रासायनिक विकास (Chemical Evolution)
Chemical Evolution in Hindi
रासायनिक विकास का सिद्धांत यह मानता है कि जीवन का आरंभिक रूप पृथ्वी पर रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न हुआ। यह सिद्धांत ओपेरिन (Oparin) और हेल्डेन (Haldane) द्वारा प्रतिपादित किया गया था और इसे आगे मिलर-यूरे (Miller-Urey) प्रयोग द्वारा समर्थन मिला।
1. प्रारंभिक वायुमंडल की संरचना (Composition of Primitive Atmosphere):
पृथ्वी के प्रारंभिक वातावरण में CO₂, NH₃, CH₄, और H₂ जैसे गैसें प्रमुख थीं। इस वातावरण में कोई मुक्त ऑक्सीजन (O₂) नहीं थी।
यह वातावरण अत्यधिक अपचयी (Reducing) था, और इसमें उच्च तापमान और बिजली की चमक जैसी ऊर्जा के स्रोत भी थे।
2. सरल अकार्बनिक यौगिकों की उत्पत्ति (Origin of Simple Inorganic Compounds):
प्रारंभिक वातावरण में उपस्थित गैसों के संयोग से जल वाष्प (H₂O), CO₂, NH₃, CH₄, और H₂ जैसे सरल अकार्बनिक यौगिकों का निर्माण हुआ।
3. सरल कार्बनिक यौगिकों की उत्पत्ति (Origin of Simple Organic Compounds):
उच्च ऊर्जा (बिजली की चमक) के प्रभाव में, इन अकार्बनिक यौगिकों से सरल कार्बनिक यौगिक जैसे शर्करा (Sugars), अमीनो अम्ल (Amino Acids), और नाइट्रोजन युक्त आधार (Nitrogenous Bases) का निर्माण हुआ।
4. जटिल कार्बनिक यौगिकों की उत्पत्ति (Origin of Complex Organic Compounds):
इन सरल कार्बनिक यौगिकों से आगे की प्रतिक्रियाओं के माध्यम से जटिल यौगिकों जैसे कि प्रोटीन (Proteins), न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids), और पॉलीसैक्राइड (Polysaccharides) का निर्माण हुआ।
ये यौगिक आदिकालीन समुद्र (Primitive Oceans) में इकट्ठे हो गए, जिसे ‘प्रिमॉर्डियल सूप’ (Primordial Soup) या ‘हॉट डायल्यूट सूप’ (Hot Dilute Soup) कहा गया।
- ऊर्जा के स्रोत: बिजली, ज्वालामुखीय गतिविधि, अल्ट्रावायलेट विकिरण, और अन्य स्रोतों से ऊर्जा पृथ्वी के वातावरण में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को प्रेरित कर सकती थी।
- रासायनिक प्रतिक्रियाएँ: इन ऊर्जा स्रोतों ने प्रिमॉर्डियल सूप में मौजूद यौगिकों को उत्तेजित किया, जिसके परिणामस्वरूप सरल कार्बनिक अणु जैसे कि एमिनो एसिड और न्यूक्लियोटाइड्स का निर्माण हुआ। ये कार्बनिक अणु जीवन के निर्माण खंड माने जाते हैं।
5. जैविक विकास (Biological Evolution):
जैविक विकास में कोएसेर्वेट्स (Coacervates) का निर्माण हुआ, जो जीवन के पूर्ववर्ती रूप माने जाते हैं। इनसे आगे चलकर जीवन के प्राथमिक रूपों का विकास हुआ।
कोएसेर्वेट्स (Coacervates) के निर्माण में ए. आई. ओपेरिन (A. I. Oparin) और सिडनी फॉक्स (Sidney Fox) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कोएसेर्वेट्स अमीनो एसिड, प्रोटीन, और अन्य कार्बनिक अणुओं के समूह होते हैं जो पानी में स्वाभाविक रूप से एकत्रित होते हैं, और इनका अध्ययन इस संभावना की खोज के लिए किया गया है कि कैसे सरल रासायनिक यौगिक जीवित कोशिकाओं के पूर्वज बन सकते हैं।
मिलर-यूरे प्रयोग (Miller-Urey Experiment):
स्टैनली मिलर (Stanley Miller) और हेरोल्ड यूरे (Harold Urey) ने 1953 में एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने प्रारंभिक पृथ्वी के वातावरण का अनुकरण किया। इस प्रयोग में उन्होंने CH₄, NH₃, H₂O, और H₂ को एक बंधी हुई प्रणाली में रखा और उसमें विद्युत रोधन (Electric Discharge) किया।
कुछ दिनों के बाद, उन्होंने पाया कि इस प्रणाली में अमीनो अम्ल (Amino Acids) और अन्य कार्बनिक यौगिक उत्पन्न हुए थे, जो जीवन के प्राथमिक रसायनों के निर्माण का प्रमाण है।
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