जीवाणु जनित रोग
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Bacterial Diseases Hindi जीवाणु जनित रोगों के नोट्स
जीवाणु जनित रोग ऐसे रोग होते हैं जो बैक्टीरिया (जीवाणु) द्वारा उत्पन्न होते हैं। जो प्रोकेरियोटिक जीव है। ये रोग विभिन्न प्रकार के होते हैं और शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख जीवाणु जनित रोगों की जानकारी दी गई है:
Contents
कॉलरा (Cholera)
- रोगजनक: विब्रियो कॉलेरी (Vibrio cholerae)
- संक्रमण का तरीका: अंशुद्ध भोजन एवं जल द्वारा
- प्रभावित अंग: आँत
- लक्षण: दस्त, डायरिया, उल्टी
- ऊष्मायन काल: 2-3 दिन
निमोनिया (Pneumonia)
- रोगजनक: डिप्लोकोकस न्यूमोनिया (Diplococcus pneumoniae)
- संक्रमण का तरीका: फेफड़ों के रोगियों की खांसी द्वारा
- प्रभावित अंग: फेफड़े
- लक्षण: श्वास लेने में कठिनाई
- ऊष्मायन काल: 1-3 दिन
टाइफाइड (Typhoid)
- रोगजनक: साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi)
- संक्रमण का तरीका: संक्रमित व्यक्तियों के मल द्वारा जल और भोजन का सेवन
- प्रभावित अंग: आँत
- लक्षण: तेज बुखार, सिर दर्द, पेट दर्द
- ऊष्मायन काल: 1-3 सप्ताह
टिटनेस (Tetanus)
- रोगजनक: क्लोस्ट्रीडियम टेटनी (Clostridium tetani)
- संक्रमण का तरीका: घावों के माध्यम से जमीन के संपर्क में आने वाले बैक्टीरिया द्वारा
- प्रभावित अंग: तंत्रिका तंत्र
- लक्षण: मांसपेशियों में ऐंठन
- ऊष्मायन काल: 4 दिन से 3 सप्ताह
डिप्थीरिया (Diphtheria)
- रोगजनक: कोरीनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया (Corynebacterium diphtheriae)
- संक्रमण का तरीका: मुंह और नाक के माध्यम से श्वास द्वारा
- प्रभावित अंग: नाक, गला
- लक्षण: गले में झिल्ली, सूजन, बुखार
- ऊष्मायन काल: 2-5 दिन
क्यु फिवर (Q Fever)
- रोककारक: कॉक्सिएला बर्नेटी (Coxiella burnetii)
- संक्रमण का तरीका: दूषित धूल के संपर्क में आना, संक्रमित जानवरों के दूध का सेवन
- प्रभावित अंग: फेफड़े, यकृत, हृदय
- लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, खांसी
- उपचार काल: 2-6 सप्ताह
काली खांसी (Whooping Cough Bacterial Diseases Hindi )
- रोगजनक: बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis)
- संक्रमण का तरीका: संक्रमित व्यक्ति की खांसी द्वारा हवा के माध्यम से
- प्रभावित अंग: श्वसन मार्ग
- लक्षण: खांसी का दौरा, सांस लेने में कठिनाई
- ऊष्मायन काल: 10-16 दिन
ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis)
- रोगजनक: मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis)
- संक्रमण का तरीका: फेफड़ों के रोगियों की खांसी द्वारा
- प्रभावित अंग: फेफड़े
- लक्षण: खांसी, बुखार, वजन घटाना
- ऊष्मायन काल: विभिन्न
प्लेग (Plague)
- रोगजनक: यर्सिनिया पेस्टिस (Yersinia pestis)
- संक्रमण का तरीका: चूहों और अन्य जानवरों के पिस्सू के काटने से
- प्रभावित अंग: लिम्फ ग्रंथियां, फेफड़े
- लक्षण: बुखार, लिम्फ नोड्स में सूजन और दर्द
- ऊष्मायन काल: 2-6 दिन
मेनेन्जाइटिस (Bacterial Meningitis)
- रोककारक: निसेरिया मेनेनजाइटिडिस (Neisseria meningitidis), स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिया (Streptococcus pneumoniae), आदि
- संक्रमण का तरीका: संक्रमित व्यक्ति की खांसी और छींक के माध्यम से
- प्रभावित अंग: मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली
- लक्षण: बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी
- ऊष्मायन काल: 7-21 दिन
लेप्रोसी / कुष्ठ रोग (Leprosy)
- रोगजनक: मायकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae)
- संक्रमण का तरीका: रोगियों के साथ लंबे समय तक संपर्क और गहन शारीरिक संपर्क से
- प्रभावित अंग: त्वचा, नसें
- लक्षण: त्वचा के दाग, चर्म रोग, संवेदनहीनता
- ऊष्मायन काल: 2-5 वर्ष
सिफलिस (Syphilis)
- रोगजनक: ट्रेपोनिमा पैलिडियम (Treponema pallidum)
- संक्रमण का तरीका: यौन संपर्क द्वारा
- प्रभावित अंग: जननांग, त्वचा, अन्य अंग
- लक्षण: सूजन, घाव
- ऊष्मायन काल: 3 सप्ताह
ट्यूलरेमिया (Tularemia)
- रोककारक: फ्रैंसिसेला ट्यूलरेन्सिस (Francisella tularensis)
- संक्रमण का तरीका: संक्रमित कीड़ों के काटने से, दूषित जल या मांस का सेवन
- प्रभावित अंग: त्वचा, फेफड़े, लिम्फ नोड्स
- लक्षण: बुखार, त्वचा पर घाव, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, खांसी
- ऊष्मायन काल 10-21 दिन
गोनोरिया (Gonorrhea)
- रोगजनक: नेसेरिया गोनोरिये (Neisseria gonorrhoeae)
- संक्रमण का तरीका: यौन संपर्क द्वारा
- प्रभावित अंग: जननांग, मूत्र मार्ग
- लक्षण: जलन, पीड़ा
- ऊष्मायन काल: 2-5 दिन
ट्रेकोमा (Trachoma)
- रोगजनक: क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis)
- संक्रमण का तरीका: संक्रमित भोजन, जल, अन्य
- प्रभावित अंग: आँखें
- लक्षण: आँखों में जलन, सूजन
- ऊष्मायन काल: 2-5 दिन
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