समान नाल द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती है। प्रत्येक हेवरसियन तन्त्र में अस्थिल मेट्रिक्स की अनेक सान्द्रित परते होती है।

हेवरसियन तन्त्र में अस्थिल मेट्रिक्स की अनेक सान्द्रित परते होती है। यह नाल रक्त वाहिनियों तथा तंत्रिकाओं को वहित करती है। लेक्युनी युक्त ओस्टीयोसाइट्स दो लेमीली के बीच परत में उपस्थित होती है।

 

दीर्घ अस्थि के में मध्य में अर्द्ध ठोस भाग होता है। जो अस्थि मज्जा कहलाता है। सिरों की ओर लाल अस्थि मज्जा तथा मध्य में पीली अस्थि मज्जा होती है।

 

अस्थि के प्रकार (Types of Bones)

इसके दो प्रकार होते है-

कोम्पेक्ट अस्थि (Compact Bone)

यह अस्थि का मध्य भाग बनाती है जो शाफ़्ट कहलाता है।

स्पॉन्जि अस्थि (Spongy Bone)

यह अनेक स्पष्ट अनियमित अस्थिल पट्टिकाओं या ट्रेबीक्युली के जाल कि बनी होती है। प्रत्येक ट्रेबिक्युला अनेक अनियमित रूप से व्यवस्थित लेमीली की बनी होती है। इसमें लाल अस्थि मज्जा होती है।

स्पॉन्जी अस्थि को केनसेल्फस अस्थि भी कहते हैं, तथा एपिफाइसिस जैसे कि लम्बी अस्थियों के सिरे में पाई जाती है।

Bone and Cartilage in Hindi  अस्थि एवं उपास्थि Bone and Cartilage in Hindi  अस्थि एवं उपास्थि


उपास्थि (Cartilage)

उपास्थि ठोस, लेकिन अर्द्धदृढ़ तथा लचीला संयोजी ऊत्तक होता है। इस ऊत्तक के चारों पतला तंतुमय झिल्ली का आवरण होता है, जिसे पेरिकोंड्रियम कहते हैं। उपास्थि में कॉन्ड्रोब्लास्ट कोशिकाएँ पायी जाती है। इनसे कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकओं का निर्माण होता है।

इस के मेट्रिक्स में छोटे-छोटे अवकाश होते है, जिनको लेक्युनी कहते है। लेक्युनी में 2 या 3 कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकाएँ गुच्छे में उपस्थित होती है। कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकओं द्वारा कॉण्ड्रिन प्रोटिन का निर्माण होता है। जो कार्टिलेज को अर्द्धदृढ़ तथा लचीला बनाती है।

उपास्थि के प्रकार (Types of Cartilage)

ये चार प्रकार की होती है-

  1. हायलिन उपास्थि (Hyaline Cartilage)
  2. प्रत्यास्थ उपास्थि (Elastic Cartilage)
  3. कैल्सिकृत उपास्थि (Calcified Cartilage)
  4. तंतुमय उपास्थि (Calcified Cartilage)

 

काचाभ या हायलिन उपास्थि (Hyaline Cartilage)

इसमें मेट्रिक्स तन्तुविहीन, नीला तथा ग्लास समान (हायलिन) होता है, लेकिन ट्रांसल्युसेन्स्ट यानि अर्द्ध-पारदर्शी होता है।इसमें श्वेत फाइब्रोकार्टिलेट लेक्युनी में कॉन्ड्रोसाइट्स की पंक्तियों के बीच कोलेजन तन्तुओं के स्थूल सघन बंडल वहित करता है।

यह कंठ, नासा पट, श्वास नली के आकार के वलय, स्टर्नम तथा पसलियों के सिरे में होता है।

bone and cartilage in Hindi

प्रत्यास्थ उपास्थि (Elastic Cartilage)

इसमें वितरीत कॉन्ड्रोसाइट्स के बीच प्रत्यास्थ तन्तुओं का सघन जाल होता है। प्रत्यास्थ तन्तु अंगों को प्रत्यास्थ तथा प्लियेबल बनाते हैं।

यह कानों की यूस्टेकियन नलिका, एपिग्लोटिस,नाक के सिरे तथा कर्ण के पिन्ना में होती है।

 

तंतुमय उपास्थि (Calcified Cartilage)

यह कशेरूकियों के बीच संधियों में होता है। इसके कोलेजन तन्तु ऐसी सन्धियों को प्रबल किन्तु कम प्रत्यास्थ तथा आंशिक रूप से गतिशील बनाते हैं।

अन्तराकशेरूक गद्दियों तथा श्रोंणि मेखला के प्युबिस सिम्फाइसिस इसी की बनी होती है।

 

कैल्सिकृत उपास्थि (Calcified Cartilage)

प्रारम्भिक रूप से यह हायलिन उपास्थि के रूप में होती है, लेकिन बाद में कैल्सियम लवणों के जमाव के कारण अस्थि समान कठोर हो जाती है।
यह मानव की हाथ की ह्युमरस तथा फिमर के दोनों सिरों पर होती है।

 

केन्द्रक पल्पोसस (Nucleus Pulposus )

अन्तराकशेरूकीय बिम्ब के केन्द्रक में कोमल क्षैत्र उपस्थित होता है, जिसे केन्द्रक पल्पोसस कहते हैं, जिसे नोटोकॉर्ड का अवशेषी माना जाता है।

 

इन्हें भी पढ़ें

  1. संयोजी ऊत्तक का संघटन एवं प्रकार
  2. पकला उत्तक एवं इसके विभिन्न प्रकार
  3. कोशिका का सामान्य परिचय संरचना तथा प्रकार (Cell in Hindi)
  4. कोशिका सिद्धांत (cell theory)
  5. जीवद्रव्य सामान्य परिचय एवं प्रकृति
  6. कोशिका भित्ति (Cell Wall) एवं कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
  7. कोशिका झिल्ली (Plasma Membrane in Hindi)
  8. डीएनए की संरचना, रासायनिक प्रकृति, भौतिक प्रकृति तथा प्रकार
  9. डीएनए की संरचना (structure), डीएनए की प्रतिकृति (Replication) एव अनुलेखन (Transcription)
  10. अनुवादन, रूपांतरण या प्रोटीन संश्लेषण

 

बाहरी कड़ियां

 

ऑनलाइन लेक्चर वीडियो

connective tissue in hindi संयोजी ऊत्तक का संघटन एवं प्रकार

 

We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

Aliscience
Logo
Shopping cart