अंडजनन
अंडजनन (Oogenesis)
अंडाशय (Ovary) में अण्डाणु के निर्माण की प्रक्रिया को अंडजनन (Oogenesis) कहते है।
अंड जनन की शुरुआत भुर्णीय अवस्था में हो जाती है।
जब भूर्ण 7 माह का होता है तो उनमे अंड जननी कोशिकाओं (oogonia) का निर्माण हो जाता है।
अंडजनन निम्न अवस्थाओ में सम्पन्न होता है-
- गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
- वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
- परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)
गुणन प्रावस्था (Multiplication phase)
इस प्रावस्था में अण्डाशय की प्राम्भिक जननिक कोशिकाए (primordial germinal cell ) अनेक समसूत्री विभाजनों द्वारा अण्डजननी कोशिका (oogonia) का निर्माण करती है।
उगोनिया में भी समसूत्री विभाजन के द्वारा संख्या में वृद्धि होती है।
वृद्धि प्रावस्था (Growth phase)
उगोनिया आकार में वृद्धि करके प्राथमिक अण्डक (Primary Oocyte) का निर्माण करती है।
प्राथमिक उसाइट के अर्द्धसूत्री विभाजन प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु यह अर्द्धसूत्री विभाजन प्रथम (Meiosis-I) की प्रोफेज–I की डिप्लोटिन उप-प्रावस्था में रुक जाता है । और अन्य विभाजन यौवनारम्भ के पश्चात होता है इसे डिक्टीऐट अवस्था (dictyate stage) कहते है।
पुटकों का निर्माण (Formation of Follicals)
प्राथमिक अण्डक कोशिकाओं (Primary Oocytes) के चारों ओर कणिकीय कोशिकाओं (granulasa cells) का जमाव होने से प्राथमिक पुटक (Primary Follical) बनते है।
उपरोक्त सम्पूर्ण प्रक्रिया भुर्णीय अवस्था में हो जाती है जिसके कारण जन्म के समय स्त्री के अंडाशय (Ovary) में प्राथमिक अण्डक (Primary Oocytes) युक्त प्राथमिक पुटक (Primary Follical) पाए जाते है।
प्राथमिक पुटक (Primary Follical) की संख्या वयस्क होने तक कम होती रहती है। और यौवनारम्भ के समय स्त्री के प्रत्येक अंडाशय (Ovary) में 60,000 – 80,000 प्राथमिक पुटक (Primary Follical) शेष रहते है।
प्राथमिक पुटक (Primary Follical) के चारों और कणिकीय कोशिकाओं (granulasa cell) की संख्या में वृद्धि होती है और दो स्तर का निर्माण कर लेती है। जिसे द्वितीयक पुटक (Secondary Follical) कहते है ।
द्वितीयक पुटक के चारों और गुहा बनने से ये तृतीयक पुटक (Turtary Follical) में रुपांतरीत हो जाता है। इसमें एक गुहा (Cavity) का निर्माण हो जाता है। जिसे एंट्रम गुहा कहते है।
प्राथमिक अण्डक (Primary Oocytes) इस गुहा (Cavity) में एक संरचना डिस्कस प्रोलीजेरीयस (discus proligerious) के द्वारा लटका रहता है। इसे cumulus oopharus भी कहते है ।
तृतीयक पुटक के चारों ओर दो स्तर पाए जाते है जिन्हें अन्त प्रवारक (थीका एंट्रना Theca Interna) तथा बाह्य प्रवारक (थीका एकस्टरना Theca externa) कहते है।
परिपक्वन प्रावस्था (Maturation phase)
तृतीयक पुटक में उपस्थित प्राथमिक अण्डक (Primary Oocyte) अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वारा एक वृहद द्वितीयक अण्डक (Seconday Oocyte) एव एक धुर्वीय पिण्ड (polar body) का निर्माण कर लेता है। अब इस संरचना को ग्राफियन पुटक (Graafian follicle) कहते है।
द्वितीयक अण्डक (Seconday Oocyte) के चारों ओर एक पारदर्शी झिल्ली का निर्माण होता है। जिसे जोना पेल्युसिडा (Zona Pellucida) कहते है।
ग्राफियन पुटक फटकर द्वितीयक अण्डक (Secondary Oocyte) को अंडाशय (Ovary) से बाहर मोचित करता है। जिसे अण्डोत्सर्ग (Ovulation) कहते है।
द्वितीयक अण्डक (Secondary Oocyte) अर्द्धसूत्री विभाजन द्वितीय (Meiosis-II) निषेचन (Fertilization) से ठीक पहले होता है।
चित्र- अंडजनन (Oogenesis)
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