Mendel’s laws of inheritance in Hindi / मेंडल के वंशागति के नियम / Law of dominance in Hindi / Law of Segregation in Hindi / Law of independent assortment in Hindi
प्रभाविता का नियम (Law of dominance)
इस नियम के अनुसार, जब एक जीव में एक गुण के लिए दो विपर्यासी युग्म (Contrasting pair) विकल्पी साथ-साथ आते हैं, तो केवल एक ही स्वयं को पूर्णतया अभिव्यक्ति (Express) करता है, एवं प्रभाव दर्शाता है। यह प्रभावी (Dominant) कहलाता है, एवं अन्य युग्मविकल्पी जो अभिव्यक्त नहीं हो पाता है, एवं छुपा रहता है, अप्रभावी (Recessive) कहलाता है।
पादप की लम्बाई दो युग्म विकल्पी प्रभावी युग्म विकल्पी (Dominant allele) – T एवं अप्रभावी युग्म विकल्पी (Recessive allele) – t द्वारा नियंत्रित होती है।
ये दो युग्म विकल्पी तीन रूपों में उपस्थिति हो सकते हैं।
- TT – Homozygous / समयुग्मजी
- Tt – Heterozygous / विषमयुग्मजी
- tt – Homozygous / समयुग्मजी
मेण्डल ने दो मटर पादपों एक समयुग्मजी लम्बा TT एवं दूसरा समयुग्मजी बौना tt के मध्य संकरण किया। और F1 पीढ़ी प्राप्त की –
उन्होंने पाया कि सभी F1 संतति पादप एक जनक के समान लम्बे थे, कोई भी बौना पादप नहीं था।
उसने गुणों के अन्य युग्म के लिए भी समान प्रेक्षण प्राप्त किये एवं पाया कि F1 संतति पादप सदैव केवल एक जनक के साथ समानता दर्शाता है, एवं अन्य जनक के गुण उनमें प्रदर्शित नहीं होते थें।
प्रभाविता का नियम के अपवाद (Exceptions of law of dominance)
यह नियम सर्वमान्य अनुप्रयोगिक (application) नहीं है। इसके अपवाद निम्नलिखित है –
- अपूर्ण प्रभाविता (incomplete dominance)
- सह प्रभाविता (co- dominance)
पृथक्करण का नियम / युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation / Law of Purity of Gametes)
इस नियम के अनुसार F1 पीढ़ी मे पाए जाने वाले दोनों जनक युग्मविकल्पी T & t पृथक-पृथक होकर युग्मकों के माध्यम से संतति में जाते हैं, एवं F2 पीढ़ी में लक्षण प्रारूपिक रूप से अभिव्यक्त होते हैं।
F1 संकर में स्वपरागण के द्वारा F2 पीढ़ी की उत्पत्ति होती है।
यह दर्शाता है कि दोनों प्रभावी एवं अप्रभावी पादप 3:1 के अनुपात में दिखाई देते हैं। इस प्रकार F2 पीढ़ी/संततियां दोनों जनक रूपों को दर्शाती है।
F2 पीढ़ी के आधार पर निम्न निम्न निष्कर्ष निकलता है-
- सामान्यतया एक जीव में प्रत्येक गुण के लिए दो युग्म विकल्पी (Allele) होते हैं। ये युग्म विकल्पी या तो समान या भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। एक युग्म के समान युग्म विकल्पी युक्त जीव उस गुण के लिए शुद्ध या सत्य जननिक कहलाते हैं। यदि जीव में एक युग्म के भिन्न-भिन्न युग्म विकल्पी होते हैं, तो वह जीव अशुद्ध या संकर (Hybrid) कहलाता है।
- एक जीव दो युग्मविकल्पियों में से एक-नर युग्मक से एवं अन्य मादा युग्म से प्राप्त करता है। युग्मक जनन के दौरान संयुक्त होते हैं, एवं युग्मनज बनाते हैं। युग्मनज एक जीव में विकसित होता है।
- प्रत्येक युग्मक (नर एवं मादा) में युग्म का केवल एक युग्मविकल्पी होता है। इस प्रकार प्रत्येक युग्मक एक गुण के लिए शुद्ध होता है। इस कारण यह नियम युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहलाता है।
- नर एवं मादा युग्मकों के मध्य संयोजन से युग्मनज उत्पन्न होना एक नियमित प्रक्रिया होती है।
- F2 पीढ़ी में प्राप्त पादप 3 (लम्बे) : 1 (बौने) लक्षण प्रारूप अनुपात दर्शाते हैं। इन तीनों लम्बे पादपों में से एक शुद्ध एवं या समयुग्मकी प्रभावी एवं शेष दो विषमयुग्मकी होते हैं। (इस स्थिति में लम्बे पादप होते हैं)। इनमें केवल एक पादप है। बौने पादप शुद्ध या सत्य प्रजननशील होते हैं, जो समयुग्मकी अप्रभावी होते हैं।
पृथक्करण का नियम के अपवाद (Exceptions of law of Segregation)
यह नियम सर्वमान्य रूप से अनुप्रयोगिक है। मतलब कि इस नियम के कोई अपवाद नहीं है।
Mendel’s laws of inheritance in Hindi / मेंडल के वंशागति के नियम / Law of dominance in Hindi / Law of Segregation in Hindi / Law of independent assortment in Hindi
स्वतंत्र अप्यूहन का नियम (Law of independent assortment)
स्वतंत्र अप्यूहन का नियम के अनुसार जब जब दो अलग-अलग प्रकार के लक्षणों (अर्थात विपर्यासी लक्षण नहीं) मध्य संकरण करवाया जाता है, तो एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण की वंशागति से पूर्णतया स्वतंत्र होती है।
इनके स्वतंत्र अप्यूहन के कारण जनक प्रकारों के अतिरिक्त पुर्नसंयोजन (Recombination) भी प्राप्त होते हैं।
- गोल/पीला (जनक प्रकार)
- गोल/हरे (पुर्नसंयोजन / Recombination)
- झुर्रीदार/पीला (पुर्नसंयोजन / Recombination)
- झुर्रीदार/हरे (जनक प्रकार)
द्विसंकर में, ये संयोजन 9:3:3:1 के अनुपात में प्राप्त होते हैं। उसने समयुग्मकी प्रभावी गोल एवं पीले बीजों वाले पादप (RRYY) का समयुग्मकी अप्रभावी झुर्रीदार एवं हरे बीजों वाले पादप (rryy) के साथ संकरण करवाया।
F1 संकर सभी विषमयुग्मकी पीले एवं गोल बीजों (RrYy) वाले पादप थे।
लक्षण प्रारूप अनुपात – गोल/पीला 9/16 : गोल/हरे 3/16 : झुर्रीदार/पीला 3/16 : झुर्रीदार/हरे 1/16
जीनप्रारूप अनुपात – 1: 2 :1: 2: 4: 2: 1 : 2: 1
यदि युग्मविकल्पियों के प्रत्येक युग्म का लक्षण प्रारूप अनुपात निश्चित होता है। (उदाहरण बीज का पीला एवं हरा रंग) तो यह 12(9 + 3) पीले बीजों वाले पादप एवं 4(3 + 1) हरे बीजों वाले पादपों को दर्शाता है।
यह पृथक्करण दर्शाते हुए एकल संकर संकरण के F2 पीढ़ी में प्राप्त 3 : 1 अनुपात के समान ही आता है।
इस प्रकार प्रत्येक लक्षण का परिणाम एकल संकर संकरण के समान ही होता है।
स्वतंत्र अप्यूहन का नियम के अपवाद (Exceptions of law of independent assortment)
यह नियम सर्वमान्य अनुप्रयोगिक (application) नहीं है। इसके अपवाद निम्नलिखित है –
- सहलग्नता एवं पुनर्संयोजन (Linkage & Recombination)
इन्हें भी पढ़े
- आनुवंशिकी एवं मेंडल के आनुवंशिकी के नियम
- अनुवांशिक विज्ञान / आनुवंशिकी
- एक संकर संकरण और द्विसंकर संकरण
- मेंडलवाद (Mendelism), मेंडल का इतिहास (History of Mendel)
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