विद्युत धारा एवं विभवांतर
विद्युत धारा एवं विभवांतर (Electric current and Electric Potential)
विद्युत धारा (Electric Current)
आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।
किसी चालक तार से प्रति सेकण्ड प्रवाहित होने आवेशों की संख्या विद्युत धारा कहलाती है।
I = Q/t
विद्युत धारा के प्रवाह के दौरान इलेक्ट्रान का प्रवाह कैथोड़ से एनोड़ की ओर होता है लेकिन फिर भी विद्युत धारा की दिशा एनोड़ (+Ve) से कैथोड (-Ve) {इलेक्ट्रॉन के प्रवाहित होने की दिशा के विपरीत} मानी जाती है।
यदि किसी चालक तार में से 1200 कूलाम आवेश 2 मिनट तक प्रवाहित होते हैं, तो-
I = Q/t
= 1200C/120S
= 10A
विद्युत धारा अदिश राशि है।
इसका मात्रक एम्पियर होता है तथा इसको एमिटर के द्वारा मापा जाता है।
विद्युत धारा में परिणाम और दिशा दोनों होते हैं, फिर भी यह एक अदिश राशि होती है। क्योंकि विद्युत धारा सदिश योग की बीजगणित के नियमों का पालन नहीं करते।
विद्युत विभव एवं विभवान्तर (Electric Potential and Potential Difference)
विद्यु विभव किसी विद्युत क्षेत्र में एक इकाई आवेश की स्थतिज ऊर्जा है।
किसी एकांक आवेश को चालक तार के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने के लिए किया गया कार्य विभवान्तर कहलाता है।
विभवांतर को वोल्टमीटर द्वारा मापा जाता जो विद्युत् परिपथ में पार्श्वक्रम में जोड़ा जाता हैं ।
1 वोल्ट की परिभाषा
जब एक कूलॉम आवेश को तार के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने के लिए एक जूल का कार्य किया जाता हैं, तो विभवांतर 1 वोल्ट कहलाता हैं।
1V= 1JC¯¹
विद्युत परिपथ (Electric Circuit)
विद्युत धारा के बंद एवं सतत प्रवाह को विद्युत परिपथ कहते है। विद्युत परिपथ में काम आने वाले अवयवों को निम्न प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है-
ओम का नियम (Ohm’s ।aw)
यदि किसी चालक तार की भौतिक अवस्था स्थिर रहे, तो धारा प्रवाहित करने पर इसके सिरों पर उत्पन्न विभवांतर इसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
V ∝ I
V =RI
R = नियतांक
V तथा I के मध्य जब ग्राफ खिंचा जाता है, तो एक सीधी रेखा प्राप्त होती।
डायोड तथा ट्रांजिस्टर अओमनिय युक्तियां है, क्योंकि इनमें जब विद्युत धारा प्रवाहित करके विभवांतर को नाप कर V तथा I के मध्य ग्राफ खिंचा जाता है तो एक सीधी रेखा प्राप्त नहीं होती ।
प्रतिरोध (Resistance)
किसी चालक तार या पदार्थ का वह गुण जो उस में प्रवाहित होने वाले आवेश के प्रवाह में बांधा उत्पन्न करें प्रतिरोध कहलाता है
यह एक अदिश राशि है इसका मात्रक ओम (Ω) होता है
R = V/ I
एक ओम (Ω) की परिभाषा
जब परिपथ में से 1 एम्पियर (A) विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो तथा तार के दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर एक वोल्ट (V) हो तो प्रतिरोध 1 ओम (Ω) कहलाता है।
धारा नियंत्रक
किसी विद्युत परिपथ में प्रतिरोध को बदलने करने के लिए धारा नियंत्रक का उपयोग किया जाता हैं।
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प्रतिरोधको का संयोजन (Combination of Resistance)
प्रतिरोधको को दो प्रकार से जोड़ा जा सकता है-
- श्रेणीक्रम संयोजन
- समान्तरक्रम संयोजन
श्रेणीक्रम संयोजन (Series Combination)
जब विभिन्न प्रतिरोधको के सिरों को एक के बाद एक श्रेणी में जोड़ा जाता है तो इसे श्रेणीक्रम संयोजन कहते है।
प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित विद्युत धारा का मान समान रहता है लेकिन प्रत्येक प्रतिरोधको के सिर के बीच विभवान्तर अलग अलग होता। जो परिपथ के कुल विभवान्तर के बराबर होता है अतः
V = V1 +V2 + V3 ……….. (1)
ओम के नियमानुसार
V = IR
इसी प्रकार
V1 = IR1
V2 = IR2
एवं
V3 = IR3
उपरोक्त मान समीकरण (1) में रखने पर
IR = IR1 + IR2 + IR3
I(R) = I(R1 + IR2 + IR3)
R = R1 + IR2 + IR3
अतः परिपथ के तुल्य प्रतिरोध व्यक्तिगत प्रतिरोधों से अधिक होता है।
समान्तरक्रम संयोजन (Parallel Combination)
जब विभिन्न प्रतिरोधको के सिरों को एक ही सिरे पर जोड़ा जाता है तो इसे समान्तरक्रम संयोजन कहते है।
प्रत्येक प्रतिरोधको के सिरों को एक ही सिरे पर जोड़ने से सिरे का विभवान्तर का मान समान रहता है लेकिन प्रत्येक प्रतिरोधको में प्रवाहित विद्युत धारा का मान अलग अलग होता। जो परिपथ की कुल विद्युत धारा के बराबर होता है अतः
I = I1 + I2 + I3 ……….. (1)
ओम के नियमानुसार
V = IR
I = V/R
इसी प्रकार
I1 = V1/R1
I2 = V2/R2
एवं
I3 = V3/R3
उपरोक्त मान समीकरण (1) में रखने पर
V/R = V1/R1 + V2/R2 + V3/R3
V/R = V(1/R1 + 1/IR2 +1/IR3)
1/R = 1/R1 + 1/IR2 +1/IR3
अतः परिपथ के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम व्यक्तिगत प्रतिरोधों के व्युत्क्रमोँ के योग के बराबर होता है ।
प्रतिरोध की निर्भरता (Dependence of Resistance)
चालक तार की लंबाई
प्रतिरोध चालक तार के लंबाई के समानुपाती होता है अर्थात किसी चालक तार की लंबाई बढ़ाने पर उसमें प्रतिरोध का मान बढ़ता है।
R ∝ ।
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
यदि किसी चालक तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल यानी मोटाई बढ़ाई जाए तो तो उसका प्रतिरोध कम होता है।
किसी चालक तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ 1/ A
समीकरण 1 तथा 2 से
R ∝ ।/A
R = ρ ।/A
ρ = प्रतिरोधकता
ताप
चालकों का ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध का मान पढ़ता है।
अर्द्धचालकों
वे पदार्थ जिनका का ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध का मान कम होता है। मिश्र धातु में ताप का मान बढ़ाने पर प्रतिरोध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
अतिचालक (Super Conductors)
वे पदार्थ जिनका ताप कम करने पर एक निश्चित ताप पर ताप शुन्य हो जाता है, अतिचालक कहलाते है।
पदार्थ की प्रकृति
अलग-अलग पदार्थों का प्रतिरोध अलग-अलग होता है जैसे चांदी का प्रतिरोध सबसे कम हीरे का प्रतिरोध सबसे अधिक होता है।
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विद्युत प्रतिरोधकता (Electric Resistivity)
1 मीटर लम्बे तथा 1 घन मीटर मोटाई वाले में से विद्युत धारा गुजरने पर जो प्रतिरोध उत्पन्न होता है, वह उस पदार्थ की विद्युत प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका SI मात्रक ओम मीटर (Ωm) होता है।
विद्युत प्रतिरोधकता का मान चालक तार की लम्बाई (L) व मोटाई यानि अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के साथ नियत रहती है लेकिन तापमान के साथ परिवर्तित होता है।
चालकता (Conductivity)
प्रतिरोधकता का व्युत्क्रम चालकता कहलाता है।
चालकत्व
प्रतिरोध का व्युत्क्रम चालकत्व कहलाता है।
विद्युत शक्ति (Electric Power)
किसी परिपथ द्वारा प्रति सेकंड किया गया कार्य विद्युत शक्ति कहलाता है इसका मात्रक वाट होता है
P = W/t
V = W/Q
W = VQ
P = VQ/t
हम जानते है की I = Q/t
अतः P = VI
विद्युत ऊर्जा (E।ectric Energy)
विद्युत शक्ति का गुणनफल विद्युत ऊर्जा कहलाता है
इसका मात्रक वाट सेकण्ड होता है परंतु एक का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घंटा काम में लिया जाता है जिसे 1 युनिट कहते है।
E = P X t
1 unit = 1 KWh
1KWh = 1000W X 3600 second
= 3600000ws
इसी प्रकार
= 3.6 X 106 ws
= 3.6 X 106J
[…] विद्युत धारा (Electric current) […]