वृत्तीय गति की शुद्ध गतिकी

Kinematics of Circular Motion in Hindi, वृत्तीय गति की शुद्ध गतिकी

वृत्तीय गति में एक वस्तु एक वृत्ताकार पथ पर गति करती है, जिसमें हम केवल वस्तु की स्थानान्तरण गति पर ध्यान केंद्रित करते हैं और घूर्णन की उपेक्षा करते हैं। इस विश्लेषण में वस्तु को एक कण की तरह माना जाता है।

1. वृत्तीय पथ और त्रिज्य सदिश

मान लीजिए कि एक कण P, r त्रिज्या वाले एक वृत्तीय पथ पर गति कर रहा है। सरलता के लिए, हम वृत्त के केंद्र को निर्देशांक निकाय के मूल बिन्दु पर मानते हैं, हालांकि यह आवश्यक नहीं है। कण की स्थिति को निर्देशित त्रिज्या OP = F द्वारा व्यक्त किया जाता है, जिसे त्रिज्य सदिश (Radius Vector) कहते हैं। त्रिज्य सदिश सदैव पथ के लम्बवत् होता है और इसका परिमाण नियत रहता है। जैसे ही कण गति करता है, इसका कोणीय स्थिति (Angular Position) समय के साथ बदलती रहती है।

2. वृत्तीय गति में कोणीय चर

वृत्तीय गति में निम्नलिखित तीन प्रमुख कोणीय चर होते हैं:

  • कोणीय स्थिति (Angular Position, θ)
  • कोणीय वेग (Angular Velocity, ω)
  • कोणीय त्वरण (Angular Acceleration, α)

3. एकसमान कोणीय वेग से गति

यदि एक कण नियत कोणीय वेग ([latex]\omega[/latex]) से गति करता है, तो इसका कोणीय त्वरण ([latex]\alpha[/latex]) शून्य हो जाता है और स्थिति सदिश एक नियत दर से घूमता है। इसे सरल रेखा पर एकसमान वेग से गति के अनुरूप माना जा सकता है। कोणीय स्थिति ([latex]\theta[/latex]) निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त की जा सकती है:

[latex]\theta = \theta_0 + \omega t[/latex]

4. एकसमान कोणीय त्वरण से गति

यदि कण का कोणीय त्वरण ([latex]\alpha[/latex]) नियत है, तो इसका कोणीय वेग ([latex]\omega[/latex]) समय के साथ एक निश्चित दर से बदलता है। कण की स्थिति ([latex]\theta[/latex]), कोणीय वेग ([latex]\omega[/latex]), और कोणीय त्वरण ([latex]\alpha[/latex]) निम्न समीकरणों से संबंधित होते हैं:

कोणीय वेग:

[latex]\omega = \omega_0 + \alpha t[/latex]

कोणीय स्थिति:

[latex]\theta = \theta_0 + \omega_0 t + \frac{1}{2} \alpha t^2[/latex]

कोणीय वेग और स्थिति का सम्बन्ध:

[latex]\omega^2 = \omega_0^2 + 2 \alpha (\theta – \theta_0)[/latex]

5. वृत्तीय गति में रेखीय वेग और रेखीय त्वरण

वृत्तीय गति में रेखीय वेग और रेखीय त्वरण महत्वपूर्ण होते हैं। तात्क्षणिक रेखीय वेग सदैव पथ के अनुदिश (tangential) होता है। इसका परिमाण निम्न प्रकार से ज्ञात किया जाता है:

[latex]v = r \omega[/latex]

जहाँ,

  • [latex]v[/latex] = रेखीय वेग
  • [latex]r[/latex] = वृत्त की त्रिज्या
  • [latex]\omega[/latex] = कोणीय वेग

वृत्तीय पथ पर तय की गई दूरी ([latex]s[/latex]) को निम्न रूप में व्यक्त किया जा सकता है:

[latex]s = \theta r[/latex]

6. रेखीय त्वरण

वृत्तीय गति में दो प्रकार के रेखीय त्वरण होते हैं:

  • अनुदिश त्वरण (Tangential Acceleration): यह उस दर को व्यक्त करता है, जिससे गति का परिमाण (वेग) बदलता है। इसे निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है:

[latex]a_t = r \alpha[/latex]

  • केन्द्राभिमुख त्वरण (Centripetal Acceleration): यह उस त्वरण को दर्शाता है, जो कण को केन्द्र की ओर खींचता है। इसका परिमाण निम्न होता है:

[latex]a_c = \frac{v^2}{r} = r \omega^2[/latex]

7. कुल रेखीय त्वरण

कुल रेखीय त्वरण (Total Linear Acceleration) को दोनों त्वरणों के संयोजन से प्राप्त किया जाता है:

[latex]a = \sqrt{a_t^2 + a_c^2}[/latex]

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Hamid Ali
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