प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना

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प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure of Protein)

Protein (प्रोटीन ) सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले वृहद अणुओं का एक महत्वपूर्ण वर्ग है। प्रोटीन अमीनो अम्ल के एक या एक से अधिक लम्बी श्रृंखला  से बनी होती है, इन  अमीनो अम्ल का अनुक्रम  डीएनए अनुक्रम से मेल खाता है। जिनका उपयोग करके प्रोटीन का संश्लेषण किया जाता है। प्रोटीन आहार का एक अनिवार्य हिस्सा भी हैं।
प्रोटीन की संरचना के स्तर चार होते हैं –

  1. प्राथमिक संरचना (Primary Structure)
  2. द्वितीयक संरचना (Secondary Structure)
  3. तृतीयक संरचना (Tertiary Structure)
  4. चतुर्थ संरचना (Quaternary Structure)
प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure)

प्रोटीन की प्राथमिक संरचना (Primary Structure of Protein)


पेप्टाइड बंध द्वारा एक साथ जुड़े अमीनो अम्ल के रेखीय श्रृंखला को प्रोटीन की प्राथमिक संरचना कहा जाता है।

जैसे –  Ala-Val-Glu-Iso-Ala-Gly-His-Ilu-Met-Val
पेप्टाइड बंधन –
एक प्रोटीन में एक अमीनो अम्ल का –NH2 दुसरे अमीनो अम्ल के –COOH समूह से संघनन अभिक्रिया द्वारा जुड़कर पेप्टाइड बंध (-NHCO-) का निर्माण करते है।
पेप्टाइड बंध आंशिक द्वि-आबंध गुणों वाला होता है। पेप्टाइड बंध आम तौर पर ट्रांस प्रकृति का होता है।

प्रोटीन- प्राथमिक, द्वितीयक , तृतीयक तथा चतुर्थ संरचना (Primary, Secondary, Tertiary and Quaternary Structure)

https://aliscience.in/phage-therapy/

 


प्रोटीन की द्वितीयक संरचना (Secondary Structure of Protein)


पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में नियमित रूप से विभिन्न प्रकार के तह को दर्शाता है।

द्वितीयक संरचना में प्रोटीन अणु सर्पिलाकार कुंडलित होते है। द्वितीयक संरचना में प्रोटीन को हाइड्रोजन बंध द्वारा स्थिरता प्रदान की जाती है। हाइड्रोजन बंध एक एमाईड समूह के ऑक्सीजन तथा दुसरे एमाईड समूह के हाइड्रोजन के मध्य बनता है।

द्वितीयक संरचना वाले प्रोटीन जल में अघुलनशील तथा रेशेदार होते है।
इसकी द्वितीयक संरचना दो प्रकार की होती है। –
(ए) α-हेलिक्स
(बी) β-प्लेटेड शीट


(ए) α-हेलिक्स (α-Helix)


α-हेलिक्स पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में अमीनो अम्ल का एक बेलनाकार, छड़ जैसी कुण्डलीत व्यवस्था है। जिसमें दायी तरफ घुमाव (दक्षिणावर्त) वाली सर्पिलाकार कुंडलित श्रृंखला पाई जाती है।

एक α-हेलिक्स में 3.6 अमीनो अम्ल होते हैं एक हेलिक्स की लम्बाई 0.54nm होती है।

उदाहरण- केरेटिन, मायोसीन तथा ट्रोपोमायोसीन


(बी) β-प्लेटेड शीट (β-Plated Sheet)


पॉलीपेप्टाइड की टेढ़ी-मेढ़ी श्रृंखलाए एक दुसरे से हाइड्रोजन बंध के माध्यम से जुड़कर β-प्लेटेड शीट बनती हैं।

β-प्लेटेड शीट में दो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओ की दिशा एक ही होती है, तो उनको समानांतर β-प्लेटेड शीट तथा दोनों पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाए विपरीत दिशा में होती है, तो उसे प्रति-समानांतर β-प्लेटेड शीट कहते है।

जैसे- रेशम के Fibroin प्रोटीन


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प्रोटीन की तृतीयक संरचना (Tertiary Structure of Protein)


प्रोटीन की तृतीयक संरचना पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में सभी अमीनो अम्ल के त्रिविमीय (3-Dimension) व्यवस्था को दर्शाती है। प्रोटीन की तृतीयक संरचना जैविक रूप से सक्रिय संरचना होती है। इसको डाइसल्फाइड बंध, आयनिक बंध, हाइड्रोजन बंध और हाइड्रोफोबिक आकर्षण द्वारा स्थिरता प्रदान की जाती है। तृतीयक संरचना में प्रोटीन अत्यधिक वलित होकर गोलाकार रूप धारण क्र लेते है।

जीवद्रव्य में उपस्थित प्रोटीन तथा एंजाइम तृतीयक संरचना के रूप में पाए जाते है।

 


प्रोटीन की चतुर्थ  संरचना (Quaternary Structure of Protein)


यदि प्रोटीन में एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है, तो प्रोटीन चतुर्थ  संरचना के रूप में होता है। पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओ को सहसंयोजक बंध या असहसंयोजक आकर्षण जैसे हाइड्रोफोबिक आकर्षण, इलेक्ट्रोस्टैटिक बल, तथा हाइड्रोजन बंध द्वारा एक साथ जोड़ा जाता है। यह प्रोटीन की सबसे स्थायी संरचना है।

उदाहरण हीमोग्लोबिन में चार पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है। जिनमें दो α-श्रृंखला और दो β-श्रृंखला (α2β2), तथा एक हिम प्रोस्टेटिक समूह होता है।

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प्रोटीन की संरचना का निर्धारण


इसकी की संरचना का निर्धारण एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी, नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (NMR) तथा स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा किया जाता है।


महत्वपूर्ण शब्दावली (Important Terms)–


एकलक प्रोटीन (Monomeric Protein) –  ऐसी प्रोटीन जिसमें केवल एक ही पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है।

बहुलक प्रोटीन (Polymeric Protein) – ऐसी प्रोटीन जिसमें एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला होती है।

पेप्टाइड (Peptide) – ये अमीनो अम्ल की छोटी श्रृंखला है, जिसमे दो, तीन, चार अमीनो अम्ल होते है।

पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide) – ये अमीनो अम्ल की बड़ी श्रृंखला है, जिसमे 20 से ज्यादा अमीनो अम्ल होते है।

प्रोटीन (Protein) – इसमें 50 या 50 से ज्यादा अमीनो अम्ल होते है।

डाईसल्फाइड बंध (Disulphide Bond) – ये बंध अमीनो अम्ल के थायोल समूह (-SH) के मध्य बनते है जो Cystein तथा Methionine में होते है।

हाइड्रोफोबिक आकर्षण (Hydrophobic Interaction) – ये एरोमेटिक अमीनो अम्लों के बीच पाया जाने वाला आकर्षण है। इसे जल-विरागी आकर्षण भी कहते है।

आयनिक बंध (Ionic Bond) – ये प्रोटीन के दो सिरों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक आकर्षण के कारण बनते है।

 


प्रोटीन के कार्य (Function of Protein)


प्रोटीन संरचनात्मक (साइटोस्केलेटन), यांत्रिक (मांसपेशी), जैव रासायनिक (एंजाइम), और कोशिका संकेत (हार्मोन) समेत विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाते हैं।

 

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2 Comments
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  1. The functions of protein is not sufficient

    • Functions of proteins can bot be explained in detail because all enzymes are made of proteins all enzymes have their different functions, most hormones are made up of proteins they have their own functions proteins present in cell membrane have there different functions, ever many proteins are present in plasma each one have own functions, so

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