शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान ( Education Psychology in Teaching-Learning)

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शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान का महत्व (Importance of Education Psychology in Teaching-Learning)

शिक्षण-अधिगम (Teaching-Learning) प्रक्रिया में मनोविज्ञान (Psychology) का अत्यधिक महत्व है। यह शिक्षण और अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार (Behavior), मानसिकता (Mentality), और अधिगम पद्धति (Learning Methods) को समझने का आधार प्रदान करता है। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों का संपूर्ण एवं संतुलित विकास करना है, और इसमें मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अधिगमकर्ता की भूमिका (Role of Learning)

अधिगम (Learning) एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य अधिगमकर्ता (Learner) का संपूर्ण और संतुलित विकास करना है। यह प्रक्रिया अधिगमकर्ता, वातावरण (Environment), और विषयवस्तु/पाठ्यवस्तु (Content) के बीच अंतःक्रिया (Interaction) पर आधारित है।

अधिगमकर्ता अधिगम प्रक्रिया का एक प्रमुख अंग है और स्पष्ट रूप से अधिगम का कारक भी है। अधिगमकर्ता का महत्व इसलिए है क्योंकि:

  • अधिगम उसकी बुद्धि (Intelligence), क्षमता (Ability), योग्यता (Skill), रूचि (Interest), और प्रयास (Effort) पर निर्भर करता है।
  • अधिगमकर्ता द्वारा प्राप्त अधिगम उसके विकास (Development) के विभिन्न आयामों में प्रकट होता है।

विकास के आयाम

अधिगमकर्ता के विकास के मुख्य आयाम निम्नलिखित हैं:

  1. संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development): सोचने और समझने की क्षमता का विकास।
  2. सामाजिक विकास (Social Development): समाज में सामंजस्य और सहभागिता का विकास।
  3. शारीरिक विकास (Physical Development): शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य में सुधार।
  4. भावनात्मक विकास (Emotional Development): भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने की क्षमता।
  5. मानसिक विकास (Mental Development): तर्क शक्ति और स्मृति का विकास।
  6. सृजनात्मक विकास (Creative Development): नवाचार और रचनात्मकता का विकास।
  7. आध्यात्मिक विकास (Spiritual Development): आत्मबोध और आंतरिक शांति।
  8. भाषात्मक विकास (Linguistic Development): संवाद और अभिव्यक्ति की क्षमता।
  9. चारित्रिक विकास (Character Development): नैतिकता और मूल्य आधारित व्यवहार का विकास।

विशेष ध्यान

  1. विशेषज्ञता का विकास
    यदि अधिगमकर्ता किसी विशेष क्षेत्र में अधिक अधिगम प्राप्त करता है, तो वह उस क्षेत्र में विशेषज्ञ (Expert) बन जाता है।
  2. शिक्षक भी अधिगमकर्ता
    कई बार, अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक (Teacher) भी अधिगमकर्ता बनता है। जब वह अपने ज्ञान, अनुभव, या कौशल में सुधार करता है या कुछ नया सीखता है, तो वह भी अधिगमकर्ता की भूमिका निभाता है।

शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान ( Education Psychology in Teaching-Learning)

शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान ( Education Psychology in Teaching-Learning)

शिक्षक का महत्व (Importance of Teacher)

विद्यालय को समाज का छोटा रूप माना गया है, जिसमें समाज के आदर्श और व्यवहार प्रतिबिंबित होते हैं। शिक्षक (Teacher) इस छोटे समाज के नेता होते हैं, जो छात्रों को ज्ञान देने के साथ-साथ शारीरिक, साहित्यिक, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार, शिक्षक छात्रों के सर्वांगीण विकास (Holistic Development) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शिक्षक: शिक्षा-पद्धति की गत्यात्मक शक्ति

शिक्षक शिक्षा-पद्धति की वास्तविक गत्यात्मक (Dynamic) शक्ति हैं। विद्यालय के भवन, पाठ्यक्रम (Curriculum), सहगामी क्रियाएँ (Co-curricular Activities), निर्देशन कार्यक्रम (Guidance Programs), और पाठ्यपुस्तकें (Textbooks) तभी प्रभावी हो पाती हैं जब उन्हें अच्छे शिक्षकों द्वारा संचालित किया जाता है।

  • शिक्षक ही वह शक्ति हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नई पीढ़ी को प्रभावित करती है।
  • वे राष्ट्रीय और भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर विश्व व्यवस्था और मानव जाति को उन्नति के मार्ग पर ले जाते हैं।
  • इसलिए, यह कहना उचित है कि किसी भी समाज और देश की प्रगति उत्तम शिक्षकों पर निर्भर करती है।

शिक्षक: राष्ट्रनिर्माता

शिक्षक को राष्ट्र के भाग्य का निर्माता कहा जाता है। उनकी योग्यता, ज्ञान, और शिक्षण कौशल (Teaching Skills) शिक्षा के पुनर्निर्माण की कुंजी हैं।
शिक्षक से अपेक्षित गुण:

  1. बालकों को समझने की शक्ति
  2. सहयोगात्मक व्यवहार (Collaborative Nature)
  3. शिक्षण योग्यता (Teaching Ability)
  4. कार्य करने की इच्छाशक्ति (Motivation to Work)

शिक्षण: एक मानसिक प्रक्रिया

शिक्षण (Teaching) एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक और छात्रों के मस्तिष्क के बीच संबंध स्थापित होता है। इस संबंध की गुणवत्ता शिक्षक के व्यक्तित्व (Personality) और कौशल (Skills) पर निर्भर करती है।

अच्छे शिक्षक के गुण

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में डॉ. एफ. एल. क्लैप (1913) के अध्ययन के अनुसार, एक अच्छे शिक्षक के लिए निम्नलिखित गुण आवश्यक हैं:

  1. सम्बोधन (Communication Skills)
  2. संयम (Patience)
  3. आशावादिता (Optimism)
  4. उत्साह (Enthusiasm)
  5. शुभचिन्तन (Positive Thinking)
  6. सहानुभूति (Empathy)
  7. विद्वत्ता (Expertise in Subject)

शिक्षा पद्धति और शिक्षक का प्रभाव

माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार, शिक्षा पद्धति की कुशलता पूरी तरह से शिक्षकों की योग्यता पर निर्भर करती है।

  • यदि शिक्षक सक्षम हैं, तो वे शिक्षा पद्धति के दोषों को भी दूर कर सकते हैं।
  • विद्यालय की प्रतिष्ठा (Reputation) और समाज पर उसका प्रभाव शिक्षकों की योग्यता और व्यवहार पर आधारित है।

 

शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान का महत्व (Importance of Education Psychology in Teaching-Learning)

अधिगम प्रक्रिया को समझने में सहायक

मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि अधिगमकर्ता (Learner) कैसे सीखते हैं। उनकी रुचियां (Interests), क्षमताएं (Abilities), और योग्यताएं (Skills) क्या हैं। इससे शिक्षक (Teacher) यह जान सकते हैं कि छात्रों की अधिगम क्षमता (Learning Ability) अलग-अलग होती है और उसी के अनुसार शिक्षण विधि (Teaching Methods) को अनुकूलित किया जा सकता है।

व्यक्तिगत भिन्नताओं का ज्ञान

हर छात्र (Student) की सोचने-समझने की प्रक्रिया (Cognitive Process), अनुभव (Experiences), और पृष्ठभूमि (Background) अलग होती है। मनोविज्ञान शिक्षक को इन व्यक्तिगत भिन्नताओं (Individual Differences) को पहचानने और उसी के अनुसार शिक्षण पद्धति (Teaching Strategy) अपनाने में मदद करता है।

मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग

शिक्षा में कई मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों (Psychological Theories) का उपयोग किया जाता है:

  • पावलॉव का क्लासिकल कंडीशनिंग सिद्धांत (Classical Conditioning by Pavlov)
  • स्किनर का ऑपरेटेंट कंडीशनिंग सिद्धांत (Operant Conditioning by Skinner)
  • पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Cognitive Development Theory by Piaget)

यह सिद्धांत शिक्षक को छात्रों की मानसिक अवस्था (Mental State) और अधिगम शैली (Learning Style) के अनुसार सामग्री और विधियां तैयार करने में मदद करते हैं।

प्रेरणा का महत्व

मनोविज्ञान यह समझने में सहायक है कि छात्रों को अधिगम के लिए प्रेरित (Motivated) कैसे किया जाए। प्रेरणा (Motivation) छात्रों को ध्यान केंद्रित करने और तेजी से सीखने में मदद करती है।

शिक्षा के उद्देश्य का निर्धारण

मनोविज्ञान शिक्षण के उद्देश्य (Goals of Teaching) तय करने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षा केवल जानकारी प्रदान करने तक सीमित न हो, बल्कि छात्रों के सामाजिक (Social), भावनात्मक (Emotional), और मानसिक (Mental) विकास में सहायक हो।

शिक्षक-छात्र संबंध

मनोविज्ञान शिक्षक और छात्र के बीच एक सकारात्मक संबंध (Positive Relationship) स्थापित करने में मदद करता है। एक अच्छा शिक्षक छात्रों की मानसिकता को समझकर उनके साथ सहानुभूति (Empathy) और मित्रता (Friendship) का व्यवहार करता है।

सृजनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल का विकास

मनोविज्ञान छात्रों की सृजनात्मकता (Creativity) को बढ़ाने और उनके समस्या-समाधान कौशल (Problem-Solving Skills) को विकसित करने में सहायक है। यह उन्हें आत्मनिर्भर (Independent) और आत्मविश्वासी (Confident) बनाता है।

आधुनिक शिक्षण विधियों का विकास

मनोविज्ञान शिक्षण में नई तकनीकों और विधियों, जैसे समूह अधिगम (Group Learning), संवादात्मक शिक्षण (Interactive Teaching), और प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण (Project-Based Learning), के विकास में योगदान देता है।

 

मनोविज्ञान शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को वैज्ञानिक (Scientific) और व्यावहारिक (Practical) दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह न केवल शिक्षकों को छात्रों को बेहतर समझने और उन्हें प्रभावी ढंग से पढ़ाने में मदद करता है, बल्कि छात्रों के संपूर्ण विकास में भी सहायक होता है। इस प्रकार, शिक्षण-अधिगम में मनोविज्ञान की भूमिका शिक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है।

इन्हें भी पढ़े

  1. मनोविज्ञान की परिभाषा एवं विकास
  2. शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं, प्रकृति तथा विशेषताएँ
  3. अधिगम का अर्थ एवं विशेषताएँ
  4. अधिगम के प्रकार

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