संयोजी ऊत्तक का संघटन एवं प्रकार

connective tissue in hindi संयोजी ऊत्तक का संघटन एवं प्रकार

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connective tissue in hindi संयोजी ऊत्तक का संघटन एवं प्रकार

 

संयोजी ऊत्तक मीजोडर्म (Mesoderm) से विकसित होते हैं।  मीजोडर्म से उत्पन्न होने के कारण हर्टविग ने इन्हे मीजेनकाइम (Mesenchyme) कहा।

मीजेनकाइमल कोशिकाएँ (Mesenchymal Cells)

ये अनियमित आकृति की होती है। ये संयोजी ऊत्तक की अविभेदित कोशिकाएँ होती है। इनका कार्य संयोजी ऊत्तक (Connective tissue) की अन्य कोशिकाएँ बनाना होता है।

ये संयोजी ऊत्तक शरीर भार का 30% बनाते हैं। इनको आल्म्बन ऊतक भी कहते है। (पेशी 50% उपकला 10% तंत्रिका 10%)

संयोजी ऊत्तक का संघटन (Composition of Connective Cells)

ऊत्तक तीन घटकों का बना होता है-

  1. विभिन्न प्रकार की विभिन्न कोशिकाएँ (Cells)
  2. तन्तु (Fibres)
  3. मेट्रिक्स (Matrix)

 

संयोजी ऊत्तक की कोशिकाएँ (The Cells Of Connective Tissue)

  1. फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएँ (Fibroblast cells)
  2. प्लाज्मा कोशिका (Plasma Cells)
  3. मास्ट कोशिकाएँ (Mast Cells)
  4. एडिपोज कोशिकाएँ (Adipose Cells)
  5. मेक्रोफेज (Macrophage)
  6. लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)

 

फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएँ (Fibroblast cells)

  • ये संयोजी ऊत्तक की बड़ी कोशिकाएँ तथा संख्या में अधिकतम होती है।
  • ये कोशिका तथा इनका केन्द्रक दोनों अण्डाकार होते हैं।
  • ये आकृति में अनियमित होती है।
  • ये तन्तु तथा मेट्रिक्स उत्पन्न करने वाली मुख्य कोशिकाएँ है।
  • पुरानी फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएँ निष्क्रिय कोशिकाएँ होती है।
  • इन्हे अविभेदित कोशिकाएँ माना जाता है। ये ओस्टीयोब्लास्ट तथा कॉन्ड्रियोब्लास्ट (Osteoblast & Chondrioblast) कोशिकाओं में रूपान्तरित हो सकते हैं, जो अस्थि (Bones) तथा उपास्थि (Bone and Cartilage) बनाते हैं।

 

प्लाज्मा कोशिका (Plasma cells)

  • इनका निर्माण बी कोशिकाओं (B Cells) से होता है। ये संख्या में कम होती है। ये आकृति में अमीबीय होती है।
  • इसमें क्रोमेटिन पदार्थ पहिये में स्पॉक समान व्यवस्थित होते हैं, अतः इन्हे Cart Wheel Cells कहते हैं।
  • ये कोशिकाएँ लिम्फोसाइट्स विभाजन के द्वारा बनती है। अतः इन्हे लिम्फोसाइट्स के क्लोन कहते है।
  • इनका मुख्य कार्य एन्टिबॉडी उत्पन्न करना (Formation of Antibody), स्त्रावण करना तथा परिवहन करना है।

 

मास्ट कोशिकाएँ (Mast cells)

इनको मेस्टोसाइट्स भी कहते है। ये आकार में अमीबॉइड तथा छोटी तथा असंख्य होती है।

संरचनात्मक तथा कार्यात्मक रूप से बेसोफिल होती है। कोशिका द्रव्य में बेसोफिलिक कण होते हैं, जो क्षारीय मीथाइलीन ब्ल्यू (Methylene Blue) से अभिरंजित (Stain) हो सकते हैं।

ये संयोजी ऊत्तक की महत्पपूर्ण कोशिका है, क्योंकि ये प्रतिरक्षा (Immunity) प्रदान करने का कार्य करती है।

इनसे निम्नलिखित रसायनों का स्राव होता है-

  1. हिस्टामिन (Histamine)
  2. सेरोटोनिन (Serotonin)
  3. हिस्टामिन (Histamine)
हिस्टामिन (Histamine)

यह एक प्रोटीन है जो रक्त कोशिकाओं की पारगम्यता को बढ़ाती है।

ये एलर्जि तथा जलन अभिक्रियाओं में भाग लेती है।

सेरोटोनिन (Serotonin)

इसको 5- हाइड्रोक्सि ट्रिप्टेमिन भी कहते हैं।

यह वेसोकन्सट्रिक्टर प्रोटीन है, तथा रक्त परिसंचरण घटाती है, लेकिन रक्त दाब बढ़ाती है।

कटने या चोट के स्थल पर सेरोटोनिन रक्त हानि को घटाता है।

हीपेरिन (Heparin)

म्युकोपोलिसेकेराइड प्राकृतिक प्रति स्कन्दित है, जो प्रोथ्रोम्बिन के थ्रोम्बिन में परिवर्तक को रोकने द्वारा रक्त वाहिनियों में रक्त के स्कन्दन को रोकता है।

एडिपोज कोशिकाएँ (Adipose Cells)

ये वसा कोशिकाएँ (Fat cells) है। ये अण्डाकार कोशिकाएं होती है।

ये वसा कणों (Fat granules) के रूप में वसा संग्रहित करती है, जो छोटी तेल बूँदों के संलयन द्वारा निर्मित होती है।

वसा कणिकाओं की संख्या के आधार पर एडिपोसाइट्स दो प्रकार की होती है-

मोनोलॉक्युलर एडिपोसाइट्स (Mononuclear Adipocytes)
  1. इनको श्वेत वसा ऊत्तक कोशिकाएं (White fat tissue) कहते है।
  2. इन कोशिकाओं में एकल बड़ी तथा केन्द्रिय वसा कणिका उपस्थित होती है।
  3. इनकी कोशिकाओं में कोशिका द्रव्य संख्या में कम होता है।केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य परिधीय होता है।
  4. वसा कणिका के संघनन के कारण केन्द्रक चपटाकार हो जाता है। ये एडिपोसाइट्स श्वेत वसा बनाती है।
मल्टिलॉक्युलर एडिपोसाइट्स (Multinuclear Adipocytes)
  1. इनको भूरी वसा ऊत्तक कोशिकाएं (Brown fat tissue) कहते है।
  2. इन कोशिकाओं में 2-3 वसा कणिकाएँ केन्द्रक के चारों ओर कोशिकाद्रव्य वितरीत होती है। ये एडियोसाइट्स भूरी वसा बनाती है।

 

मेक्रोफेज (Macrophage)

इनको हिस्टीयोसाइट (Histiocytes) तथा क्लेस्मोसाइट्स (Clasmatocytes) भी कहते है। यह संख्या तथा आकृति में दूसरी बड़ी कोशिका है।

इनका केन्द्रक वृक्क होता है, ये अमीबॉइड होते हैं। कोशिकाद्रव्य अत्यधिक अकणिकीय होती है, लेकिन लाइसोसोम की अधिक मात्रा की उपस्थिति के कारण यह कणिकीय दिखाई देता है।

इनकी उत्पत्ति मोनोसाइट कोशिकाओं से होती है। ये प्रकृति में भक्षकाणु (Phagocytes) होती है, तथा फेगोसाइटोसिस द्वारा जीवाणु व विषाणु को मारती है।

इन्हे संयोजी ऊत्तक की सफाईकर्मी कोशिकाएँ भी कहते हैं, क्योंकि ये संयोजी ऊत्तक की मृत्त कोशिकाओं को नष्ट करती है। भिन्न-भिन्न अंगों में मेक्रोफेज के अलग-अलग नाम होते है-

  • फुफ्फुस (Lungs) – डस्ट कोशिकाएँ
  • यकृत (Liver)- कुफ्फर कोशिकाएँ
  • रक्त (Blood)- मोनोसाइट्स
  • मस्तिष्क (Brain) – माइक्रोग्लीयल कोशिकाएँ
  • थायमस ग्रन्थि (Thymus) – हेसल कणिकाएँ
  • प्लीहा (Spleen) – जालिकावत् कोशिकाएँ

 

लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)

इनमें बड़ा केन्द्रक उपस्थित होता है, तथा कोशिकाद्रव्य परिधीय परत के रूप में उपस्थित होता है। कोशिकाद्रव्यी मात्रा कम होती है।

एन्टिबॉडीज उत्पन्न, परिवहन तथा स्त्रावित करती है। ये बी, टी तथा एनके कोशिका (B, T & NK cells) कहलाती है। बी कोशिका (B-cells) विभाजित होकर संयोजी ऊत्तक की प्लाज्मा कोशिकाएँ बनाती है।

संयोजी ऊतक के प्रकार Connective tissue in hindi

तन्तु (Fibres)

संयोजी ऊत्तकों के आधात्री (Matrix) में तीन प्रकार के तन्तु पाए जाते हैं-

  1. कोलेजन तन्तु (Collagen fibers)
  2. इलास्टिक तन्तु (Elastin Fibres)
  3. जालिकावत तन्तु (Reticule Fibers)

 

कोलेजन तन्तु (Collagen fibers)

ये चमकीले श्वेत तन्तु है, जो कोलेजन प्रोटीन (ट्रोपोकोलेजन) के बने होते हैं। कोलेजन तन्तु कशेरूकियों में अधिकतम संख्या में होते हैं।

मानव में केवल कोलेजन तन्तु संयोजी ऊत्तक तन्तुओं का एक तिहाई भाग 1/3 बनाते हैं।

ये मोमी तथा स्पर्शी तन्तु होते हैं, जो बंडल में व्यवस्थित होते हैं, तथा फेशिया (facia) कहलाते हैं। उबालने पर ये जीलेटिन में परिवर्तित हो जाते हैं। जीलेटिन का उपयोग दवाईयों के केप्सुल बनाने में होता है।

इलास्टिक तन्तु (Elastin Fibers)

ये पीले रंग के प्रत्यास्थता (elastic) गुण वाले तन्तु है। तथा इलास्टिन प्रोटीन के बने होते हैं। ये शाखित (Branched) तन्तु होते हैं, लेकिन सदैव एकल रूप से व्यवस्थित होते हैं।

इनमें रसायनों के प्रति उच्च प्रतिरोधकता (Resistivity) होती हैं। जब इन्हे उबाला जाता है, तो ये नहीं घुलते हैं। ये ट्रिप्सिन एन्जाइम द्वारा पच सकते हैं।

जालिकावत तन्तु (Reticule Fibers)

ये रेटिक्युलिन प्रोटीन के बने होते हैं। कोलेजन तन्तुओं के प्रीकरसर होते हैं, तथा प्रत्यास्थता के अभाव में आसानी से टूट जाते हैं। यह पतले तथा अशाखित होते हैं।

इन्हे आर्जिरोफिल तन्तु भी कहते हैं, तथा रजत लवणों से अभिरंजित हो सकते हैं।   ये मुख्यतया लसिकाणु अंगों में फैले होते हैं, जैसे प्लीहा या लसिका सन्धि।

आधात्री / मेट्रिक्स (Ground Substance)

मेट्रिक्स म्युकोपोलिसेकेराइड का बना होता है, जो हायएल्युरेनिक अम्ल के रूप में उपस्थित होता है। इसमें ग्लाइकोप्रोटीन, ग्लाइकेन तथा ग्लुकोएमिनोग्लाइकेन होते हैं।


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संयोजी ऊत्तक के प्रकार (Types of Connective Tissue)

संयोजी ऊत्तक तीन प्रकार के होते है-

  1. ढ़ीले संयोजी ऊत्तक (Loose Connective Tissue)
  2. सघन संयोजी ऊत्तक (Dense Connective Tissue)
  3. विशिष्टकृत संयोजी ऊत्तक  (Specialised Connective Tissue)

 

ढ़ीले संयोजी ऊत्तक (Loose Connective Tissue)

तन्तु तथा फाइब्रोब्लास्ट सघन संयोजी ऊत्तक में ढीले रूप से बंधे होते हैं।

एडिपोज ऊत्तक (Adipose Tissue)

एडिपोज ऊत्तक ढ़ीले संयोजी ऊत्तक है, जो त्वचा के नीचे, वृक्क के चारों ओर तथा अस्थि मज्जा (Bone merrow) में प्रचुर होता है।

फाइब्रोब्लास्ट, माइक्रोफेज, कोलेजन तन्तुओं तथा प्रत्यास्थ तन्तुओं के अलावा एडिपोज ऊत्तक में बड़ी, गोलाकार या अण्डाकार कोशिकाएँ होती है, जिन्हे वसा कोशिकाएँ या एडियोसाइट्स (Adipocytes) कहते हैं।

एडिपोसाइट्स में कोशिकाद्रव्य तथा कोशिकांग प्लाज्मा झिल्ली के ठीक नीचे संकीर्ण एन्युलर परत में वसा गोलिकाओं द्वारा दबे होते हैं।

एडिपोज ऊत्तक वसा (Fat) का संश्लेषण (Synthesis) , संग्रहण (Store) तथा उपापचयन (Metabolism) करता है। ये त्वचा के नीचे ऊष्मारोधी परत (Insulator) के निर्माण द्वारा ऊष्मा हानि को रोकता है।

वृक्क (Kidney) तथा नेत्र गोलकों (Eye ball) के चारों ओर आघात अवशोषी संसंजन बनाता है।

वसीय ऊत्तकों के दो प्रकार होते हैं-

श्वेत एडिपोज ऊत्तक (White adipose tissue)
  • इनमें एकल बड़ी वसा बूँद होती है।  श्वेत वसा कोशिकाओं में अपेक्षाकृत कम माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं।
भूरी एडिपोज ऊत्तक (Brown adipose tissue)
  • कोशिका में अनेक छोटी वसा बूँदे होती हैं।
  • भूरी वसा कोशिकाओं में अनेक माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं
  • भूरी वसा में रंग लौह युक्त साइटोक्रोम वर्णकों की उच्च सान्द्रता के कारण होता है।
  • भूरी वसा नवजात शिशु तथा शीतनिष्क्रिय स्तनियों में पाई जाती है।
  • भूरी वसा में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए बड़ी क्षमता होती है।
  • भूरी वसा बाहर की ओर निम्न तापमान पर नवजात शिशूओं को कँपकँपाने से बचाती है।

 

वायवीय ऊत्तक (Areolar Connective Tissue)

यह अनेक खोखले अंतरांगों (Visceral) , त्वचा के नीचे तथा धमनी (Arties) व शिराओं (Veins) की भित्तियों (wall) में होते हैं।

वायु ऊत्तक में फाइब्रोब्लास्ट, मेक्रोफेज, मास्ट कोशिकाएँ, प्लाज्मा कोशिकाएँ होती है।

वायुवीय ऊत्तक विभिन्न ऊत्तकों को जोड़ता है, तथा उनके बीच पेकिंग बनाता है, तथा अंगों को सामान्य आकृति में बनाए रखने में सहायता करता है।

 

सघन संयोजी ऊत्तक (Dense Connective Tissue)

तन्तु तथा फाइब्रोब्लास्ट सघन संयोजी ऊत्तक में दृढ़ रूप से बंधे होते हैं।

तन्तुओं का विन्यास (Orientation) नियमित या अनियमित पैटर्न दर्शाता है, जिसे सघन नियमित तथा सघन अनियमित ऊत्तक कहते हैं।

सघन नियमित संयोजी ऊत्तक (Dense Regular Connective Tissue)

सघन नियमित संयोजी ऊत्तक में कोलेजन तन्तु अनेक समान्तर बंडलों के बीच पंक्ति में उपस्थित होते हैं। उदा.-कंडरा तथा स्नायु।

कंडरा (Tendons)

ये श्वेत तन्तुमय ऊत्तक है। कंडरा कंकालीय पेशियों (Skeletal Muscles) तथा अस्थियों (Bones) को जोड़ता है।

यह कोलेजन तन्तुओं के मोटे समान्तर बंडलों युक्त बहुत सघन, प्रबल तथा तन्तुमय संयोजी ऊत्तक है।

कुछ चपटी, लम्बी कंडरा कोशिकाएँ तन्तु बंडलों के बीच एकल पंक्तियों में होती है। कॉलोइडल प्रोटीन जीलेटिन कोलेजन को उबालने पर प्राप्त होती है।

स्नायु (Ligaments)

ये पीले तन्तुमय ऊत्तक है।

स्नायु अस्थियों (Bones) को जोड़ती है। स्नायु के अत्यधिक खींचाव के कारण स्प्रेन (Sprain) यानि मोच आती है।

स्नायु प्रत्यास्थ तन्तुओं के बंडल तथा कुछ कोलेजन तन्तुओं के बने होते हैं।

 Connective tissue in hindi

Source https://www.atlantaequine.com/

कंडरा तथा स्नायु में अंतर (Difference between tendons and ligaments)

कंडरा स्नायु
1. यह श्वेत तन्तुमय ऊत्तक की बनी होती है। यह पीले तन्तुमय ऊत्तक की बनी होती है।
2. कठोर तथा अप्रत्यास्थ होती है। प्रबल किन्तु प्रत्यास्थ होती है।
3. कंकाल पेशियों को अस्थि से जोड़ती है। अस्थि को अस्थि से जोड़ती है।
4. फाइब्रोब्लास्ट पंक्तियों में होती है। फाइब्रोब्लास्ट फैले होते हैं।

 

सघन अनियमित संयोजी ऊत्तक (Dense Irregular Connective Tissue)

सघन अनियमित संयोजी ऊत्तक में फाइब्रोब्लास्ट तथा अनेक तन्तु (मुख्यतया कोलेजन) होते हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यासित होते हैं।

यह ऊत्तक त्वचा (Skin) , पेशियों के चारों ओर पेरिमाइसियम (perimysium) तथा अस्थियों (Bones) के चारों ओर पेरि-ओस्टीयम (periosteum) के रूप में उपस्थित होता है।

 

जालिकावत् ऊत्तक (Reticular Connective Tissue)

यह जालिकावत कोशिकाओं (Reticular cells) की बनी होती है, इन कोशिकओं की आकृति तारे जैसी होती है। ये कोशिकाएँ कार्य में भक्षक होती है।

मेट्रिक्स तथा कुछ अन्य प्रकार की कोशिकाएँ जाल के अवकाशों (Intercellular space) में भी पाई जाती है।

जालिकावत् ऊत्तक प्लीहा (Spleen) , लसिका सन्धियों (Lymph nodes) , अस्थि मज्जा (Bone Marrow) आदि में पाया जाता है।

 

विशिष्टकृत संयोजी ऊत्तक  (Specialised Connective Tissue)

इसके अंतर्गत रक्त (Blood), अस्थि (Bones) तथा उपास्थि (Cartilage) आती है। जिनके बारे में दूसरे लेख में बताया जाएगा।

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