सामाजिक अधिगम सिद्धांत
सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Theory of Social Learning)
इस का प्रतिपादन किया था अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) ने किया था। इसके अनुसार व्यक्ति अवलोकन, नकल और आदर्श व्यवहार के प्रतिमान के माध्यम से एक-दूसरे से सीखते हैं।
समाज द्वारा स्वीकार किए जाने वाले व्यवहार को अपनाना तथा वर्जित व्यवहार को नकारना ही सामाजिक अधिगम है।
सामाजिक अधिगम सिद्धांत को व्यवहारवाद और संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांतों के बीच की योजक कड़ी कहा जाता है क्योंकि यह सिद्धांत ध्यान(motivation), स्मृति (attention) और प्रेरणा (memory) तीनों को संयोजित करता है।
इसलिए अल्बर्ट बंडूरा को प्रथम मानव व्यवहार-संज्ञानवादी कहते है।
बंडूरा का प्रयोग (Experiment of Bandura)
बंडूरा ने एक बालक पर बेबीडॉल प्रयोग किया। बंडूरा ने एक बालक को तीन तरह की मूवी दिखाई गई।
प्रथम मूवी में सामाजिक मूल्य (Social value) आधारित थी। जिसे देख कर बालक बेबी डॉल के साथ सामाजिक व्यवहार (social behavior) दर्शाता है।
दूसरी मूवी प्रेम पर आधारित थी। जिसे देख कर बालक डॉल से स्नेह करता है, उसे सहलाता है।
तीसरी मूवी हिंसात्मक (violent) दृश्य-युक्त थी। जिसे देख कर बालक गुड़िया की गर्दन को तोड़ देता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस प्रयोग के आधार बंडूरा ने यह निष्कर्ष निकला की छोटे बच्चों को यह नहीं पता होता, की उनको क्या सीखना चाहिए और क्या नहीं सीखना चाहिए। इसलिए बच्चों के सामने हमेशा आदर्श व्यवहार के प्रतिमान (Ideal Model) को प्रस्तुत करना चाहिए।
यह भी पढ़े
- शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं, प्रकृति तथा विशेषताएँ
- अधिगम का अर्थ एवं विशेषताएँ
- अधिगम के सिद्धांत तथा नियम
- व्यवहारवाद सिद्धांत
- क्रिया-प्रसूत सिद्धांत
- शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत
- गेस्टाल्टवाद या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत
बंडूरा ने सामाजिक अधिगम के चार उपाय बताये हैं-
- ध्यान
- अवधारण
- पुनः प्रस्तुतीकरण
- पुनर्बलन
ध्यान या अवधान (Attention)
अधिगम विषयवस्तु (जिस को सीखना है) को आकर्षक तथा प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना अवधान कहलाता है।
अवधारण या धारण करना (Retention)
अधिगम के लिए प्रस्तुत किए गए विषय वस्तु को कितना सिखा गया है।
पुनः प्रस्तुतीकरण (Reproduction)
उस वस्तु का अधिगम कम प्रभावशाली हो तो अधिगम की विषय वस्तु को पुनः प्रस्तुत करना चाहिए। जैसे छात्र किसी विषय वस्तु को कम सीख पाते हैं तो उसको पुनः दोहराना चाहिए। सिखाने के लिए मॉडल, चित्र, चार्ट आदि सामग्री का उपयोग करना चाहिए।
पुनर्बलन (Rehabilitation)
विषय वस्तु की पुनः प्रस्तुतीकरण के पश्चात यदि बालक अधिगम की प्रतिपुष्टि कर दे तो यह प्रतिपुष्टि ही पुनर्बलन है। बालक यदि उसे अच्छी तरह सीख लेता है। उसकी प्रशंसा द्वारा उसे प्रेरित करना चाहिए।
बंडूरा ने सामाजिक अधिगम के निम्न कारक बताए हैं-
- अभिप्रेरणा (Motivation)
- स्व नियंत्रण (Self-control)
- स्वविवेक (Self discretion)
- स्व निर्णय (Self-determination)
- स्वअनुक्रिया (Self response)
सामाजिक अधिगमवाद का शैक्षिक महत्व (Ecucational Importance of social learning theory)
- बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत सामाजिक अधिगम वाद है।
- यदि बच्चों के सामने अच्छे गुणों वाले व्यवहार को प्रदर्शित किया जाता है। तो उस बालक में वांछित गुणों का किया जा सकता है।
- सामाजिक अधिगम का आधार अनुकरण (Imitation) है।
- बच्चे के सामने आदर्श मॉडल प्रस्तुत करना चाहिए।
- बच्चों के सामने बुरे व्यवहार, अनैतिक मॉडल से बचाना चाहिए।
Our other website – Click here
If you like this post and want to help us then please share it on social media like Facebook, Whatsapp, Twitter etc.
Theory is in very easy language. Topic became very interesting. thank you.