चूरू से सम्बंधित जनरल नॉलेज

चूरू से सम्बंधित जनरल नॉलेज (General Knowledge About Churu)

चूरू उत्तरी राजस्थान का एक रेगिस्तानी जिला है। इसकी स्थापना चूहड़ा नामक जाट ने की थी। यह सर्वाधिक तापांतर वाला जिला है।

चूरू के प्रमुख स्थल (Major places of Churu)

ददरेवा

यह लोक देवता गोगा जी का जन्म स्थल है। यह चूरू के सादुलपुर के राजगढ़ कस्बे से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित है।

सालासर

यह स्थान सालासर के बालाजी नामक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह कहा जाता है, कि मोहनदास नामक किसान के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई उनको 1737 ईस्वी में असोटा गांव में अपने खेत में हल चलाते समय दाढ़ी मूछ युक्त बालाजी की मूर्ति प्राप्त हुई थी। जिसके कारण सालासर के बालाजी का मंदिर प्रसिद्ध है।

यहां पर हनुमान जी की दाढ़ी में एक भव्य हीरा लगा हुआ है।यह स्थान सिद्ध हनुमत पीठ माना जाता है। साथ ही यहां राजस्थान राज्य का प्रथम सहकारी क्षेत्र का महिला मिनी बैंक स्थापित किया गया है।

सुजानगढ़

यहां का बंधेज कार्य प्रसिद्ध है। यहां छिपों के द्वारा बंधेज का कार्य किया जाता है। जिनमें मुबारक जी व खाजु जी छिपा नामिक बंधेज कारीगर है।

सयानण

सयानण नामक स्थान पर डूंगरी पर स्थित काली माता का मंदिर प्रसिद्ध है।

गोपालपुरा

यह चूरू के तहसील सुजानगढ़ में स्थित है। इसको महाभारत के समय द्रोणपुर के नाम से जाना जाता था। गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा इसकी स्थापना की गई थी।

साहवा

चुरू के साहवा नामक स्थान पर सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव तथा गुरु गोविंद सिंह के आने व रहने का स्थान था। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है।

दूधवाखारा

चुरू का दूधवाखारा नामक स्थान किसान आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है यहां पर दूधवाखारा किसान आंदोलन हुआ था जिसका नेतृत्व वैद्य मगाराम जी, रघुवर दयाल गोयल जी तथा हनुमान सिंह आर्य के द्वारा किया गया था।

ताल छापर

ताल छापर नामक स्थान पर कृष्ण मृग अभयारण्य है। जो काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है। तथा साथ ही यहां पर वर्षा ऋतु में मोतिया साइप्रस रोटन्डस नामक नर्म घास उगती है। इनके अलावा इस अभयारण्य में हिरण, कुरजां, राजहंस गोयरा पाइड हरीयर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।

श्री शोध संस्थान

इसकी स्थापना 1964 ईस्वी में सुभाष कुमार अग्रवाल ने की थी। यह लोक संस्कृति नगर श्री शोध संस्थान नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर प्राचीन सिक्के मूर्तियां पुस्तकें आदि प्रसादी दुर्लभ चीजें संग्रहित है।

 

 

चूरू के प्रसिद्ध किले एवं भवन (Famous forts and buildings of Churu)

चूरू का किला

इसका निर्माण ठाकुर कुशल सिंह ने 1739 ईसवी में करवाया था। इस किले के बारे में यह प्रसिद्ध है कि युद्ध के दौरान गोला-बारूद खत्म होने पर चांदी के गोले दागे गए थे।

इसमें गोपीनाथ जी का मंदिर तथा नो बुर्ज विद्यमान है।

बिनादेसर का किला

इसका निर्माण 1757 ईस्वी में ठाकुर दूल्हे सिंह के द्वारा करवाया गया था। ठाकुर दूल्हे सिंह बीकानेर के राजा गंगा सिंह का दीवान था।

मालजी का कमरा

1974-1982 विक्रमी सावंत के मध्य सेठ माल चंद कोठारी द्वारा 30 फीट ऊंचे हॉल का निर्माण करवाया गया। जहां पर शादी विवाह का कार्यक्रम होता है। इसे मालजी का कमरा कहते हैं।

लाल घंटाघर

यह चूरू के इंद्रमणि पार्क पार्क के पास स्थित है। इसे धर्म स्तूप भी कहा जाता है। 26 जनवरी 1930 को यहां पर चंदन मल बहड़ के द्वारा तिरंगा झंडा फहराया गया था।

सुराणा हवेली

रामविलास गोयनका की हवेली

चूरू से सम्बंधित जनरल नॉलेज (General Knowledge About Churu)

चूरू से सम्बंधित जनरल नॉलेज (General Knowledge About Churu)

 

चूरू के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल (Famous religious places of Churu)

सालासर बालाजी का मंदिर

यह सुजानगढ़ तहसील के सालासर में स्थित है।

तिरुपति बालाजी का मंदिर

इसे वेंकटेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह सुजानगढ़ में स्थित है। जिसका निर्माण सोहनलाल जानोदिया के द्वारा करवाया गया।

स्यानण का मंदिर

साहवा का गुरुद्वारा

 

चूरू की विधानसभाएं (Assemblies of Churu)

चुरू जिले में छः विधानसभा में हैं। जो निम्न है-

  1. चूरू
  2. रतनगढ़
  3. सुजानगढ़
  4. सरदारशहर
  5. सादुलपुर
  6. तारानगर

चूरू से सम्बंधित जनरल नॉलेज (General Knowledge About Churu)

प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल जो राजगढ़ के निवासी थे। ने राजगढ़ के गांव को पीने का पानी प्रदान करने के लिए जलधारा प्रोजेक्ट Jaladhara project चलाया है।

 

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