राजस्थान के खनिज संसाधन
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
पृथ्वी की भूपर्पटी में पाये जाने वाले यौगिक जिनमें धातुओं की मात्रा पाई जाती है, खनिज कहलाते है।
ऐसे खनिज जिनमें धातुओं की मात्रा अधिक होती है। तथा उनसे धातुओं का निष्कर्षण करना आसान होता है, अयस्क कहलाते है।
धातु | अयस्क |
हैमेटाइट | लौहा |
बॉक्साइट | एल्यूमिनियम |
गैलेना | सीसा (लेड) |
पायरोलुसाइट | मेंग्निज |
डोलोमाइट | कैल्शियम |
सिडेराइट | लौहा |
मैलेकाइट | तांबा |
कैलामीन | जिंक (जस्ता) |
जिप्सम | कैल्शियम |
लाइमस्टोन | कैल्शियम |
संगमरमर | कैल्शियम |
क्रायोलाइट | एल्यूमिनियम |
फ्लोसपार | कैल्शियम |
केओलिन (चीनी मिटटी) | एल्यूमिनियम |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
खनिज उत्पादन में राजस्थान का 5.70% है। भारत में राजस्थान अलौह खनिज के उत्पादन में प्रथम है। तथा लौह खनिज के उत्पादन के मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का चौथा स्थान है।
राजस्थान का भारत में स्थान
आधार | स्थान |
अलौह खनिज का उत्पादन | प्रथम |
लौह खनिज का उत्पादन | चतुर्थ |
खनन में होने वाली आय | पाँचवा |
खनिज उत्पादन का मूल्य | आठवाँ |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
खनिज भंडार की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा तथा प्रथम झारखंड का स्थान है। झारखंड में स्थित “छोटा नागपुर पठार” में खनिजों की मात्रा अधिक होने के कारण इसे “भारत का खनिजों का अजायबघर तथा भारत का रूर प्रदेश” कहते है।
राजस्थान में खनिज पदार्थों की विविधता के कारण इसे राज्यों में “खनिजों का अजायबघर” कहा जाता है। भारत में खनिजों की सर्वाधिक खाने राजस्थान तथा उड़ीसा में है।
खनिजों को तीन भागों में बांटा गया हैं-
- धात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज
- ऊर्जा खनिज
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan) राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
धात्विक खनिज
लौहा
लौहे का सर्वाधिक उत्पादन ब्राजील में तथा भारत में सर्वाधिक उत्पादन उड़ीसा में होता है। राजस्थान में लोहे का सर्वाधिक उत्पादन जयपुर, दौसा तथा झुंझुनू में होता है।
लोहे का सर्वाधिक भंडार अमेरिका में, भारत में सर्वाधिक भंडार कर्नाटक में तथा राजस्थान में भंडार उदयपुर में है।
ब्राजील की माउंट इताबीरा खान लोहे के लिए विश्व प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ की बैलाडीला खान तथा जयपुर की मोरिजा बेनाल खान लोहे के लिए प्रसिद्ध है।
लौहे के चार प्रमुख अयस्क होते हैं-
- मैग्नेटाइट
- हेमेटाइट
- लिमोनाइट
- सीडेराइट
मैग्नेटाइट
यह लोहे का सर्वश्रेष्ठ अयस्क है। इस में लोहे की 71% मात्रा होती है। यह विश्व में सर्वाधिक पाया जाने वाला लौहा है। इसका सर्वाधिक उत्पादन अमेरिका में होता है।
हेमेटाइट
यह मैग्नेटाइट की अपेक्षा कम श्रेष्ठ है। क्योंकि इनमें इस में लोहे की मात्रा 60 से 70% होती है।
भारत में यह सर्वाधिक राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान में यह जयपुर में सर्वाधिक पाया जाता है। यह लाल रंग का अयस्क है।
लिमोनाइट
इस में लोहे की मात्रा 45% होती है। इसे जलयोजित लौहा भी कहते है।
सीडेराइट
इस में लोहे की मात्रा 45% से कम होती है। इसे कार्बोनेट लौहा भी कहते है।
राजस्थान के प्रमुख लौहा उत्पादक क्षेत्र
- मोरीजा बेनाल (जयपुर)
- निमला रायसेला (दौसा)
- कुशलगढ़ (अलवर)
- डाबला-सिंघाना (झुंझुनू)
- नीमकाथाना (सीकर)
- थुर, हुन्डेर व नाथरा की पाल (उदयपुर)
विश्व में लौहा उत्पादन की दृष्टि से भारत का चौथा स्थान है। तथा भारत जापान में सर्वाधिक लोहे का निर्यात करता है।
सीसा-जस्ता (जिंक)
गैलेना सीसा व जस्ता का अयस्क है। सीसा और जस्ता का उत्खनन एक साथ ही होता है।
देबारी उदयपुर में मोचिया मगरा खान से सीसा-जस्ता व तांबा निकलता है।
1966 में जावर-देबारी में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड संयंत्र की स्थापना की गई परंतु वर्तमान में इस संयंत्र का कुछ भाग वेदांता समूह ने ग्रहण कर लिया है।
भीलवाड़ा के रामपुरा-आगूचा में सर्वश्रेष्ठ सीसा-जस्ता का उत्पादन होता है।
एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेल्टर प्लांट इंग्लैंड के सहयोग से चित्तौड़गढ़ के चंदेरिया में स्थापित की गयी है। तथा अन्य जिंक स्मेल्टर प्लांट देबारी (उदयपुर) में है।
राजस्थान के प्रमुख सीसा-जस्ता उत्पादक क्षेत्र
- रामपुरा-आगूचा (भीलवाड़ा) विश्व की सबसे बड़ी सीसा-जस्ता की खान
- जावर-देबारी (उदयपुर)
- राजपुरा-दरीबा (राजसमंद)
- चौथ का बरवाडा (सवाई माधोपुर)
तांबा
तांबा विद्युत का अच्छा सुचालक होता है। तांबे का सर्वाधिक उत्पादन दक्षिणी अमेरिका के चिलि में होता है। भारत में इस का सर्वाधिक उत्पादन मध्यप्रदेश व राजस्थान में तथा राजस्थान में इस का सर्वाधिक उत्पादन खेतड़ी (झुंझुनू), अलवर तथा उदयपुर में होता है।
दक्षिणी अमेरिका के चिली की चुचकमाता खान तांबे के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
भारत में बालाघाट (मध्यप्रदेश) तांबा उत्पादन में विश्व प्रसिद्ध है। राजस्थान में तांबे का सर्वाधिक उत्पादन खेतड़ी झुंझुनू में होता है। जहां पर भारत की सबसे बड़ी तांबे की खान है।
तांबे के सर्वाधिक भंडार झारखंड तथा राजस्थान में पाए जाते है। पूर-दरीबा (भीलवाडा) में तिरंगा पहाड़ियों पर जिंदल ग्रुप द्वारा तांबे का उत्पादन होता है।
मुंडियावास गांव (अलवर) में सीसा-जस्ता, सोना, चांदी व तांबे के विशाल भंडार मिले है।
खेतड़ी (झुंझुनू) में 1967 से अमेरिका के सहयोग से हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के द्वारा तांबे का उत्खनन हो रहा है।
राजस्थान के प्रमुख तांबा उत्पादक क्षेत्र
- खेतड़ी (झुंझुनू)
- खो-दरीबा (अलवर)
- बीदासर व बरसिंगसर (बीकानेर)
- पूर-दरीबा (भीलवाड़ा)
मैग्नीज
भारत में इस का सर्वाधिक उत्पादन उड़ीसा में तथा राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन बांसवाड़ा में होता है। लेकिन इसके सर्वाधिक भंडार मध्यप्रदेश में है।
साइलोमिलने तथा ब्रोनाइट मैग्नीज के अयस्क है। मैग्नीज का उपयोग फोटोग्राफी में प्रयुक्त लवण के रूप में, इस्पात उद्योग में, तथा शुष्क सेल के निर्माण में होता है।
राजस्थान के प्रमुख मैग्नीज उत्पादक क्षेत्र
- राजसमन्द
- उदयपुर
- बांसवाडा
सोना
सोना सबसे कम क्रियाशील धातुओं में आता है। इसके कारण यह प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है। इसका कोई अयस्क नहीं होता।
विश्व में सोने का सर्वाधिक उत्पादन दक्षिण अफ़्रीका में, भारत में कर्नाटक में तथा राजस्थान में आनंदपुरा भूकिया (बांसवाड़ा) में होता है।
कर्नाटक की कोलार खान सोने के लिए प्रसिद्ध है। जगतपुरा (बांसवाड़ा) में सोने की खुदाई की जा रही है।
धुले महाराष्ट्र में सोने को धूलाने का प्रथम कारखाना स्थापित किया गया।
राजस्थान के प्रमुख सोना उत्पादक क्षेत्र
- जगतपूरा (बांसवाडा)
- घाटोल, आनन्दपुर भूकिया (बांसवाडा)
- पंचमऊडी, तिमरान माता (जयपुर)
- अमलवा-डिगोच (डूंगरपूर)
चांदी
चांदी विद्युत की सबसे अच्छी सुचालक होती है। अतः इसका उपयोग सोलर पैनल बनाने में होता है। इसका उत्खनन सीसा-जस्ता के साथ होता है।
अग्नेटाइट चांदी का अयस्क है। राजस्थान से उत्खनन की गई चांदी को शोधन के लिए ढूंढ (बिहार) भेजा जाता है।
राजस्थान के प्रमुख चांदी उत्पादक क्षेत्र
- जावर (उदयपुर)
- रामपुरा-आगूचा (भीलवाडा)
टंगस्टन
यह कठोर, उच्च गलनांक वाली, सामरिक महत्व की धातु है। इसका उपयोग बल्ब के तंतु (फिलामेंट), युद्ध के टैंक बनाने में किया जाता है। वोल्फ्रोमाइट टंगस्टन का अयस्क है।
राजस्थान में टंगस्टन का सर्वाधिक उत्पादन डेगाना (नागौर) में होता है। डेगाना (नागौर) में ही देश की सबसे बड़ी टंगस्टन की खान है।
राजस्थान के प्रमुख टंगस्टन उत्पादक क्षेत्र
- डेगाना (नागौर)
- वालदा गांव (सिरोही)
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan) राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
अधात्विक खनिज
अभ्रक
यह अज्वलित, ताप, ध्वनि तथा विद्युत अवरोधक होता है। अभ्रक का सर्वाधिक उत्पादन अमेरिका में, भारत में आंध्र प्रदेश में तथा राजस्थान में भीलवाड़ा व अजमेर में होता है।
अभ्रक को माइका या राजस्थानी भाषा में भोडल कहते है। सफेद अभ्रक को रूबी, हल्के गुलाबी अभ्रक को बायोटाइट तथा अभ्रक के चूर्ण को माइकेनाइट कहते है।
इसकी सबसे बड़ी मंडी भी भीलवाड़ा में है। अधिक अभ्रक उत्पादन के कारण भीलवाड़ा को अभ्रक नगरी व माइका सिटी के नाम से जाना जाता है।
अभ्रक का उपयोग ईट उद्योग में, बर्तन बनाने में, वायुयान की खिड़कियां बनाने में, विद्युत उपकरण बनाने में आदि में किया जाता है।
राजस्थान के प्रमुख अभ्रक उत्पादक क्षेत्र
- भीलवाड़ा
जिप्सम
इसको हरसौंठ तथा सेलेनाइट भी कहते है। यह कैल्शियम युक्त खनिज है। इसका रासायनिक नाम कैल्शियम सल्फेट डाई हाइड्रेट तथा सूत्र CaSO4.2H2O होता है।
यह भूमि को उपजाऊ बनाने तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस (Pop) के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है। जब भूमि की क्षारकता बढ़ जाती है। तो किसान मिट्टी को अम्लीय बनाने के लिए उसमें जिप्सम मिलाता है।
राजस्थान में प्रमुख जिप्सम उत्पादक क्षेत्र
- गोट मांगलोद (नागौर)
- जामसर (बीकानेर)
- खुशखेडा (अलवर)
रॉक फास्फेट
इसका सूत्र P2O5 होता है। रॉक फास्फेट का उपयोग सुपर फास्फेट खाद बनाने में होता है। राजस्थान में सर्वाधिक सुपर फास्फेट खाद उद्योग के कारखाने उदयपुर में है।
राजस्थान के प्रमुख रॉक फास्फेट उत्पादक क्षेत्र
- झामर कोटड़ा (उदयपुर) सर्वाधिक गहरी खान
- बिरमानिया (जैसलमेर)
- सलोपत (बांसवाडा)
बेन्टोनाइट
इसको भिगोने पर ये फुल जाता है। इसका उपयोग तेल शोधन के कारखानों में होता है।
राजस्थान में प्रमुख बेन्टोनाइट उत्पादक क्षेत्र
- बाड़मेर
- बीकानेर
डोलोमाइट
यह मैग्नीशियम युक्त चुना-पत्थर है। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा 45% से अधिक होती है। इसका उपयोग फर्श के लिए पाउडर बनाने में किया जाता है।
राजस्थान में प्रमुख डोलोमाइट उत्पादक क्षेत्र
- जयपुर
- गैनार व मोजिन (बांसवाडा)
मुल्तानी मिट्टी
इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन तथा खनिज तेलों के विरंजन में होता है। राजस्थान का इसके उत्पादन में एकाधिकार है।
राजस्थान में प्रमुख मुल्तानी मिट्टी उत्पादक क्षेत्र
- बाड़मेर
- बीकानेर
चीनी मिट्टी
चीनी मिट्टी का उपयोग बर्तन बनाने व खिलौने बनाने में होता है। इस का सर्वाधिक उत्पादन सवाई माधोपुर में होता है। यह राजस्थान की सबसे महंगी मिट्टी है।
राजस्थान में प्रमुख चीनी मिट्टी उत्पादक क्षेत्र
- नीमकाथाना (सीकर) यहाँ पर चीनी मिट्टी धूलाई कारखाना है।
- वसुवरायसीना खान (सवाई माधोपुर)
सिलिका रेत
सिलिका रेत का उपयोग कांच बनाने में होता है। सर्वाधिक कांच उद्योग के कारखाने धौलपुर में है।
राजस्थान में प्रमुख चीनी मिट्टी उत्पादक क्षेत्र
- बारोदिया खीमज (बुंदी)
- जयपुर
- सवाई माधोपुर
फेल्सपार
यह अभ्रक का उत्पाद है, इसका उपयोग सिरेमिक, सफेद सीमेंट तथा काँच उद्योग में होता है। राजस्थान का 96% फेल्सपार मकरेश गांव की खान अजमेर से प्राप्त होता है।
राजस्थान के प्रमुख फेल्सपार उत्पादक क्षेत्र
- अजमेर
- भीलवाड़ा
फ्लोराइट
फ्लोराइट का उपयोग कीटनाशक दवा बनाने में होता है। इस का सर्वाधिक उत्पादन मांडो की पाल (डूंगरपुर) में होता है।
वोलस्टोनाइट
इसका उपयोग पेंट, कागज तथा सिरेमिक उद्योग में होता है। इस का सर्वाधिक उत्पादन सिरोही में होता है।
एस्बेस्टोस
इसे रॉक वूल या मिनरल सिल्क भी कहा जाता है। इस का सर्वाधिक उत्पादन उदयपुर में होता है।
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
बहुमूल्य खनिज
संगमरमर
यह एक इमारती पत्थर है। राजस्थान में सर्वाधिक संगमरमर की खाने तथा सर्वाधिक उत्पादन राजसमंद (राजनगर तथा मोरवड जिले) में होता है। राजस्थान में सर्वश्रेष्ठ संगमरमर का उत्पादन मकराना (नागौर) में होता है।
मार्बल की सबसे बड़ी खान किशनगढ़ अजमेर में है।
राजस्थान में निम्न प्रकार के संगमरमर उत्पादित होते हैं-
- गुलाबी संगमरमर – भरतपुर तथा जालौर में
- लाल संगमरमर – धौलपुर में इसी संगमरमर से राष्ट्रपति भवन बनाया गया है।
- सफेद संगमरमर – मकराना (नागौर) इसी से ताजमहल निर्मित है।
- बादामी संगमरमर – जोधपुर
- हरा संगमरमर – उदयपुर
- हरा-काला मिश्रित – संगमरमर उदयपुर, डूंगरपुर
- काला संगमरमर – भैंसखाना (जयपुर)
- पीला संगमरमर – जैसलमेर
- सतरंगी संगमरमर – पाली, जालौर तथा बाड़मेर
- लहरदार संगमरमर – राजसमंद
ग्रेनाइट
ग्रेनाइट का उपयोग भी इमारत बनाने में किया जाता है। इस का सर्वाधिक उत्पादन जालौर में होता है। जालौर को ग्रेनाइट सिटी कहा जाता है।
जालौर में सर्वाधिक गुलाबी रंग का ग्रेनाइट पाया जाता है।
राजस्थान के प्रमुख ग्रेनाइट उत्पादक क्षेत्र
- कालाडेरा (जयपुर)- काला ग्रेनाइट
- जैसलमेर- पीला ग्रेनाइट
चूना-पत्थर
इसका सर्वाधिक उत्पादन चित्तौड़गढ़, ब्यावर, अजमेर, जैसलमेर में होता है।
जैसलमेर के सानु क्षेत्र में अच्छी किस्म का चूना-पत्थर प्राप्त होता है।
घीया-पत्थर
इसका सर्वाधिक उत्पादन उदयपुर में होता है। इसका उपयोग टेलकम पाउडर, मूर्तियां बनाने, रंगीन पेंसिल बनाने आदि में किया जाता है।
बालूका-पत्थर
इसका सर्वाधिक उत्पादन अजमेर, कोटा, भीलवाडा में होता है।
पन्ना
यह बहुमूल्य रतन है। राजसमंद का काला-गुमान क्षेत्र पन्ना के लिए प्रसिद्ध है। पन्ना को हरी अग्नि के नाम से भी जाना जाता है।
पन्ने का सर्वाधिक उत्पादन राजसमंद में होता है। तथा पन्ना मंडी जयपुर में है।
गारनेट
इनको तामड़ा या रक्त मणि भी कहा जाता है। इसका सर्वाधिक उत्पादन राजमहल (टोंक) में होता है।
हीरा
हीरा एक बहुमूल्य रतन है। राजस्थान में इस का सर्वाधिक उत्पादन केसरपुरा (प्रतापगढ़) में होता है। जबकि भारत में इसका सर्वाधिक उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है।
हीरे की सबसे बड़ी मंडी जौहरी बाजार (मुंबई) में है। विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा गोलकुंडा खान (आंध्र प्रदेश) से निकाला गया जिसको भारत से अंग्रेजो के द्वारा ब्रिटेन ले जाया गया।
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan) राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
ऊर्जा खनिज
कोयला, पेट्रोलियम, यूरेनियम, थोरियम आदि ऊर्जा खनिज के अंतर्गत आते है।
पेट्रोलियम
इसे जीवाश्म ईंधन भी कहा जाता है। इन को काला सोना या तरल सोना भी कहा जाता है। यह अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। विश्व में सर्वाधिक पेट्रोल उत्पादन सऊदी अरब में तथा भारत में असम व राजस्थान में होता है।
राजस्थान के प्रमुख तेल संभाव्य क्षेत्र
- बाड़मेर-सांचौर बेसिन
- बीकानेर नागौर बेसिन
- जैसलमेर बेसिन
- विन्ध्यन बेसिन
भारत में प्रथम तेल का कुआं डिगबोई (असम) में खोजा गया। भारत में पेट्रोल उत्पादन का सबसे बड़ा भूभाग मुंबई हाई अरब सागर महाराष्ट्र में है।
बाड़मेर के प्रमुख तेल के कुँए
1. मंगला
यह प्रथम तेल का कुआं है। इसकी खोज के केयर्न एनर्जी द्वारा की गई। राजस्थान में सर्वप्रथम तेल का उत्पादन मंगला से 29 अगस्त 2009 से प्रारंभ हुआ।
2. ऐश्वर्या
यह राजस्थान का दूसरा तेल का कुआं है। इसमें तेल उत्पादन का प्रारंभ 23 मार्च 2013 से हुआ वर्तमान में राजस्थान में मंगला व ऐश्वर्या से ही तेल का उत्पादन होता है।
3. कामेश्वरी
4. रागेश्वरी
5. विजया
6. भाग्यम
बागेवाला, तुवरीवाला बीकानेर के तथा सादेवाला, , घोटारू जैसलमेर के प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र है।
जैसलमेर के घोटारू में सर्वाधिक एलपीजी गैस का उत्पादन होता है।
पचपदरा रिफायनरी
पचपदरा गांव बाड़मेर में रिफायनरी स्थापित की जा रही है। इसका उद्घाटन 22 सितंबर 2013 को सोनिया गांधी द्वारा किया गया।
राजस्थान की 26 वीं सदी में हिस्सेदारी 26% है। राजस्थान की स्थापना करने वाला देश का भारत की प्रथम रिफाइनरी खोली गई भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी जामनगर गुजरात में है।
कोयला
कोयले की चार किस्म होती है। जिनका नाम लिग्नाइट, ऐन्थ्रासाइट, बिटूमीन तथा पीठ है। इनमें से लिग्नाइट में कार्बन की मात्रा 90% के लगभग होती है। यह सर्वश्रेष्ठ कोयला है।
कोयला उत्पादन में चीन का प्रथम स्थान तथा भारत का चौथा स्थान है। भारत में सर्वाधिक कोयले का उत्पादन झारखंड में होता है। राजस्थान में सर्वाधिक कोयला बाड़मेर व बीकानेर से प्राप्त किया जाता।
राजस्थान के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र
- कपूरडी (बाड़मेर) सर्वाधिक कोयला
- जालिया (बाड़मेर)
- गिरल (बाड़मेर)
- कसनाऊ (नागौर)
- बरसिंगसर (बीकानेर)
- पलाना यहां पर सर्वश्रेष्ठ कोयला निकलता है।
नोट – कोसूल-होडू (बाड़मेर) में लिग्नाइट के भंडार मिले है।
यूरेनियम
यह नाभिकीय ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। इसके भंडार ऊमरा गाँव (उदयपुर) में मिले है।
राजस्थान के प्रमुख खनिज एवं इनका उत्पादन प्रतिशतता
खनिज | प्रतिशत |
जास्पर | 100 |
गारनेट | 100 |
वोलस्टोनाइट | 100 |
जस्ता | 99 |
फ्लोराइट | 96 |
जिप्सम | 93 |
संगमरमर | 90 |
एस्बेस्टस | 89 |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
राजस्थान के खनिज संसाधन से जुडी प्रमुख संस्थाएँ
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (Oli and Natural Gas Corporation, ONGC)
यह भारतीय की सबसे बड़ी तेल उत्पादक बहूराष्ट्रीय कम्पनी है। इसका मुख्यालय देहरादून (उतराखण्ड) में है। ओएनजीसी की स्थापना 1956 में हुई।
17 सितंबर 2014 को ओएनजीसी (ONGC) कंपनी द्वारा बाड़मेर में राजस्थान का 36 वा तेल का कुआं ऐश्वर्या खोजा गया।
ओएनजीसी कंपनी द्वारा जैसलमेर बाड़मेर को पेयजल प्राप्त करने हेतु सरस्वती योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत पेयजल के लिए कुओं का निर्माण करवाया जा रहा है। प्रथम कुआं जैसलमेर में निर्मित हुआ है।
राजस्थान राज्य खान व खनिज लिमिटेड (Rajasthan State Mines and Minerals limited, RSMML)
इसकी स्थापना 1974 में एक सार्वजनिक कम्पनी के रूप में हुई। यह अधात्विक खनिज के उत्पादन तथा विपणन का कार्य करती है। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (Rajasthan State Mineral Development Corporation, RSMDC)
इसकी स्थापना 27 सितम्बर 1979 में हुई लेकिन 20 फरवरी 2003 को इसका विलय RSMML में हो गया। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राजस्थान खनिज नीति
- राज्य की प्रथम खनिज नीति 1978 को घोषित की गयी।
- राजस्थान खनिज नीति 2015 को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 4 जून 2015 को जारी की गयी।
Note – Image source for education purpose – http://www.rsmm.com/
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