पोषक चक्र (Nutrient Cycling)

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पोषण चक्र, कार्बन चक्र, Phosphate cycle in Hindi

पोषक चक्र का परिचय (Introduction to Nutrient Cycling):

जीवों को वृद्धि करने, प्रजनन करने और विभिन्न शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने के लिए कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कैल्शियम आदि जैसे पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है। किसी भी समय मिट्टी में मौजूद इन पोषक तत्वों की मात्रा को स्थायी अवस्था (Standing State) कहा जाता है।

पोषक तत्व पारिस्थितिकी तंत्र से खोते नहीं हैं; वे बार-बार पुनर्चक्रण (Recycle) होते रहते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटकों के माध्यम से पोषक तत्वों के तत्वों की निरंतर गति को पोषक चक्र (Nutrient Cycling) कहा जाता है। पोषक चक्र का एक अन्य नाम जैव-भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles) है (Bio: जीवित जीव, Geo: चट्टानें, वायु, जल)।

पोषक चक्र के दो प्रकार होते हैं:

  1. गैसीय चक्र (Gaseous Cycles)
  2. अवसादी चक्र (Sedimentary Cycles)

गैसीय चक्र (Gaseous Cycles)

ऐसे चक्रों में पोषक तत्वों का मुख्य भंडार वायुमंडल होता है (जैसे नाइट्रोजन, कार्बन चक्र)।

अवसादी चक्र (Sedimentary Cycles)

ऐसे चक्रों में पोषक तत्वों का मुख्य भंडार पृथ्वी की भूपर्पटी होती है (जैसे सल्फर, फॉस्फोरस चक्र)।

पारिस्थितिकी तंत्र – कार्बन चक्र (Ecosystem – Carbon Cycle):

गैसीय चक्र (Gaseous Cycles) है। क्योंकि CO₂ के मुख्य भंडार वायुमंडल में स्थित होते हैं।

कार्बन जीवों के शुष्क वजन का लगभग 49% होता है, जो पानी के बाद दूसरे स्थान पर है। वैश्विक कार्बन का लगभग 71% महासागरों में घुला हुआ होता है, जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। वायुमंडल में कुल वैश्विक कार्बन का केवल लगभग 1% ही होता है।

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कार्बन चक्र की प्रक्रियाएँ (Carbon Cycling Processes)

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)

जैवमंडल में प्रतिवर्ष एक महत्वपूर्ण मात्रा में कार्बन को स्थिर करता है।

श्वसन (Respiration)

उत्पादकों और उपभोक्ताओं की श्वसन क्रियाओं द्वारा CO₂ को वायुमंडल में वापस छोड़ता है।

अपघटन (Decomposition)

अपघटक (Decomposers) अपशिष्ट पदार्थों और मृत जीवों को तोड़कर CO₂ को रिलीज़ करते हैं।

जीवाश्म ईंधन और मानव गतिविधियाँ (Fossil Fuels and Human Activities)

जीवाश्म ईंधन का दहन, वनों की कटाई और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ वायुमंडल में अतिरिक्त CO₂ को छोड़ती हैं।
मानव गतिविधियों ने वायुमंडल में CO₂ की रिहाई की दर में काफी वृद्धि की है, जिससे जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect) में योगदान हुआ है।

पारिस्थितिकी तंत्र – फॉस्फोरस चक्र (Ecosystem – Phosphorus Cycle)

अवसादी चक्र (Sedimentary Cycles) है। क्योंकि CO₂ के मुख्य भंडार भुमि में स्थित होते हैं।

फॉस्फोरस जैविक झिल्लियों (Biological Membranes), न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids), और कोशिकीय ऊर्जा स्थानांतरण प्रणालियों जैसे ATP (Cellular Energy Transfer Systems) का एक प्रमुख घटक है। यह जानवरों के लिए गोले, हड्डियों और दाँत बनाने के लिए भी आवश्यक है।
फॉस्फोरस का प्राकृतिक भंडार चट्टान (Rock) है, जिसमें फॉस्फेट (Phosphates) होते हैं। जब चट्टानें मौसम के कारण टूटती हैं, तो फॉस्फेट मिट्टी में घुल जाते हैं और पौधों द्वारा अवशोषित हो जाते हैं।

फॉस्फोरस चक्र की प्रक्रियाएँ (Phosphorus Cycling Processes)

पौधों द्वारा अवशोषण (Absorption by Plants)

पौधे मिट्टी के पानी में घुले फॉस्फेट को अवशोषित करते हैं।

शाकाहारियों द्वारा उपभोग (Consumption by Herbivores)

शाकाहारी और अन्य जन्तु पौधों को खाकर फॉस्फोरस प्राप्त करते हैं।

अपघटन (Decomposition)

मृत जीवों और अपशिष्ट उत्पादों को फॉस्फेट-घुलनशील बैक्टीरिया द्वारा अपघटित किया जाता है, जो फॉस्फोरस को मिट्टी में वापस छोड़ते हैं।

कार्बन चक्र के विपरीत, फॉस्फोरस चक्र में गैसीय चरण शामिल नहीं होता है और वायुमंडल में फॉस्फोरस नहीं छोड़ता।

कार्बन और फॉस्फोरस चक्र के बीच अंतर (Differences Between Carbon and Phosphorus Cycles):

– कार्बन चक्र में गैसीय आदान-प्रदान शामिल है, जबकि फॉस्फोरस चक्र में ऐसा नहीं है।

– वर्षा के माध्यम से वायुमंडलीय फॉस्फोरस का इनपुट कार्बन की तुलना में बहुत कम होता है।

– कार्बन चक्र गैसीय चक्र (Gaseous Cycles) है। जबकि फॉस्फोरस चक्र अवसादी चक्र (Sedimentary Cycles) है।

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