Hello Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है अनुवादन, रूपांतरण, प्रोटीन संश्लेषण – (Translation in Hindi )
अनुवादन (Translation)
अनुवादन वह प्रक्रिया है। जिसमें mRNA पर उपस्थित जेनेटिक कोड का उपयोग करके प्रोटीन का निर्माण किया जाता है। अनुवादन की प्रक्रिया अंतः प्रद्रव्यी जलिका (Endoplasmic Reticulum) पर उपस्थित राइबोसोम में संपन्न होती है। अनुवादन की प्रक्रिया में जीवद्रव्य में उपस्थित अमीनो अम्ल का उपयोग करके राइबोसोम द्वारा पॉलीपेप्टाइड श्रंखला (Polypeptide Chain) का निर्माण किया जाता है।
इसकी प्रक्रिया निम्न चरणों में संपन्न होती है-
अमीनो अम्ल का सक्रियण (Activation of Amino Acids)
जीवद्रव्य में एमिनो एसाइल सिंथेटेज (Aminoacyl Synthetase) एंजाइम की उपस्थिति में एक अमीनो अम्ल ATP से जुड़ता है। इस अभिक्रिया में Mg2+ सहायता करता है। इस अभिक्रिया के फलस्वरुप एमिनो एसाइल एडीनाइलेट सम्मिश्र (Aminoacyl Adynylate Complex)का निर्माण होता है।
Amino Acid + ATP —-> Aminoacyl Adynylate Complex
अमीनो अम्ल का tRNA पर स्थानांतरण (Transfer of Amino Acids on tRNA)
एमिनो एसाइल एडीनाइलेट सम्मिश्र (Aminoacyl Adynylate Complex) एक विशिष्ट प्रकार के tRNA के साथ जुड़ती है। जिससे आवेशित tRNA (Charged tRNA) का निर्माण होता है। और AMP का निष्कासन होता है। अमीनो अम्ल tRNA के 3’ सिरे पर उपस्थित CCA अनुक्रम से जुड़ता है।
Aminoacyl Adynylate Complex + tRNA —–> Activated tRNA + AMP + Aminoacyl synthetase
अनुवादन का आरंभन (Initiation of Translation)
अनुवादन के आरंभन के लिए राइबोसोम की छोटी इकाई mRNA के साथ जुड़ती है तथा mRNA पर उपस्थित प्रारंभिक कोडोन AUG की पहचान करके methionine अमीनो अम्ल युक्त tRNA प्रारंभिक कोडोन से हाइड्रोजन बंध के द्वारा जुड़ जाता है। जिसमें GTP के द्वारा ऊर्जा प्रदान की जाती है। अब राइबोसोम की छोटी इकाई और mRNA के साथ राइबोसोम की बड़ी इकाई भी जुड़ जाती है। इस दौरान AUG P-स्थल में होता है।
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अनुवादन का दीर्घीकरण (Elongation of Translation)
एक नया आवेशित tRNA (Charged tRNA) GTP की उपस्थिति में राइबोसोम के A- स्थल में उपस्थित कोडोन से जुड़ जाता है। इसके पश्चात P-स्थल में उपस्थित tRNA के अमीनो अम्ल A- स्थल में उपस्थित अमीनो अम्ल के साथ पेप्टाइड बंध (Peptide Bond) बनाता है। जिसको पेप्टीडाइल ट्रांसफेरेज (Peptidyl Transferase) एंजाइम द्वारा उत्प्रेरित किया जाता है।
P- स्थल के tRNA पर उपस्थित अमीनो अम्ल का स्थानांतरण A-स्थल में उपस्थित tRNA पर हो जाता है। जब राइबोसोम mRNA पर 5’-3’ दिशा में गति करता है। तो P-स्थल में उपस्थित अनावेशित (Uncharged) tRNA E-स्थल में आ जाता है। और A-स्थल का tRNA P-स्थल में आ जाता है। इसी प्रकार A-स्थल में नया आवेशित tRNA प्रवेश करता है। और E-स्थल में उपस्थित अनावेशित tRNA राइबोसोम से बाहर निकल जाता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। इस प्रकार एक नए पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का संश्लेषण होता है।
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अनुवादन का समापन (Termination of Translation)
जब राइबोसोम mRNA पर गति करता हुआ समापक (Stop) कोडोन (UAG,UGA,UAA) पर पहुंचता है। तो राइबोसोम के A-स्थल में कोई tRNA प्रवेश नहीं करता। जिसके कारण अनुवादन की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। जैसे ही अनुवादन की प्रक्रिया समाप्त होती है। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला मुक्त हो जाती है और mRNA तथा राइबोसोम पृथक हो जाते है।
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अनुवादन में काम आने वाले प्रोटीन कारक
इनको अनुवादन कारक भी कहा जाता है। ये तीन प्रकार के होते है –
- आरंभन कारक (Initiation Factors)
- दीर्घीकरण कारक (Elongation Factors)
- समापन कारक (Termination or Release Factors)
आरंभन कारक (Initiation Factors)
ये तीन प्रकार के होते है –
IF-1 – ये IF-3 के बंधने में सहायता करता है।
IF-2 – ये 30S उप-इकाई के साथ GTP तथा tRNA को जोड़ता है।
IF-3 – ये 30S उप-इकाई से जुड़ता है और समय से पूर्व 50S उप-इकाई को जोड़ने से रोकता है।
दीर्घीकरण कारक (Elongation Factors)
ये तीन प्रकार के होते है –
EF-Tu – GTP तथा एमिनो एसाइल-tRNA को जोड़ता है।
EF-Ts – EF-Tu से GTP को अलग करता है।
EF-G – Translocation को बढ़ावा देता है।
समापन कारक (Termination or Release Factors)
ये चार प्रकार के होते है –
RF-1 – UAA और UAG की पहचान करता है।
RF-2 – UAA और UGA की पहचान करता है।
RF-3 – RF-1 तथा RF-2 की सहायता करता है।
RRF – EF-G के साथ मिलकर राइबोसोम की दोनों इकाईयों को अलग करता है।
अनुवादन की प्रक्रिया को रोकने वाले कारक –
निम्न एंटीबायोटिक द्वारा अनुवादन की प्रक्रिया को रोका जाता है-
Chloramphenicol
Streptomycin
Puromycin
Tertacycline
Paromomycin
Fusidic Acids
Erythromycin
Cycloheximide
Diphtheria toxin
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