गेस्टाल्टवाद या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत

गेस्टाल्टवाद सिद्धांत (Theory of Gestalt)

गेस्टाल्ट जर्मन शब्द है, जिसका अर्थ पूर्ण (whole) या समग्र आकार (total pattern or configuration) है। इनको सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत (Insight theory) भी कहते है।

इस सिद्धांत में समस्या की प्रकृति को संपूर्ण आकार में अध्ययन करने पर बल दिया गया है। इसके अनुसार “the whole is more important than the parts” यानि पूर्ण अंश से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।

इसलिए कहा जा सकता है कि यह सिद्धांत पूर्ण से अंश (Whole to part) की ओर की और या स्थूल से सूक्ष्म (Macro to micro) का प्रतिपादित करते है।

गेस्टाल्टवाद सिद्धांत के प्रवर्तक मैक्स वर्दीमर, कोफ्का तथा कोहलर है। इनको गेस्टाल्टवादी (Gestalt psychologists) कहते है।

 

गेस्टाल्ट मनोवैज्ञानिकों ने ‘प्रयास और त्रुटी (trial and error),  ‘प्रयास और सफल (strive and succeed) के सिद्धांतों का खण्डन किया है।

 

इनके अनुसार करके सीखना व अनुभव से सीखना छोटे बच्चों द्वारा अपनाया गया अधिगम है। कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें बालक पहली बार अपने आप सीख लेते है। गेस्टाल्टवाद सिद्धांत विवेकशील तथा चिंतनशील (Prudent and Reflective) बालकों के अधिगम पर बल देता है।

 

कोहलर का प्रयोग (Kohlar’s Experiment)

प्रथम प्रयोग (First Experiment)

कोहलर ने सुल्तान नामक एक चिंपेंजी पर प्रयोग किया। कोहलर ने भूखे सुल्तान को एक कमरे में बंद रखा तथा उसकी छत से केले लटका दिए। सुल्तान इन्हें प्राप्त करने का प्रयास करता है। लेकिन असफल रहता है।

सुल्तान ने कमरे का बारीकी से पूर्ण आकार  (समग्र आकार) में अध्ययन किया और पाया कि कमरे में एक बड़ा बॉक्स था। सुल्तान ने बॉक्स का प्रयोग किया और केले प्राप्त किए।

 

सुल्तान द्वारा कमरे में बॉक्स को देखना समस्या के पूर्ण आकार का अध्ययन तथा बॉक्स का प्रयोग करना सुल्तान की अंतर्दृष्टि व सूझ-बुझ (Insight and sense) का परिणाम है।

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द्वितीय प्रयोग (Second Experiment)

एक अन्य प्रयोग में कोहलर ने सुल्तान के पिंजरे में दो छड़ें रखीं। इन छड़ियों में ऐसी व्यवस्था रखी की छोटी छड़ी एक छोर को लंबी छड़ी के एक छोर में फिट किया जा सकता है,  जिससे छड़ी लम्बी हो जाती है।

सुल्तान को परीक्षण और त्रुटि के माध्यम से दोनो छड़ियों को जोड़कर लम्बी बनाने का विचार नहीं मिला।

लेकिन जब कोहलर ने बड़ी छड़ी में अपनी उंगली डालकर संकेत दिया, तो सुल्तान ने पूरी स्थिति देखी और अंतर्दृष्टि के माध्यम से सही कार्य किया।

 

उपरोक्त प्रयोग के आधार पर हम कह सकते है कि प्यासा कौवा कहानी तथा न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण प्रयोग भी सूझ व अंतर्दृष्टि का ही परिणामहै।

यह भी पढ़े

 

सूझ या अंतर्दृष्टि के सिद्धांत पर आधारित नियम (Law base on Insight theory)

 

  • समानता का नियम (Law of Similitude)
  • निकटता का नियम (Law of Proximity)
  • समापन का नियम (Law of Closure)
  • निरंतरता का नियम (Law of Continuity)
  • समग्रता का नियम (Law of completeness)

 

 

गेस्टाल्टवाद सिद्धांत का शैक्षिक महत्व  (Educational significance of Gestalt theory)

  1. शिक्षक को सिखाने के लिए गेस्टाल्टवाद सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए अपने अनुभव के आधार पर सरल, ठोस और छोटी-छोटी इकाइयों के रूप में अपने छात्रों को पाठ्यक्रम सामग्री पेश करनी चाहिए।
  2. पाठ्यक्रम का निर्माण गेस्टाल्ट वाद सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए।
  3. गेस्टाल्टवाद सिद्धांत के द्वारा बालको मे चिंतन (Thinking), मनन (contemplation), स्वाध्याय (Self-study), कल्पनाशीलता (Imagination), तार्किकता (Logic), आदि गुणों का विकास किया जा सकता है।
  4. गणित विद्यार्थियों द्वारा उपयोगी समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method) इसी सिद्धांत पर आधारित है।
  5. अनुसंधान विधि (Research Method) तथा खोज विधि (Search Method) गेस्टाल्ट वाद सिद्धांत पर आधारित है।
  6. यह सिद्धांत रचनात्मक कार्य (creative work) के लिए उपयोगी है यह रटने (Rote) जैसी क्रिया का खण्डन करता है।

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