जीव जगत का वर्गीकरण
Biological Classification in Hindi, जीव जगत का वर्गीकरण biological classification meaning in Hindi NCERT class 11 Biology chapter-2
दो जगत वर्गीकरण (Two Kingdom Classification)
केरोलस लिनीयस विश्व के सभी जीवों को दो जगतों में विभाजित किया गया है- जन्तु जगत (एनिमेलिया / Animalia) तथा पादप जगत (प्लांटी / Plantae)।
केरोलस लिनीयस के वर्गीकरण का मुख्य मापदंड कोशिका भित्ति की उपस्थिति या अनुपस्थिति थी। अन्य मापदंड गमन, पोषण की विधियाँ, बाह्य उद्दीपनों के प्रति प्रतिक्रिया आदि थी।
वर्गीकरण के दो जगत पद्धति के दोष (Shortcomings of two-kingdom system of classification)
इस पद्धति में यूकेरियोट्स, प्रोकेरियोट्स, एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीवों (unicelled and multicelled organisms), प्रकाश संश्लेषी तथा अप्रकाशसंश्लेषी जीवों के बीच विभेदन नहीं किया गया।
कुछ जीव जैसे क्लेमाइडोमोनास, यूग्लीना तथा स्लाइम मॉल्ड्स जो जन्तुविज्ञों तथा वनस्पतिविज्ञों दोनों द्वारा प्रमाणित हो चुके हैं।
कुछ जीव प्राकृतिक रूप से पादपों या जन्तुओं दोनों में नहीं आते हैं, ऐसे जीवों के लिए नया जगत स्थापित किया गया है।
केरोलस लिनीयस द्वारा प्रस्तुत दो जगत निम्न है-
- एनिमेलिया (Animalia)
- प्लांटी (Plantae)।
तीन जगत वर्गीकरण (Three Kingdom Classification))
अर्नेस्ट हेकल जर्मन जन्तुविज्ञ ने 1866 में तीसरा जगत प्रोटिस्टा के बारे में समझाया, जिसमें सभी एककोशिकीय सूक्ष्मजीव सम्मिलित किये गए।अतः उन्होने तीन जगत प्रस्तुत किये जैसे- प्लांटी, प्रोटिस्टा तथा एनिमेलिया।
इसमें एककोशिकीय जीवों की अनेक किस्में सम्मिलित है, मुख्यतया जलीय यूकेरियोटिक जैसे-कवक, प्रोटोजोआ, शैवाल, जीवाणु तथा स्लाइम मॉल्ड।
अर्नेस्ट हेकल द्वारा प्रस्तुत तीन जगत निम्न है-
- प्लांटी
- प्रोटिस्टा
- एनिमेलिया
चार जगत वर्गीकरण (Four Kingdom Classification)
कोपलेण्ड (1956) ने चार जगत वर्गीकरण दिया तथा मोनेरा को चौथे जगत के रूप में सम्मिलित किया। कोपलेण्ड ने वास्तविक रूप से इसे ’माइकोटा’ जगत कहा।
- डोटरी तथा एलेन ने इसे ’मोनेरा’ कहा।
- मोनेरा जगत में सभी प्रोकेरियोटिक जीव सम्मिलित है, जैसे-यूबेक्टिरिया (सायनोबेक्टिरिया जिसे नील हरित शैवाल भी कहते हैं) तथा आर्कीबेक्टिरिया।
- एक्टिनोमाइसीटीज (तन्तुमय जीवाणु) को भी इस जगत में सम्मिलित किया गया है।
कोपलेण्ड द्वारा प्रस्तुत चार जगत निम्न है-
- मोनेरा
- प्लांटी
- प्रोटिस्टा
- एनिमेलिया
पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification)
पाँच जगत वर्गीकरण R.H. व्हिटेकर द्वारा प्रस्तुत किया गया।
व्हिटेकर (1969) ने जीवों को पाँच जगतों में विभाजित किया जो मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक, प्लांटी, एनिमेलिया है। इन्हे निम्न मापदंडों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
- कोशिका संरचना की जटिलता (Complexity of cell structure) – कोशिकाओं का प्रोकेरियोटिक विरूद्ध यूकेरियोटिक संगठन।
- शरीर संगठन की जटिलता (Complexity of body organization)- एककोशिकीय विरूद्ध बहुकोशिकीय; सरल बहुकोशिकीय अवस्था से जटिल बहुकोशिकीय अवस्था।
- पोषण की विधि (Mode of nutrition) – स्वपोषी विरूद्ध विषम पोषी (परजीवी या सेप्रोबिक या इनजेस्टिव जीव) यह इस वर्गीकरण पद्धति का प्रमुख मापदंड है।
- प्रजनन (Reproduction)
- जातिवृत्तीय या उद्वीकासीय अर्न्तसम्बन्ध (Phylogenetic or evolutionary interrelations)
Characters | Five Kingdoms | ||||
मोनेरा | प्रोटिस्टा | कवक | प्लांटी | एनिमेलिया | |
कोशिका प्रकार | प्रोकेरियोटिक | यूकेरियोटिक | युकेरियोटिक | यूकेरियोटिक | यूकेरियोटिक |
कोशिका भित्ति | नोन सेल्युलॉजिक (पोलिसेकेराइड ़ अमिनों अम्लद्ध | कुछ प्रोटिस्ट में उपस्थित | उपस्थित (सेल्युलॉज रहित) | उपस्थित (सेल्युलॉज) | अनुपस्थित |
केन्द्रकीय झिल्ली | अनुपस्थित | उपस्थित | उप स्थित | उपस्थित | उपस्थित |
शरीर संगठन | कोशिकीय | कोशिकीय | बहुकोशिकीय/ढ़ीले ऊत्तक | ऊत्तक/अंग | ऊत्तक/अंग/अंगतत्र |
पोषण के प्रकार | स्वपोषी (रसायन संश्लेषी तथा प्रकाशसंश्लेषी) विषमपोषी सेप्रोफिटिक/ परजीवी | स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषी) विषमपोषी | विषमपोषी (सेप्रोफिटिक/ परजीवी | स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषी | विषमपोषी (होलोजोइक/ सेप्रोफिटिक |
R.H. व्हिटेकर द्वारा प्रस्तुत पांच जगत निम्न है-
- मोनेरा
- प्रोटिस्टा
- कवक
- प्लांटी
- एनिमेलिया
छः जगत वर्गीकरण (Six Kingdom Classification)
कार्ल वूज (Carl Woese) ने छः जगत वर्गीकरण प्रस्तुत किया। जो जगत आर्कीबेक्टीरिया, यूबेक्टीरिया, प्रोटिस्टा, कवक, प्लांटी तथा एनिमेलिया है।
उन्होने कुछ प्रमुख विभिन्नताओं जैसे कोशिका भित्ति में पेप्टाइडोग्लाइकेल की उपस्थिति तथा झिल्ली में शाखित श्रृँखला लिपिड की उपस्थिति के आधार पर यूबेक्टिरिया से आर्कीबेक्टिरिया को पृथक किया।
16S राइबोसोमल RNA जीनों के क्रम के आधार पर उन्होने पाया कि छः जगत प्राकृतिक रूप से तीन मुख्य श्रेणियों में समूहित है। उन्होने इन श्रेणियों को जीवन की विमाएँ कहा।
कार्ल वूज (Carl Woese) द्वारा प्रस्तुत छः जगत निम्न है-
- आर्कीबेक्टीरिया
- यूबेक्टीरिया
- प्रोटिस्टा
- कवक
- प्लांटी
- एनिमेलिया
जीवन की तीन विमाएँ (Three Domains of life in Hindi)
16S राइबोसोमल RNA (16s rRNA) जीनों के क्रम के आधार पर कार्ल वूज (Carl Woese) ने पाया कि सभी सजीवों को तीन डोमेन या तीन विमाओं में विभाजित कर सकते है।
ये डोमेन आर्की, जीवाणु तथा यूकेरिया है, तथा ये समान पूर्वजो से उत्पादित हुए है, जिसे प्रोजीनेट कहते हैं। डोमेन जगत की अपेक्षा उच्चतर श्रेणी है।
जीवन की तीन विमाएँ (Three Domains of life in Hindi) निम्न है-
- जीवाणु (Bacteria)
- आर्की (Archaea)
- यूकेरिया (Eukarya)
जीवाणु (Bacteria)
इसमें सभी यूबैक्टीरिया सम्मिलित है।
आर्की (Archaea)
इसमें सभी आर्कीबैक्टीरिया या प्राचीन बैक्टीरिया सम्मिलित है।
यूकेरिया (Eukarya)
यह यूकैरियोटिक कोशिका वाले सजिवों का समूह है।
लेक्चर विडियो
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