शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य
Hello Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen)।
शुक्राणु (Sperm)
शुक्राणु के अंग्रेजी शब्द Sperm की व्युत्पती ग्रीक शब्द स्पर्मा से हुई है जिसका अर्थ है ‘बीज’ (Seed)। शुक्राणु सूक्ष्म धागेनुमा संरचना है। शुक्राणु के उत्पन्न होने की प्रक्रिया को शुक्रजनन या स्पर्मेटोजेनेसिस (Spermatogenesis) कहा जाता है। शुक्राणु नर युग्मक होते है। जो वृषण के भीतर नर जर्म कोशिकाओ के द्वारा उत्पन्न होते हैं।
शुक्राणुओं की संरचना अलग-अलग जीवों में अलग-अलग प्रकार की होती है। जैसे- मानव में चम्मच के आकर का, चूहे में हुक के आकर का, एस्केरिस में अमिबोइड और पूंछविहीन, क्रिस्टेशियन जीवों में तारेनुमा, तथा पक्षियों में सर्पिलाकार।
शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen) शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen)
शुक्राणु अधिवृषण में संचित रहने पर गतिहीन (Motile) रहते हैं। लेकिन नर की सहायक जनन ग्रंथियों के स्रावों की सहायता से ये ओर अधिक सक्रिय व गतिशील हो जाते हैं। शुक्राणुओं के विभिन्न सहायक ग्रंथियों के स्रावों के साथ मिलने से वीर्य (Semen)) का निर्माण होता है। एक स्खलन में लगभग 1 मिलियन (10 लाख की संख्या) शुक्राणु विसर्जित होते हैं। ये शुक्राणु जब मादा की योनि में प्रविष्ट कराये जाते हैं। तो ये मादा की योनि के भीतर 2mm प्रति मिनट की चाल से गति करते हैं।
संरचनात्मक रूप से मानव शुक्राणु के चार मुख्य भाग होते है- शीर्ष ग्रीवा, मध्यभाग एवं पुच्छ।
शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen)
A) शीर्ष(HEAD):
शुक्राणु का शीर्ष भाग दो भागों से मिलकर बना होता है –
i) अग्रपिंडक या एक्रोसोम (ACROSOME )
शुक्राणु का शीर्ष भाग पर एक टोपीनुमा संरचना होती है, जिसे अग्रपिंडक (ACROSOME )कहते हैं। जो कि निषेचन के समय शुक्राणु द्वारा अंड भेदन (Penetrate) यानी अंड में प्रवेश करने में सहायता करता है। अग्रपिंडक (ACROSOME ) गोल्जी काय का रूपांतरण होता है।
अग्रपिंडक या एक्रोसोम (ACROSOME ) में अंड को भेदने के लिए एंजाइम होते है, जिनको Sperm Lysin कहते है। मानव में तीन प्रकार के Sperm Lysin Enzyme पाए जाते है –
(A) Hyaluronidase Enzyme
(B) Proacrosine Enzyme
(C) Corona Penetrating Enzyme
Hyaluronidase Enzyme
यह एंजाइम अण्डाणु के चारों ओर पायी जाने वाली कोरोना रेडीयेटा को पुटकीय कोशिकाओ के बीच में पाए जाने वाले हायलुरोनिक अम्ल को अपघटित करता है। जिससे कोरोना रेडीयेटा मे छेद हो जाता है।
Proacrosine Enzyme
यह जोना पेलुसिडा को भेदने का कार्य करता है।
Corona Penetrating Enzyme
यह कोरोना रेडीयेटा को भेदने मेंसहायता करता है।
ii) अगुणित केन्द्रक (HAPLOID NUCLEUS)
अग्रपिंडक या एक्रोसोम (ACROSOME ) के पीछे की ओर एक अगुणित (HAPLOID , n) केन्द्रक होता है। जो पिता से आनुवंशिक लक्षणों को संतति में पहुचता है। केन्द्रक में हिस्टोन प्रोटीन के स्थान पर प्रोटामाइन प्रोटीन पायी जाती है।
एक्रोसोम (ACROSOME ) तथा केन्द्रक के बीच में रिक्त स्थान को परफोरटोरियम (PERFORATORIUM) कहते है।
शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen)
B) ग्रीवा(NECK)
इसमें दो तारक काय (Centriole) होते है। जो एक दुसरे के 90० के कोण पर स्थित होते है। इसमें एक समीपस्थ (Proximal Centriole) तथा दूसरा दूरस्थ (Distal Centriole) कहलाता है। समीपस्थ तारक काय युग्मनज (Zygote) में समसूत्री विभाजन विदलन (Cleavage) की शुरुआत करता है। जबकि दूरस्थ तारक काय अक्षीय तंतु (Axial Filament) बनाता है। जो पूंछ का निर्माण करता है।
C)मध्यभाग (Middle Piece)
इस भाग में MITOCONDRIA होते है, जो गति के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। माइटोकांड्रिया अक्षीय तंतु (Axial Filament) के चारों ओर व्यवस्थित होते है जिसे निबेनकर्न (Nebenkern) कहा जाता है।
मध्यभाग को कोशिका द्रव्य एक महीन परत के रूप में घेरा रहता है, जिसे मेनचैट (MANCHETTE) कहते है। कुछ जन्तुओ के शुक्राणुओं के मध्यभाग के अंतिम भाग में एक गहरे रंग की वलय होती है, जिसे मुद्रिका सेंट्रीओल (RING CENTRIOLE) कहा जाता है।
D) पुच्छ(TAIL)
शुक्राणु का सबसे अधिक लम्बा भाग पूंछ होता है। ये गति के लिए आवश्यक हैं। इसमें अक्षीय तंतु (Axial Filament) पाया जाता है। जिसे एक्सोनीमा भी कहते है। ये कशाभ के समान 9+2 विन्यास वाली संरचना है।
नोट – सबसे छोटे शुक्राणु मगरमच्छ तथा एम्फीओक्सकस तथा सबसे बड़े शक्राणु ड्रोसोफिला बाइफरका के होते है।
शुक्राणु के प्रकार (TYPES OF SPERM)
शुक्राणुओं को उनकी संरचना के आधार पर दो भागों में बंटा जाता है –
कशाभी शुक्राणु (FLAGELLATED SPERMATOZOA)
इस प्रकार के शुक्राणु में पूंछ में एक या दो कशाभ पाए जाते है
एक कशाभी शुक्राणु -कशेरुकी जीवो में पाए जाते है। M89
द्विकशाभी शुक्राणु – ते टॉडफिश में पाए जाते है।
अकशाभी शुक्राणु (FLAGELLATED SPERMATOZOA)
इस प्रकार के शुक्राणु में कशाभ नहीं पाए जाते। ऐसेशुक्राणुनिमेटोड तथा क्रिस्टेसियन जंतुओं में पाए जाते है। जैसे – एस्केरिस के अमिबोइड शुक्राणु।
https://aliscience.in/male-sex-organs
वीर्य (SEMEN)
शुक्राणु तथा प्रोस्टेट ग्रंथि से स्रावित शुक्रीय प्लाज्मा मिलकर वीर्य का निर्माण करते है। जो क्षारीय श्वेत गाढ़ा द्रव होता है। जिसका pH का मान 7.2 होता है। वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या तथा स्थिति के आधार पर निम्न शब्दावली काम में लेते है।
ओलिगोस्पेर्मिया (OLIGOSPERMIA)– प्रति ml वीर्य में 2मिलियन से कम शुक्राणुओं का पाया जाना।
एजूस्पेर्मिया (AZOOSPERMIA) – वीर्य में शुक्राणुओं अनुपस्थित होना।
नेर्कोस्पेर्मिया (NECROSPERMIA) – वीर्य में अचल शुक्राणुओं का पाया जाना।
शुक्राणु की संरचना एवं प्रकार तथा वीर्य (Sperm and Semen)
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Super sir
Mei virya ki rasayanic sanrachana ke bare me janna chahta hu. Ye kin kin tatvo se milkar bani hoti hai.m dawai banana chahta hu
Class 12 ki bio ki “gametogenesis in human ” ki theory
oogenesis की प्रक्रिया के बारे में आप से जानकारी प्राप्त कर सकते है https://aliscience.in/oogenesis-in-hindi/
Sir mujhe semen ki biochemistry chahiye or ye lekh mujhe bahut pasand aya
Nice
[…] शुक्राणु (Sperm) तथा अण्डाणु (Ovum) के संलयन (Fusion) से द्विगुणित युग्मनज (zygote) का निर्माण होना निषेचन (Fertilization) कहलाता है। […]