संश्लेषी सिद्धांत  (Synthetic Theory Of Evolution Hindi)

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Synthetic Theory Of Evolution Hindi, संश्लेषी सिद्धांत

संश्लेषी सिद्धांत (Synthetic Theory) विकास (Evolution) को समझाने के लिए आनुवंशिकी (Genetics) और प्राकृतिक चयन (Natural Selection) को जोड़ता है। यह सिद्धांत बताता है कि कैसे अलग-अलग तंत्र मिलकर जनसंख्या (Population) में समय के साथ विकासात्मक परिवर्तन करते हैं।

इस सिद्धांत को हक्सले ने प्रस्तुत किया था और इसे Genetics और Origin of Species को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है।

संश्लेषी सिद्धांत के मुख्य बिंदु (Synthetic Theory):

  1. प्राकृतिक चयन और जननिक पृथककरण:

    – नई प्रजातियों की उत्पत्ति के लिए प्राकृतिक चयन (Natural Selection) और जननिक पृथककरण (Reproductive Isolation) दोनों आवश्यक हैं।
    – प्राकृतिक चयन विभिन्न समष्टियों (Populations) को विभिन्न अनुकूलनी दिशाओं की ओर मोड़ता है, जबकि भौगोलिक बाधाएँ उनके बीच जननिक पृथककरण सुनिश्चित करती हैं, जिससे समय के साथ नई प्रजातियों का उद्भव होता है।

  2. Evolution के लिए आवश्यक तत्व:

    – (i) जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation)
    – (ii) गुणसूत्रों की संख्या व संरचना में परिवर्तन (Changes in Chromosome Number and Structure)
    – (iii) जीन पुनर्योजन (Gene Recombination)
    – (iv) प्राकृतिक चयन (Natural Selection)
    – (v) जननिक प्रवाह (Genetic Drift)

  3. Evolution में सहायक क्रियाएं:

    – एक समष्टि से दूसरी समष्टि में जीवों का प्रवास (Migration)
    – निकट संबंधी जातियों में संकरण (Hybridization)
    – आनुवांशिक विचलन (Genetic Drift)

हार्डी-विनबर्ग सिद्धांत (Hardy-Weinberg Principle) (1908)

हार्डी-विनबर्ग सिद्धांत बताता है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में, लैंगिक जनन करने वाली एक आबादी में युग्मविकल्पी जीन्सों (Alleles) की आवृत्ति (Frequency) पीढ़ी दर पीढ़ी स्थिर रहती है। इस सिद्धांत की कुछ शर्तें हैं:

– आबादी के सदस्यों में जनन संयोगित और मुक्त होना चाहिए।
– आबादी में उत्परिवर्तन (Mutation) नहीं होना चाहिए।
– आबादी से बाहरी व्यक्तियों का प्रवासन (Migration) नहीं होना चाहिए।
– आबादी बड़ी होनी चाहिए और सभी जीव समान संख्या में युग्मक (Gametes) बनाने चाहिए।

हार्डी-विनबर्ग समीकरण:

 p2 + 2pq + q2 = 1
  (p + q)2 = 1

जहाँ:
– p + q = 1 =दोनों युग्मविकल्पी जीन्सों की आवृत्तियों का योग सदैव एक होता है।
– p2:= समयुग्मजी (Homozygous) प्रभावी जीन की आवृत्ति।
– q2 =समयुग्मजी अप्रभावी जीन की आवृत्ति।
– 2pq = विषमयुग्मजी (Heterozygous) जीन सदस्यों की आवृत्ति।

पांच घटक हार्डी विनबर्ग साम्यता को प्रभावित करते हैं। ये है-
1. आनुवांशिक विचलन

2. जीन पलायन या जीन प्रवाह

3. उत्परिवर्तन

4. जीन पुनर्योजन

5. प्राकृतिक वरण

आनुवांशिक विचलन (Genetic Drift) / Sewall Wright Effect

आनुवांशिक विचलन (Genetic Drift) एक प्रक्रिया है जो छोटी समष्टियों (Small Populations) में जीन आवृत्तियों में आकस्मिक परिवर्तन को दर्शाती है। यह दो मुख्य प्रभावों के माध्यम से होता है:

  1. संस्थापक प्रभाव (Founder Effect):- जब एक बड़ी समष्टि (Large Population) के कुछ सदस्य एक नए स्थान पर पहुँचकर छोटी समष्टि (Small Population) के रूप में स्थापित होते हैं और उनके लक्षण उनके मूल समष्टि से भिन्न हो जाते हैं, तब यह संस्थापक प्रभाव कहलाता है। इसके परिणामस्वरूप, कभी-कभी एक नई प्रजाति की उत्पत्ति हो जाती है।
  2. Bottleneck Effect (संकीर्णिकरण प्रभाव):- कई बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण समष्टि के कुछ सदस्यों की मृत्यु हो जाने से जननिक विचलन (Genetic Drift) हो सकता है। इस दौरान बचे हुए सदस्य आपस में प्रजनन कर समष्टि का वास्तविक आकार पुनः प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन कुछ जीन का अभाव हो जाता है। समय के साथ यह नई प्रजाति का रूप ले सकता है।

प्राकृतिक चयन के प्रकार (Types of Natural Selection)

Synthetic Theory of Evolution Hindi

Synthetic Theory Of Evolution Hindi, संश्लेषी सिद्धांत  source – NCERT Books

  1. स्थायी कारक प्राकृतिक वरण (Stabilizing Selection):

    – इस प्रकार के वरण में मध्यम आकार के सदस्यों की आवृत्ति बढ़ती जाती है जबकि छोटे और बड़े आकार के सदस्यों की आवृत्ति घट जाती है। यह वरण अपरिवर्तित वातावरण में कार्य करता है। उदाहरण: मानव शिशुओं में जन्म के समय वजन।

  2. दिशात्मक प्राकृतिक वरण (Directional Selection):

    – इस वरण में छोटे या बड़े सदस्य प्रकृति द्वारा चयनित कर लिए जाते हैं, जिससे वे आने वाली पीढ़ियों में बढ़ जाते हैं। उदाहरण: DDT प्रतिरोधी मच्छरों का विकास, जिराफ का विकास।

  3. विच्छेदन या विदारक प्राकृतिक वरण (Disruptive Selection):

    – इसमें दोनों चरम के सदस्य (छोटे और बड़े) चयनित कर लिए जाते हैं, जिससे उनकी आवृत्ति में वृद्धि होती है। यदि वातावरणीय परिस्थितियां बदल रही हों, तो यह प्रभाव देखा जा सकता है, जिससे एक समष्टि दो उप-समष्टियों (Sub Populations) में विभाजित हो सकती है।

संश्लेषी सिद्धांत विकास के अध्ययन में एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो आनुवंशिकी, प्राकृतिक चयन, जननिक विचलन, और अन्य कारकों के बीच समन्वय पर आधारित है। हार्डी-विनबर्ग सिद्धांत और प्राकृतिक चयन के प्रकार इस सिद्धांत को और भी स्पष्टता प्रदान करते हैं।

इन अवधारणाओं को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये विकासात्मक जीवविज्ञान और आनुवंशिकी के मूल सिद्धांतों का निर्माण करते हैं।

Synthetic Theory Of Evolution Hindi, संश्लेषी सिद्धांत

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