राजस्थान के प्रमुख संत सम्प्रदाय

राजस्थान के प्रमुख संत सम्प्रदाय (Rajasthan Ke Pramukh Sant Sampraday)

प्रमुख सम्प्रदाय

  1. वल्लभ सम्प्रदाय
  2. रामानन्दी सम्प्रदाय
  3. निम्बार्क सम्प्रदाय
  4. शैव सम्प्रदाय
  5. दादू सम्प्रदाय
  6. जसनाथी सम्प्रदाय
  7. विश्नोई सम्प्रदाय
  8. रसिक सम्प्रदाय
  9. गौडीय सम्प्रदाय
  10. रामस्नेही सम्प्रदाय
  11. लालदासी सम्प्रदाय
  12. अलखिया सम्प्रदाय
  13. नाथ सम्प्रदाय
  14. गुदड सम्प्रदाय
  15. निष्कलंक सम्प्रदाय
  16. परनामी सम्प्रदाय
  17. निरंजनी सम्प्रदाय
  18. चरणदासी सम्प्रदाय
  19. राजाराम सम्प्रदाय
  20. दासी सम्प्रदाय
  21. तेरापंथी सम्प्रदाय

 

 

 

वल्लभ सम्प्रदाय (पुष्टि मार्गीय सम्प्रदाय)

प्रवर्तक – वल्लभाचार्य

धारा – सगुण

दर्शन – शुद्धाद्वेत

प्रमुख केंद्र – नाथद्वारा (राजसमन्द)

अन्य केंद्र

  1. द्वारकाधीश मंदिर – कांकरोली
  2. विठ्ठल नाथ मंदिर – नाथद्वारा
  3. मधुरेश मंदिर – कोटा
  4. गोकुलचंद मंदिर – कामा (भरतपुर)

विशेषता – कृष्ण की बाल रूप में पूजा, कृष्ण की बाल लीलाओं का चित्रण पिछ्वाईयां तथा कृष्ण के भजन हवेली संगीत कहलाते है।

प्रमुख अनुयायी

  1. मेवाड़ का राजसिंह
  2. किशनगढ़ का सावंत सिंह / नागरीदास

प्रमुख संस्था –

अष्टछाप कवि मंडल जिसके संस्थापक विठ्ठल नाथ है।

 

रामानन्दी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – रामानन्द जी

धारा – सगुण

प्रमुख केंद्र /पीठ – गतला जी (जयपुर) जिसके संस्थापक कृष्णदास पयहारी है।

विशेषता – गतला जी (जयपुर) को मंकी वेली या उत्तर तोतादी कहते है।


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निम्बार्क सम्प्रदाय (सनकादिक, हंस या नारद सम्प्रदाय)

प्रवर्तक – निम्बार्काचार्य

दर्शन – द्वेताद्वेतवाद (12 वी शताब्दी)

धारा – सगुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – सलेमाबाद (अजमेर) जिसके संस्थापक परशुराम है।

ग्रन्थ – वेदांत पारिजात भाष्य

विशेषता

राधा-कृष्ण के जोड़े की पूजा जिसे जुगल सरकार कहते है।

 

शैव सम्प्रदाय

धारा – सगुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – एकलिंगजी मंदिर उदयपुर

शाखाएँ

  1. कापालिक – भैरव को शिव का अवतार
  2. लिंगायत – वीर शैव सम्प्रदाय
  3. काश्मिरक
  4. पशुपति/पाशुपात – जिसके संस्थापक लकुलीश है।

प्रमुख अनुयायी

  1. मेवाड़ के गुहिल शासक

विशेषता

शिव की पूजा, लकुलीश मंदिर (एकलिंगजी मंदिर) उदयपुर में है। जिसके निर्माता नरवाहन है।

 

दादू सम्प्रदाय (परब्रह्मा सम्प्रदाय)

प्रवर्तक –दादूदयाल जिनके गुरु वृद्धानंद / बुडढण जी है।

धारा – निर्गुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – नारायण (जयपुर)

प्रमुख शाखाएँ

  1. खालसा – इसके संस्थापक दादूदयाल के बड़े पुत्र गरीबदास है।
  2. खाकी / नागा – इसके संस्थापक सुंदरदास है।
  3. उतराधा – राजस्थान के उत्तर दिशा में पाए जाने वाले दादू पंथी
  4. विरक्त – घुमक्कड़ दादू पंथी
  5. स्थानधारी – गेरुआ वस्त्र धारण करने वाले, ग्रहस्थ, सैनिक प्रवृति वाले, दादू पंथी

प्रमुख स्थान

  1. सांभर
  2. कल्याणपुर
  3. आमेर
  4. नरैणा
  5. भैराणा

ग्रन्थ – 1. दादूदयाल रा दुहा 2. दादूदयाल री वाणी (जिसमे 5000 छंद है।) इनकी भाषा सधुक्कड़ी है।

विशेषता

  1. दादू के 152 शिष्यों में 52 शिष्य 52 स्तम्भ या खंभे कहलाते है।
  2. दादूदयाल का सत्संग स्थल ‘अलख दरीबा’ कहलाता है।
  3. दादू पंथी विवाह नहीं करते ये गोद लेकर अपना पंथ चलाते है। और शव को जलाते नहीं जंगल में छोड़ देते है। ये ‘सत्य राम’ का अभिवादन करते है।
  4. अकबर भगवानदास (आमेर राजा) के माध्यम से दादू से फतेहपुर सिकरी में मुलाकात की

 


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जसनाथी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – जसनाथ जी

धारा – निर्गुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – कतरियासर (बीकानेर)

ग्रन्थ – सिंभूदडा तथा कोड़ा

प्रमुख संत – लालनाथ जी

प्रमुख अनुयायी

जाट समाज के लोग, इस सम्प्रदाय के अनुयायी दो प्रकार के होते हैं–

  1. सिद्ध अनुयायी – ये भगवा वस्त्र पहनते है।
  2. जसनाथी अनुयायी – ये गृहस्थ होते है। जो गले में काली ऊन का धागा पहनते है।

विशेषता

  1. जाल वृक्ष तथा मोर पंख को पवित्र मानते है।
  2. अनुयायी अग्नि नृत्य करते है।
  3. अनुयायी के लिए 36 धर्मं नियम है।

 

विश्नोई सम्प्रदाय

प्रवर्तक – जांभोजी

दर्शन – निर्गुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – मुकाम तालवा (नोखा,बीकानेर)  स्थापना समराथल (बीकानेर) में हई

अन्य केंद्र

  1. लालासर (बीकानेर)
  2. जागुल (बीकानेर)
  3. जांभा (जैसलमेर)

ग्रन्थ – जंभसागर (29 उपदेश व 120 शब्दों का संग्रह), जंभसहिता, जंभवाणी, विश्नोई धर्म प्रकाश

प्रमुख अनुयायी

विश्नोई समाज के लोग, इस सम्प्रदाय के अनुयायी  29 नियमों का पालन करते है।

विशेषता

  1. इस सम्प्रदाय के अनुयायी भेड़ को नहीं पालते क्योंकि भेड़ नव अंकुरित पौधे को कहा जाती है।
  2. इस सम्प्रदाय के अनुयायी नील वस्त्र नहीं पहनते है।
  3. जांभोजी के उपदेश स्थल सांथरी कहलाते है।

 

 

 

रसिक सम्प्रदाय (अग्रदेसी सम्प्रदाय)

प्रवर्तक – अग्रदास जी

प्रमुख केंद्र – रेवासा (सीकर)

विशेषता – राम की पूजा कृष्ण की तरह रसिया मानते हुए

 

गौडीय सम्प्रदाय

प्रवर्तक – चैतन्य महाप्रभु

प्रमुख केंद्र / पीठ – गोविन्द देव जी का मंदिर (जयपुर)

प्रमुख अनुयायी – कछवाहा वंश के शासक अपने को गोविन्द देव जी का दीवान मानते है।

 

रामस्नेही सम्प्रदाय

प्रवर्तक – रामचरण जी महाराज (वास्तविक नाम रामकिशन) जिनके गुरु कृपाराम थे।

धारा – निर्गुण

प्रमुख केंद्र / पीठ –  शाहपुरा (भीलवाड़ा)

ग्रन्थ – अणर्भवाणी

प्रमुख संत –  हरिरामदास, दरियाव जी,  रामदास जी, जैमलदास जी

प्रमुख अनुयायी

शाहपुरा के राजा रणसिंह जिन्होंने रामचरण के रहने के लिए छतरी बनाई

प्रमुख शाखाएँ

  1. रैण शाखा – इसका प्रमुख स्थान मेड़ता (नागौर) है। इसके संस्थापक दरियाव जी है। जिसके अनुसार राम शब्द में रा का अर्थ राम तथा म का अर्थ मुहम्मद है।
  2. खेडापा शाखा – इसका प्रमुख स्थान जोधपुर है। इसके संस्थापक रामदास जी है। जिन्होंने सतगुरु की सेवा तथा सत्संग पर बल दिया और रामस्नेही सम्प्रदाय को जन-जन तक पहुचाया
  3. सिंहथल – इसका प्रमुख स्थान सिंहथल (बीकानेर) है। इसके संस्थापक हरिरामदास जी है। जिन्होंने अपने ग्रन्थ निसानी में प्राणायाम, समाधि, योग के तत्वों का उल्लेख किया है।

 

लालदासी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – लालदास जी जिनके गुरु तिजारा के सूफी संत गद्दन चिश्ती थे।

धारा – निर्गुण

प्रमुख केंद्र / पीठ – नगला (भरतपुर)

अन्य केंद्र

  1. धोली दूब (अलवर) – जन्म स्थान
  2. शेरपुर (अलवर) – समाधि स्थान

ग्रन्थ – वाणी/बाणी

प्रमुख अनुयायी

मेव जाति के लोग जो मूलतः हिन्दू होते है। लेकिन इनमें मुसलिम रीति रिवाज होते है।

विशेषता

  1. दीक्षा लेने वाले शिष्य को काला मुह करके गधे पर बिठाया जाता है।
  2. हिन्दू मुसलिम एकता पर जोर

 

अलखिया सम्प्रदाय

प्रवर्तक – लालगिरी जी

प्रमुख केंद्र /पीठ – बीकानेर

अन्य केंद्र – चुरू – जन्म स्थान

ग्रन्थ – अलख स्तुति प्रकाश

 

नाथ सम्प्रदाय

प्रवर्तक – नाथ मुनि

धारा – सगुण

प्रमुख केंद्र/ पीठ – महामंदिर (जोधपुर) जिसका निर्माण मानसिंह ने कराया था

प्रमुख अनुयायी – मानसिंह

 शाखाएँ

  1. माननाथी पंथ – जोधपुर
  2. बैराग पंथ – राताडुंगा (पुष्कर)

 प्रमुख संत – आयसदेवनाथ (मानसिंह के गुरु)

विशेषता

  1. शिव की पूजा
  2. गोरखनाथ द्वारा प्रचलित हठ योग प्रणाली प्रचलित

 

गुदड सम्प्रदाय

प्रवर्तक – संतदास जी

प्रमुख केंद्र / पीठ – दांतडा गाव (भीलवाड़ा)

विशेषता – संतदास जी गुदडी से बने वस्त्र पहनते थे।

 

निष्कलंक सम्प्रदाय

प्रवर्तक – संत मावजी (वांगड के प्रमुख संत)

प्रमुख केंद्र / पीठ – साबला (डूंगरपुर)

अन्य केंद्र – बेणेश्वर धाम (सोम-माही-जाखम का संगम)

ग्रन्थ – चोपड़ा जिसमें तीसरे विश्वयुद्ध की भविष्यवाणी है।

 

परनामी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – प्राणनाथ जी

प्रमुख केंद्र / पीठ – पन्ना (मध्यप्रदेश)

अन्य केंद्र – आदर्श नगर (जयपुर)

ग्रन्थ – कुजलम स्वरूपम

 

निरंजनी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – हरिदास जी (मूल नाम हरिसिंह सांखला था)

प्रमुख केंद्र / पीठ – गाडा धाम (नागौर)

ग्रन्थ – हरिपुरुष की वाणी, मंत्र राज प्रकाश, भक्त बिरदावाली तथा भर्तहरी संवाद

अन्य केंद्र – कापडोद ,नागौर (जन्म स्थान)

विशेषता

  1. हरिदास जी पहले डाकू थे।
  2. इनको कलयुग का वाल्मीकि कहते है।
  3. हरिदास जी अकबर तथा जहाँगीर के समकालीन थे।
  4. ये पागल हाथी को वंश में करने तथा टूटे घड़े को जोड़ने का चमत्कार करते थे।

 


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चरणदासी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – चरणदास जी जिनका मूल नाम रणजीत था

धारा – निर्गुण तथा सगुण का समन्वय

प्रमुख केंद्र / पीठ – दिल्ली

अन्य केंद्र – डेहरा गाँव (अलवर) चरणदास जी का जन्म गाँव

ग्रन्थ – ब्रह्मज्ञान सागर, ब्रह्म चरित्र, भक्ति सागर, ज्ञान स्वरोदय

प्रमुख अनुयायी

  1. दया बाई
  2. सहजो बाई

विशेषता

  1. चरणदास जी पीले वस्त्र पहनते थे।
  2. अनुयायी 42 नियमों का पालन करते है।
  3. चरणदास जी ने नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी

 

 

दासी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – मीराबाई (मूल नाम -पेमल)

ग्रन्थ – टिका राग गोविन्द, नरसी मेहता री हुंडी, रूकमण मंगल, गीत गोविन्द

 

नवल सम्प्रदाय

प्रवर्तक – नवलदास जी

प्रमुख केंद्र/ पीठ – जोधपुर

अन्य केंद्र – हरसौलाव गाव (जन्म स्थान)

 

तेरापंथी सम्प्रदाय

प्रवर्तक – आचार्य भिक्षु स्वामी

प्रमुख केंद्र/ पीठ –  जोधपुर

अन्य केंद्र – कंटालिया गाव, जोधपुर (जन्म स्थान)

अनुयायी – जैन श्वेताम्बर

 

रूद्र सम्प्रदाय

प्रवर्तक– विष्णु स्वामी या वल्लभाचार्य

मत – शुद्धाद्वेत्वाद

समय– 15 वी शताब्दी

 

राजस्थान के मुसलिम संत-

खवाजा मोईनुद्दीन चिश्ती

स्थान – अजमेर

उर्स – रज्जब माह में

हजरत शक्करबार

स्थान – नरहड (चिडावा, झुंझुनूं)

उर्स – जन्माष्टमी के दिन

बागड़ के धनी

पीर फखरुद्दीन

स्थान – गलियाकोट (डूंगरपुर)

दाउदी बोहरा सम्प्रदाय के संत


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