
संचार व्यवस्था की महत्वपूर्ण शब्दावली (Important Terminology of Communication Hindi)
संचार (Communication)
यह सूचनाओं (Information) को भेजने की एक क्रिया है। जिसमें किसी सूचना, संदेश, समाचार, संवाद या संकेत आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजा जाता है। तथा प्राप्त किया जाता है।
संचार व्यवस्था (Communication System)
वह व्यवस्था जिसके द्वारा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजा जाता है। संचार व्यवस्था कहलाती है।
इसमें एक स्थान से सूचनाओं को भेजा जाता है। तथा दूसरे स्थान पर ग्रहण किया जाता है।
संचार तंत्र के तीन भाग होते है-
प्रेषित्र (Transmitter)
यह सुचना स्रोत से उत्पन्न सुचना के संकेतों को वांछित रूप में बदल कर ग्राही को भेजता है।
संचार चैनल (Communication Channel)
यह प्रेषित्र से सुचना को ग्रहण करके अभिग्राही तक ले जाने का माध्यम होता है।
अभिग्राही (Receiver)
यह सुचना को मूल रूप में प्राप्त करने का कार्य करता है।
संचार व्यवस्था की महत्वपूर्ण शब्दावली (Important Terminology of Communication Hindi)
सूचना (Information)
सूचना एक ऐसा संदेश है। जो भाषा, संवाद, चित्र या डाटा (आंकड़े) के रूप में होता है। सूचना या सूचनाएं जहां से प्राप्त होती है। उसे सूचना स्रोत कहा जाता है।
उदाहरण रेडियो में सूचना भाषण के रूप में होती है।
टीवी में भाषण व चित्र दोनों के रूप में तथा कंप्यूटर या मेमोरी में डाटा के रूप में होती है।
संकेत (Signal)
सूचनाओं को भेजने के लिए विद्युत रूप में रूपांतरित सूचना को संकेत कहते हैं। किसी स्रोत द्वारा प्राप्त संदेश या सूचना विद्युत रूप में नहीं होती। इसलिए इसे उपकरण द्वारा विद्युत रूप में परिवर्तित किया जाता है। जिसे संदेश संकेत कहते हैं अतः संकेत समय का एक फलन होता है। जिसमें सूचनाएं निहित होती है।
संकेत निम्न प्रकार के होते हैं
अनुरूप संकेत (Analog Signal)
वह संकेत जिसमें धारा या वाल्टता का समय के साथ सतत रूप से परिवर्तित होती रहती है। अनुरूप संकेत कहलाते हैं। यह संकेत समय का सतत फलन होता है। जिसका आयाम भी सतत होता है।
उदाहरण ज्यावक्रीय अतरंग
टीवी में ध्वनि व दृश्य संकेत अनुरूप संकेत होते हैं।
अंकीय संकेत (Digital Signal)
वे संकेत जो समय के साथ सतत रूप से परिवर्तित न होकर विविक्त रूप से अथार्त स्पंदो के रूप में होता है। अंकीय संकेत कहलाते हैं।
इन संकेतों को द्विआधारी संख्या (Binary Number System) पद्धति द्वारा व्यक्त करते हैं।
द्विआधारी संख्या (Binary Number System) पद्धति में दो स्तर 0 एवं 1 होते हैं, जिन्हें बिट कहते हैं।
1. | सिंगल बाइनरी अंक (1 या 0) | 1बिट |
2. | 8 बिट्स | 1बाइट |
3. | 1,024 बाइट्स | 1 किलोबाइट (KB) |
4. | 1,024 किलोबाइट्स | 1 मेगाबाइट (एमबी) |
5. | 1,024 मेगाबाइट | 1 गीगाबाइट (जीबी) |
6. | 1,024 गीगाबाइट | 1 टेराबाइट (टीबी) |
7. | 1,024 टेराबाइट्स | 1 पेटाबाइट (PB) |
8. | 1,024 पेटाबाइट्स | 1 एक्साबाइट (ईबी) |
कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट संकेत अंकिय संकेत होते हैं।
ट्रांसड्यूसर (Transducer)
वह उपकरण जो ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करता है, ट्रांसड्यूसर कहलाता है।
किसी स्रोत द्वारा उत्पन्न सूचना को मूल रूप में अधिक दूरी तक भेजना संभव नहीं होता। इसलिए इसे विद्युत संकेतों, धारा या वाल्टता के रूप में परिवर्तित किया जाता है।
उदाहरण माइक्रोफोन
ध्वनि संकेत को विद्युत संकेत में लाउडस्पीकर विद्युत संकेतों को ध्वनी संकेतों में परिवर्तित कर देता है।
अतः माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर दोनों एक प्रकार के ट्रांसड्यूसर है।
मॉडुलन (Modulation)
यह एक ऐसी प्रक्रियाँ है जिसमें कम आवृति (Low Frequency) के संकेतों को उच्च आवृति (High Frequency) के संकेतों में बदल दिया जाता है। अतः संकेतों के आवृति परस (Frequency Range) को बदलने कि क्रिया मॉडुलन (Modulation) कहलाती है।
मॉडुलन से सिग्नल यानि संकेतों कि ऊर्जा में वृद्धि कर दी जाती है जिससे वे आसानी से अभिग्राही तक पहुच जाते है।
विमॉडुलन (Demodulation)
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा तरगों से वापस सुचना कि प्राप्ति कि जाती है। विमॉडुलन कहलाती है। यह मॉडुलन के विपरीत होती है।
मॉडेम (Modem)
यह युक्ति (Device) जो मॉडुलन तथा विमॉडुलन दोनों का कार्य करती है।
शोर (Noise)
वे संकेत जो संचार व्यवस्था के संदेशों के भेजने व ग्रहण करने में बांधा उत्पन्न करते हैं, और कहलाते हैं।
शोर संचार व्यवस्था के बाहर या अंदर स्थित हो सकते हैं। कभी-कभी शोर के कारण संकेत इतना विकृत या खराब हो जाता है कि इसे ग्रहण करना मुश्किल हो जाता है।
क्षीणता (Attenuation)
क्षीणता के कारण संचार चैनल या माध्यम में विद्युत संकेत की तीव्रता में हानि होती रहती है। अतः संकेत की तीव्रता में हानि होने को क्षीणता कहते हैं।
प्रवर्धन (Amplification)
संचार व्यवस्था में जब संकेत एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेज भेजे जाते हैं, तो समय के साथ-साथ उनमें क्षीणता हो जाती है।
अतः प्रवर्धन की सहायता से संकेत की तीव्रता में वृद्धि की जाती है। यह प्रक्रिया प्रवर्धन कहलाती है।
परास (Range)
स्रोत तथा ग्राही के बीच वह अधिकतम दूरी जहां तक संकेत को उसकी पर्याप्त प्रबलता के साथ भेजा जा सकता है, परास कहलाता है।
परिवर्तक (Converter or Transformer)
वह उपकरण जो एक संकेत को दूसरे संकेत में बदल देता है। परिवर्तक कहलाता है।
- जो अनुरूप संकेत को अंकीय संकेत में बदलता है। उसे A to D परिवर्तक कहा जाता है।
- जो अंकीय संकेत को अनुरूप संकेत में बदल देता है। उसे D to A परिवर्तक कहा जाता है।
पुनरावर्तक (Repeater)
पुनरावर्तक स्रोत (Source) तथा ग्राही (Receiver) के मध्य उपयुक्त स्थान पर लगा लगाया जाता है। जो भेजे गए संकेतों की परास को बढ़ा देते हैं।
अतः पुनरावर्तक स्रोत (Source) तथा ग्राही (Receiver) के मध्य संयोजन होता है।
प्रत्येक पुनरावर्तक पिछले पुनरावर्तक से आने वाले संकेत को ग्रहण करके उन्हें प्रवर्धित यानि बढ़ा देता है। तथा आगे भेज देता है। इस प्रकार सिग्नल अंततः लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।
Special Thanks to Dinesh Sigar and wikimedia.
Very nice 👌👍