मेंडलवाद (Mendelism), मेंडल का इतिहास (History of Mendel)

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मेंडलवाद (Mendelism) – मेंडल द्वारा किए गए प्रयोगों तथा दिए गए अनुवांशिकता के नियमों को मेंडल वाद के नामों से जाना जाता है। ग्रेगर जोहन मेंडल ने अनुवांशिकता पर महत्वपूर्ण कार्य किये। उनके कार्यों का उल्लेख इस पृष्ठ पर किया गया है। इस पृष्ठ पर आपको निम्नलिखित बिंदुओं के बारे में जानकारी प्राप्त होगी –

मेंडल का इतिहास (History of Mendel)

वैज्ञानिक ग्रेगर जॉन मेंडल का जन्म 20 जूलाई 1822 में ऑस्ट्रिया साम्राज्य के सिलेसियन में हुआ था, जो अब चेक गणराज्य में पड़ता है।
मेंडल ने ऑस्ट्रिया के ब्रून शहर में पादरी का काम करते हुए उद्यान मटर (Pisum sativum) पर प्रयोग किए। इनके प्रयोग Experiments in Plant Hybridization (पादप संकरण पर प्रयोग) नाम से Natural History Society of Brunn in Bohemia (Czech Republic) नामक संस्था द्वारा प्रकाशित हुए।

मेंडल द्वारा मटर के पादप को चुनने के कारण (Reasons for Mendel’s selection of pea plant)

ग्रेगर जॉन मेंडल ने उद्यान मटर के पौधे में 7 वर्षों तक संकरण के प्रयोग किए तथा उनके आधार पर जीवों की वंशागति को प्रस्तावित किया। निम्न कारणों की वजह से मटर के पादप को अध्ययन के लिए चुना-
1. मटर का पादप आकार में छोटा होता है। इसे छोटी जगह पर आसानी से उगाया जा सकता है।
2. मटर के पादप का जीवनकाल (Life Span) छोटा होता है। यह 1 वर्ष में ही प्रजनन कर समितियां उत्पन्न कर लेता है।
3. मटर के पादप उभयलिंगी (Hermaphrodite) होते हैं। इनमें स्वपरागण (Self pollination) होता है। परंतु इनमें आसानी से पर परागण (Artificial pollination) करवाया जा सकता है।
4. मटर के पादप में अधिक विविधता (Variation) पाई जाती है।

मेंडल के द्वारा चुने गए लक्षण (Contrasting character choosed by Mendel)

मेंडल ने अध्ययन के लिए मटर के 7 जोड़ी विप्रयासी लक्षणों (contrasting character) को चुना जो निम्नलिखित है
1. तने की लंबाई – लंबा (Tall) और बोना (Dwarf)
2. फूल का रंग – बैंगनी (Violet) और सफेद (White)
3. फूल की स्थिति – अक्षीय (Axial) तथा शीर्षस्थ (Terminal)
4. फली का आकार – फुला हुआ ( Inflated) तथा सिकुड़ा हुआ (Constructed)
5. फली का रंग – हरा (Green) और पीला (Yellow)
6. बीज का आकार – गोल (Round) और झुर्री दार (Wrinkled)
7. बीज का रंग – पीला (Yellow) और हरा (Green)

मेंडल के नियमों की पुनः खोज ( Rediscovery of mendel’s law)

मेंडल के प्रयोगों को अनुसंधान संस्थान द्वारा नकार दिया गया। इनके नियमों की पुनः खोज ह्यूगो डी व्रीस, कार्ल कोरेंस और एरिक वॉन शेरमाक ने पृथक-पृथक काम करते हुए की।

मेंडल की सफलता के कारण (Reason of Mendel success)

मेंडल आनुवंशिकता के नियमों की व्याख्या करने में सफल रहे क्योंकि
1) उन्होंने मटर के पौधों को चुना जो शुद्ध वंशक्रम वाले थे।
2) मेंडल के द्वारा चुने गए सभी लक्षण विभिन्न गुणसूत्रों पर पाए जाने वाले जीन द्वारा नियंत्रित होते हैं जिससे उनका अध्ययन सफल रहा।
3) उन्होंने केवल उन्हीं लक्षणों को चुना जो विपरीत थे।
4) मेंडल की सफलता का मुख्य कारण यह था कि उन्होंने संकरण के अपने प्रयोगों में एक समय में केवल एक ही प्रकार के लक्षण को लिया जिससे प्रयोग आसान हो गया।

मेंडल के प्रयोग (Experiments of Mendel)

  1. एक जीन की वंशागति – इसके नोट्स को पढने के लिए – Click here
  2. दो जीन की वंशागति – इसके नोट्स को पढने के लिए – Click here

 

मेंडल के आनुवंशिकता के नियम (Mendelian law of inheritance)

  1. प्रभाविता का नियम (law of dominance) – इसके नोट्स को पढने के लिए – Click here
  2. पृथक्करण का नियम (law of segregation) – इसके नोट्स को पढने के लिए – Click here
  3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (law of independent assortment) – इसके नोट्स को पढने के लिए – Click here

 

इन्हें भी पढ़े

  1. आनुवंशिकी  एवं मेंडल के आनुवंशिकी के नियम
  2. अनुवांशिक विज्ञान / आनुवंशिकी
  3. घातक जीन : प्रभावी और अप्रभावी घातक जीन
  4. डीएनए की संरचना, रासायनिक प्रकृति, भौतिक प्रकृति तथा प्रकार
  5. डीएनए की संरचना (structure), डीएनए की प्रतिकृति (Replication) एव अनुलेखन (Transcription)
  6. DNA प्रतिकृति (DNA Replication in Hindi)
  7. आरएनए की संरचना, प्रकार तथा उनके कार्य
  8. अनुलेखन की क्रियाविधी

 

बाहरी कड़ियाँ

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