जैव प्रोद्योगिकी एवं पुनर्योगज डीएनए
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जैव प्रौद्योगिकी की परिभाषा (Biotechnology definition)
यह जीव विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें सूक्ष्म जीव, कोशिका तथा कोशिका के उत्पादों का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जाता है। यह सूक्ष्मजीव विज्ञान, तकनीकी तथा जैव रसायन का सम्मिलित रूप है।
पुनर्योगज डीएनए तकनीक (Recombinant DNA technology)
किसी जीव के डीएनए में बाहरी डीएनए जोड़कर बनाया गया डीएनए पुनर्योगज डीएनए कहलाता है।
जैसे मानव में इंसुलिन का निर्माण करने वाली जीन को बैक्टीरिया के डीएनए के साथ जोड़ा जाता है। तो उसे पुनर्योगज डीएनए कहा जाता है।।
रेकॉम्बीनैंट डीएनए टेक्नोलॉजी का विकास सर्वप्रथम कोहेन तथा बोयर ने किया था। पुनर्योगज डीएनए तकनीक में लिखित साधनों का उपयोग किया जाता है-
- प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइम
- इलेक्ट्रोफॉरेसिस
- क्लोनिंग वाहक
- ब्लॉटिंग
- पीसीआर (PCR)
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइम (Restriction Endonuclease)
ई.कोलाई जीवाणु से 1963 में दो एंजाइम प्रथक किए गए पृथक किए गए जो जीवाणुभोजी की वृद्धि को रोकते है।
- मिथाइलेज एंजाइम (Methylase)
- एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइम (Restriction Endonuclease)
मिथाइलेज एंजाइम (Methylase)
यह जीवाणु के डीएनए में मैथिल को जोड़ने का कार्य करता है।
एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइम (Restriction Endonuclease)
ये DNA रज्जूकों को काटने का कार्य करते है।
न्यूक्लीऐज एंजाइम (Nuclease) उन एंजाइमों को कहते हैं जो डीएनए का पाचन करते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं-
- एक्सोन्यूक्लीऐज (Exonuclease)
- एंडोन्यूक्लीऐज (Endonuclease)
एक्सोन्यूक्लीऐज (Exonuclease)
यह डीएनए को किनारों से काटने का कार्य करता है।
एंडोन्यूक्लीऐज (Endonuclease)
यह DNA खण्डों को मध्य से काटने का कार्य करता है।
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीज एंजाइम डीएनए को विशिष्ट स्थानों से काटता है। जिनको पहचान स्थल (Recognition Site) कहते हैं। यह पहचान स्थल पैलिंड्रोम प्रकार के होते हैं, जैसे कि मलयालम, सरस कनक शब्द। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर डीएनए के रज्जूकों पर अनुक्रम (Sequence) को पढ़ने का विन्यास (Confugration) समान रखा जाए, तो दोनों रज्जूकों पर एक ही प्रकार के अनुक्रम (Sequence) मिलते हैं।
जैसे उपरोक्त चित्र में डीएनए के खंड को 5’ से 3’ की और पढ़ते हैं तो डीएनए के दोनों रज्जूकों पर क्षार अनुक्रम (Base Sequence) सम्मान होते हैं। जैसे 5’——– GAATTC—–3’ या 5′-GTCGAC-3
इस प्रक्रिया को समझने के लिए, आपको डीएनए की संरचना के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यदि आप डीएनए की संरचना को नहीं जानते हैं, तो आप निम्न लिंक का उपयोग करके डीएनए की संरचना के बारे में जान सकते हैं।
Read here https://aliscience.in/dna-ki-sanrachna/
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीज का नामकरण (Nomenclature of restriction enzymes in Hindi)
प्रति बंधन एंडोन्यूक्लीज एंजाइमों को जीवाणुओं से पृथक किया जाता है। वर्तमान में 900 से अधिक एंजाइम जीवाणुओं से पृथक किए जा चुके हैं। इनका नामकरण भी जिस जीवाणुओं से प्राप्त करते हैं, उसके आधार पर किया जाता है।
जैसे कि EcoRI में E के वंश के नाम का प्रथम अक्षर और CO जीवाणु के जाति के नाम के प्रथम दो अक्षर R प्रभेद को दर्शाता है। तथा अंत में खोजे जाने का क्रम रोमन संख्या में लिखा जाता है।
आप इसको निम्नलिखित उदाहरणों के द्वारा भी समझ सकते हैं-
- BamHI – Bacillus amyloliquefaciens प्रभेद H खोजे जाने का क्रम – I
- HindDII – Haemophilus influenza प्रभेद D खोजे जाने का क्रम – II
- NotI – Nocardia otitidis खोजे जाने का क्रम – I
- PstI – Providencia stuartii खोजे जाने का क्रम – I
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीज के प्रकार ( Types of restriction endonuclease enzymes in Hindi)
इनके चार प्रकार खोजे जा चुके हैं जिनके नाम निम्न प्रकार है-
- टाइप – I
- टाइप – II
- टा इप – IIs
- टाइप – III
इलेक्ट्रोफॉरेसिस
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइम के द्वारा डीएनए को डीएनए को छोटे-छोटे खंडों में काटने के पश्चात उनको इलेक्ट्रोफॉरेसिस प्रक्रिया द्वारा पृथक किया जाता है। जिसे डीएनए का पृथक्करण (Separation of DNA) कहते हैं।
image source for educational purpose genome.gov
इलेक्ट्रोफॉरेसिस की क्रियाविधि (Mechanism of electrophoresis in Hindi)
इलेक्ट्रोफॉरेसिस में कांच की दो प्लेटों के मध्य एगारोज जेल या पॉलिएक्रेलैमाइड जेल भरा जाता है। और इन जेल पर डीएनए खंडों को डालकर इस जेल को इलेक्ट्रिक फील्ड यानि विद्युत् क्षेत्र में रखते हैं।
डीएनए पर ऋणात्मक आवेश होता है। जिसके कारण यह कैथोड से प्रतिकर्षित और एनोड की ओर आकर्षित होते हैं। जिससे डीएनए एगारोज जेल के छलनी प्रभाव के कारण अपने आकार के अनुसार जेल में अलग-अलग व्यवस्थित हो जाते हैं।
जेल पर पृथक हुए डीएनए को देखने के लिए इथिडियम ब्रोमाइड अभिरंजक (Dye) डालकर इन्हें UV किरणों में रखा जाता है। जिससे यह चमकीले नारंगी रंग के दिखाई देने लग जाते हैं।
क्षालन (Elusion)
इन पृथक हुए डीएनए खण्डों को एगारोज जेल से निष्कासित किया जाता है। इस प्रक्रिया को क्षालन (Elusion) कहते हैं।
क्लोनिंग वाहक (Cloning Vectors)
वांछित जीन से उत्पाद प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी परपोषी कोशिका (Host cell) में भेजना होता है। इसके लिए जिन माध्यमों का उपयोग किया जाता है, उन्हें क्लोनिंग संवाहक कहते हैं।
क्लोनिंग वाहक के रूप में निम्नलिखित साधनों का उपयोग किया जा सकता है-
- प्लाज्मिड (Plasmid)
- जीवाणुभोजी (Bacteriophage)
- कॉस्मिड (Cosmid)
- शटल वाहक (Shuttle Vectors)
- ट्रांस्पोजोन (Transposon)
- फेज्मिड (Phasmid)
प्लाज्मिड (Plasmid)
यह जीवाणुओं का अतिरिक्त गुणसूत्रीय (Extra Chromosomal) भाग होता है। इसका उपयोग क्लोनिंग वाहक के रूप में इसलिए किया जाता है, कि इस में निम्नलिखित गुण होते हैं-
प्रतिकृतियन उत्पत्ति स्थल (Origin of replication site)
वह अनुक्रम (Sequence) जहां से प्रतिकृति की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। उसे Ori स्थल या प्रतिकृतियन उत्पत्ति स्थल कहते हैं। यह परपोषी कोशिका (Host cell) में वांछित डीएनए (desired DNA) के प्रतिकृति (Replication) बनाने में सहायता करता है।
प्रतिकृति सहायक प्रोटीन (Protein of replication, ROP)
कुछ प्रोटीन प्रतिकृति की प्रक्रिया (Replication) में सहायता करती है। यह प्लाज्मिड में होना आवश्यक है। ताकि वांछित डीएनए (desired DNA) डीएनए परपोषी कोशिका में प्रतिकृतिया (Copy) बना सके।
क्लोनिंग स्थल (Cloning site)
क्लोनिंग वाहक में वांछित डीएनए को जोड़ने के लिए पहचान स्थल (Recognition site) होना चाहिए। जहां से एंडोन्यूक्लीज एंजाइम के द्वारा काटकर वांछित डीएनए को जोड़ा जा सकता है।
source ncert topperlearning.com
वरण योग्य चिन्हक (Selectable marker)
क्लोनिंग वाहक में रूपांतरण की पहचान करने के लिए वरण योग्य चिन्हक (Selectable marker) होना चाहिए। जिसके द्वारा रूपांतरज (Transformits) और अरूपांतरज (Non-transformits) में अंतर किया जा सके।
इसके लिए प्लाज्मिड में प्रतिजैविक प्रतिरोधक जीन (Antibiotic resistance gene) पाई जाती है। जैसे कि एंपीसिलीन, टेट्रासाइक्लिन, क्लोरमफेनेकोल, केनामईसिन आदि इनके रिपोर्टर जीन भी वरण योग्य चिन्हक (Selectable marker) के रूप में कार्य करती है। जैसे लेक जेड (LacZ) जीन।
प्रतिजैविक प्रतिरोधक जीन (Antibiotic resistance gene)
इस जीन से बनी प्रोटीन जीवाणु को संबंधित प्रतिजैविक (Antibiotics) से बचाने का कार्य करती है। जैसे कि Ampr जीन एंपीसिलीन के प्रभाव से जीवाणु को बचाती है।
निवेशी निष्क्रियता (Insertion inactivation in Hindi)
यदि हम रिस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लीऐज एंजाइमों के द्वारा क्लोनिंग वाहक को काटकर बाहरी डीएनए जोड़ते हैं, तो प्रतिजैविक प्रतिरोधक जीन (Antibiotic resistance gene) नष्ट हो जाती है।
जिसके कारण उस प्रतिजैविक के प्रभाव में Recombinant DNA युक्त जीवाणु वृद्धि नहीं करते प्रतिजैविक प्रतिरोधक जीन (Antibiotic resistance gene) इस प्रकार इनकी पहचान की जा सकती है। इसे निवेशी निष्क्रियता (Insertion inactivation) कहते हैं।
इसी प्रकार LacZ जीन भी निवेशी निष्क्रियता (Insertion inactivation) प्रदर्शित करती है। इस जीन के द्वारा बीटा ग्लेक्टोसाइडेज एंजाइम का निर्माण होता है।
यह एंजाइम लेक्टोज, गैलेक्टोज का पाचन करके नीला रंग प्रदान करता है। किसी प्लाज्मिड में वांछित जीन प्रवेश करवाने पर LacZ जीन निष्क्रिय हो जाती है। तो यह नीले रंग की कॉलोनी नहीं बनाता इस प्रकार हम रूपांतरण की पहचान कर सकते हैं।
क्लोनिंग वाहक प्लाज्मिड के उदाहरण
- PBR322 Plasmid Boliver Rodriguez
- Puc Plasmid University of California
जीवाणुभोजी (Bacteriophage)
ये वायरस होते हैं, जो जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं और जीवाणुओं के अंदर रेप्लीकेशन करते हैं। इनमें डीएनए पाया जाता है, इनके डीएनए में बाहरी डीएनए आसानी से जोड़ा जा सकता है। इसलिए इनका उपयोग क्लोनिंग वाहक के रूप में किया जाता है।
इनमें कोस स्थल (Cos site) होता है। जो जीवाणुओं में डीएनए की प्रतिकृति बनाने में सहायता करता है।
सामान्यतया दो प्रकार के जीवाणुभोजीयों का उपयोग क्लोनिंग वाहक के रूप में किया जाता है।
- λ फेज
- M13 फेज
λ फेज
यह ईकोलाई को संक्रमित करने वाला वायरस है। इसमें बाहरी डीएनए का निवेशन (insertion) आसानी से किया जा सकता है। जब यह ईकोलाई को संक्रमित करता है। तो वांछित डीएनए को भी जीवाणुओं में प्रवेश करवा देता है। इस प्रकार हम वांछित डीएनए को जीवाणु में भेज सकते हैं।
M13 फेज
यह एकल रज्जूकी (सिंगल स्ट्रैंडेड) डीएनए वायरस है। इसमें बाहरी डीएनए को प्रवेश करवाकर क्लोनिंग वाहक के रूप में काम में लिया जा सकता है।
कॉस्मिड (Cosmid)
यह प्लाज्मिड तथा बैक्टीरियोफेज का हाइब्रिड होता है। इसमें प्लाज्मिड के Ori स्थल के साथ बैक्टीरियोफेज का cos स्थल भी जोड़ दिया जाता है। जिससे वांछित डीएनए का परपोषी कोशिका में प्रतिकृति करना आसान हो जाता है। यह बड़े आकार के डीएनए खंड का निवेशन करने में सहायता करते हैं।
Cosmid के उदाहरण pLFR-5
फेज्मिड (Phasmid)
यह प्लाज्मिड और बैक्टीरियोफेज का संयोजन है। यह या तो प्लास्मिड या बैक्टीरियोफेज के रूप में कार्य कर सकता है। फेज्मिड प्लास्मिड या फेज दोनों की प्रतिकृति की कार्यात्मक उत्पत्ति रखता है। और इसलिए ई.कोलाई में प्लास्मिड या फेज के रूप में वृद्धि करवाया जा सकता है।
शटल वाहक (Shuttle Vectors)
यह प्लाज्मिड वेक्टर ही है, जिसे विशेष रूप से दो अलग-अलग परपोषी कोशिकाओं में प्रतिकृति बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसको शटल वेक्टर कहा जाता है।
दो परपोषी कोशिकाओं (host cells) में प्रतिकृति (replication) की करने की क्षमता एक प्लास्मिड में संयुक्त होती है। इसलिए शटल वेक्टर में किसी भी बाहरी डीएनए के टुकड़े को परपोषी कोशिका में अभिव्यक्त (Expresse) किया जा सकता है। शटल वेक्टर को एक परपोषी कोशिका में वृद्धि करवाया जा सकता है और फिर दूसरे परपोषी कोशिका में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
ट्रांस्पोजोन (Transposon)
यह विशिष्ट प्रकार की जीन होती है। जो अपना स्थान परिवर्तित कर सकती है। इसलिए इसको जंपिंग जीन (Jumping gene) भी कहा जाता है।
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Read also
- पीसीआर: पोलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया (Polymerase Chain Reaction)
- DNA प्रतिकृति (DNA Replication in Hindi)
External link
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/
- https://www.ntnu.edu/ibt/about-us/what-is-biotechnology#:~:text=Biotechnology%20is%20technology%20that%20utilizes,to%20produce%20the%20desired%20product).
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