
राजस्थान की जलवायु (Rajasthaan Kee Jalavaayu)
राज्य राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थलीय होने के कारण यहां की जलवायु शीतोष्ण कटिबंधीय है।
राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण
कोपेन के अनुसार जलवायु का वर्गीकरण
डॉ ब्लाडीमिर कोपेन ने जलवायु का वर्गीकरण वनस्पति के आधार पर किया है। तथा राजस्थान की जलवायु को चार भागों में बांटा हैं-
Bwhw या उष्ण कटिबंधीय शुष्क मरुस्थलीय जलवायु
इस प्रकार की जलवायु राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाई जाती है। बाड़मेर जैसलमेर तथा बीकानेर जिले जिलों में इसी प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
Bshw या अर्द्ध शुष्क जलवायु
इस प्रकार की जलवायु अरावली के वृष्टि छाया प्रदेश में पाई जाती है। इसे स्टेपी जलवायु भी कहते है। सीकर, झुंझुनू, पाली तथा नागौर में इस प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
Cwg या उपोष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु
इस प्रकार की जलवायु अरावली के उत्तरी तथा मध्य भाग मैदानी भाग व पठारी भागों में पाई जाती है।
Aw या उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु
इस प्रकार की जलवायु राजस्थान के दक्षिणी भाग तथा दक्षिणी-पूर्वी भाग में पाई जाती है। इसके अंतर्गत डूंगरपुर, बांसवाड़ा तथा झालावाड़ जिले आते है।
थार्नवेट के अनुसार जलवायु का वर्गीकरण
थार्नवेट ने राजस्थान की जलवायु को चार भागों में बांटा हैं-
जलवायु | वनस्पति | क्षेत्र |
DB’w | अर्द्ध मरुद्भिद पादप | गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू तथा बीकानेर तथा झुंझनु का उत्तरी भाग |
EA’d | मरुद्भिद पादप | जैसलमेर, बाड़मेर पश्चिमी जोधपुर, दक्षिणी-पश्चिमी बीकानेर |
DA’w | अर्द्ध मरुद्भिद पादप | अधिकांश राजस्थान चुरू व झुंझनु का दक्षिणी भाग, बाड़मेर व जोधपुर का पूर्वी भाग, सिरोही, जालौर, पाली, अजमेर, बूंदी, टोंक भीलवाडा आदि |
CA’w | मानसूनी तथा सवाना वनस्पति | दक्षिणी-पूर्वी अलवर, कोटा, बारां, बांसवाडा, डूंगरपुर तथा झालावाड़ |
सूचक शब्द राजस्थान की जलवायु, Rajasthaan Kee Jalavaayu राजस्थान की जलवायु, Rajasthaan Kee Jalavaayu
ऋतु के अनुसार राजस्थान जलवायु को तीन भागों में बांटा गया हैं-
- ग्रीष्म ऋतु
- वर्षा ऋतु
- शीत ऋतु
ग्रीष्म ऋतु
इसका समय मध्य मार्च से जून के मध्य तक होता है। इस ऋतु में सूर्य उत्तरी गोलार्ध में रहता है। तथा 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है। जिसके कारण 21 जून राजस्थान का सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात है।
राजस्थान का सर्वाधिक गर्म महीना जून, सबसे अधिक गर्म जिला चूरू, सबसे अधिक तापमान तापांतर वाला जिला चूरू, न्यूनतम तापांतर वाला जिला सिरोही (माउंट आबू), राजस्थान का सर्वाधिक शुष्क जिला जैसलमेर तथा सर्वाधिक स्थान फलोदी जोधपुर है।
राजस्थान का सर्वाधिक आंधियों वाला जिला गंगानगर तथा न्यूनतम आंधियां झालावाड़ में आती है। सूर्य की सबसे सीधी किरणें बांसवाड़ा में जबकि तिरछी किरणें गंगानगर में गिरती है। क्योंकि बांसवाड़ा तथा डूंगरपुर के मध्य से कर्क रेखा गुजरती है।
वर्षा ऋतु
राजस्थान में इसका समय मध्य जून से सितंबर तक होता है। राजस्थान में वर्षा मानसून के कारण होती है। मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम शब्द से बना है। जिसका अर्थ हैं मौसम तथा मानसून शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अरबी विद्वान अल मसूदी द्वारा किया गया।
राजस्थान में वर्षा ऋतु में वर्षा दो प्रकार के मानसून से होती हैं-
- अरब सागर के मानसून से वर्षा
- बंगाल की खाड़ी के मानसून से वर्षा
अरब सागर के मानसून से वर्षा
यह भारत में प्रवेश केरल जिले के मालाबार तट से 1 से 5 जून के मध्य करता है तथा 17 जून को राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रवेश करता है।
अरावली के समानांतर होने के कारण यह राजस्थान में कम वर्षा करता है। अरब सागर के मानसून से राजस्थान के दक्षिणी पश्चिमी भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है।
अरब सागर का मानसून लौटते समय राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी हिस्से जैसे बीकानेर का कुछ भाग तथा गंगानगर में वर्षा करता है। अरब सागर के मानसून और बंगाल की खाड़ी के मानसून का मिलन हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला नामक स्थान पर होता है।
बंगाल की खाड़ी के मानसून से वर्षा
बंगाल की खाड़ी का मानसून राजस्थान में सर्वप्रथम 1 से 7 जुलाई के मध्य झालावाड़ जिले से प्रवेश करता है। यह मानसून अरावली पर्वतमाला के लंबवत होने के कारण अपेक्षाकृत अधिक वर्षा करता है। इसके कारण राजस्थान के पूर्वी व दक्षिणी-पूर्वी भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है।
वर्षा ऋतू में बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को पुरवइया कहते है। राजस्थान में 57.51 सेंटीमीटर औसत वर्षा होती है। तथा अजमेर सम वर्षा वाला जिला है।
राजस्थान में सबसे कम वर्षा जैसलमेर में और सर्वाधिक वर्षा झालावाड़ जिले में होती है। लेकिन सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउंट आबू और न्यूनतम वर्षा वाला स्थान सम तहसील जैसलमेर है।
शीत ऋतु
राजस्थान में शीत ऋतु का आगमन नवंबर के मध्य से होता है। और यह मध्य मार्च तक रहती है। अक्टूबर और नवंबर मानसून प्रत्यावर्तन काल के अंतर्गत आने वाले महीने हैं
शीत ऋतु के दौरान सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है। 22 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा पर सीधा चमकता है। जिसके कारण 22 दिसंबर राजस्थान का सबसे छोटा दिन वह सबसे बड़ी रात तथा राजस्थान का सबसे ठंडा महीना जनवरी है।
शीत ऋतु में तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर होने वाली वर्षा को आम्र वर्षा कहते हैं, जबकि शीत ऋतु में उत्तरी भारत में भूमध्यसागरीय चक्रवात (जिसे पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है) के कारण होने वाली वर्षा को मावठ कहा जाता है।
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भौगोलिक स्थिति के अनुसार राजस्थान की जलवायु
भौगोलिक स्थिति के अनुसार राजस्थान की जलवायु को 5 भागों में बांटा गया हैं-
- शुष्क
- अर्द्ध शुष्क
- उपार्द्र
- आर्द्र
- अति आर्द्र
शुष्क
इस प्रकार की जलवायु में 40° सेंटीग्रेड तापमान तथा 10-20 सेंटीमीटर वर्षा होती है। यहां पर मरुद्भिद वनस्पति पाई जाती है।
दक्षिणी गंगानगर, पश्चिमी बीकानेर, पश्चिमी जोधपुर, जैसलमेर, तथा उत्तरी बाड़मेर में शुष्क जलवायु पायी जाती है।
अर्द्ध शुष्क जलवायु
इस प्रकार की जलवायु में 36-40° सेंटीग्रेड तापमान तथा 20-40 सेंटीमीटर वर्षा होती है। यहां पर स्टेपी वनस्पति पाई जाती है।
गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, सीकर, चुरू, झुंझनु, नागौर जोधपुर, बाड़मेर, पाली तथा जालौर में अर्द्ध शुष्क जलवायु पायी जाती है।
उपार्द्र
इस प्रकार की जलवायु में 30-36° सेंटीग्रेड तापमान तथा 40-60 सेंटीमीटर वर्षा होती है। यहां पर पर्वतीय वनस्पति पाई जाती है।
अलवर, दक्षिणी-पूर्वी सीकर, झुंझनु, नागौर, जयपुर, अजमेर, भीलवाडा तथा दौसा में उपार्द्र जलवायु पायी जाती है।
आर्द्र
इस प्रकार की जलवायु में 30-35° सेंटीग्रेड तापमान तथा 60-80 सेंटीमीटर वर्षा होती है। यहां पर पतझड़ वनस्पति पाई जाती है।
भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, बूंदी, राजसमन्द, उदयपुर, टोंक, प्रतापगढ़ तथा चित्तोड़गढ़ में आर्द्र जलवायु पायी जाती है।
अति आर्द्र
इस प्रकार की जलवायु में 24-30° सेंटीग्रेड तापमान तथा 80 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है। यहां पर सघन मानसूनी वनस्पति पाई जाती है।
बारां, झालावाड़, बांसवाडा, डूंगरपुर, दक्षिणी उदयपुर तथा माउन्ट आबू (सिरोही) में आर्द्र जलवायु पायी जाती है।
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महत्वपूर्ण तथ्य
1000 मिलीबार रेखा
यह दाब रेखा है जो सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़ तथा झालावाड़ से गुजरती है। इसको 1बार रेखा भी कह सकते है।
999 मिलीबार रेखा
जालौर, पाली, अजमेर तथा टोंक से गुजरती है।
आर्द्रता
राजस्थान के अप्रैल महीने में सबसे कम तथा अगस्त महीने में सबसे अधिक आर्द्रता होती है।
भभूल्या
ग्रीष्म ऋतु में चक्रवातनुमा आंधियाँ।
समरेखा
राजस्थान को 50 सेंटीमीटर समवर्षा रेखा दो भागों में विभक्त करती है।
बड़ोपल गाँव
श्री गंगानगर का बड़ोपल गाँव सेम की समस्या से ग्रसित है।
दोंगडा
राजस्थान में मानसून वर्षा से पहले होने वाली वर्षा।
वार्षिक तापान्तर
राजस्थान में वार्षिक तापान्तर 14° से 17° सेंटीग्रेड होता है।
इन्हें भी पढ़ें
- राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
- राजस्थान के प्रमुख मेले (Rajasthan Ke Mele)
- अधिगम के सिद्धांत तथा नियम
- राजस्थान के भौतिक प्रदेश
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