सांद्रित अयस्क से धातुओं का निष्कासन

सांद्रित अयस्क से धातुओं का निष्कासन (Extraction of Metal from Concentrated of ore)

सांद्रित अयस्क से धातुओं का निष्कासन करने के लिए निम्न विधियाँ काम में ली जाती है-

A. धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन (Conversion of metal oxide into metal)

B. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन (Conversation of concentrated ore into metal oxide)

 

A. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन (Conversation of concentrated ore into metal oxide)

कार्बोनेट तथा सल्फाइड अयस्कों का सरलतापूर्वक धातु में अपचयन नहीं किया जा सकता है, इसलिए निष्कर्षण की प्रक्रिया में उनको पहले ऑक्साइडो में बदला जाता है फिर इन धातु ऑक्साइड के अपचयन से धातु प्राप्त की जाती है।

सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन निम्न  में से किसी एक उपयुक्त विधि द्वारा किया जाता है :

  1. निस्तापन (Calcination)
  2. भर्जन (Roasting)

 

1. निस्तापन (Calcination)

सांद्रित अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में इतने ताप पर गर्म करते हैं की वह पिघले नहीं।  इस विधि को निस्तापन कहलाती है।

निस्तापन की इस प्रक्रिया में अयस्क में उपस्थित नमी को दूर किया जाता है। तथा धातु के हाइड्रोऑक्साइड या कार्बोनेट को निस्तापन द्वारा धातु ऑक्साइड में बदल जाता है।

इस विधि में हाइड्रोऑक्साइड अयस्कों से जल निकलता जाता है।

2Fe2O3.3H2O → 2Fe2O3 + 3H2O

तथा कार्बोनेट अयस्क अपघटित हो जाता है।

ZnCO3 → ZnO + CO2

CaCO3.MgCO3 → CaO + MgO + 2CO2

2. भर्जन (Roasting)

सांद्रित अयस्क को वायु उपस्थिति में इतना गर्म करना की बिना पिघले वह धातु ऑक्साइड में बदल जाए। भर्जन (Roasting) कहलाता है। भर्जन सामान्यता सल्फाइड अयस्कों का किया है।

2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2

2PbS + 3O2 → 2PbO + 2SO2

2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2

2HgS + 3O2 → 2HgO + 2SO2

 

भर्जन की क्रिया में अयस्क में उपस्थित गन्धक, आर्सेनिक, एन्टिमनी आदि आक्सीकृत होकर वाष्प बन कर उड़ जाते हैं

 

B. धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन (Conversion of metal oxide into metal)

धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन धातु ऑक्साइड के अपचयन (Reduction) द्वारा जाता है।  इसके लिए निम्न विधियाँ  काम में ली जाती हैं-

(i) वायु की उपस्थिति में गर्म करके अपचयन करना (Reduction by heating in the presence of air)

ऐसी धातुएँ जो तत्वों की सक्रियता श्रेणी में सबसे नीचे आते है, इस विधि द्वारा अपचयित करके प्राप्त की जाती है। जैसे मरक्युरी

 

इस विधि में सांद्रित अयस्क का वायु की उपस्थिति में भर्जन किया जाता है तथा भर्जित अयस्क को तेज गर्म करने पर धातु ऑक्साइड धातु में अपचयित हो जाता है।

उदाहरण सिनबार (HgS) अयस्क से मरक्युरी धातु इसी से प्राप्त की जाती है।

2HgS + 3O2 → 2HgO + 2SO2

2HgO → O2 (गर्म)

 

(ii) कार्बन द्वारा अपचयन (Reduction by Carbon)

जिंक, ताम्बा, निकल, टिन, लेड आदि धातुओ का निष्कर्षण कोक (कार्बन) को अपचायक के रूप में प्रयोग कर के किया जाता है। इस विधि में धातु ऑक्साइड को कोक के साथ मिलाकर भट्टी में गर्म किया जाता है। जिससे धातु ऑक्साइड धातु में अपचयित हो जाता है। जैसे

आयरन का इसके ऑक्साइड से निष्कर्षण

FeO + C → Fe + CO

Fe2O3 + C → Fe3O4 + CO2

Fe3O4 + C → Fe + CO2

 

जिंक का इसके ऑक्साइड से निष्कर्षण

 

ZnO + C → Zn + CO

लेड का इसके ऑक्साइड से निष्कर्षण

PbO + C → Pb + CO

टिन का इसके ऑक्साइड से निष्कर्षण

SnO2 + C → Sn + CO2

ताम्बे का इसके क्यूप्रस ऑक्साइड से निष्कर्षण

Cu2O + C → Cu + 2CO

 

(iii) प्रगलन (Smelting)

निस्पातन अथवा भर्जन के पश्चात अयस्क में अपचायक पदार्थ और उचित गालक (flux) मिलाकर उच्च ताप पर गलाने की प्रक्रिया को प्रगलन कहते हैं।

अपचायक के रूप में सामान्यतया एन्थ्रेसाइट कोयले का उपयोग होता है।

इस प्रक्रिया में अयस्क का धातु में अपचयन हो जाता है, जबकि गालक अयस्क में उपस्थित आधात्री (gangue) से क्रिया करके गलित धातुमल (Slag) बनता है। जो हल्का होने के कारण गलित धातु के ऊपर तैरता है।

गलित धातु और धातुमल को अलग-अलग एकत्रित कर लिया जाता है।

उदाहरण

Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

CaO + SiO2 → CaSiO3 (धातुमल)

गालन (flux)

वह पदार्थ, जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय गेंग से उच्च ताप पर ,क्रिया करके गलनीय (fusible) धातुमल बनता है। गलित धातु मल का घनत्व गलित धातु से कम होता है, अतः यह उसके ऊपर तेरता है।

गालक दो प्रकार का होता हैं-

  1. अम्लीय गालक (Acid Flux)
  2. भास्मिक / क्षारकीय गालक (Alkali Flux)

 

अम्लीय गालक (Acid Flux)

यदि गेंग क्षारकीय प्रकृति (जैसे –FeO) का है तो इसके लिए अम्लीय गायक (जैसे –SiO2) प्रयुक्त किया जाता है।

FeO + SiO2 → FeSiO2

भास्मिक / क्षारकीय गालक (Alkali Flux)

यदि गेंग अम्लीय प्रकृति (जैसे –SiO2) का है तो गालक भास्मिक प्रकृति (जैसे –CaO या CaCO3) का मिलाया जाता है।

SiO2 + CaO → CaSiO3

 

धातुमल (Slag)

प्रगलन में गेंग गलनीय अपशिष्ट धातुमल कहलाता है यह सामान्तया सिलिकेट होता है।

 

(iv) एलुमिनियम चूर्ण द्वारा अपचयन (Elimination by aluminum powder)

इसे ऐलूमिनोतापी विधि या थर्माइट विधि (Thermite method) कहते है।

ऐसे ऑक्साइडो जिनका कार्बन द्वारा अपचयन नहीं होता है उनसे धातु निष्कर्षण में यह विधि प्रयुक्त होती है। जैसे Cr2O3, TiO2, Mn3O4 आदि।

 

इस विधि में एलुमिनियम चूर्ण का उपयोग किया जाता है, जिसे थर्माइट कहते हैं। धातु के ऑक्साइड तथा एलुमिनियम चूर्ण को एक चीनी मिट्टी के बने क्रुसिबल में रख जाता है। इसके ऊपर मैग्नीशियम के एक फीते के सिरे पर मैग्नीशियम चूर्ण और बेरियम परोक्सासाइड (BaO2) के मिश्रण की पोटली बांधी जाती है मैग्नीशियम के फीते को जलाया जाता है। जिससे निम्न प्रकार अभिक्रिया होती है-

Cr2O3 + Al → Al2O3 + 2Cr

 

अभिक्रिया तीव्र ऊष्माक्षेपी (Exothermic) होने के कारण मिश्रण का तापमान लगभग 3388K तक बढ़ जाता है।

उपरोक्त अपचयन अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त क्रोमियम धातु पिघलकर कृसिबील के तली में एकत्रित हो जाती है, जबकि एलुमिना (Al2O3) ऊपर की ओर  परत बनता है, जिन्हें अलग प्राप्त कर लिया जाता है।


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