त्वचा की ग्रंथियां / त्वक ग्रंथियां (Cutaneous glands)

Hello Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है – त्वक ग्रंथियां (Cutaneous glands)

त्वचा की ग्रंथियां / त्वक ग्रंथियां (Cutaneous glands)

त्वचा के अधिचर्म के मैल्पिघी स्तर के अन्तर्वलन होने से बहिस्रावी ग्रंथियों का निर्माण होता है जिन्हें त्वक ग्रंथि (Cutaneous glands) कहते है।

मानव की त्वचा में निम्न त्वक ग्रंथियां पाई जाती है-

  1. स्वेद ग्रंथि
  2. सिबेसियस ग्रंथि
  3. स्तन ग्रंथि
  4. सिरूमिनस ग्रंथि
  5. मूलाधार ग्रंथि
  6. मिबोमियन ग्रंथि
  7. जेस ग्रंथि

स्वेद ग्रंथि (Sweat gland)

यह ग्रंथि सरल नलिकाकार ग्रंथि है। इसका निचला भाग कुंडलित होता है। जो चर्म में धंसा रहता है। इनकी महीन नलिका अधिचर्म की सतह पर खुलती है। जिनसे पसीने का स्राव होता है। पसीने में जल, लवण यूरिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड होते है। ये एपोक्राइन या मिरोक्राइन प्रकार की ग्रंथि है। एपोक्राइन वे ग्रंथियां होती है, जिनका स्रावी पदार्थ कोशिका झिल्ली से रिस-रिस कर बाहर आता है।

मनुष्य में 25 लाख स्वेद ग्रंथियां पाई जाती है। स्वेद ग्रंथियां आंखों की पलकों, जननांगों के पास, गुदा तथा चुचक (Nipple) के पास होती है। हथेली तलवों तथा बगल में स्वेद ग्रंथि सर्वाधिक मात्रा में होती है। स्वेद ग्रंथि के द्वारा शरीर के ताप का नियमन (Regulation ऑफ़ Temperature) होता है।

त्वक ग्रंथियां (Cutaneous glands)

सिबेसियस ग्रंथि (Sebaceous gland)

इनको तेल ग्रंथियां (Oil gland) भी कहते है। यह ग्रंथि बालों की जड़ों एवं पुटिकाओं के पास पाई जाती है। तथा इनका निर्माण रोम पुटिका की एपीथिलियम केवल अन्तर्वलन (innerfold) से होता है। यह रोम पुटिका में ही खुलती है। तेल ग्रंथियां हेलोक्राइन प्रकार की ग्रंथि होती है। हेलोक्राइन वे ग्रंथियां होती है, जिनका स्रावी पदार्थ ग्रंथि कोशिका के टूटने पर बाहर निकालता है।

तेल ग्रंथियों से गाढ़ा तेल जैसा पदार्थ बनता है। जिसे सीबम (Sebum) कहते है। जो रोम कांड को चिकना रखता है। जिससे त्वचा चिकनी एवं जलरोधी (Waterproof) होती है। यह शरीर के संपूर्ण शरीर पर पाई जाती है। परंतु हथेली और तलवों (Soles of feet) पर अनुपस्थित होती है। होठ, शिश्न मुंड (Glans penis), स्तन की घुण्डीयों (Areola) पर बाल नहीं पाए जाते लेकिन स्वेद ग्रंथियां पाई जाती है।

ये ग्रंथियां सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी का संश्लेषण होता है।

स्तन ग्रंथि (Mammary gland)

यह तेल ग्रंथियों के रूपांतरण से बनती है। यह ग्रंथियां चर्म की गहराई में स्थित होती है। इनकी रचना संयुक्त नलिकाकार तथा संयुक्त कुपिका प्रकार की होती है। यह एपोक्राइन प्रकार की ग्रंथि है। इनके द्वारा दूध का स्राव होता है। इन ग्रंथियों में वृद्धि के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की आवश्यकता होती है। तथा इनमें दूध ऑक्सीटोसिन हार्मोन के प्रभाव से बनता है।

सिरूमिनस ग्रंथि (Seruminous gland)

यह स्वेद ग्रंथियों के रूपांतरण से बनती है। यह ग्रंथि कर्णनाल (ear canal) की त्वचा में स्थित होती है। यह कुंडलित व नलिकाकार होती है। यह सेरूमन नामक पदार्थ का स्राव करती है। जो कर्णपटह को सुरक्षित रखता है।

मूलाधार ग्रंथि (Perineal gland)

यह ग्रंथि सिबेसियस ग्रंथि का रूपांतरण है। यह एपोक्राइन प्रकार की ग्रंथि है। यह ग्रंथि गुदा तथा मूत्रजनन मार्ग के बीच में स्थित होती है। इनके द्वारा फिरेमोन जैसा गंध युक्त पदार्थ का होता है। जो लैंगिक उत्तेजना उत्पन्न करता है।

मिबोमियन ग्रंथि (Meibomian gland)

यह ग्रंथि सिबेसियस ग्रंथि का रूपांतरण है। यह पलकों की बिरौनियों (eys lashes) के नीचे पाई जाती है। इनके द्वारा स्रावित तैलीय पदार्थ कोर्निया को चिकना बनाए रखता है।

जेस ग्रंथि (Zeis gland)

यह ग्रंथि सिबेसियस ग्रंथि का रूपांतरण है। यह ग्रंथि भी पलकों के नीचे पाई जाती है। इनसे स्रावित तैलीय पदार्थ बिरौनियों (eys lashes) को चिकना बनाए रखता है।



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त्वक ग्रंथियों के प्रकार (Types of Cutaneous glands)

त्वचा पर पायी जाने वाली ग्रंथियाँ बहिःस्रावी एक्सोक्राइन ग्रंथियां (Exocrine)होती है जो उत्पादों को नलिकाओं के माध्यम से स्रावित करती है। [Exo- बाहर Crine- स्राव]

त्वक ग्रंथियाँ स्राव के आधार पर तीन प्रकार की होती है-

  1. मिरोक्राइन ग्रंथियां (Merocrine Glands)
  2. एपोक्राइन ग्रंथियां (Apocrine Glands)
  3. होलोक्राइन ग्रंथियां (Holocrine Glands)

मिरोक्राइन ग्रंथियां (Merocrine Glands)

स्रावी-धानियों के माध्यम से  एक्सोसाइटोसिस प्रक्रिया द्वारा अपने स्राव का निष्कासन करती हैं। इस प्रक्रिया में कोशिका का कोई भी हिस्सा नष्ट नहीं होता है। जैसे स्वेद ग्रंथि। [Mero-Partial थोड़ा भाग ]

एपोक्राइन ग्रंथियां (Apocrine Glands)

इस प्रकार की ग्रंथियों में कोशिका का अग्र भाग स्राव के साथ मुक्त होता हैं, इस प्रकार इन ग्रंथियों की कोशिकाएं स्राव के दौरान साइटप्लाज्म को आंशिक रूप से खो देती हैं। [Apo- away from – दूर]

होलोक्राइन ग्रंथियां (Holocrine Glands)

इन ग्रंथियों में सम्पूर्ण कोशिकाएं स्राव के साथ  मुक्त हो जाती हैं। [Holo- Whole- सम्पूर्ण]


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